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वित्त वर्ष के आखिरी महीनों में टैक्स सेविंग निवेश विकल्पों की तलाश तेज हो जाती है. वित्त वर्ष 2017-18 खत्म होने में अब सिर्फ एक महीने का ही समय बचा है. हम अपनी इस खबर में आपको एक ऐसी योजना के बारे में बताने जा रहे हैं जो उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो रिटायर हो चुके हैं. नियमित इनकम के साथ ही पैसे की सुरक्षा और टैक्स बचत का फायदा उठाना चाहती हैं, तो आप इसमें निवेश कर सकती हैं.
रिटायरमेंट के बाद भी जिन लोगों को नियमित कमाई होती रहती है उन्हें भी ऐसे निवेश विकल्प की तलाश रहती है जहां वो अपनी जमा पूंजी का निवेश कर सकें. इस उम्र के लोग इक्विटी में अपना पैसा लगाने से बचते हैं क्योंकि इसमें कैपिटल लौस का खतरा रहता है, ऐसे में सीनियर सिटीजन स्कीम एक बेहतर विकल्प माना जाता है.
इस स्कीम में कौन कर सकता है निवेश: इस स्कीम में वो सभी लोग निवेश कर सकते हैं जिनकी उम्र 60 वर्ष या इससे ऊपर की है. इतना ही नहीं वो लोग जो 55 वर्ष से 60 वर्ष की अवधि के दौरान वौलंटरी रिटायरमेंट स्कीम (वीआरएस) का चयन करते हैं वो भी इसमें निवेश कर सकते हैं. साथ ही सिविल डिफेंस कर्मचारियों को छोड़कर सेवानिवृत्त रक्षा कर्मी भी उम्र और अन्य शर्तों के आधार पर इसमें निवेश कर सकते हैं. वहीं अप्रवासी भारतीय (NRIs), हिंदू अविभाजित परिवार (HUFs) इस स्कीम में निवेश के हकदार नहीं होते हैं.
कैसे कर सकते हैं निवेश: 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोग अपने पास के किसी वाणिज्यिक बैंक या फिर पोस्ट औफिस में जाकर अपना इंडिविजुअल या फिर ज्वाइंट अकाउंट खुलवा सकते हैं.
कितनी रकम का कर सकते है निवेश: कोई भी वृद्ध या तो अकेले या फिर संयुक्त रूप से सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम में अपना खाता 15 लाख रुपए (अधिकतम) तक देकर खुलवा सकता है. यह राशि न्यूनतम 1000 हजार रुपए है. यह रकम उस राशि से ज्यादा नहीं हो सकती है जो कि वृद्ध व्यक्ति को रिटायरमेंट के दौरान मिलेगी. आयकर विभाग की वेबसाइट में दर्ज नियमों के मुताबिक सीनियर सिटीजन स्कीम में खाता या तो 1 लाख रुपए से कम नकद देकर या फिर चेक के माध्यम से 1 लाख या इससे ज्यादा देकर खुलवाया जा सकता है.
कितने खाते खुलवाए जा सकते हैं: इस स्कीम के तहत खाता खुलवाने की कोई सीमा तय नहीं है. कोई भी कितने भी खातें खुलवा सकता है, लेकिन इसमें यह शर्त लागू होती है कि सभी खातों में जमा कुल राशि निवेश की अधिकतम सीमा को पार नहीं करनी चाहिए.
जरूरी होते हैं ये दस्तावेज:
पूरी तरह से भरा गया एक फौर्म जो कि पोस्ट औफिस या फिर बैंक में उपलब्ध होता है.
केवाईसी फौर्म
- आवेदनकर्ता की फोटो
- आवेदनकर्ता का पैन नंबर
- आवास प्रमाणपत्र की कॉपी
- आयु प्रमाणपत्र
- रिटायरमेंट की सूरत में नियोक्ता की ओर से इस संदर्भ में जारी किया गया प्रमाणपत्र
निवेश का सबूत: सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम में एक बार खाता खुल जाने के बाद बैंक या पोस्ट औफिस की ओर से एक पासबुक दी जाती है, जिसमें खाता खुलने की तारीख, अकाउंट नंबर, जमाकर्ता का नाम, उसकी फोटो ग्राफ, पता और जमा की गई रकम दर्ज होती है. साथ ही इसमें तिमाही आधार पर मिलने वाला ब्याज भी दर्ज होता है.
कितना मिलता है ब्याज: सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम में सालाना आधार पर 8.3 फीसद की दर से ब्याज दिया जाता है. वित्त मंत्रालय की ओर से हर तिमाही में इसकी समीक्षा भी की जाती है. हालांकि इसमें एफडी पर मिलने वाले चक्रवृद्धि ब्याज की तरह विकल्प नहीं मिलता है.
कितनी अवधि के लिए होता है निवेश: इस बचत योजना की अधिकतम अवधि 5 साल है. हालांकि, परिपक्वता के बाद, कार्यकाल को एक बार 3 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. इस खाते से समय से पहले निकासी की अनुमति है. लेकिन ऐसा एक वर्ष की अवधि के बाद ही किया जा सकता है.
टैक्स में बचत: सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) खाते में निवेश से आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 C के प्रावधानों के अनुसार Tax की बचत होती है. हालांकि आयकर अधिनियम की धारा 80 C के अंतर्गत इस स्कीम के जरिए कर छूट लाभ प्राप्त करने की अधिकतम सीमा 1.5 लाख प्रति साल ही है.