कोहैबिटेशन को आमतौर पर लोग लिव इन रिलेशनशिप बोलते हैं. पिछले कुछ सालों में कोहैबिटेशन का ट्रेंड युवाओं में काफी बढ़ा है.

लगभग दो साल की डेटिंग के बाद, 38 साल के आशीष ने अपनी 31 साल की गर्लफ्रेंड पूजा के साथ रहने का फैसला लिया. पूजा अपनी एक रूममेट के साथ दूसरे फ्लैट में रहती थी. लेकिन वे ज्यादातर समय आशीष के घर ​ही बिताती थी. इस लंबे रिलेशनशिप के बाद आशीष और पूजा दोनों ने अपने रिश्ते में एक कदम और आगे बढ़ने की सोची और भविष्य में शादी करने का फैसला भी लिया. हालांकि इससे पहले दोनों ने मजबूत रिश्ते के लिए एक और अहम फैसला किया. और यह था कोहैबिटेशन. कोहैबिटेशन को आमतौर पर लोग लिव इन रिलेशनशिप बोलते हैं. पिछले कुछ सालों में कोहैबिटेशन का ट्रेंड युवाओं में काफी बढ़ा है. युवाओं का मानना है कि शादी से पहले का यह समय उन्हें एक दूसरे को करीब से जानने का मौका देता है. कुछ घंटों की मुलाकात की जगह कुछ समय साथ रहने से एक दूसरे की पसंद, नापसंद, बिहेव, आदतों का आसानी से पता चल पाता है. यह एक रूममेट टेस्ट जैसा है.

चौका देंगे ये आंकड़े

एक समय था जब लिव इन रिलेशनशिप या कोहैबिटेशन को समाज स्वीकृति नहीं देता था, लेकिन विदेशों और देश के बड़े शहरों में अब ये चलन चल पड़ा है. नेशनल सर्वे ऑफ फैमिली ग्रोथ डेटा के 2021 के आंकड़े बताते हैं कि 18 से 44 साल के जिन लोगों ने साल 2015 से 2019 के बीच शादी की है, उनमें से 76 % कपल कोहैबिटेशन में रह चुके हैं. साल 1965 से 1974 के बीच यह आंकड़ा मात्र 11 % था. ऐसे में साफ है कि कोहैबिटेशन आज के युवाओं की मंजिल का सिर्फ एक पड़ाव है. उनका असली उद्देश्य एक अच्छा साथी खोज कर शादी करना ही है. नेशनल सर्वे आॅफ फैमिली एंड हाउसहोल्ड और नेशनल सर्वे ऑफ फैमिली ग्रोथ के अनुसार साल 2019 में मिले आंकड़े बताते हैं कि शादी से पहले एक कपल एवरेज ढाई साल से ज्यादा समय तक साथी के साथ रहता है.

सफलता की गारंटी नहीं

कोहैबिटेशन भले ही शादी की सफलता की गारंटी के लिए किया जाता है. लेकिन असल में ऐसा है नहीं. साल 2023 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि जो विवाहित जोड़े सगाई या शादी करने से पहले कोहैबिटेशन में रहते हैं, उनके तलाक की आशंका उन लोगों की तुलना में 48 % ज्यादा थी, जो केवल प्रपोज करने के बाद शादी कर लेते हैं. हालांकि इसके कई कारण हो सकते हैं. ऐसे में एक दूसरे के प्रति कमिटमेंट जरूरी है.

इसलिए बढ़ रहा है कोहैबिटेशन का चलन

कोहैबिटेशन को शादी का रन टेस्ट कहा जा सकता है. यह एक कपल को कई अच्छे मौके देता है, एक-दूसरे को समझने के. कई कारणों से कोहैबिटेशन का चलन बढ़ा है.

1. सामाजिक स्वीकृति

पहले की तुलना में, आजकल समाज कोहैबिटेशन को ज्यादा स्वीकार करता है. कई बॉलीवुड कपल्स भी इसका उदाहरण हैं. पारंपरिक मूल्यों में बदलाव के साथ ही आज के युवा पर्सनल इंडिपेंडेंस पर ज्यादा फोकस करते हैं. आज के युवाओं के लिए शादी ही जिंदगी का लास्ट गोल नहीं रह गया है. वे लाइफ में बहुत कुछ करना चाहते हैं.

2. आर्थिक कारण

शादी और बच्चों का पालन-पोषण करना महंगा हो सकता है. यही कारण है कि आज के युवा फाइनेंशली इंडिपेंडेंट होने के बाद ही शादी करना चाहते हैं. कोहैबिटेशन उन्हें साथ रहकर, अपनी लाइफ बनाने का मौका देता है. दो वर्किंग पर्सन मिलकर आसानी से अपने फ्यूचर को सिक्योर कर सकते हैं.

3. एक-दूसरे को जानने का मौका

कोहैबिटेशन, कपल को शादी करने से पहले एक-दूसरे को बेहतर ढंग से जानने का मौका देता है. वे एक साथ रहकर यह देख सकते हैं कि क्या वे इतनी लंबी जिंदगी एक साथ बिता सकते हैं. ऐसे में उन्हें आगे चलकर परेशानियां नहीं हो.

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