कहानी :  मन में हजारों सपने संजोए अनवर अपने सुहागरात के कमरे में दाखिल हुआ. सलमा फूलों से सजे पलंग पर सिकुड़ी बैठी थी, बिलकुल उसी तरह जिस तरह की उस ने कल्पना की थी.

अनवर रुक गया. उस की सम?ा में नहीं आया कि वह क्या करे? स्वयं उस के दिल की धड़कनें भी बढ़ गई थीं और माथे पर पसीने की बूंदें उभर आईर् थीं.

‘मैं भी कितना डरपोक हूं. स्वयं घबरा रहा हूं, जबकि घबराना तो सलमा को चाहिए,’ सोच कर वह दृढ़ निश्चय से आ कर पलंग पर बैठ गया.

अनवर के पैरों की आहट सुन कर सलमा ने सिर उठाया. फिर कुछ सिमट कर बैठ गई.

‘‘आदाब अर्ज है,’’ चंचल स्वर में अनवर ने सलमा को छेड़ा.

‘‘आदाब,’’ सलमा के स्वर में घबराहट थी. उस के माथे पर उभर आई पसीने की बूंदों को वह साफ देख रहा था.

अनवर जोर से हंस पड़ा और बोला, ‘‘देखो, मु?ा से इतना घबराने की कोई बात नहीं है. मैं कोई शेर तो हूं नहीं जो तुम्हें खा जाऊंगा. आराम से बैठो... पहले तो बड़े जोरशोर से वीडियो चैट करती रही अब ऐसे देख रही हो मानो पहली बार देखा हो.

अनवर की बात सुन कर सलमा कुछ झिझकी, फिर संभल कर बैठ गई.

कुछ देर कमरे में मौन छाया रहा. फिर अनवर बोला, ‘‘बुरा न मानो तो एक बात कहूं?’’

‘‘कहिए न.’’

‘‘देखो, रात के 3 तो बज ही गए हैं. घर वालों और विवाह के ?ामेलों की वजह से हमारी सुहागरात 2 घंटों की रह गई है. क्या हम बातों में ही यह समय भी गुजार दें?’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
 
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
  • 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...