सवाल-

मेरी हथेलियों और पैर के तलवों में बहुत अधिक पसीना आता है और यह समस्या बारहों महीने बनी रहती है. कभीकभार कुछ दिन के लिए आराम आता है, लेकिन समस्या फिर से उतनी ही बढ़ जाती है. तनाव और घबराहट के क्षणों में यह परेशानी और बढ़ जाती है. कोई ऐसा उपाय बताएं जिस से मैं इस से छुटकारा पा सकूं?

जवाब-

आप की समस्या पूरे तौर पर शरीर क्रिया विज्ञान से जुड़ी हुई है. अगर हम मानसिक तनाव में रहते हैं तो इस का हमारे मस्तिष्क में बसे हाइपोथैलेमस पर सीधा असर पड़ता है. इसी से हमारे पसीने की ग्रंथियां सक्रिय हो उठती हैं. खास बात यह है कि इन ग्रंथियों की सब से बड़ी संख्या हथेलियों और पैरों के तलवों में होती हैं, इसीलिए शरीर के इन हिस्सों में सब से अधिक पसीना आता है. अगर शरीर के दूसरे अंगों, जैसे पीठ पर प्रति वर्गसैंटीमीटर 60 से 65 पसीने की ग्रंथियां होती हैं, तो हथेलियों और तलवों में यह संख्या 600-625 के बीच होती है.

इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए जरूरी होगा कि आप अपने मन को अधिक से अधिक शांत रखें. सुबहशाम सैर के लिए जाएं. कुछ समय योग के लिए निकालें. योग में ऐसे कई आसन हैं जिन से हम तनाव से छुटकारा पा सकते हैं. शव आसन और योग निद्रा इस के 2 सरल उदाहरण हैं. लगातार 3 से 6 महीने तक ये उपाय करने से आप अपने में बेहतरी महसूस करने लगेंगी. यदि फिर भी कुछ कमी महसूस हो तो उचित होगा कि किसी मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से मदद लें. फिलहाल आप हथेलियों और तलवों पर ऐल्युमिनियम क्लोराइड का लोशन और पाउडर इस्तेमाल कर सकती हैं.

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क्या आप के साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि आप कौंफ्रैंस रूम में खड़े हो कर प्रेजैंटेशन दे रहे हैं, सामने बौस, सीनियर्स और को-वर्कर्स बैठे हैं. मीटिंग काफी महत्त्वपूर्ण है और आप के दिल की धड़कनें बढ़ी हुई हैं. हथेलियां पसीने से भीग रही हैं?

अपने हाथों को आप किसी तरह पोंछने का प्रयास कर रहे होते हैं और घबराहट में आप के हाथों से नोट्स गिरते गिरते बचते हैं. ऐसी परिस्थिति में न सिर्फ आप का आत्मविश्वास घटता है बल्कि आप के व्यक्तित्त्व को ले कर दूसरों पर नकारात्मक असर पड़ता है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो अकसर हमारे साथ होती है. यह अत्यधिक तनाव अथवा तनावपूर्ण परिस्थितियों की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है.

पहली मुलाकात, सामाजिक उत्तरदायित्व अथवा किसी निश्चित कार्य को न कर पाने के भय के दौरान भी कुछ इसी तरह की स्थिति महसूस होती है. कई दफा तीखे मसालेदार भोजन, जंक फूड्स, शराब का सेवन, धूम्रपान या कैफीन के अधिक प्रयोग से भी ऐसा हो सकता है.

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