शिशु को जन्म देना पृथ्वी का सब से बड़ा चमत्कार है. और इस चमत्कार को अंजाम देने के लिए महिलाओं की मदद करता है व्यायाम. जी हां, समय बदल चुका है और साथ ही महिलाओं का गर्भावस्था के दौरान और बाद में व्यवसाय के प्रति दृष्टिकोण भी. गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करने से होने वाले फायदे बेहद महत्त्वपूर्ण हैं. यह सिर्फ आप और आप के गर्भस्थ शिशु को ही लाभ नहीं पहुंचाता बल्कि आप के प्रसव को आसान बनाता है. और प्रसव के बाद आप के शरीर को शेप में भी लाता है.

व्यायाम के फायदे गर्भधारण करने के शुरूआत में और गर्भावस्था के बाद में करने पर अलगअलग हैं, जैसे गर्भधारण के शुरूआत में व्यायाम करना शिशु के विकास में सहायक होता है वहीं गर्भधारण करने के बाद के समय में व्यायाम आप को फिट रखने में, आप के वजन को नियंत्रित रखने में और प्रसव पीड़ा को कम करने में सहायक होता है.

कुल मिला कर जीवन के इस महत्त्वपूर्ण चरण के दौरान नियमित रूप से व्यायाम महिलाओं को सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने, गर्भधारण और प्रसव पीड़ा को आसान बनाने में उन की सहायता करता है. आप ने नयानया अभ्यास शुरू किया हो या आप पहले से ही व्यायाम करने की अनुभवी हों. गर्भाधारण एक ऐसा समय होता है जब आप को नियमित आधार पर व्यायाम करना चाहिए न कि शिशु के जन्म का इंतजार करना चाहिए.

व्यायाम गर्भावस्था में होने वाली मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए फायदेमंद है.

गर्भावस्था के दौरान व्यायाम से होने वाले अन्य लाभ ये हैं:

– यह मूड को फै्रश रखता है.

– अच्छी नींद आती है.

– पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द को कम करता है.

-शारीरिक परेशानियों को कम करता है.

– औक्सीजन और रक्तसंचारण को सुधारता है.

– शारीरिक रूप से फिट होने के कारण कम समय और कम दर्द में प्रसव होने की संभावनाएं बढ़ाता है.

बहुत सी महिलाएं जानना चाहती हैं कि इस दौरान कौनकौन से व्यायाम करने चाहिए और उन की आवृत्ति और अवधि क्या होनी चाहिए?

जवाब यह है कि व्यायाम शरीर को मजबूती प्रदान करने वाले होने चाहिए. इस के लिए आप तैराकी करें, टहलें और अपने शरीर को स्ट्रैच करें. ये व्यायाम हफ्ते में 3 बार किए जा सकते हैं. होने वाली माएं ध्यान रखें कि उतनी ही देर तक व्यायाम करें जितनी देर तक वे इस में कम्फ र्ट महसूस करें. यह बात बेहद महत्त्वपूर्ण है कि आप अपने शरीर और सुविधा के अनुसार ही व्यायाम करें क्योंकि व्यायाम के दौरान हार्ट रेट सामान्य ही होनी चाहिए. आप इसे इस तरह ले सकती हैं कि व्यायाम के समय आप आराम से किसी से बातचीत कर सकें.

गर्भावस्था के दौरान किए जाने वाले खास व्यायाम निम्नलिखित हैं:

  • स्क्वाट्स

यह पैरों के लिए बहुत अच्छा व्यायाम है.

पैरों को कंधे के बराबर में खोलें. अपनी रीढ़ की दिशा में नाभी को अंदर खीचें और एबडौमिनल्स को टाइट करें. धीरेधीरे अपने शरीर को नीचे की ओर झुकाएं जैसे कि आप कुरसी पर बैठी हों. यदि आप इतनी नीचे जा सकें कि आप के पैर आप के घुटनों की सीध में आ जाएं तो अच्छा होगा. लेकिन ऐसा न हो तो आप जितनी कोशिश कर सकती हैं उतना ही नीचे जाएं. यह सुनिश्चित कर लें कि आप के घुटने आप के पैरों की उंगलियों के पीछे हैं.4 तक गिनती गिनें और फिर धीरेधीरे अपने शरीर को पहले वाली स्थिति में वापस ले आएं.इस प्रक्रिया को 5 बार दोहराएं.

  • केगेल व्यायाम

केगेल व्यायाम मूत्राशय, गर्भाशय और आंत का समर्थन करने वाली मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है. गर्भावस्था के दौरान इन मजबूत मांसपेशियों के सहारे आप आराम से प्रसव पीड़ा को झेल सकती हैं और शिशु को जन्म दे सकती हैं. केगेल करने के लिए आप को ऐसा सोचना पड़ेगा जैसे आप मूत्र के प्रवाह को रोकने का  प्रयास कर रही हों. ऐसा करते वक्त आप पैल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को नियंत्रित करेंगी. ऐसा करते वक्त 5 बार गिनती गिनें. इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं. यह व्यायाम दिन में 3 बार करना चाहिए.

  •  ऐबडौमिनल व्यायाम

इस अभ्यास से पेट की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं. जमीन पर पैरों को मोड़ कर बैठें और पीठ एकदम सीधी रखें. अब अपने पेट को अंदर की तरफ लें और उन्हें टाइट रख कर 10 सैकंड तक रखें. लेकिन यह सुनिश्चित कर लें कि ऐसा करते वक्त आप को सांस नहीं रोकनी है. इस के बाद आराम से अपनी प्रारंभिक अवस्था में लौट आएं. इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं.

  • कैट ऐंड कैमल व्यायाम

यह अभ्यास आप की पीठ और पेट को मजबूत बनाता है.इस अभ्यास को करने के लिए चटाई पर हाथों और घुटनों के बल बैठ जाएं. घुटने आप के कूल्हे की सीध में होने चाहिए और कलाई कंधों की सीध में. साथ ही यह सुनिश्चित कर लें कि पेट लटक न रहा हो.अब अपना सिर झुकाएं और अपने पेट को अंदर की तरफ ले जाएं. अपनी रीढ़ की हड्डी को ऊपर की तरफ निकालें. इस अवस्था में 10 सैकंड तक रहें. लेकिन सांस लेना बंद न करें.

व्यायाम के लिए चेतावनी संकेत

-सीने में दर्द, पेट में दर्द, पैल्विक पेन या लगातार संकुचन.

– भ्रूण की स्थिति में ठहराव आना.

– योनि से तेजी से तरल पदार्थ का स्राव होना.

– अनियमित या तेज दिल की धड़कन.

– हाथपैरों में अचानक सूजन आ जाना.

– चलने या सांस लेने में दिक्कत.

– मांसपेशियों में कमजोरी.

-व्यायाम तब भी हानिकारक है जब आप को गर्भावस्था से संबंधित कोई परेशानी हो.

-प्लेसैंटा का गर्भाशय ग्रीवा के पास होना या गर्भाशय ग्रीवा को पूरी तरह से कवर करना.

– पिछले प्रसव के दौरान आई समस्याएं जैसे प्रीमैच्योर बेबी का जन्म या समय से पहले लेबर पेन उठी हो.

-कमजोर गर्भाशय.

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