तमिल फिल्म ‘थ्री’ के गाने ‘कोलावरी डी…’ से चर्चित हुए तमिल फिल्म के सुपरस्टार, पार्श्व गायक, गीतकार और निर्माता धनुष का असली नाम वेंकटेश प्रभु कस्तूरी राज है. धनुष नाम उन्हें थिएटर में अभिनय करते वक्त मिला. शांत स्वभाव के धनुष को बौलीवुड में कामयाबी फिल्म ‘रांझणा’ से मिली, जिस में उन के अभिनय को सराहा गया. उन के पिता कस्तूरी राज और उन के भाई सेल्वा राघवन दोनों फिल्म निर्देशक हैं. फिल्मों में कदम उन्होंने अपने भाई और पिता के कहने पर ही रखा.

2004 में उन्होंने सुपरस्टार रजनीकांत की बेटी ऐश्वर्या रजनीकांत से शादी की. अब उन के 2 बेटे यात्रा और लिंगा हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के खास अंश:

आप किस तरह की फिल्मों में काम करना अधिक पसंद करते हैं?

मैं इस बात में कोई अंतर महसूस नहीं करता कि फिल्म अच्छी है या खराब. लेकिन भाषा कोई भी हो, एक अच्छी स्क्रिप्ट की अपेक्षा करता हूं. फिल्म ‘रांझणा’ के बाद मुझे कई औफर मिले पर मैं एक अच्छी कहानी और स्क्रिप्ट, जो मुझ पर फिट हो, की खोज में रहा. कुछ स्क्रिप्ट अच्छी थीं पर मैं उन में फिट नहीं था. मैं अपनी कमजोरी और स्ट्रैंथ जानता हूं. मैं बहुत सामान्य इंसान हूं. मेरे जैसे कई लोग आप को आसपास मिल जाएंगे. इसलिए मुझे अपनी पर्सनैलिटी के लायक फिल्म चुननी पड़ती है. इस के लिए मुझे इंतजार करना पड़ता है.

फिल्म ‘षमिताभ’ में अमिताभ और रेखा के साथ काम करना कैसा रहा?

मैं ने अमिताभ के साथ केवल 4-5 दिन काम किया. मैं तो एक कोने में बैठ कर बस उन के अभिनय को देखता था. मैं उन के साथ लंबे समय तक काम करना चाहता हूं. उन से शूटिंग के दौरान सीखने की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है. रेखा ने मेरी फिल्म ‘रांझणा’ के बारे में बात की. उन्होंने मेरे अभिनय की तारीफ की तो मुझे आश्चर्य हुआ कि वे मेरे बारे में इतना जानती हैं.

दक्षिण की फिल्मों और हिंदी फिल्मों में क्या अंतर पाते हैं?

दक्षिण की भाषा और संस्कृति अलग है. इस के अलावा कोई अंतर नहीं है. दक्षिण से बौलीवुड में आने की वजह अच्छी स्क्रिप्ट थी.

रजनीकांत का दामाद होने से कितना फायदा और कितना नुकसान हुआ?

उन का नाम कभी मेरे कैरियर के आगे नहीं आया. वे मेरे पिता समान हैं. उन से मैं अपनी तुलना नहीं कर सकता. वैसी भी उन से कोई मेरी तुलना नहीं करता. फिल्म के लिए मैं कोई तनाव नहीं लेता. हां इतना जरूर चाहता हूं कि फिल्म लोगों को पसंद आए और प्रोड्यूसर का पैसा निकल आए.

बौलीवुड में 6 पैक ऐब्स का राज है. आप इस होड़ में अपनेआप को कहां पाते हैं?

6 पैक ऐब्स बड़ी मुश्किल से बनते हैं. इस के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. मैं कभी वैसा बन पाऊंगा कि नहीं पता नहीं, इसलिए मैं अपने हिसाब से फिल्में चुनता हूं.

अपनेआप को कैसे परिभाषित करना चाहेंगे?

मैं ओरिजिनल रहना चाहता हूं. किसी की नकल नहीं करना चाहता. बचपन से मेरी इच्छा अभिनय की नहीं थी. मेरे पिता चाहते थे कि मैं ऐक्टर बनूं, इसलिए मैं इस क्षेत्र में आया. पहले अच्छा नहीं लगा पर आज खुश हूं. ग्लैमर वर्ल्ड में आने के बाद बदलाव यह आया कि मुझे मेरी पत्नी और बच्चे मिले. मैं हिंदी सीख रहा हूं ताकि और अच्छा काम कर सकूं.

खाली समय में क्या करना पसंद करते हैं?

फिल्में देखता हूं और बच्चों के साथ खेलता हूं. इस के अलावा क्रिकेट भी खेलता हूं.

आगे की योजनाएं क्या हैं?

आगे आनंद एल.राय की फिल्म ‘लव स्टोरी’ में काम करने वाला हूं. इस के अलावा कुछ तमिल फिल्में भी करूंगा.

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