49 वर्षीय आमिर खान ने अपने फिल्मी कैरियर में बाल कलाकार से ले कर अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, पटकथा लेखक, गायक आदि सभी में अपना हुनर दिखाया. वे अपनी हर फिल्म को चुनौती मानते हैं. हर किरदार को परदे पर पूरी तरह उतारना चाहते हैं. इसीलिए फिल्म की शूटिंग शुरू होने से 5-6 महीने पहले से पूरी तैयारी करते हैं ताकि सैट पर जाने से पहले हर सीन याद हो जाए.
आमिर खान की एक खूबी यह भी है कि वे फिल्म के प्रमोशन के वक्त फिल्म की कहानी को जरा भी लीक नहीं करते ताकि दर्शकों की फिल्म में रुचि बनी रहे और वे सिनेमाहौल तक जाएं. प्रस्तुत हैं, फिल्म ‘पीके’ को ले कर हुई उन से गुफ्तगू के अहम अंश :
फिल्म ‘पीके’ के पोस्टर को ले कर कई बार कंट्रोवर्सी हुई. क्या आप ने जानबूझ कर ऐसा पोस्टर निकाला? क्या आप इस कंट्रोवर्सी के लिए तैयार थे?
इसे ‘की आर्ट’ कहा जाता है. यह फिल्म के भाव को दिखाता है. किसी भी फिल्म को ‘की आर्ट’ के द्वारा ही दर्शकों को देखने के लिए प्रेरित किया जाता है. ‘तारे जमीं पर’ फिल्म में एक बच्चे को क्लासरूम मेज पर बैठा दिखाया गया और पीछे मैं बैठा था. इस से टीचर और बच्चे की पूरी कहानी का आभास हुआ. ‘पीके’ के इस पोस्टर की आलोचना होगी, यह मुझे पता था पर भरोसा था कि दर्शकों को समझ होगी. पहला इंप्रैशन हमेशा प्रभावशाली होता है. उस के बाद कई पोस्टर निकाले गए पर लोग इसी पोस्टर की आलोचना कर रहे हैं. ऐसा पोस्टर फिल्म की पब्लिसिटी के लिए नहीं, बल्कि कहानी के आभास के लिए निकाला गया.
आप ‘सौ करोड़’ क्लब को किस तरह लेते हैं?
हर फिल्म अलग होती है. फिल्म ‘पिपली लाइव’ की ‘थ्री ईडियट’ के साथ तो फिल्म ‘धोबी घाट’ की ‘गजनी’ के साथ तुलना नहीं की जा सकती. अगर आप ने करोड़ रुपया लगाया है तो उस से अधिक पाने की इच्छा होती है. कलैक्शन के आधार पर फिल्म की गुणवत्ता नहीं आंकी जाती. ‘पीके’ यूनिवर्सल फिल्म है, जो सभी छोटेबड़े गांवों, शहरों, कसबों के दर्शकों के लिए है. कलैक्शन के आंकड़े 99% गलत होते हैं. इन्हें बढ़ाचढ़ा कर लिखा जाता है. इन की प्रामाणिकता को सटीक आंकने के लिए अमेरिका की तरह ‘रेन ट्रैक कंपनी’ भारत में भी होनी चाहिए जिस के आंकड़े सही हों.
मुझे याद नहीं कि पहले की फिल्मों में ऐसी समस्या थी. मेरी पसंदीदा फिल्में ‘प्यासा’ और ‘मुगलेआजम’ हैं. इन का हर सीन मुझे अभी भी याद है. लेकिन तब किसी ने उन के कलैक्शन के बारे में नहीं सोचा था.
फिल्म के चरित्र को सजीव बनाने के लिए किस तरह का प्रयास करते हैं?
हर फिल्म के लिए मेरा प्रयास अलग होता है. मैं रियल लाइफ के औब्जर्वेशन इकट्ठा करता हूं. फिर लोगों से मिल कर उन की प्रवृत्ति को समझने की कोशिश करता हूं. जब मैं ने ‘थ्री ईडियट’ फिल्म में 18 साल के लड़के की भूमिका निभाई तो वह मेरे लिए बड़ी चुनौती थी. 44 साल का हो कर मैं ने 18 साल के लड़के के हावभाव दर्शाए. इस के लिए मैं ने उस उम्र के बच्चों के साथ समय बिताया. जब फिल्म सैट पर जाती है तब तक मैं पूरी तरह से वैसा ही बन जाता हूं. क्रिएटिव इंसान के मन में जो कुछ होता है अगर वह उसे खुल कर सामने ला पाता है तो ही क्रिएटिविटी दिखती है. मैं प्रैशर में काम नहीं कर सकता. यही वजह है कि टीवी पर धारावाहिक ‘सत्यमेव जयते’ भी हिट रहा. सारे शो मैं ने पूरी रिसर्च के बाद प्रस्तुत किए. फिल्म हो या शो, तभी सफल होता है जब आप ईमानदारी से उस के भाव को दिखा पाएं, दर्शक उसे ठीक से समझ पाएं. आजकल न्यूडिटी और वल्गैरिटी में अंतर कर पाना मुश्किल हो गया है. न्यूडिटी में वल्गैरिटी नहीं होती. क्या आप को बच्चा वल्गर लगता है?
आप को परिवार की तरफ से कितना सहयोग मिलता है?
मेरी अम्मी का असर मुझ पर बचपन से है. वे मेरी हर फिल्म देखती हैं. अगर फिल्म में आलोचना की बात दिखे तो आलोचना भी करती हैं. उन्हें ‘पीके’ फिल्म बहुत पसंद आई. मेरे बच्चे भी मेरी हर फिल्म देखते हैं.
फिल्मों की सफलता में क्रिटिक की क्या अहमियत है?
क्रिटिक की अहमियत होती है, लेकिन कई बार यह भी देखना पड़ता है कि क्रिटिक किस मूड में फिल्म देख रहा है. इस के अलावा हर व्यक्ति फिल्म का टिकट खरीद कर मनोरंजन के लिए जाता है. अगर वह फिल्म उसे पसंद नहीं आती तो गलती हम से हुई है. हम कहानी को ठीक तरह से दर्शकों तक नहीं पहुंचा पाए हैं. क्रिटिक दर्शक है, जो लिख कर हमें बताता है कि फिल्म कैसी लगी. वह कभी सहमत होता है तो कभी नहीं.
स्वच्छता अभियान से जुड़ कर क्या करने की इच्छा है?
स्वच्छता अभियान में शामिल होना मेरे लिए अच्छी बात है. इस से न केवल भारत सुंदर होगा, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी दूर होंगी. फिर इस से कई लोगों को काम भी मिलेगा. आर्थिक लाभ भी होगा.
‘लव जिहाद’ को ले कर कई राज्यों में चर्चा है. आप इस से कितना सहमत हैं?
किसी भी धर्म के 2 बालिग व्यक्ति अपने मनमुताबिक शादी का निर्णय ले सकते हैं. यह संविधान भी चाहता है. किसी धर्म या जाति का इस से कुछ लेनादेना नहीं होना चाहिए.