किसी भी शिशु के स्वस्थ जीवन की नींव उसे बचपन में मिलने वाली मजबूत व पौष्टिक औयल मसाज से होती है. आइए, जानते हैं बेबी मसाज के फायदों के बारे में:

रिलैक्स योर बेबी

जिस तरह आप को पार्लर में जा कर हैड मसाज, फुल बौडी मसाज लेने से काफी रिलैक्स व अच्छा फील होता है, आप खुद को स्ट्रैसफ्री महसूस करती हैं ठीक उसी तरह आप के बेबी को भी मसाज से काफी रिलैक्स फील होगा और इस से उस की मांसपेशियां व हड्डियां भी मजबूत बनेंगी क्योंकि मसाज करने से बच्चे में फील गुड नामक हारमोन रिलीज होता है, जो बच्चे को शांत रखने के साथसाथ उसे अंदर से खुश रखने का भी काम करता है. जिस से उस का चिड़चिड़ापन दूर होता है और वह रिलैक्स हो कर सोता है, खेलता है, जिस से आप भी उस के साथ ऐंजौय कर पाती हैं.

विकास में मददगार

मसाज से बच्चे की इम्यूनिटी बूस्ट होने के साथसाथ वजन बढ़ने में भी मदद मिलती है क्योंकि जब आप अपने स्पर्श से अपने बेबी की मसाज करती हैं तो उस से उस के इंटरनल सिस्टम में स्फूर्ति पैदा होने के साथसाथ ब्लड सर्कुलेशन में भी बढ़ोतरी होती है.

साथ ही आप इस के द्वारा अपने बच्चे के शरीर में मायलीनेशन की प्रक्रिया को तेज व सक्रिय बनाते हैं, जो आप के शिशु के ब्रेन व बौडी को सिगनल देने का काम करता है. यह आप के बच्चे में बोलने, समझने का विकास करने में मदद करता है.

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फैक्ट्स अबाउट बौडी पार्ट्स मसाज

बैली मसाज: अगर आप के बच्चे को कब्ज या फिर पाचन में किसी भी तरह की कोई दिक्कत हो, तो बैली मसाज से पाचन संबंधित दिक्कतों से नजात मिलता है, जिस से बच्चा चैन की नींद भी सो पाता है.

आर्म्स मसाज: इस से मांसपेशियों में मजबूती आने से बच्चे के हाथों में तेजी से मूवमैंट आने लगती है.

लेग्स मसाज: इस में थाईज मसाज भी शामिल है. इस से हड्डियां स्ट्रौंग बनने के साथसाथ पैरों व बौडी मूवमैंट में भी सुधार आता है.

चैस्ट मसाज: इस से बच्चे को गरमाहट मिलने से उसे कफ, कोल्ड की शिकायत नहीं होती है.

फेस मसाज: यह चेहरे की डाइनैस को दूर कर स्किन टैक्स्चर को इंप्रूव करती है.

हैड मसाज: यह मस्तिष्क के विकास व स्ट्रैस को दूर करने के साथसाथ बेबी स्लीप को ठीक करने का काम भी करती है. इस से ब्लड सर्कुलेशन भी इंपू्रव होता है.

बैक मसाज: यह हड्डियों को मजबूत बनाती है.

बिल्ट ए स्ट्रौंग बौंडिंग

जब आप उस की आंखों में आंखें डाल कर, गुनगुनाते हुए, उसे सहलाते हुए उस की मसाज करती हैं, तो उस में आप के हाथों की खुशबू बसने के साथसाथ स्मैल सैंस विकसित होने के साथसाथ एक बहुत ही मजबूत बौंडिंग का विकास होता है, जो बहुत ही सुंदर एहसास देने का काम करता है.

बेबी स्किन में इंपू्रवमैंट

नवजात की स्किन जन्म के बाद रंग व टैक्स्चर में भिन्न होती है, जो धीरेधीरे अपनी नैचुरल स्किन टोन में आने में समय लेती है. नवजातों की स्किन टोन लाइट पिंक कलर का होती है, जो उन का रियल कंप्लैक्सन नहीं होता है. यह पिंकिश टोन ब्लड वैसल्स के कारण होती है, जो बच्चे की पतली त्वचा के माध्यम से दिखाई देती है, लेकिन धीरेधीरे यह मसाज व फीडिंग से बच्चे की खुद की स्किन में सैटल हो कर उस का खुद का स्किन कलर दिखाई देने लगता है.

लगातार बेबी मसाज करने से स्किन का कलर नहीं बल्कि उस का टैक्स्चर इंप्रूव होने लगता है क्योंकि बेबी औयल से स्किन ऐक्सफौलिएट होने से स्किन को नैचुरल मौइस्चर व शाइन मिलती है. साथ ही स्किन की ड्रायनैस भी दूर होती है.

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