3 सखियां: भाग-5

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तीनों सहेलियों में एक आभा ही थी,  जो अपने जीवन और परिवार से खुश थी. एक दिन आभा को शालिनी ने फोन पर बताया कि उस के पति पार्थ उस पर बेइंतहा जुल्म करते हैं, तो उस ने पार्थ को समझाना चाहा. पर वह उलटे ही आभा से लड़ पड़ा. उधर रितिका का भी अपने पति से रिश्ता सामान्य नहीं था. रितिका एक दिन गहरी मुसीबत में फंसी तो उस ने आभा से मदद मांगी.

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मैं ने तय कर लिया है कि मैं निरंजन से क्विक डाइवोर्स ले लूंगी. फिर इटली जाऊंगी और ऐंटोनियो से शादी कर लूंगी… फिर एक दिन आभा को अचानक फेसबुक पर रितिका की खबर मिली.जबशालिनी का पति वापस लौटा तो आभा ने उसे फोन किया.

आप फिर हमें परेशान करने लगीं,’’ पार्थ का स्वर तीखा हुआ.

‘हां और ये मेरी आखिरी वार्निंग है. अगर मैं ने यह सुना कि आप ने फिर अपनी पत्नी को मारापीटा है तो मैं सीधे पुलिस के पास जाऊंगी. और मैं शालिनी के मांबाप को भी आप के बरताव के बारे में बताने वाली हूं.’’

‘‘शौक से. मैं तो यही चाहता हूं कि उन्हें मेरे बारे में पता चले और वे शालिनी को वापस बुला लें. मैं खुद उस औरत से पिंड छुड़ाना चाहता हूं.’’

आभा सकते में आ गई.

‘‘तो आप ने उस से शादी क्यों की?’’ उस ने सवाल किया.

‘‘यही तो मेरे जीवन की सब से बड़ी भूल है.’’ आभा निरुत्तर हो गई. एक दिन अचानक रितिका उस के यहां आ पहुंची.

‘‘अरे तू?’’ आभा हर्ष से चीखी.

‘‘हां मैं. कह रही थी न कि तुझ से मिलने आऊंगी सो देख आ धमकी.’’

आभा उस की ओर मंत्रमुग्ध सी देखती बोली, ‘‘तेरा रंग तो और भी निखर गया. खूबसूरत तो तू थी ही पर अब तो और ज्यादा आकर्षक हो गई है.’’ रितिका हंस दी.

आभा ने उसे बैठा कर उस की पसंद का खाना खिलाया. फिर दोनों सखियां बैडरूम में बैठ कर गपशप करने लगीं.

‘‘अब सुना तेरी कैसी निभ रही है?’’ आभा ने पूछा.

‘‘अब तक तो सब अच्छा ही चल रहा था पर आगे की नहीं कह सकती,’’ रितिका ने अपने कंधे उचकाए.

‘‘क्या मतलब?’’

‘‘मुझे मेरे पति से कोई शिकायत नहीं थी सिवाए इस के कि वे अपने काम को ले कर बहुत व्यस्त रहते थे. उन के पास मेरे लिए बिलकुल समय नहीं था. पर इस बात को ले कर मैं ज्यादा परेशान नहीं थी, क्योंकि उन का काम ही ऐसा था. एक दिन में लाखों के वारेन्यारे होते थे. जब उन के पास पैसे होते थे तो वे मुझे नोटों की गड्डी पकड़ा कर कहते थे कि लो ऐश करो. पर अब अचानक एक नई समस्या खड़ी हुई है. निरंजन के ऊपर केस चलने वाला है.’’

‘‘ये क्या कह रही है तू?’’

‘‘हां, निरंजन ने जल्द से जल्द पैसा कमाने की जुगत में कुछ गलत काम कर दिया. क्या कहते हैं उसे…‘इनसाइडर ट्रेडिंग तू समझती है न? उन्हें पहले से खबर लग जाती थी कि किस शेयर का भाव बढ़ने या गिरने वाला है और वे चुपचाप अपने लिए शेयर खरीद या बेच लेते थे. इस तरह उन्होंने अच्छीखासी रकम खड़ी कर ली. पर आखिरकार पकड़े गए. चूंकि ऐसा करना कानूनन जुर्म है, वे कानून के शिकंजे में आ गए हैं. उन पर मुकदमा चलेगा?’’ आभा स्तंभित हुई, ‘‘यह तो बड़ा बुरा हुआ. अब क्या होगा?’’

‘‘निरंजन पर मुकदमा चलेगा. हार गए तो उन्हें जेल हो सकती है.’’

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‘‘क्या कहती है तू?’’

‘‘सच कह रही हूं.’’

‘‘रितिका ये तो बड़ी बुरी खबर सुनाई तू ने. कितने मजे में तेरी जिंदगी गुजर रही थी. क्या इस मुसीबत से बचने का कोई रास्ता नहीं है?’’

‘‘लगता तो नहीं है.’’

रितिका उदास मुद्रा में बैठी कौफी के कप में चम्मच डुलाती रही.

‘‘अब तू क्या करेगी?’’

‘‘समझ में नहीं आता कि क्या करूं. सोचती हूं निरंजन को उन के हाल पर छोड़ दूं, उन्हें तलाक दे दूं और अपने घर का रास्ता नापूं.’’

‘‘क्या कह रही है तू? अपने पति को इस हालत में छोड़ देगी?’’

‘‘और मैं कर ही क्या सकती हूं, तू ही बता? जब वे सजा काटेंगे तो मैं अकेले कैसे निर्वाह करूंगी? मैं ने यहां आज तक नौकरी नहीं की है और कोशिश भी करूं तो मुझे एक मेड की नौकरी से अधिक कुछ नहीं मिलेगा.’’

‘‘तो?’’

‘‘मुझे लगता है कि घर ही लौटना पड़ेगा. इस के सिवा कोई चारा नहीं है. मेरे पिताजी का देहांत हो चुका है. मां बिलकुल अकेली पड़ गई हैं.’’ पहली बार आभा ने अपनी सखी को इतना उदास और मायूस देखा था. वह उस के लिए चिंतित हो गई.

थोड़ी देर बाद रितिका ने अपने आंसू पोंछे.

‘‘छोड़ भी यार,’’ उस ने अपने पहले वाले बिंदास अंदाज में कहा, ‘‘जो भी होगा देखा जाएगा. जब तक सांस तब तक आस. अभी से रोरो कर क्यों हलकान होऊं. चल जरा बाहर घूम कर आते हैं.’’ बाहर एक रेस्तरां में दोनों बैठ कर आपस में बतियाने लगीं. रितिका बोलने लगी, ‘‘तुझे एक भेद की बात बताऊं, मेरा एक नया दोस्त बन गया है.’’

‘‘अरे?’’ आभा उस का मुंह ताकने लगी.

‘‘हां, एक रोज मैं मौल के बाहर सड़क पर अपने खरीदे हुए सामानों से लदी खड़ी थी और टैक्सी की खोज में थी कि एक लाल रंग की स्पोर्ट्स कार मेरे पास आ कर रुकी. उस में बैठे युवक ने मुझ से पूछा कि मैडम आप को कहां जाना है? क्या मैं आप को कहीं ड्रौप कर सकता हूं?’’

‘‘मैं एक क्षण को चकरा  ई. फिर सोचा कि इस में हरज ही क्या है. वह नौजवान इतालवी बड़ा हैंडसम था और उस का नाम ऐंटोनियो था. उस ने मुझे घर छोड़ा और मैं ने शिष्टाचारवश उसे एक कप कौफी पीने का न्योता दिया. फिर हमारी बाकायदा मुलाकातें होने लगीं.’’

‘‘और तेरे पति को यह बात मालूम है?’’

‘‘नहीं, उन्हें ऐंटोनियो के बारे में कुछ नहीं मालूम. वे तो वकीलों और कोर्टकचहरी के चक्कर लगा रहे हैं. उन्हें खुद की भी सुध नहीं है. लेकिन मुझे ऐंटोनियो अच्छा लगने लगा था. वह करीब रोज ही मेरे यहां पहुंच जाता और अपनी कार में मुझे लौंग ड्राइव पर ले जाता. मेरा समय अच्छा गुजरता था. धीरेधीरे मुझे लगने लगा कि मैं और ऐंटोनियो एकदूसरे के करीब आ रहे हैं और अब ऐसा लगता है कि मैं उस के बिना रह नहीं सकती. ’’

‘‘अरे?’’

‘‘हां आभा, मैं उसे प्यार करने लगी हूं. पहली नजर में ही वह मुझे भा गया. तू उसे देखेगी तो गश खा जाएगी, इतना हैंडसम है वह.

आगे पढ़ें- आभा उसे एकटक देखती रही. फिर बोली…

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