सर्वश्रेष्ठ  संस्मरण

बात मेरे बड़े भाई की शादी की है. मेरे मम्मीपापा ने लड़की वालों को पहले ही कह दिया था कि हमें सिर्फ लड़की चाहिए दहेज नहीं.

शादी की एक रस्म में दूल्हादुलहन को कुशन पर बैठाया गया. फिर उस कुशन को लड़की वाले लड़के वालों से ले जाने को कहने लगे. लड़के वाले इसे मजाक ही समझ रहे थे. पर जब लड़की वाले पीछे ही पड़ गए कि यह कुशन आप को ले जाना ही पड़ेगा, तो यह बात पापा को अच्छी नहीं लगी. उन्होंने कहा, ‘‘हम ने लड़की वालों से पहले ही कह दिया था कि हम सिर्फ लड़की ले कर जाएंगे. अब आप की बेटी हमारी बेटी है. उस के हर सुखदुख की जिम्मेदारी अब हमारी है. इसलिए कृपया हमें यह कुशन ले जाने के लिए मजबूर न करें वरना हम लड़की को भी नहीं ले जाएंगे.’’

पापा की इस बात पर दुलहन के पापा ने कहा, ‘‘जहां आज दहेज न मिलने पर बरातें लौट जाती हैं, वहीं ऐसे लोग भी हैं जिन्हें दहेज में एक चीज भी मंजूर नहीं. मैं बहुत खुश हूं, जो मेरी बेटी को ऐसी ससुराल मिल रही है.’

रजनी मोघा

यह वाकेआ मेरी सहेली की शादी का है. उस ने शादी के पहले कभी साड़ी नहीं पहनी थी. साड़ी पहने वह बहुत असहज महसूस कर रही थी. सभी रस्मों के बाद जब विदाई होने लगी तो उस की मां ने खूब लंबा घूंघट निकाल दिया और फिर रोने लगीं. सहेली ने मुझ से धीरे से कहा, ‘‘मुझे तो रोना आ ही नहीं रहा है. उलटे गुस्सा आ रहा है कि इस साड़ी से कब मुक्ति मिलेगी.’’

तब मैं ने उसे सलाह दी कि घूंघट में किसी को कुछ दिखाई नहीं देगा तू झूठमूठ रोने का नाटक कर.

इसी बीच उस की मां उस से गले मिलते हुए बोलीं, ‘‘अब चाचीमामी सब से गले मिल ले.’’

तब सहेली मामी के गले लगते हुए उन्हें चाची पुकारने लगी तो चाची के गले लगते हुए उन्हें मामी पुकारने लगी.

मैं उस के पास जा कर बोली, ‘‘तू सब गड़बड़ कर रही है… ये मामी नहीं चाची हैं.’’

यह सुनते ही वहां उपस्थित सभी जोरजोर से हंसने लगे तो विदाई का गमगीन माहौल हंसी में बदल गया.

अमिता गुप्ता

बात मेरी सहेली की शादी की है. इस शादी से पहले उस की किसी न किसी बात पर 3 बार सगाई टूट चुकी थी, इसलिए अब वह शादी नहीं करना चाहती थी. किंतु घर वालों के बहुत समझाने पर वह किसी तरह राजी हो गई.

सगाई के दिन चुपचाप उस ने अपने होने वाले पति से अपनी सगाई 3 बार टूटने वाली बात बता दी. तब भी लड़के ने उसे पसंद कर के शादी के लिए हां कह दी.

शादी से 2 दिन पहले लड़की वाले लड़के वालों के यहां तिलक की रस्म के लिए गए. तब पता नहीं लड़के वालों को यह बात कैसे पता चली कि इस लड़की की सगाई पहले 3 बार टूट चुकी है.

अत: उन्होंने लड़की वालों पर आरोप लगाया कि उन्होंने यह बात उन्हें क्यों नहीं बताई. वे पहले इस बात का पता लगाएंगे. उस के बाद ही तिलक की रस्म पूरी करने का निर्णय लेंगे.

इस बात से लड़की वाले बहुत परेशान हो गए. किंतु जैसे ही लड़के को यह बात पता चली उस ने बहुत हिम्मत के साथ अपने घर वालों को बताया कि उसे लड़की ने इस बारे में बता दिया है और वह इसी लड़की से शादी करेगा.

लड़के का फैसला सुन कर उस के घर वालों को उस की बात माननी पड़ी और फिर तय समय पर तिलक की रस्म और फिर शादी हो गई.

ज्योत्सना अग्रवाल

मेरी मौसी की बेटी का विवाह संपन्न घराने में तय हुआ. लड़के वालों की मांग थी कि मौसीजी उन के शहर में आ कर विवाह करें. भोजन आदि की व्यवस्था लड़के वाले कर लेंगे. लड़की वाले केवल खर्च का भुगतान करेंगे.

मौसीजी को थोड़ा संशय हुआ कि कहीं लड़के वाले लालची प्रवृत्ति के तो नहीं हैं. पर हां कहने के अलावा और कोई चारा भी तो नहीं था.

तय दिन लड़की वाले वहां पहुंच गए. एक शानदार होटल में उन का स्वागत हुआ. खाना भी लजीज था. डांसर भी बुलाए गए थे. मौसीजी का शक और पुख्ता हो गया, पर चुप रहने के अलावा करतीं भी क्या?

फेरों के समय जब साली ने दूल्हे से नेग मांगा तो उन्होंने न केवल झट से क्व21 हजार निकाल कर दिए, बल्कि 12 सोने की अंगूठियां भी दीं ताकि रिश्ते में जोजो सालियां लगती हैं उन्हें बांटी जा सकें.

यह देख कर मौसी के मन में उमड़े संशय के बादल छंट गए और उन्होंने खुशीखुशी अपनी बेटी को विदा किया.

शालिनी कालड़ा

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