Instagram: सोशल मीडिया पर इन दिनों कब खाना है, कितना खाना है और क्या खाना चाहिए कि इतनी ओपिनियन हैं कि हम अपने पसंद के अनुसार हेल्दी खाना तक नहीं खा पाते. अब खाने के साथ फ्रू्ट्स के सेवन को लेकर भी विभिन्न आयुर्वेद और एलोपैथी डॉक्टर्स की अलग राय है. एक डॉक्टर ने तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ये तक कह दिया कि एक्सरसाइज ही ना करें, न वॉक न जिम. जबकि सभी हमें दिन में 30 मिनट्स कम से कम वर्कआउट की सलाह देते हैं. इतने मतभेदों में आखिर किसी मानें हम.

फ्रूट्स को लेकर भी राय है रात को फल मत खाओ, खाने के बाद फल गैस बनाते हैं, फल खाना है तो खाली पेट ही खाओ,  ऐसे तमाम सलाह इंस्टाग्राम, यूट्यूब, रील्स और डॉक्टरों की शॉर्ट क्लिप्स में रोजाना सुनने को मिलती हैं. इतने मतभेद हैं कि इंसान उलझकर रह जाता है. क्या खाएं, कब खाएं, कितना खाएं. ये तय करने से पहले ही भूख खत्म हो जाती है.

खाने के साथ फल खाने को लेकर खासकर आयुर्वेद और एलोपैथी की राय अलग-अलग है. कुछ लोग कहते हैं कि खाने के तुरंत बाद फल खाना पाचन को खराब करता है, वहीं कुछ लोग इसे एक मिथ मानते हैं. तो क्या वाकई खाने के साथ फल खाना नुकसानदेह है? चलिए तथ्यों, विज्ञान से इस सवाल का जवाब ढूंढते हैं.

  1. आयुर्वेद का दृष्टिकोण

आयुर्वेद के अनुसार, भोजन और फल का पाचन समय (Digestion Time) अलग-अलग होता है. आयुर्वेद कहता है कि:

फल जल्दी पचते हैं (लगभग 30-45 मिनट में), वहीं अन्न (गेहूं, चावल, दाल आदि) को पचने में 2 से 4 घंटे तक लग सकते हैं. अगर हम दोनों को एक साथ खाते हैं, तो फल पेट में ‘रुक’ जाते हैं और किण्वन (fermentation) की प्रक्रिया से गैस, एसिडिटी, या ब्लोटिंग हो सकती है. इस कारण आयुर्वेद में “food combining” के नियम हैं — जिनमें फल को अकेले, खासकर खाली पेट खाने की सलाह दी जाती है.

 

पर क्या ये बातें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सही हैं?

एलोपैथी और न्यूट्रिशन साइंस क्या कहता है?

आधुनिक पोषण विज्ञान (Modern Nutrition Science) कहता है कि शरीर के भीतर पाचन एक जटिल लेकिन व्यवस्थित प्रक्रिया है. हमारा शरीर खाने में मौजूद हर चीज (कार्ब, फैट, प्रोटीन, फाइबर, फल, सब्जी) को पहचानता है और अलग-अलग एंजाइम्स की मदद से उसे पचाता है.

 

अब बात करते हैं कुछ रिसर्च की:

क्या फल खाना धीमा करता है खाना पचाना?

नहीं. साल 2009 में “American Journal of Clinical Nutrition” में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जब भोजन के साथ फल या फाइबरयुक्त भोजन खाया गया, तो पेट फलों में मौजूद सोल्यूबल फाइबर जैसे पेक्टिन से ज्यादा देर तक फुल रहता है, यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है क्योंकि इससे शुगर धीरे-धीरे रिलीज़ होती है, जिससे ब्लड शुगर स्थिर रहता है. और इससे बाउल मूवमेंट भी अच्छी होती है तो इससे कब्ज से परेशान लोगों को भी फायदा मिलता है.

 

 क्या खाने के साथ फल गैस बनाते हैं?

कुछ लोग अनुभव करते हैं कि खाने के बाद फल खाने से गैस बनती है. पर इसका कारण फल नहीं, बल्कि उनकी इनडिविजुअल डाइजेस्टिव टॉलरेंस होती है, जैसे कुछ लोगों को दूध से गैस होती है, तो कुछ को छोले, काले चने या राजमा गैस बनाते हैं.

University of California, Davis की एक डायजेस्टिव स्टडी के अनुसार, फल में मौजूद फाइबर और नेचुरल शुगर (फ्रुक्टोज़) सामान्य स्थिति में गैस नहीं बनाते, हाँ, यदि किसी को पहले से IBS (Irritable Bowel Syndrome) या Fructose Intolerance है, तो समस्या हो सकती है. यानी कुल मिलाकर फ्रुट्स को किसी भी समय और चीजों से पेयर करके खाने से अधिकतर लोगों के लिए सेफ है.

 

 क्या खाने के साथ फल खाने से उसका न्यूट्रिशन घट जाता है?

नहीं, फलों का पोषण (जैसे विटामिन C, पोटैशियम, फाइबर) आपके शरीर में वैसे ही अवशोषित होता है, चाहे आप उसे अकेले खाएं या उसे रोटी सब्जी या चावल के साथ या बाद में खाए.

 

यह धारणा कहां से आई कि “फल खाने के साथ नहीं खाने चाहिए”?

ये धारणा कई हद तक आयुर्वेदिक फूड-कॉम्बिनेशन नियमों, इंटरमिटेंट फास्टिंग ट्रेंड्स और सोशल मीडिया “डाइट गुरुओं” की बातें सुनकर बनी है. सोशल मीडिया ने इसमें चार चांद लगा दिए हैं. क्योंकि हर दूसरी रील आपको कुछ अलग कहती है. हर डॉक्टर कुछ अलग सलाह देते हैं ऐसे में लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि क्या खाएं क्या नहीं.

 

 कब फल खाना फायदेमंद है?

खाने के साथ फल खाना नुकसानदेह नहीं है, आप जब चाहें जो भी चाहें फल खा सकते हैं. सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध 30 सेकंड की क्लिप आपके जीवन के लिए आधार नहीं हो सकती. जब तक कोई डॉक्टर ठोस सबूत, रिसर्च पेपर हाथ में रखकर बात न करे, उनकी बातों पर विश्वास करना बेकार है. सबकी बॉडी अलग होती है, और खाने को लेकर अलग रिएक्ट करती है. इसलिए

 

किसी भी चीज़ को “जहर” या “जादू” न बनाएं

फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. यह सच है कि भोजन के समय, मात्रा और पाचन की आदतें हर इंसान के शरीर पर अलग असर डालती हैं. लेकिन फल को “खाने के साथ न खाओ वरना पेट सड़ जाएगा” जैसी बातें अधूरी जानकारी पर आधारित हैं. संतुलन और आत्म-निरीक्षण ही सबसे बड़ी कुंजी है. अगर आपको फल खाने के बाद कोई दिक्कत नहीं होती, तो आप उन्हें भोजन के साथ भी खा सकते हैं. अगर कोई गैस, ब्लोटिंग या भारीपन महसूस करता है तो टाइमिंग एडजस्ट कर सकते हैं. हर दिन बदलती इंस्टाग्राम की राय से ज़्यादा आपकी बॉडी की फीडबैक मायने रखती है.

 

सीजनल और लोकल फलों को खाएं, एक्जॉटिक के चक्कर में न पड़ें

सोशल मीडिया में फिटनेस इंफ्लूएंसरों ने हमारे बजट को भी गड़बड़ा दिया है. उनके हिसाब से जो मंहगा है वो ही अच्छा है. विदेशी फल अवोकाडो को इन दिनों इतना प्रोमोट किया जा रहा है कि जो उसे नहीं खा रहा उसे लग रहा है वो ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाएगा, क्योंकि इतना हेल्दी फ्रूट उसके बजट से बाहर है,120 रूपये में एक पीस बिकने वाला अवाकाडो इन दिनों स्टेट्स सिंबल भी बन गया है, हेल्थ और फिटनेस की दुनिया का सुपरस्टार बन चुका है, लेकिन बहुत से लोगों के मन में यह सवाल होता है कि आखिर इसमें ऐसा खास क्या है? ये कहां से आया, और भारत में इसके जैसा फल कौन-सा है.

अवोकाडो की बात करें तो इसकी खेती की शुरुआत 5000–7000 साल पहले मैक्सिको में मानी जाती है. आज अमेरिका, मैक्सिको, पेरू, चिली, और दक्षिण अफ्रीका इसके सबसे बड़े उत्पादक हैं. भारत में यह दक्षिण भारत (केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र के कुछ भागों) में उगाया जाता है.

अगर इंडियन लोकल और सीजनल फ्रूट की बात करें तो अमरूद काफी फैक्टर्स में अवाकाडो को पछाड़ देता है. न्यूट्रीशनल वेल्यू पर फोकस करें तो अवोकाडो बनाम अमरूद: न्यूट्रिशनल तुलना (100 ग्राम में)

पोषक तत्व

अवोकाडो (Avocado)

अमरूद (Guava)

कैलोरी

160 kcal- 68 kcal

कार्बोहाइड्रेट

8.5 g-14 g

शुगर

0.7 g-9 g

फाइबर

6.7 g-5.4 g

फैट

15 g (Healthy fats)-0.9 g

प्रोटीन

2 g-2.6 g

विटामिन C

10 mg (11% RDA)-228 mg (380% RDA!)

विटामिन A

7 mcg-31 mcg

फोलेट (B9)

81 mcg-49 mcg

पोटेशियम

485 mg-417 mg

मैग्नीशियम

29 mg-22 mg

 

स्रोत: USDA Food Data Central और IFCT, ICMR 2021

अब अगर आपको अपना वजन बढ़ाना है तो जरुर अवाकाडो को चुनिए क्योंकि इसमें कैलोरी अमरूद से ज्यादा है. लेकिन विटामिन सी और विटामिन ए की कैटेगरी में अमरुद अवाकाडो से कहीं आगे है. सिर्फ हेल्दी फैट के मामले में अवाकाडो आगे है लेकिन ये फैट आप ओलिव ओयल या फिर घी, नारियल से पा सकते हैं.

हम ये नहीं कर रहे हैं कि आप अवाकाडो मत खाइए, लेकिन अवाकाडो सिर्फ इसलिए मत खाइए कि इसे सब खा रहे हैं. अगर आपको पसंद है और आपको जेब अलाउड कर तभी इसे लें. अदरवाइज बहुत से हेल्दी और किफायती फ्रूट्स आपके लोकल वेंड्र्स आपको उपलब्ध करा सकते हैं.

कुल मिलाकर आप ये समझें कि किसी की भी कही किसी बात को मानने से पहले एक बार गूगल जरुर कर लें कि इस बात में कितनी सच्चाई है. आज के युग में यू आर जस्ट वन टच अवे फ्रोम इन्फोर्मेंशन. तो इस सुविधा का इस्तेमाल करें पढ़े लिखे गवार बनने से बचें.

 

मजेदार ड्रेसिंग से फ्रूट चाट का टेस्ट बढ़ाएं

आपको यदि फल खाना बोरिंग लगता है तो ये ड्रेसिंग ट्राई कर सकते हैं. इससे आपकी फ्रूट चाट के फ्लेवर बढ़ जाएंगे.

 

1- हनी-लेमन फ्रूट ड्रेसिंग (Sweet & Tangy)

1 टेबल स्पून शहद, 1 छोटा नींबू का रस, थोड़ा सा नींबू का ज़ेस्ट(यानी कसा हुआ जरा सा नींबू का छिलका), एक चुटकी काला नमक या सेंधा नमक, थोड़ी सी काली मिर्च पाउडर. इन सभी चीजों को अच्छे से मिलाएं और कटे हुए फलों पर डालकर हल्के हाथ से मिक्स करें.

 

  1. मिर्च-मसाला ट्विस्ट (Spicy Street-Style)

1/2 टीस्पून भुना जीरा पाउडर, 1/2 टीस्पून चाट मसाला, चुटकी भर कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर, 1 टीस्पून नींबू का रस, थोड़ा काला नमक एक कटोरी या छोटी डब्बे में डालकर अच्छे से मिक्सर कें और ड्रेसिंग को कटे हुए पाइनएप्पल, पपीता, अमरूद, तरबूज पर डालें.

 

  1. पीनट बटर-हनी योगर्ट ड्रेसिंग (Protein Rich Creamy)

2 टेबल स्पून दही (ग्रीक योगर्ट हो तो बेहतर), 1 टीस्पून पीनट बटर (स्मूद टाइप), 1 टीस्पून शहद, एक चुटकी दालचीनी पाउडर. सभी चीज़ों को मिक्स कर के एक क्रीमी ड्रेसिंग बनाएं. केला, सेब, अंगूर और स्ट्रॉबेरी के साथ बढ़िया कॉम्बो तैयार होगा.

इस तरह कि बहुत सी डेसिंग रेसिपी से आप अपने फ्रूट चाट के स्वाद को बढ़ा सकते हैं.  Instagram

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