टीनऐज युवा बहुत सारे बदलावों से गुजरते हैं. इस का सब से बड़ा कारण है हारमोंस. एक तरफ जहां शरीर में तेजी से बदलाव आते हैं, वहीं ये हारमोंस उन की फीलिंग्स और भावनाओं में भी कई तरह के बदलाव लाते हैं. प्यार, अट्रैक्शन, गुस्सा, हर्ट होने जैसी फीलिंग्स अब युवाओं में बढ़ने लगती हैं. जहां एक तरफ वे इन फीलिंग्स और बदलावों को सम  झने की कोशिश कर रहे होते हैं, वहीं स्कूल में पढ़ाई का प्रैशर भी बढ़ने लगता है. यह प्रैशर और हारमोंस बच्चे के बदलते स्वभाव के लिए जिम्मेदार होते हैं.

सकारात्मक रिश्ता बनाए रखने के लिए इन टिप्स को अपनाएं:

  1. जानकारी रखें

भले ही युवा चाहते हैं कि उन पर भरोसा रखा जाए और उन्हें आजादी भी दी जाएं, लेकिन मांबाप इस बात की जानकारी जरूर रखें कि युवा या किशोर कहां जा रहे हैं, किस से मिल रहे हैं, क्या कर रहे हैं या दोस्त कौन हैं.

2. लक्ष्य तक पहुंचने में करें मदद

हर टीनऐजर अपना एक लक्ष्य बनाता है और उसे पूरा करना चाहता है. ऐसे में मांबाप उस की मदद चाहता है और उसे बताया जाए कि उस के इस लक्ष्य को प्राप्त करने में बड़े उस के साथ हैं, साथ ही असफल होने पर उस के आत्मविश्वास को बनाए रखने में हरसंभव उस की मदद भी करेंगे.

3.दोस्त बनें

टीनऐजरों की बेहतर परवरिश के लिए पेरैंट्स बनने के साथसाथ एक दोस्त का रिश्ता भी बनाना होगा जिस से किशोर व युवा अपनी परेशानियां या हर तरह की बातें उन के साथ खुल कर सा  झा कर सकें ताकि वे किसी तरह की गलत चीजों में फंसने से बचे रहें. उन का दोस्ताना व्यवहार टीनऐजरों को करीब रखेगा तभी बड़े उन्हें सहीगलत की जानकारी बेहतर तरीके से बता सकेंगे.

4.कुछ समय साथ में गुजारें

यह जरूरी है कि बड़े दिनभर में कम से कम 1 घंटा जरूर साथ गुजारें. यह समय साथ खाना खाने का, कुकिंग का या सफाई का हो सकता है या कुछ और. रात में सोने से पहले आप साथ में 20-25 मिनट की वाक कर सकते हैं और दिनभर की बातों को सा  झा कर सकते हैं. टीनऐजरों के साथ वीडियो गेम्स, बोर्ड गेम्स खेले जा सकते हैं. उन से राजनीति पर गंभीर चर्चा की जा सकती है. बुक्स या पत्रिकाओं में लिखी बातों की चर्चा की जा सकती है.

5.धैर्य रखें

टीनऐजरों को एक बेहतर परवरिश देने का तरीका है कि मांबाप धैर्य रखें. टीनऐजर खुद इतने बदलावों से गुजर रहा है कि बड़ों से सहयोग की जरूरत होती है. यहां बड़े सम  झें कि उन का बच्चा या बच्ची अजीब तरीके से व्यवहार क्यों कर रहा है. उस के मूड स्विंग्स को ले कर उस पर चिल्लाएं नहीं. ऐसे में एक पेरैंट होने के नाते बड़े उस की परेशानियों को अच्छी तरह से सम  झें. इस के लिए थोड़ा धैर्य रखें. डांटडपट और गुस्सा न करें. याद रखें कि टीनऐज तक आतेआते टीनऐजर खुद जोर से बोलना, गुस्सा करना सीख चुके होते हैं. उन्हें बहुत सी ऐसी बातें भी मालूम होती हैं जो बड़ों को नहीं मालूम होती.

टीनऐजरों से उस के मन का हाल पूछें. लेकिन अगर वह बड़ों को अपनी कोई बात नहीं बताना चाहता तो उस पर जवाब देने की जबरदस्ती न की जाए. बस उसे यह भरोसा दिलाएं कि बड़े उस के साथ हैं. जब भी वह बात करने के लिए आए तो बड़े उसे पूरा समय दें. उसे कुरेदने के बजाय खुद बोलने का मौका दें. इस से वह किसी भी तरह का दबाव का प्रैशर महसूस नहीं करेगा और बड़ों से खुल कर अपनी बात कह पाएगा.

6. सिखाएं बड़ों का आदरसम्मान करना 

कई बार अपने गुस्से और   झुं  झलाहट में टीनऐजर अपनी हदें पार कर जाते हैं और मातापिता को भलाबुरा बोल देते हैं. ऐसे में बड़े संयम बनाए रखें. मां उन से कहे कि वह उन का गुस्सा या परेशानी सम  झ सकते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें मां से इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए.

उन्हें प्यार से सम  झाया जाए कि उन के शरीर और मन में जो बदलाव आ रहे हैं बड़े उन्हें अच्छी तरह से सम  झ रहे हैं. लेकिन फिर भी कुछ चीजें हैं जिन्हें बिलकुल बरदाश्त नहीं किया जाएगा जैसे   झूठ बोलना, गालीगलौच, बड़ों की बेइज्जती, बड़ों से तेज आवाज में बात करना. यदि किशोर या युवा ये चीजें करता है तो बड़े उसे बिना डांटे उस की गलती का एहसास दिलाएं और आगे से ध्यान रखने के लिए कहें.

7. उन पर भरोसा करें

इस उम्र में किशोर व युवा अपने दोस्तों के बहुत करीब होते हैं. वे परिवार वालों से ज्यादा अपने दोस्तों को अपनी पर्सनल बातें बताते हैं. ऐसे में बड़े टीनऐजरों के दोस्तों के बारे में बातें करें, पर उन की गलतियां जानने की कोशिश न करें. बस, यह जानने की कोशिश करें कि कहीं उन की कोई सहेली या दोस्त ऐसा तो नहीं जो कुछ गलत करने के लिए उकसा रहा हो?

यदि बड़ों को ऐसा लगता है तो युवा को आगाह करें और समझाएं. अगर युवा इस आयु में नई बातें जानने में उत्सुक होते हैं कि वह कोई गलत काम नहीं कर रहा है, तो उस की जासूसी न की जाए उस पर भरोसा किया जाए. कई बार वे खुद गलतियां करने के बाद ही सीखते हैं इसलिए उन्हें हक है अपनी गलतियों से सीखने का एक मौका जरूर मिले.

8. तुलना न करें

किशोर युवाओं को कोई भी गलत काम करते हुए देख कर मांबाप तुरंत उसे उस की क्लास के टौपर, अपने दोस्त के बच्चे या किसी पड़ोस के बच्चे से कंपेयर करने लगते हैं, ‘देखो, मडानाजी का लड़का तुम्हारी क्लास में ही है और स्कूल और कोचिंग दोनों जगह टौप करता है,’ ‘तुम से अच्छा तो तुम्हारा छोटा भाई है, खेलने पर कम और पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान लगाता है’ जैसी बातें लगभग सभी मातापिता जानेअनजाने में करते ही हैं. ऐसा भूल कर भी न कहें. उस में हीनभावना भी आ सकती है जो उस के लक्ष्य में आगे बढ़ने में बाधा बन सकती है. इस से आप अपने बच्चे को खुद से दूर कर लेंगे.

मांबाप को भी सम  झना होगा कि हर टीनऐजर अपनी अलग खासीयत और क्षमता के साथ बिलकुल अलग होते हैं. टीनऐजर मांबाप का पैदा किया होता है पर वह इंडीपैंडेंट ईकाई है, यह समझ लें. जरूरी नहीं है कि हरकोई टौप ही करे क्योंकि कोई बच्चा पढ़ाई में अच्छा होता है, कोई ड्राइंगपेंटिंग में, कोई खेलकूद में तो कोई और किसी फील्ड या गतिविधि में. इसीलिए बड़े हरेक की खासीयत यानी उस का टेलैंट पहचानें और उसे उसी की गति और सुविधा से आगे बढ़ने दें.

9.खुश रहें

यदि कोई किशोर युवा अपनी समस्याएं ले कर मांबाप के पास आता है तो उन को खुश होना चाहिए कि वह चाहता है कि उस की बात ध्यान से सुनी जाए. इस के लिए पर्याप्त समय दिया जाए. यह कह कर पीछा न छुड़ाया जाए कि अभी नहीं बाद में बताना, यह क्या बारबार तुम अपनी हर समस्या को ले कर आ जाते हो, अपनी समस्या खुद हल करना सीखो वगैरहवगैरह.

10. बनाएं कुछ रूल्स

हो सकता है कि वे ओवर स्मार्ट बनने के चक्कर में आप को या आप की बोली हुई चीजों को नजरअंदाज करने लगे. घर में बहुत ज्यादा सख्ती अच्छी नहीं लगती है, लेकिन पूरी तरह ढील देना भी ठीक नहीं है. घर में माहौल को बैलेंस बनाए रखने के लिए कुछ रूल्स बनाए जाएं तो युवा सहर्ष उन्हें अपना लेंगे. अगर रूल्स बताने के साथसाथ इन्हें बनाए जाने की वजह भी बताएं साथ ही इस से क्या फायदा होगा यह भी बताएं. ऐसे में वह यह सम  झ पाएगा कि उसे कब और कहां, कैसे, क्यों व्यवहार करना है.

11. हर सिचुएशन में रहें शांत

टीनऐजर खुद स्मार्ट होते हैं पर उन्हें लगता है कि पेरैंट्स का दिया हुआ ज्ञान पुराने जमाने का है. वे अपनी हर परेशानी या समस्या या कोई भी जानकारी मातापिता से पूछने के बजाय अपने दोस्तों या गूगल से पूछते हैं. तब कई बार पेरैंट्स और बच्चे का ईगो बीच में आने लगता है और यह   झगड़े या नैगेटिविटी का कारण बनने लगता है. इस सिचुएशन में आप को एक मैच्योर पर्सन की तरह व्यवहार करना चाहिए. शांत रह कर सिचुएशन को संभालने की कोशिश करें.

टीनऐज पेरैंट्स और टीनऐजर दोनों के लिए  एक कठिन दौर है लेकिन एक अच्छे मातापिता बन कर निश्चित रूप से वे जीवन के उम्र के इस पड़ाव को आसान बनाने में आप मदद कर सकते हैं. अपने व्यवहार और आदतों में बदलाव से यदि वे कूल पेरैंट्स रहेंगे तो इस बात की बहुत संभावना है कि किशोर व युवा मांबाप की बात मानें या सुनें और उन्हें बड़ों के साथ कुछ भी शेयर करने में किसी तरह की हिचक या संकोच न हो.

इसीलिए टीनऐजर को एक समझदार पेरैंट की सख्त जरूरत होती है. उस के साथ ही बड़ों को भी अपने व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है.

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