सर्दियाँ आते ही खासकर फ्लू और इन्फ्लुएंजा की बीमारी बच्चों और वयस्कों में अधिक देखी जाती है. इसकी संख्या में सालों साल बढ़ोत्तरी होती जा रही है. जिस व्यक्ति को फ्लू या इन्फ्लुएंजा होता है, उसकी दशा एक सप्ताह के लिए समस्या युक्त हो जाती है, जिसमे सिरदर्द, बदन दर्द, तेज बुखार, थकान आदि कई समस्या होने लगती है.

इस मौसम में छोटे बच्चे और वयस्क, जिन्हें अस्थमा या किसी प्रकार की क्रोनिक बीमारी हो, वे फ्लू से सम्बंधित किसी भी वायरस के शिकार हो सकते है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. उन्हें ये वैक्सीन्स लेना सही होता है. फ्लू से कई बार उन्हें इतनी अधिक परेशानी हो जाती है कि उन्हें अस्पताल में भी भर्ती करवाना पड़ता है. समय पर इलाज़ न मिलने पर रोगी की मृत्यु तक हो सकती है.

फ्लू या इन्फ्लुएंजा है क्या

असल में फ्लू, इन्फ्लुएंजा वायरस से होता है, जो बहुत अधिक संक्रामक होता है. फ़्लू कई प्रकार के होते हैं, लेकिन मनुष्यों के लिए सबसे खतरनाक आमतौर पर टाइप ए होता है. ये वे वायरस हैं, जो महामारी का कारण बनते हैं, जिसमें 1918 की महामारी और कोविड 19 भी शामिल है, जिसने दुनिया भर में लाखों लोगों की जान ली. इन्फ्लूएंजा ए और बी वायरस संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग हर सर्दियों में लोगों में बीमारी की मौसमी महामारी का कारण बनते हैं इसे वहां पर फ्लू का मौसम भी कहा जाता है. इन्फ्लूएंजा ए वायरस एकमात्र इन्फ्लूएंजा वायरस है, जो फ्लू महामारी का कारण बनता है.

वैक्सीन की प्रक्रिया   

इस पर रोकथाम के लिए कई प्रकार के वैक्सीन भी वैज्ञानिक निकालते रहते है, जिसमे दो खास वैक्सीन का प्रयोग अधिक होता है, वन शॉट यानि इंजेक्शन या नेजल स्प्रे. इंजेक्शन में डेड इन्फ्लुएंजा वायरस को शामिल कर बनाए जाने की वजह से इसे 4 अलग – अलग स्ट्रेन्स के लिए प्रभावकारी होता  है. जबकि नेजल स्प्रे लाइव वायरस से बनता है, जो किसी भी फ्लू के वायरस को कमजोर कर शरीर के अंदर प्रवेश करने से रोकती है. इन्फ्लुएंजा के वायरस हर साल बदलता रहता है, इसलिए वैज्ञानिक भी हर साल फ्लू सीजन के लिए शोध के द्वारा नए वैक्सीन को लोगों तक उपलब्ध करवाते रहते है. दोनों ही वैक्सीन शरीर में एंटी बॉडी तैयार करती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाती है, जिससे फ्लू या इन्फ्लुएंजा के वायरस शारीर में प्रवेश न कर सकें.

हर साल में एक बार इंजेक्शन लगाना या फिर नेजल स्प्रे को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है. वर्ष 2023 – 2024 सीज़न के लिए सभी नेज़ल स्प्रे इन्फ्लूएंजा (फ्लू) टीके, चार फ्लू वायरस से बचाने के लिए बनाए गए है.

  • इन्फ्लूएंजा ए (एच1एन1) वायरस,
  • इन्फ्लूएंजा ए (एच3एन2) वायरस
  • और दो इन्फ्लूएंजा बी वायरस (विक्टोरिया और यामागाटा वंश)

इस बारें में मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस के आर एंड डी हेड डॉ. गौतम वानखेड़े कहते है कि फ्लू सभी को कभी न कभी होता रहता है, लेकिन जिन लोगों को बार – बार सर्दी – जुकाम या अस्थमा होता है, उम्र बहुत अधिक होती है, उन्हें इम्युनिटी कम होने से फ्लू, जो आम व्यक्ति को साधारणतः एक या दो बार साल में होता और चला जाता है, लेकिन अतिसंवेदनशील व्यक्ति को वही फ्लू फैलकर बाद में निमोनिया का रूप ले लेती है और अंत में कई बार मृत्यु भी हो जाती है. हमारे देश में एक स्टडी में ये पता चला है कि इन्फ्लुएंजा से निमोनिया होकर सवा लाख लोगों की मृत्यु एक साल में हो चुकी है. भारत में उपलब्ध विशेष सुई-मुक्त, नेजल फ्लू वैक्सीन के रूप में नेसोवेक – एस 4 (NASOVAC-S4) इन्फ्लूएंजा वायरस की रोकथाम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली नेजल स्प्रे है. सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया का भागीदारी बनने की वजह से इसमें कामयाबी अधिक मिली है.

पर्यावरण प्रदूषण भी है जिम्मेदार

आज कल पर्यावरण प्रदूषण की वजह से श्वास सम्बन्धी बीमारियाँ अधिक हो रही है, ऐसे में भी वैक्सीन कुछ हद तक काम करती है, इसलिए इसे लेने से परहेज नहीं करना चाहिए. असल में इन्फ्लुएंजा के वायरस हर साल थोड़े बदलाव के साथ ह्युमन शरीर में प्रवेश करती है और ये संक्रामक होती है.  इसलिए सार्वजनिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन और नेशनल सेंटर फॉर कम्युनिकेबल डिसीज हर साल स्टडी कर बताते है कि इस साल 4 से 5 वायरस के किस वैरिएंट के आने की उम्मीद है, फिर सभी वैज्ञानिक हर साल उसी का शोध कर नया वैक्सीन निकालते है और ये हर वैक्सीन के बॉक्स पर नए वर्ष के साथ लिखा होता है, ताकि उस वैक्सीन का प्रयोग उसी साल हो सके. इसमें इंडिया की स्थिति यानि उत्तरी गोलार्द्ध भी लिखा होता है, क्योंकि हर क्षेत्र के फ्लू के वायरस अलग होते है, इसलिए वैक्सीन भी उसी क्षेत्र के आधार पर बनाई जाती है. हर साल में एक बार वैक्सीन लेना जरुरी होता है.

सावधानियां   

वैज्ञानिक और डॉ. गौतम आगे कहते है कि नेजल स्प्रे को कम से कम 2 साल के बच्चे ले सकते है, लेकिन अपर लिमिट का अभी तक किसी प्रकार का निर्देश नहीं मिला है. 2 साल से अधिक उम्र के कोई भी नेजल स्प्रे का प्रयोग कर सकते है, इसके प्रयोग से किसी प्रकार का कंट्राडिक्शन या प्रतिरोध अभी तक नहीं दिखा है, लेकिन जैसा किसी भी वैक्सीन के साथ होता है, इसका भी वैसी ही सावधानियां है, मसलन

  • अंडे से एलर्जी,
  • लगातार एस्परिन लेने वाले 17 साल से कम उम्र के बच्चे,
  • अधिक जुकाम सर्दी खांसी होने पर भी नेजल स्प्रे लेने से परहेज करना चाहिए,
  • जिस किसी को पिछले फ़्लू शॉट या नेज़ल स्प्रे से गंभीर प्रतिक्रिया हुई हो,
  • बुखार के साथ मध्यम से गंभीर बीमारी वाले लोग, ठीक होने के बाद उन्हें टीका लगाया जाना चाहिए.

प्रेग्नेंट वुमन को लेकर भी किस प्रकार का प्रतिरोध सामने नहीं आया है, लेकिन इस स्प्रे को लेने से पहले डॉक्टर या हेल्थ केयर की सलाह अवश्य लें. यह टीका सुई और मसल्स पेन की आवश्यकता को समाप्त करता है, जिससे सभी उम्र के रोगियों के लिए दर्द रहित और तनाव मुक्त टीकाकरण अनुभव सुनिश्चित होता है. इसे प्रयोग में लेना बहुत आसान है. इसे कोई भी खुद ले सकता है, लेकिन डॉक्टर के ऑब्जरवेशन में लेना अच्छा होता है. ये स्प्रे वैक्सीन है, इसलिए दिए गए निर्देश के अनुसार हर एक नासिका छिद्र में 0.25 मिलीलीटर ड्राप डालना पड़ता है. पूरी मात्रा 0.50 मिलीलीटर होती है. ड्राप डालने के बाद 10 से 15 मिनट रेस्ट करने की जरुरत होती है. ये वैक्सीन सभी सरकारी अस्पताल और हेल्थ केयर सेंटर पर उपलब्ध है.

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