विशाल को सूरज के व्यवहार पर बड़ा क्रोध आया. माना कि वह उस का काफी करीबी मित्र है पर इस का यह मतलब तो नहीं कि वह जब चाहे जैसा चाहे व्यवहार करे. आज किसी बात पर बौस ने जब उसे झिड़का तो सामने तो वह चुप रहा पर बाद में मजाक उड़ाने लगा. वह उसे समझता रहा पर वह उसे चिढ़ाता ही रहा. अंत में उस ने उसे काफी खरीखोटी सुना दी. जवाब में उस ने जो कहा वह सुन उस का माथा चकरा गया. उस ने कहा, ‘‘तुम्हारी गर्लफ्रैंड कृति ने तुम से पहले मुझे प्रोपौज किया था. जिसे तुम अपनी गर्लफ्रैंड समझ रहे हो वह सैकंड हैंड गर्लफ्रैंड है.’’

पहले तो यह सुन कर सन्न रह गया था वह पर उसे लगा उस की डांट के जवाब में उस ने गुस्से में यह बात कह दी है. वह सिर्फ उसे दुखी करने के लिए ऐसा कह रहा है. विश्वास उसे नहीं हुआ था उस की बात पर परंतु संदेह तो हो ही गया था. लोगों ने बीचबचाव कर उन्हें अलग कर दिया.

विशाल के मन में संदेह का बीज उपज चुका था. उस ने पहले तो सोचा कि कौल कर कृति से पूछ लिया जाए. पर कुछ सोच कर वह व्यक्तिगत रूप से मिल कर ही उस से बात करना चाहता था. दिनरात उस के मन में यही विचार आ रहे थे कि कृति जिसे वह अपनी गर्लफ्रैंड, अपनी प्रेमिका समझता है वह किसी और को चाहती है.

दोनों प्राय: हर छुट्टी के दिन मिलते थे और घंटों साथ बिताते थे. अगली छुट्टी के दिन जब विशाल की मुलाकात कृति से हुई तो वह कुछ अनमना सा था. कृति को उस का व्यवहार कुछ अटपटा सा लगा.

‘‘क्या बात है विशाल, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?’’ कृति ने पूछा.

‘‘तबीयत तो ठीक है पर एक प्रश्न है जो मुझे परेशान कर रहा है. मुझे तुम से उस का जवाब चाहिए,’’ विशाल ने कहा.

‘‘मुझ से? ऐसा कौन सा प्रश्न है जिस का जवाब मुझ से चाहिए? मैं कोई प्रोफैसर हूं क्या?’’ कृति ने बात को हलके में लिया और हंसती हुई बोली.

‘‘यह प्रश्न तुम से ही संबंधित है अत: जवाब भी तुम्हीं से चाहिए,’’ विशाल ने कहा.

कृति अब गंभीर हो गई. वह विशाल के लहजे से समझ गई कि जरूर कोई गंभीर मुद्दा है. बोली, ‘‘पूछो.’’

‘‘क्या यह सही है कि तुम सूरज से प्यार करती हो?’’ विशाल ने पूछा.

कृति सकपका गई. उसे तुरंत कोई जवाब नहीं सुझा. वह थोड़ी देर विशाल को देखती रही. फिर बोली, ‘‘ऐसा क्यों पूछ रहे हो?’’

‘‘मुझ से सूरज ने कहा है कि तुम मुझ से पहले उस से प्यार करती थी,’’ विशाल ने कहा.

कृति तुरंत कुछ न कह सकी. पर बात झूठी भी नहीं थी और सूरज ने जब विशाल

से यह बात बता ही दी है तो वह लाख मना करे विशाल शायद न माने. पर उस ने कहा, ‘‘मैं अभी भी सूरज को पसंद करती हूं. पहले भी मैं उस के साथ ही बार बाहर कौफी पीने जा चुकी हूं. लेकिन मैं उस से ज्यादा तुम से प्यार करती हूं. यही कारण है कि मैं तुम्हारे साथ हूं,’’ कृति ने कहा.

विशाल बस उसे देखता रहा. शायद वह कृति की बात पर विश्वास नहीं कर पा रहा था. उसे संदेह था कि कृति आज भी सूरज को चाहती है और उसे धोखा दे रही है. वह अनमना सा कृति के साथ घूमता रहा. कृति हमेशा की तरह उस के हाथ को अपने हाथ में ले कर चलती तो वह अपना हाथ खींच लेता. कृति उस के कंधे पर सिर रखती तो वह कोई प्रतिक्रिया नहीं करता.

पहले दिन तो कृति ने कुछ नहीं कहा पर बाद में भी जब विधाता का व्यवहार ऐसा ही रहा तो उस ने उसे सम?ाया, ‘‘किसी को पसंद करना और किसी से प्यार करना अलगअलग बात है. मैं सूरज को और कई लोगों को पसंद करती हूं. उन के साथ कभीकभार कौफी पीने, मूवी देखने भी जाती हूं पर प्यार मैं तुम से करती हूं इसलिए हर छुट्टी का दिन तुम्हारे साथ ही बिताती हूं.’’

मगर उस की बातों का विशाल पर कोई असर नहीं पड़ता और कृति धीरेधीरे नाराज रहने लगी. विशाल भी उस से दूरी बना कर रहने लगा. इस बीच सूरज ने विशाल से माफी मांग ली और दोनों फिर से पहले की तरह ही रहने लगे. पर कृति के प्रति विशाल के मन में अभी भी वही नाराजगी की भावना थी. उस के मन में उस के साथ ब्रेकअप करने का विचार आने लगा. वैसे एक मन यह भी कहता था कि कृति की बात को वह मान ले और उस के साथ पहले की तरह जीवन बिताए. पर पता नहीं क्यों वह इस बात के लिए कुछ ही देर तक तैयार होता था.

कुछ ही देर में संदेहरूपी सांप अपना फन उठा लेता था. सूरज भी उन के बीच आई दरार के लिए खुद को दोषी मानता था पर कृति के प्रति विशाल के मन में आए विचार के लिए वह कर ही क्या सकता था. जो बात जबान से निकाल गई उसे वापस तो लिया नहीं जा सकता था.

घर में भी विशाल का व्यवहार बदलाबदला सा रहने लगा. उस की मां इस बदलाव को महसूस कर रही थीं. उन्होंने 2 बार उस से पूछ भी कि माजरा क्या है. पर विशाल उन की बातों को टाल जाता.

एक दिन उस की मां ने पूछ ही लिया, ‘‘पहले तो कृति से बातें किया करता था. मैं कई बार मना भी करती थी कि वक्तबेवक्त क्यों बातें करता रहता है फोन पर. किसी बात को ले कर तुम्हारे बीच झगड़ा हो गया है क्या? इसी कारण तुम असामान्य व्यक्ति की तरह हरकत करते हो?’’

‘‘कुछ नहीं मां. तुम तो बिना बात संदेह करती हो,’’ विशाल ने टालना चाहा. पर मां के बारबार जिद करने पर उसे बताना ही पड़ा कि माजरा क्या है.

इस पर उस की मां ने उसे समझया, ‘‘वह जो कह रही है तुम्हें मानना चाहिए. आखिर

क्या वजह है तुम्हारे पास उस की बात नहीं मानने की? वह तुम्हारे दोस्त के बारे में क्या विचार रखती है इस से क्या मतलब है. इस बात से मतलब रखो कि वह तुम्हारे बारे में क्या विचार रखती है और फिर एक बार और सोचो कि जब तुम अपने दोस्त को माफ कर के उस के साथ सामान्य संबंध रख सकते हो तो फिर अपनी प्रेमिका के साथ सामान्य संबंध क्यों नहीं रख सकते?

आखिर वह तुम्हारे साथ है तो किसी कारण से ही है और दूसरा कारण क्या हो सकता है इस के अलावा कि वह तुम से प्यार करती है. वह पढ़ीलिखी है, आत्मनिर्भर है तुम्हारे ऊपर आश्रित नहीं है, फिर भी तुम्हारे साथ क्यों है तुम्हारी उदासीनता को सहते हुए भी. तुम दोनों वयस्क हो. मिलबैठ कर बातें करो, एकदूसरे को समझ.’’

विशाल अपनी मां को देखे जा रहा था. कितनी सुलझी हुई बात कह रही थीं वे विशाल की मां ने कहना जारी रखा, ‘‘कैसे अपने संबंध को मजबूत बनाना है इस पर विचार करो.’’

विशाल के मन में कृति के प्रति जो कड़़वे विचार थे वे धीरेधीरे मधुर होते गए. उस ने फैसला किया कि वह इस बात पर ध्यान देगा कि अभी दोनों का एकदूसरे के प्रति क्या नजरिया है. भूतकाल की बातों को अपने बीच नहीं आने देगा.

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