संसार के सब से सुंदर देशों में स्विट्जरलैंड की गणना होती है. यह बात अकारण नहीं है. इसे नयनाभिराम बनाने में प्रकृति का सब से बड़ा हाथ है. बर्फ से लदी ऊंचीऊंची पर्वत चोटियां, अत्यंत स्वच्छ वातावरण, शीतल पवन, शुद्ध जल एवं बहुत ही सुंदर लोग. वातावरण की शुद्धता ही शायद वह महत्त्वपूर्ण कारक है कि यहां अत्यंत सूक्ष्म यंत्र एवं दवाओं का निर्माण होता है. स्विस मेड घडि़यों को भला कौन नहीं जानता.

राइन फौल्स

जरमनी के ब्लैक फौरेस्ट इलाके से प्रस्थान करने के बाद हम इस देश की सीमा में दाखिल हुए. पहला पड़ाव था राइन फौल्स के पास. यह स्थान पर्यटकों को काफी लुभाता है. इस की गिनती पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थलों में होती है. यहां करीब 80-90 फुट चौड़ाई वाली राइन नदी 30-40 फुट ऊंचाई से सीढ़ीनुमा चबूतरे पर हरहरा कर गिरती है. चारों तरफ जहां पानी का फेन ही फेन दिखाई पड़ता है वहीं कुछ दूर तक हवा में बादल सा भी बन जाता है. प्रपात के गिरने के स्थान से थोड़ी दूरी पर ही उद्वेलित जल शांत होने लगता है और कुछ नावें नदी की सतह पर दिखाई देने लगती हैं. कुछ ऐडवैंचर के शौकीन नाव से प्रपात का आनंद निकट से लेने के लिए उधर जाने का भरसक प्रयत्न कर रहे थे.

टूरिस्टों की सुविधा हेतु वहां एक विशाल ठेला भी नजर आया जिस में हिंदुस्तानी समोसा, पावभाजी, वड़ा, चाय और कौफी मिल रहे थे. इन के अलावा कुछ यूरोपियन स्नैक्स भी उपलब्ध थे. उन के रेट्स की बात मत पूछिए. भारतीय मुद्रा के हिसाब से काफी महंगे थे. स्विट्जरलैंड के इस सुदूर कोने में इंडियन स्नैक्स बिकते देखना एक सुखद अनुभूति थी. उस से भी आश्चर्य यह देख कर हुआ कि उस अनजान स्थल पर मात्र वही एक दुकान थी जहां हलके नाश्तेपानी की व्यवस्था थी. क्या इसे मात्र संयोग कहा जाए. इस का कारण शायद यह है कि इन दिनों बड़ी संख्या में हिंदुस्तानी छुट्टियों में या वैसे भी, परिवार के साथ विदेश भ्रमण हेतु निकल रहे हैं. इस प्रकार के ठेले वाले हिंदुस्तानी लोगों की आवश्यकता के लिए बने हैं क्योंकि वे उन के स्वाद के मुताबिक चीजें उपलब्ध करा रहे हैं. इस अत्याधुनिक ठेले पर काम करने वाले भारतीय ही प्रतीत हो रहे थे.

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