हृदय की मांसपेशियों तक खून पहुंचाने वाली धमनियों में पहुंचा थक्का खून के प्रवाह में रुकावट पैदा करता है. इस कारण हृदय की मांसपेशियों को भोजन व औक्सीजन नहीं मिलता और वे मरने लगती हैं. कमजोर पड़ा हृदय शरीर में रक्त का प्रवाह कायम नहीं रख पाता और जान जाने का खतरा पैदा हो जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को हार्ट अटैक पड़ना कहा जाता है.एक रिपोर्ट के अनुसार युवतियों में पुरुषों के मुकाबले हार्ट अटैक की दुगनी संभावनाएं हैं.

जब से युवाओं में हाई ब्लडप्रैशर और कोलस्ट्रौल, मोटापा, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और खानपान में आए भयंकर बदलाव आए हैं तब से यह खतरा और बढ़ गया है.अपना भयानक अनुभव शेयर करते हुए अनुज कहते हैं, ‘‘मैं 12 साल का था जब मेरी बहन पार्टी में अचानक बेहोश हो गई थी. अस्पताल ले जाने पर पता चला उसे हार्ट अटैक आया था. उस वक्त वह केवल 18 साल की थी.

महिलाओं में हार्ट अटैक

हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक युवतियों की जान लेने के सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कारण हैं. स्तन कैंसर के कारण अगर 4 में से 1 महिला की मौत होती है तो हृदयरोग की शिकार 2 में से 1 महिला की जान इस बीमारी से जाती है.भविष्य में आने वाले हार्ट अटैक की पूर्व चेतावनी देने वाले लक्षणों को समय से पहचानना जरूरी है. अकारण गहरी थकावट का एहसास, नींद आने में पैदा हुआ व्यवधान, चलनेफिरने से सांस फूलना, छाती में दबाव, खिंचाव या दर्द का एहसास, बदहजमी होना, जी मिचलाना, घबराहट होना आदि हार्ट अटैक आने से पूर्व के प्रमुख लक्षण हो सकते हैं. पुरुषों में हार्ट अटैक की तरफ इशारा करने वाला छाती का तेज दर्द जो कंधे, गरदन या बाजू में जाता प्रतीत हो, महिलाओं में न के बराबर मिलता है. बीमारी का जल्दी सही निदान करने में डाक्टर भी कभीकभी चूक जाते हैं.

हार्ट अटैक शुरू होने पर आने वाले लक्षण तब तक बने रहेंगे जब तक मरीज का उचित इलाज शुरू नहीं होगा. सांस लेने में दिक्कत होना, कमजोरी और अचानक थकावट होना, चेहरा पीला पड़ना, ठंडा पसीना आना, दिल की बढ़ी धड़कनें, सिर घूमना व चक्कर आना आदि हार्ट अटैक पड़ने के कुछ प्रमुख लक्षण हैं.

प्राथमिक उपचार

आज के समय में जीवनशैली तनावयुक्त हो चुकी है. जब छाती में दर्द बिलकुल न हो, तो उसे साइलैंट हार्ट अटैक कहा जाता है. करीब 25 से 30 फीसदी हार्ट अटैक साइलैंट होते हैं और महिलाओं में पुरुषों से ज्यादा होते हैं. मरीज को दिल का दौरा पड़ने का एहसास नहीं होता, उसे पता नहीं चलता और किसी आम कमजोरी की निशानी समझ शुरू में नजरअंदाज कर देती हैं.

इसलिए डाक्टरी सहायता मिलने में देर हो जाती है. इस कारण हृदय की मांसपेशियों को हुआ नुकसान जीवन गंवाने का कारण बन सकता है.हार्ट अटैक के मामलों में देर से चिकित्सकीय सहायता मिलने के कारण बहुत सी मौतें होती हैं. हार्ट अटैक होने की जरा सी भी संभावना मन में उठे, तो फौरन ऐंबुलैंस बुलाएं. ऐसा कर पाना संभव न हो, तो बेहोश मरीज की छाती को करीब 100 बार प्रति मिनट की गति से दबाते रहें. यदि आप के पास डिस्प्रिन, ईकोस्प्रिन या एस्प्रिन हो तो इसे रोगी को देना चाहिए.

परहेज बरतने में ही समझदारी

हृदयरोग का शिकार बनने के बाद इलाज करा कर ठीक रहने के मुकाबले परहेज से जीते हुए स्वस्थ रहना ज्यादा आसान और सम  झदारी भरा काम होगा. कोई भी महिला जब ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण को अपने शरीर में पनपता देखे, तो फौरन डाक्टर से मिले.

उन महिलाओं को इस मामले में ज्यादा सावधानी बरतनी होगी, जिन के मातापिता या किसी रिश्तेदार को हृदयरोग हो. जिन्हें धूम्रपान करने की आदत हो, वे उसे तुरंत छोड़ दें. तलाभुना खाने से परहेज करें, पौष्टिक और संतुलित भोजन लेने के साथसाथ नियमित व्यायाम करें ताकि वजन न बढ़े. ब्लडप्रैशर, कोलैस्ट्रौल और शुगर बढ़े हों तो उन्हें नियंत्रण में रखने का नियमित प्रयास करें.

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