आप ने भी कभी कहीं यह लिखा जरूर पढ़ा होगा कि दूसरों के साथ वैसा व्यवहार न करो जैसा तुम अपने साथ नहीं चाहते. कहने को यह बात बड़ी साधारण लगती है, लेकिन यह पूरी जीवनशैली को प्रभावित करने वाली है. यह बहुत जरूरी है कि आप समाज में मानसम्मान पाएं. कोई आप को नीची निगाहों से नहीं देखे. यह जितना सही है उतना यह भी स्वाभाविक है कि आप अपना आचरण दूसरों के प्रति भी सकारात्मक रखें.

सामान्य सी बात है कि इज्जत दोगे तो इज्जत मिलेगी. हमारी पूरी सोसायटी इसी फलसफे पर चलती है. हमेशा याद रखें कि भले आप सत्तासीन हों, संपन्न हों, ऊंचे पद पर हों, लेकिन सब से पहले आप मनुष्य हैं और मनुष्य होने के नाते आप का एकदूसरे को सम्मान देना अनिवार्य बनता है.

एक बार फ्रांस के पूर्व सम्राट हेनरी अपने अधिकारियों के साथ राजमार्ग से जा रहे थे. थोड़ी दूर चलने पर उन्होंने देखा कि एक भिखारी सड़क पर खड़ा हो गया है. जैसे ही सम्राट उस के नजदीक पहुंचे उस ने अपनी टोपी उतारी और झुक कर राजा को प्रणाम किया. सम्राट ने देखा और वे कुछ सैकंड्स के लिए खड़े हो गए. फिर उन्होंने अपनी टोपी उतारी और भिखारी को प्रणाम किया. साथ चल रहे अधिकारियों में कानाफूसी होने लगी.

सम्राट समझ गए. उन्होंने कहा कि भिखारी मुझे प्रणाम करे, मेरा सम्मान करे तो क्या मैं भिखारी को सम्मान देना नहीं जानता? बात साफ है कि सम्मान दोगे तो सम्मान पाओगे. यह बात जीवन के हर मोड़ पर याद रखनी चाहिए.

नन्हे को भी जरूरत है सम्मान की

अंगरेजी के प्रसिद्ध लेखक विलियम हेजलिट लिखते हैं कि संसार में बच्चे की प्रथम औपचारिक पाठशाला स्कूल ही है. लेकिन इस के पहले वह घर में रहता है. अत: बच्चे में अच्छे संस्कार एवं आदर्श स्थापित करने का उत्तरदायित्व सब से पहले मातापिता का होता है. इसलिए दूसरों के बच्चे से अपने बच्चे की तुलना करना और ताने मारना जैसी हरकतें न करें. यदि छोटा बच्चा घर का छोटा सा काम भी करे तो आप कहें थैंक्यू बेटा. इतना कहने भर से ही बच्चा अपनेआप को महत्त्वपूर्ण समझने लगेगा. इस तरह से उसे प्रोत्साहित करिए ताकि वह बिना झिझक के आगे बढ़ सके.

टीनऐजर भी चाहें सम्मान

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आज की जागरूक युवा पीढ़ी को समझाना भी एक कला है. जो मातापिता इस कला को सीख जाते हैं, उन के बच्चे हर क्षेत्र में सफल होते हैं. किशोर होते बच्चे दैनिक कार्यक्रमों के दौरान कई काम ऐसे करते हैं, जिन के लिए हमें उन का सम्मान करना चाहिए. कई बार मातापिता का प्यार भरा हाथ सिर पर रखने से उन का मन छोटा बच्चा बन जाता है. उन के हर छोटे काम की जी खोल कर तारीफ करें और सम्मान करें. यह छोटा सा सम्मान उन्हें आत्मविश्वास से भरा रखेगा. वे अपने हर कदम पर अडिग रहेंगे. अपनी हर समस्या के समाधान हेतु बेहतर जगह ही चुनेंगे.

महिलाओं को भी प्रिय है सम्मान

चाहे वह मां हो, पत्नी हो, गृहिणी हो या कामकाजी महिला, सम्मान की हकदार सभी स्त्रियां हैं. एक छोटा बच्चा भी जब अपनी मां का सम्मान करता है तो मां को फख्र होता है. यदि पति पत्नी के हाथों बने खाने, उस की पूरे दिन की मेहनत को पूरा सम्मान देता है, तो यह बात उसे हमेशा तरोताजा रखेगी.

पुरुषों को भी चाहिए सम्मान

साइकोलौजिस्ट विलियम जेम्स कहते हैं कि पुरुष भी चाहते हैं कि बौस उन के अच्छे काम का सम्मान करें. ऐसा होता है तो काम करने की उमंग बढ़ जाती है. सम्मान करने के लिए बड़ेबड़े अवार्ड्स की जरूरत नहीं होती. बातों से भी सम्मान जताया जा सकता है. दोस्ती में भी सम्मान की भावना हो तो दोस्ती ताउम्र टिकी रहती है. पुरुषों की चाहत होती है कि पत्नी भी उन की सही बातों का सम्मान करे. कई बार छोटीछोटी बातों का भी सम्मान करने से आप का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है.

बुजुर्ग भी चाहते हैं सम्मान

बुजुर्गों के प्रति आप का रवैया हमेशा हौसला बढ़ाने वाला ही होना चाहिए. शारीरिक रूप से कमजोर हो चले बुजुर्गों की जिंदगी की लंबी पारी का सम्मान करें. उन के संघर्ष की तारीफ करें. इस तरह के सम्मान उन्हें जीने का मकसद देते हैं. सम्मान करते वक्त आप पूरी ईमानदारी रखें. चापलूसी वाले सम्मान की बू तुरंत आ जाती है. वैसे भी शब्दों में वह ताकत होती है, जो हमें परायों के बीच भी अपना बना देती है तथा अपनों के बीच पराया.

सम्मान एक ऐसी कला है, जिस से हम परिचितों का आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं, रिश्तों में गरमाहट ला सकते हैं और अपनी तथा दूसरों की जिंदगी में खुशियां भर सकते हैं.

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