शैफ शिप्रा खन्ना ने टीवी की दुनिया में ‘मास्टर शैफ सीजन 2’ से कदम रखा और आज विश्व में ग्लैमरस सैलिब्रिटी शैफ के नाम से जानी जाती हैं. इन्होंने कई रैसिपीज बुक लिखी हैं, कई टीवी शोज में ऐंकरिंग की है, अपना यूट्यूब चैनल चलाती हैं. शिप्रा खन्ना सिंगल मदर हैं और काम के साथसाथ अपने परिवार की भी देखभाल कर रही हैं.

उन्होंने केवल 9 साल की उम्र में किचन में कदम रखा और तब से ले कर आज तक तरहतरह की रैसिपीज से लोगों को अवगत कराया है.शिप्रा ने अपने काम के बल पर यह सिद्ध कर दिया है कि महिलाओं का केवल घर में खाना बनाना ही काम नहीं होता बल्कि वे पुरुषों की तरह बाहर भी सफल मास्टर शैफ बन सकती हैं. शिप्रा को कांस में 2023 में ‘वर्ल्ड इन्फ्लुएंसियल बिजनैस वूमन अवार्ड’ मिला.

यह ग्लोबली अवार्ड है, जिसे पा कर शिप्रा बहुत उत्साहित हैं.अवार्ड पर बात करते हुए शिप्रा कहती हैं कि अवार्ड किसी को भी आगे अच्छा करने की प्रेरणा देता है. मैं पहली इंडियन हूं, जिसे यह अवार्ड मिला है. ये एक बड़ी उपलब्धि है. विबा अवार्ड भारत में पहली बार किसी महिला को मिला है. इस के अलावा मैं डैजर्ट पर एक नई किताब लिख रही हूं. ‘सिंपली योर्स टू.’ इस में हर तरह की मिठाई की रैसिपी है. साथ ही टीवी पर भी एक शो आ रहा है.उस में मैं सब से अधिक ध्यान हैल्दी कुकिंग पर देती हूं.

अभी मैं सरकार के साथ, मिलेट्स पर रैसिपी बना रही हूं क्योंकि मिलेट्स वजन कम करने के साथसाथ पौष्टिक भी होती है. मैं किसी भी शो पर खाने के बारे में जागरूकता फैलाती हूं, जिस में सभी को में छोटीछोटी बातों पर ध्यान देने की सलाह देती हूं ताकि लाइफ की लौजिटिविटी बढ़े और व्यक्ति स्वस्थ रहे. प्लांट बेस्ड फूड का है ट्रैंड खाने में परिवर्तन के बारें में शिप्रा कहती है कि खाने में हमेशा नईनई चीजों का प्रयोग होता है.

हमारे देश के लोग अपने खानपान को भूलकर विदेशों की कौपी करते है, जबकि वहां के लोग यहां के भोजन को अधिक पसंद करते हैं. खाने की पसंद समय के साथ बदलती जाती है. अभी का ट्रैंड प्लांट बेस्ड फूड का है, जिस में दाल, चावल, आलू, सब्जी आदि को लोग पसंद करने लगे हैं.भोजन का ट्रैंड एक सर्कल की तरह है,जो बदलता रहता है खासकर पेंडेमिक के दौरान सभी ने अपनों को खोया है. ऐसे में लोगों ने अपने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना अब शुरू कर दिया है और यह जरूरी भी हो चुका है. आज ग्लोबल वार्मिंग भी एक बड़ी समस्या विश्व में हो रही है.

कहीं अधिक बारिश तो कहीं सूखा पड़ रहा है.सस्टेनेबिलिटी के बारे में बहुतों को आज पता तक भी नहीं है. ऐसे में मिलेट्स का प्रयोग अच्छा रहेगा क्योंकि इसे अधिक बारिश की जरूरत नहीं पड़ती और यह पौष्टिक होने के साथसाथ कई बीमारियों से बचाती है.मिली प्रेरणा खाना बनाने की प्रेरणा के बारे में शिप्रा का कहना है कि खाना बनाने की प्रेरणा मुझे दादी से मिली.

मेरे लिए दादी खाना बनाती थीं और स्कूल से आने पर बहुत प्यार से खिलाती थीं. तब मुझे समझ में अधिक नहीं आती था, लेकिन प्यार से खाना बना कर खिलाना मुझे बहुत अच्छा लगता था. मैं ने खाना बनाने की शुरुआत तब की जब मेरी बेटी को डाक्टर ने हैल्दी खाना कहने के लिए कहा ताकि उस का वजन न बढें.यहीं से मैं ने हैल्दी खाना बनाना शुरू किया था. पहली डिश मैं ने 9 साल की उम्र में सब्जियों की बनाई थी. उस समय परिवार वालों ने मुझे सहयोग नहीं दिया क्योंकि मैं छोटी थी.

मुझे किचन में काम करने से मेरे पिता मना करते थे,पर मुझे वह काम करना था. बड़े होने के बाद मैं ने कुकिंग शुरू की. धीरेधीरे सभी ने सहयोग दिया.सिंगल मदर होने के बावजूद मैं ने सामंजस्य के साथ पूरा काम किया. मेरे हिसाब से जहां कुछ करने की इच्छा होती है तो व्यक्ति कर लेता है. उसे सहयोग भी मिलता है और मेरे परिवार वालों ने मेरा साथ दिया.

मेरे बच्चों को मेरे हाथ का बना सबकुछ पसंद होता है. करती है तनावमुक्तशिप्रा आगे कहती हैं कि आज का यूथ खाना बनाने से कतराता है, लेकिन उसे समझना होगा कि पहले लोग बहुत समय लगा कर, सोच कर खाना बनाते थे, लेकिन अब स्मार्ट किचन को लोग फौलो करते हैं क्योंकि उन के पास समय का अभाव है. खाना बनाने के अलावा उन के पास समय बिताने के काफी विकल्प उपलब्ध हैं, जिन्हें वे ऐंजौय करते हैं.हैल्दी रैसिपी बनाने में समय नहीं लगता. फल, सलाद, बौयल्ड सब्जियां आदि बनाना आसान होता है. रैडीमेड फूड जितना कम अपने दैनिक जीवन में शामिल करें, उतना सेहत के लिए अच्छा होता है और यह किसी भी तनाव से मुक्त करता है.

इंस्टैंट रैसिपीशिप्रा कहती हैं कि मीठा खाने की इच्छा हो तो फ्रैश नारियल को कद्दूकस कर उस में थोड़ा गुड़ और इलाइची डाल कर मिश्रण को लड्डू की शेप में बना लें. इस के अलावा हैंड मेड ओट्स और पीनट्स बटर के साथ मिल कर लड्डू की शेप दें, जो खाने में स्वादिष्ठ होने के साथसाथ यह खाना पौष्टिक भी होगा. डेजर्ट की ये कुछ खास रेसिपी कोई भी बना सकता है.

मेरी रैसिपी ही मेरी डाइट खुद की डाइट के बारे में शिप्रा बताती हैं कि जो रेसिपी मैं लोगों तक पहुंचाती हूं, उसे खाती मैं भी हूं. मुझे याद आता है कि एक बार किसी शैफ ने मुझ से कहा था कि अगर मैं हट्टीकट्टी नहीं, तो अच्छी शैफ नहीं. तब मैं ने उन से कहा था कि वक्त बदल गया है. अगर आप फिट नहीं हो, तो अच्छे शैफ नहीं हो क्योंकि फिट होने का अर्थ यह है कि मैं अच्छा खाना बना रही हूं और उसे खा कर फिट भी रहती हूं. इस के अलावा सप्ताह में 5 दिन वर्कआउट, योगा आदि करती हूं. डाइट के साथ वर्कआउट करना जरूरी है. यूथ के लिए मैसेज है कि वह इधरउधर न भटके, दृढ़ता से किया गया काम हमेशा सफलता दिलाता है.

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