महिलाओं की जिंदगी पुरुषों की तुलना में अधिक होती है. अध्ययन बताता है कि पति की तुलना में पत्नी अधिक उम्र तक जीती है. इस का मतलब पैंशन पर आश्रित जिंदगी, जीवनसाथी के साथ बिताई जाने वाली जिंदगी से लंबी होती है. इसलिए एक घरेलू महिला को अपने पति के रिटायरमैंट प्लान के बारे में जानना बेहद जरूरी है. यदि कोई रिटायरमैंट प्लान नहीं है तो उस के बारे में फैसला करने का यह सब से सही समय है.

यदि आप के पति वैतनिक कर्मचारी हैं तो सभी की तरह उन का भी एक कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ खाता होगा. लेकिन अगर आप के पति यह सोचते हैं कि ईपीएफ उन के रिटायरमैंट के बाद की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है तो उन्हें दोबारा सोचने के लिए मजबूर करें.

सच यह भी है कि यदि कोई रिटायरमैंट की जरूरतों के लिए सिर्फ भविष्य निधि के सहारे है तो उसे रिटायरमैंट के बाद पैसों की कमी से जूझना पड़ सकता है.

ईपीएफ, यहां तक कि लोक भविष्य निधि भी, सौ फीसदी डेट आधारित होने की वजह से महंगाई का असर रोकने में कामयाब नहीं होते. इन पर मिलने वाला वास्तविक रिटर्न, महंगाई समायोजित रिटर्न से कम होता है. इस तरह ये महज बचत को संरक्षित रखने का काम कर पाते हैं. इस समय महंगाई दर 8-9 फीसदी के आसपास है, वहीं फिक्स्ड इनकम निवेश पर मिलने वाला रिटर्न 9 फीसदी के करीब है. डेट असेट यानी ऋण आधारित स्कीमें आप की पूंजी को संरक्षित करने का माध्यम हैं. इन का इस्तेमाल लघु या मध्यम अवधि के लक्ष्यों को पूरा करने में ही किया जा सकता है.

बेहतर विकल्प

लंबी अवधि के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इक्विटी में निवेश आवश्यक है. इस के पीछे की धारणा यह है कि निवेश पर रिटर्न महंगाई की दर से 3-4 फीसदी अधिक होना चाहिए. रिटर्न में एक छोटा सा अंतर मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि पर बड़ा असर डालता है. लंबी अवधि के दौरान संपत्तियों के निर्माण में वास्तविक रिटर्न माने रखता है, न कि टोकन यानी सांकेतिक रिटर्न.

पहले के अध्ययन बताते हैं कि एक लंबी अवधि में इक्विटी अन्य साधनों जैसे सोना, डेट या रीयल एस्टेट की तुलना में अधिक रिटर्न देता है. यदि आप गौर करेंगे तो पता चलेगा कि पिछले 10-15-20 सालों में सैंसेक्स का संयोजित वार्षिक रिटर्न क्रमश: 17 फीसदी, 12 फीसदी, 11.23 फीसदी रहा है और रिटायरमैंट का लक्ष्य अकसर इतना ही लंबा होता है. ऐसे में इक्विटी एक सुरक्षित और बेहतर विकल्प हो सकता है.

म्यूचुअल फंड

रिटायरमैंट की जरूरतों को पूरा करने के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड एक बेहतर विकल्प है क्योंकि लंबी अवधि में अधिक रिटर्न के साथ यह महंगाई के असर को खत्म करने का माद्दा रखता है. लंबी अवधि का फायदा हासिल करने के लिए निवेश को लगातार बनाए रखना चाहिए. इस से भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि ऐसे म्यूचुअल फंड का चुनाव करना चाहिए जिन का सौ फीसदी एक्सपोजर इक्विटी में हो और जो आगे चल कर आप को डेट फंड में स्विच करने का विकल्प प्रदान करें. इक्विटी और डेट में शिफ्ट होने की ऐसी अंतर्निहित विशेषता संपत्तियों के निर्माण में मददगार साबित होती है.

इन से रहें सतर्क

इक्विटी से मिलने वाला रिटर्न बेहद अस्थिरता भरा होता है क्योंकि यह बाजार के उतारचढ़ावों पर निर्भर करता है. बाजार विभिन्न आर्थिक व गैरआर्थिक कारणों से प्रभावित होता है. लघु अवधि में अस्थिरता ज्यादा होती है जबकि लंबी अवधि में यह कमोबेश पहले जैसी हो जाती है. इसलिए दिनप्रतिदिन होने वाली और गैरप्रासंगिक घटनाओं को अनदेखा कर निवेश को कायम रखना ही बेहतर होता है.    

क्या करें

संपत्तियों के निर्माण करने के लिए एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वैस्टमैंट प्लान का सहारा लें. एसआईपी के जरिए एक तय राशि नियमित अंतराल पर निवेश करें. ऐसा करने से बाजार में होने वाली घटबढ़ से बचा जा सकता है. परिणामस्वरूप लंबे समय तक आप के निवेश की एक औसत लागत बनी रहेगी.

एसआईपी का लब्बोलुआब यह है कि जब बाजार में गिरावट होती है तो आप को निवेश पर अधिक यूनिट मिल जाते हैं लेकिन जब बाजार चढ़ता है तो यूनिट कम मिलते हैं. रिटायरमैंट का समय नजदीक आने पर इक्विटी में संचित सारी निधि को डेट फंड में शिफ्ट कर दें ताकि पूंजी को संरक्षित किया जा सके. रिटायरमैंट के बाद जरूरत के हिसाब से फंड में से रकम निकालें और शेष राशि को बाजार में लगी रहने दें.

रिटायरमैंट के लिए बचत करना आप के जीवन में न सिर्फ अनुशासन लाता है, बल्कि रिटायरमैंट के बाद आप के स्वर्णिम वर्षों को बेहतर भी बनाता है.         

(लेखक बजाज कैपिटल के ग्रुप सीईओ और डायरैक्टर हैं)

ये कदम उठाएं

– 2-3 इक्विटी म्यूचुअल फंड का चुनाव करें और ऐसे रिटायरमैंट फोकस्ड फंड को प्राथमिकता दें जो सौ फीसदी इक्विटी में हों

– निवेश को जारी रखें. बोनस, विंडफौल गेन आदि को उसी एसआईपी में फिर से निवेश करें

– रिटायरमैंट का समय नजदीक आने पर एसआईपी की राशि को बढ़ा दें

– रिटायरमैंट से 3 साल पहले अपने निवेश को जोखिम से दूर रखें

– रिटायरमैंट के बाद एसडब्लूपी यानी सिस्टमैटिक विदड्रौल प्लान का विकल्प अपना कर पैंशन प्राप्त करना शुरू कर दें

– फंड्स को रिटायरमैंट से जोड़ें

– जल्दी शुरुआत करें

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