बदलते जीवन शैली की वजह से भारत में कैंसर एक महामारी के रूप में फ़ैल रहा है. शोध में यह पाया गया है कि लगभग 20 साल बाद कैंसर के मरीजों की संख्या दुगुनी हो जायेगी. आज शायद ही कोई ऐसा परिवार है, जिसके घर में कैंसर का एक मरीज न हो. गलत लाइफस्टाइल की कीमत लोगों को कैंसर के रूप में मिल रहा है और इसमें सबसे अधिक ब्रैस्ट कैंसर के रोगी है, जिसका समय रहते इलाज करने पर कुछ हद तक रोगी को बचाया जा सकता है. ब्रैस्ट कैंसर होने पर कई महिलाओं के ब्रैस्ट भी निकाल दिया जाता है, जिसका प्रभाव उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, इसे ध्यान में रखते हुए ‘पूर्ति’ की शुरुआत की गई है, जो महिलाओं को जीने की आजादी दे सकें. 

इस बारें में कोलकाता, टाटा मेडिकल सेंटर की ब्रैस्ट ओंको सर्जन डॉ. रोजीना अहमद कहती है कि पिछले कुछ सालों में ब्रैस्ट कैंसर के मरीज पूरे विश्व में बहुत अधिक बढ़ चुके है, लेकिन भारत में इसकी संख्या अभी कम है, यहाँ 3 वेस्टर्न महिलाओं में एक महिला भारत की ब्रैस्ट कैंसर से पीड़ित है, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह संख्या पहले से बढ़ी है. एक साल में करीब 800 से 900 महिलाएं ब्रैस्ट कैंसर की मेरे डिपार्टमेंट में आती है. जिसमें 800 महिलाओं को सर्जरी की जरुरत पड़ती है, जिसमें 200 एडवांस केस के मरीज की सर्जरी नहीं की जाती, जबकि 400 महिलाओं के ब्रैस्ट को प्रिजर्व कर लिया जाता है और 400 को फुल ब्रैस्ट रिमुवल की जरुरत पड़ती है. ब्रैस्ट कैंसर बढ़ने की वजह बताना मुश्किल है, लेकिन कुछ वजह निम्न है, 

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