Fictional Story: ‘‘मैं एक बहुत बड़ी उलझन में हूं और चाहता हूं कि तुम इस उल झन से मुझे उबारो,’’ मनोज ने संगीता से कहा. उस के चेहरे पर गंभीरता और चिंता दोनों ने डेरा जमाया हुआ था.
संगीता कौफी के मग को अपने होंठों से लगातेलगाते रुक गई. उस ने उत्सुकता से मनोज की ओर देखा, ‘‘ऐसी कौन सी उल झन है और क्या मेरे लिए संभव है कि मैं तुम्हें उल झन से उबार सकूं?’’ संगीता ने पूछा.
‘‘मामला मेरा और तुम्हारा है, मेरे और तुम्हारे परिवार का है. ऐसे में तुम से सलाह लेना जरूरी है,’’ मनोज ने कहा.
‘‘बताओ. क्या बात है?’’ संगीता ने कौफी का घूंट लेते हुए पूछा.
‘‘ऐसा है कि हम दोनों की मित्रता बहुत अच्छे से चल रही है. हम दोनों एक ही किश्ती के सवार हैं. हम दोनों सिंगल पेरैंट हैं. मेरे 2 बच्चे हैं और तुम्हारा 1 बच्चा है. उन के बारे में सोचना भी जरूरी है. क्या हम अपने इस रिश्ते को कुछ अलग रूप दे सकते हैं जिस से हमारे बच्चे भी हमारे इस जीवन में सहभागी हो सकें और बेहतर जीवन जी सकें?’’ मनोज ने पूछा. वह पहले ही कौफी समाप्त कर चुका था. उस की आदत थी बिलकुल गरम कौफी पीने की.
संगीता सोच में पड़ गई. कुछ देर सोचने के बाद कहा, ‘‘तुम्हारा प्रश्न वाजिब है पर इस के जवाब के लिए थोड़ा समय चाहिए.’’
‘‘थोड़ा क्यों? पूरा समय लो और बताओ कि क्या किया जा सकता है,’’ मनोज ने कहा.
‘‘ठीक है सोच कर बताती हूं. तुम भी अच्छे से विचार कर के बताना,’’ संगीता ने कहा.
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