Hindi Story Collection : समिता बेटा, तुम्हारे ऊपर जो बीत रही है, हम लोग सब समझते हैं. मगर बेटी तुम्हारी यह पहाड़ जैसी जिंदगी अकेले कैसे कटेगी और फिर एक छोटे से बेटे की जिम्मेदारी. 1 साल हो गया है शाश्वत को गुजरे हुए. हम लोग तुम्हारे मातापिता हैं, कोई दुश्मन नहीं हैं. हम लोग चाहते हैं कि तुम अब अपनी जिंदगी की एक नई शुरुआत करो,’’ गिरधारीलाल अपनी बेटी को प्यार से सम?ा रहे थे.
‘‘नहीं पापा, मैं दूसरी शादी के बारे में सोच भी नहीं सकती हूं. प्लीज, आप लोग मु?ा पर दबाव न डालें,’’ समिता ने कहा.
समिता की मम्मी बोलीं, ‘‘बेटा, हम लोग तो चाहते थे कि शाश्वत के जाने के बाद तुम अपना ट्रांसफर आगरा करवा लो और अपने मायके आ कर हम लोगों के साथ रहो. लेकिन तुम ने नहीं सुनी और यहीं कानपुर में अपने सासससुर के साथ रहने की जिद पर अड़ गईं. मगर मेरी बच्ची, इतनी लंबी जिंदगी क्या ऐसे ही काट दोगी? बहुत शोक मना लिया. अब कुछ अपनी जिंदगी के बारे में भी सोचो.’’
समिता थोड़ा झल्ला कर बोली, ‘‘मम्मीपापा आप लोग बारबार एक ही बात क्यों बोल रहे
हो? न तो मैं दूसरी शादी करूंगी और न ही मैं यहां से कहीं और जाऊंगी. अब तो यही मेरा घर है और अम्मांबाबूजी की जिम्मेदारी मेरी है. मैं अपनी बाकी की सारी जिंदगी शाश्वत की यादों के सहारे और अपने बेटे समिश्वत के साथ
गुजार लूंगी.’’
समिता के मम्मीपापा दुखी मन से आगरा के लिए चले गए थे. समिता के पति शाश्वत को गुजरे 1 साल बीत चुका था. पति के जाने के बाद भी समिता बेटे समिश्वत के साथ अपने सासससुर के पास ही कानपुर में रहती थी. वह कानपुर के पौलिटैक्निक कालेज में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत थी. पति के देहांत के बाद से ही उस के मम्मीपापा को उस की चिंता लगी रहती थी. वे चाहते थे कि समिता एक बार फिर से शादी कर ले और खुशहाल वैवाहिक जिंदगी बिताए पर समिता न तो अपने मायके में रहना चाहती थी और न ही दोबारा शादी करना चाहती थी. समिता ने बड़ी जिद कर के शाश्वत से विवाह किया था जबकि शाश्वत की बीमारी की वजह से समिता के मम्मीपापा इस शादी के लिए बिलकुल तैयार नहीं थे. शादी के मात्र 2 सालों के बाद अब समिता वैधव्य की पीड़ा झेल रही थी. उस के सासससुर ने कभी उसे यहां पर अपने साथ रहने के लिए नहीं कहा. वे तो बस यही चाहते थे कि बहू समिता जिस तरह से भी जहां रहना चाहे, खुशी से रहे.
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