‘‘चलो,लड़कियो, आ जाओ फटाफट. लाइन से खड़ी हो जाओ. 5-5 की 2 टीम बना लो,’’ कोच सुनील के कहने पर सभी लड़कियां एक लाइन से आ कर खड़ी हो गईं. 40 वर्षीय सुनील सब को ऊपर से नीचे तक देखता हुआ सब के पास से निकला तो राशि के पास रुक गया. उस के कंधे पर हाथ रख कर उसे घूरता हुआ बोला, ‘‘बड़ी कमजोर लग रही हो.’’

राशि को उस के इस तरह हाथ रखने पर बहुत तेज गुस्सा आया पर कुछ कह न सकी, मन में जरूर सोचा कि अब इस हरकत की शिकायत जरूर करेगी. यह कभी सीने पर हाथ रख देता है, कहता है कि चैक कर रहा हूं कि सांस ठीक चल रही है या नहीं. बस मेरा एक बार टीम में सलैक्शन हो जाए तो बताती हूं इस आवारा को. बस बहानेबहाने से छूता रहता है.

सुनील कह रहा था, ‘‘गर्ल्स, बास्केटबौल टीम खेल है, इस में 5-5 की 2 टीम होंगीं जो एकदूसरे के खिलाफ एक 10 फुट ऊंचे घेरे में एक बौल डाल कर नंबर लेने की कोशिश करेंगी. बौल को ऊपर से इस बास्केट के आरपार फेंक कर नंबर बनाओ, एंड में ज्यादा नंबर वाली टीम जीत जाएगी,’’ सब को सम?ातेसम?ाते सुनील ने फिर वरदा के कंधे पर हाथ रख दिया, तो राशि को तेज गुस्सा आया.

‘‘चलो, अब शुरू करो, चलो, मैं बताता हूं कि ड्रिब्लिंग कैसे करनी है. चलो, बौल को उछालते हुए आपस में आगे बढ़ाओ. वरदा, तुम लंबी हो. सैंटर पर आ जाओ.’’

राशि थोड़ी निराश हुई, वह चाहती थी कि वह या तो गार्ड पोजीशन पर रहे या फौरवर्ड पर. अब किसी और लड़की को यह मौका मिल रहा था तो उसे कुछ अच्छा नहीं लगा पर तभी सुनील सब लड़कियों के पास आ कर किसी को कंधे से, किसी को कमर से छूने लगा तो फिर सब लड़कियां असहज होने लगीं.

कुछ देर प्रैक्टिस चलती रही. लड़कियां जब थोड़ा उलछतीं तो सुनील की नजरें सहना सब के लिए मुश्किल सा हो जाता. पर क्या करें, किस से शिकायत करें. यह छोटा सा शहर था, बड़ी मुश्किल से बीए की इन लड़कियों को घर से स्पोर्ट्स में जाने के लिए परमिशन मिली थी. किसी से शिकायत करें तो उन्हीं का खेलना बंद हो जाएगा. सुनील ‘ब्रेक’ बोल कर स्टाफरूम की तरफ चला गया. सब लड़कियां चुप सी ग्राउंड पर ही बैठ गईं.

राशि बात छेड़ी, ‘‘क्या तुम लोगों को भी इस सुनील सर के इस तरह से कभी कहीं, कभी कहीं छूने पर गुस्सा आता है? मेरा तो खून खौल जाता है.’’

सब ने अब एकसाथ कहा, ‘‘बहुत गुस्सा आता है पर करें क्या? किस से शिकायत करें?’’
‘‘मैं सोच रही हूं कि प्रिंसिपल सर से ही कह कर देखें. कल तो मेरी कमर को हाथ से नाप कर कह रहा था कि कुछ खाती नहीं हो क्या?’’

सब अपनेअपने बुरे अनुभव बताती रहीं. आरोही ने बताया, ‘‘मु?ो अकेले में कह रहा था कि ज्यादा प्रैक्टिस करनी है तो मेरे घर भी आ सकती हो. हमें बेवकूफ सम?ाता है. हम खेलना चाहती हैं, इस का फायदा उठाता है.’’

यामी ने कहा, ‘‘बस एक बार टीम में सलैक्शन हो जाए तो इसे बताऊंगी.’’कुछ दिन ऐसे ही चले. कालेज की छुट्टी के बाद भी प्रैक्टिस चलने लगी. एक स्पोर्ट्स मैनेजर अनीता भी सुनील के साथ रहने लगी. लेकिन लड़कियों की परेशानी बढ़ती जा रही थी. वे सब यह भी नोट कर रही थीं कि अनीता के साथ भी सुनील ऐसे ही अश्लील हंसीमजाक करता है, दोनों की चुहलबाजी चलती रहती है जिसे अनीता ऐंजौय करती है. और एक दिन तो हद हो गई, जैसे ही राशि ने बौल लपकी, सुनील ने जैसे उसे गोद में उठा लिया.

राशि बहुत बुरी तरह चिल्लाई, ‘‘मैं आप की शिकायत करूंगी.’’ कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया. सुनील और अनीता ने एकदूसरे को देखा और जैसे आपस में ही कुछ इशारे किए. अनीता ने कहा, ‘‘अब सब जाओ, राशि. तुम रुको.’’

सब लड़कियां गईं तो नहीं पर काफी दूर जा कर खड़ी हो गईं. अनीता ने कहा, ‘‘राशि बेकार में क्यों चिल्ला रही हो?’’

‘‘हम सब सुनील सर से परेशान हो चुके हैं, जबरदस्ती छूने के बहाने ढूंढ़ते हैं. मैं कल सब लड़कियों के साथ इन हरकतों की प्रिंसिपल से शिकायत करूंगी.’’

सुनील ने फौरन सुर बदले, ‘‘अरे बेटा, तुम सब तो मेरे बच्चों जैसे हो. तुम लोगों की भी गलती नहीं है, माहौल ही ऐसा है कि अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना ही चाहिए. चलो, अब मैं भी ध्यान रखूंगा. अरे, मैं तो यह सोच रहा था कि तुम्हें मैं मेन पोजीशन पर रख कर खिलाऊं, तुम काफी अच्छा खेल रही हो. जैसे क्लास के मौनिटर होते हैं न वैसे ही मैं तुम्हें इस टीम में मेन जगह देने की सोच रहा था. अब यह पावर तुम्हें रहेगी कि देखती रहो कि कौनसी लड़की अच्छा खेल रही है या किसे टीम में नहीं होना चाहिए. मु?ो और भी स्पोर्ट्स देखने होते हैं. यह गर्ल्स कालेज है, यहां लड़कियों को ही जिम्मेदारी संभालनी है कि स्पोर्ट्स में कालेज का नाम रोशन करें.

अनीता को भी कई चीजें देखनी होती हैं. इस बार अच्छी प्रैक्टिस हो जाए तो हम दूसरे कालेज में ?ांडा गाड़ कर आएंगे और तुम लोगों को मु?ा से अगर शिकायतें हैं तो अब तुम ही हैड हो. अब सब की सुनो, सब देखो, बेटा. बस कालेज का नाम ऊंचा करना है. खूब प्रैक्टिस करो, आगे बढ़ो, ‘‘कह कर सुनील और अनीता वहां से चले गए.

सब लड़कियां तेजी से राशि की तरफ आने लगी. सब को जानना था कि सुनील ने क्या बोला. तब तक राशि के दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था, वह ग्राउंड पर ही बैठ गई थी.

राशि का गुस्सा तो जैसे पूरी तरह मुंह छिपा कर गायब हो चुका था. कहीं मैं ही तो गलत नहीं सोच रही. ये तो बेटा कह रहे हैं. पर नहीं, सम?ा रही हूं कि शिकायत करने की धमकी दी है इसलिए यह सब नाटक हो रहा है. ये भी घाघ हैं, सम?ा रहे हैं कि मेरी किस पोजीशन पर रहने की इच्छा है, सैंटर पर खेलना सब चाहते हैं, लालच दे रहे हैं. पर ठीक है फिर क्या बुरा है. इतनी पावर मिल रही है. छोड़ो क्या शिकायतें करनी.

सब उस के आसपास नीचे ही बैठ गईं, आरोही ने कहा, ‘‘राशि, ये दोनों क्या कह रहे थे?’’
अब तक राशि अपनेआप को पूरी तरह संयत कर चुकी थी. बताने लगी, ‘‘सर ने ‘सौरी’ बोला, अब आगे से ऐसावैसा कुछ नहीं होगा.’’

‘‘चलो, फिर ठीक है, अच्छा हुआ, तुम आज चिल्लाई नहीं तो चुप रह कर बड़ी गड़बड़ हो जाती है. ऐसी हरकतों पर तुरंत आवाज उठानी चाहिए.’’

अपने मनोभाव सब लड़कियों से छिपाते हुए राशि सब के साथ घर की तरफ चल दी. मन में एक अलग ही उत्साह था कि कल से फौरवर्ड पोजीशन पर खेलेगी, कितना मजा आएगा. टीम में जगह तो पक्की हो ही गई. घर जा कर उस ने अपने घर वालों को कुछ नहीं बताया.

अगले दिन कालेज जाते हुए राशि मन ही मन स्पोर्ट्स प्रैक्टिस के लिए बेहद उत्साहित थी. ग्राउंड पर जब सब इकट्ठा हुए तो सुनील ने कहा, ‘‘आज से टीम में राशि सैंटर में रहेगी, बाकी लड़कियों को भी कुछ कहना हो तो राशि को बता देना.’’

राशि ने जैसे ही मुसकराते हुए ‘‘थैंक यू सर,’’ कहा तो सब लड़कियां कभी सुनील की मुसकराहट, कभी राशि की हंसी देखती रह गईं. प्रैक्टिस चलती रही. आज सुनील ने किसी भी लड़की को बेवजह नहीं छुआ तो सब ने चैन की सांस ली पर राशि का उत्साह और हंसी सब को हैरान करती रही.

कुछ दिन प्रैक्टिस शांति से चली, फिर अचानक सुनील फिर वापस अपने उसी ढर्रे पर आ गया. वही लड़कियों को छूना, बेकार के सस्ते मजाक. लड़कियां फिर नाराज रहने लगीं, पर सब हैरान थीं कि अब राशि को इन हरकतों पर गुस्सा क्यों नहीं आ रहा. राशि एक तरह से सब की बौस बना दी गई थी. अब वह कभीकभी सुनील और अनीता के साथ बैठ कर खापी भी रही होती. सुनील अब राशि के साथ कम और लड़कियों के साथ छेड़छाड़ ज्यादा करने लगा तो एक शाम प्रैक्टिस के बाद सब लड़कियां राशि को रोक कर उस के साथ बैठ गईं.

इला ने कहा, ‘‘राशि, तुम देख रही हो न सुनील की हरकतें बढ़ती जा रही हैं. इस की शिकायत प्रिंसिपल से कर दें? कुछ ज्यादा नहीं हो रहा? तुम तो अब कुछ बोल ही नहीं रही.’’

‘‘क्या शिकायत करोगी, इलाज कुछ नहीं होने वाला. तुम्हारा ही खेलना बंद हो जाएगा. किसी भी बहाने से तुम्हें ही यह टीम से निकाल देगा. तुम्हारा खेलने का सारा का सारा शौक धरा का धरा रह जाएगा.’’

सब लड़कियां राशि के बदले सुर पर उस का मुंह देखती रह गईं. राशि ने गुनगुनाते हुए
अपना बैग उठाया और चल दी.

अगले कुछ दिन सब लड़कियों का मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा था. इला ने आरोही से कहा, ‘‘राशि को छोड़ो. हम ही लोग सुनील की शिकायत प्रिंसिपल से कर दें. ऐसे तो नहीं जी सकते. घर में बता दिया तो सब से पहले हमारा खेलना बंद हो जाएगा.’’

वरदा ने उदास से स्वर में कहा, ‘‘सुनील कितना चालाक है. हम में से ही एक लड़की को हैड बना दिया, जो कहना हो, उसे ही कहो. कल सुनील ने पता है मु?ो क्या कहा, मूवी चलोगी. पूछ रहा था. मन हुआ जोर से डांट दूं. सामने देखो, राशि आ रही है. आज एक बार और राशि से बात करती हूं.’’ राशि सब के पास आ कर बैठ गई, बोली, ‘‘मुंह क्यों लटका रखा है, दोस्तो?’’

‘‘राशि सुनील की शिकायत करने की सोच रहे हैं. हम से उस की हरकतें बरदाश्त नहीं हो रहीं.’’
‘‘अब क्या हुआ?’’

‘‘मु?ा से पूछ रहे थे, मूवी चलोगी.’’ राशि हंस पड़ी, ‘‘तो क्या हुआ. चली जाती. इस में क्या है. अच्छा, मु?ो जाना है, मैं चली,’’ राशि हंसते हुए अपना बैग उठा कर चली गई.

बाकी लड़कियां उसे गुस्से से घूरती रह गईं. उन्हें क्या पता था कि राशि को पावर गेम का नयानया चस्का लगा है. इस पावर गेम के नशे से कोई आसानी से निकल सका है भला.

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