मानसिक दबाव के बढ़ने के बारें में क्या कहती है ’83’ की एक्ट्रेस Wamiqa Gabbi, पढ़ें इंटरव्यू

पंजाबी परिवार में पैदा हुई वामिका गब्बी को फिल्में देखने का बहुत शौक था. उनके परिवार के सभी सदस्यों को किसी नई फिल्म के रिलीज होने पर हॉल में जाकर देखना पसंद करते है. वामिका जब बड़ी हुई तो उसे हमेशा कुछ अलग काम करने की इच्छा रहती थी, कई बार उन्हें आसपास कई ऐसी घटनाएं दिखती थी, जिसमें जागरूकता बढ़ाने की जरुरत है.

महिलाओं और बच्चों पर हुए नाइंसाफी को वह खास मानती है. वामिका को लोगों तक पहुँचाने का माध्यम फिल्म लगती थी, क्योंकि पूरा देश फिल्मों का शौकीन है. उनके पिता का ट्रान्सफरेबल जॉब था, इसलिए वामिका को अलग-अलग स्थानों में जाने का अवसर मिलता रहा. वामिका ने हिंदी फिल्मों के अलावा पंजाबी, तमिल, तेलगू और मलयालम फिल्मों में काम किया है. उन्हें अपना कैरियर बहुत पसंद है, फिल्म 83 में उन्होंने क्रिकेटर मदनलाल की पत्नी अन्नू लाल की निभाई है, जिसमें उनके काम को काफी प्रशंसा मिली. उनसे उनकी जर्नी के बारें में टेलीफोनिक बात हुई पेश है, कुछ खास अंश.

सवाल – फिल्मों में आने की प्रेरणा कैसे मिली?

जवाब – बचपन से ही फिल्म देखने का शौक रहा और फिल्में भी हर भाषा में बनने के साथ-साथ हिंदी में भी बनती है, ऐसे में देखने वाले भी बहुत है. मेरे परिवार में सबको फिल्में देखना पसंद था, मैंने भी कई फिल्में देखी है. फिल्में हमेशा मुझे मोहित करती थी और कहानी कहने की इच्छा रहती थी, खासकर स्ट्रोंग और मनोरंजक, जिसे मैं अपनी तरह से कह सकती हूं. मौका था और मैं लकी थी कि मुझे फिल्म 83 मिली, जिसमें कहानी के साथ- साथ अच्छे निर्देशक, को स्टार सभी से कुछ न कुछ सीखने को मिला है.

सवाल –  दिल्ली से मुंबई कैसे आना हुआ?

जवाब – मेरे पिता की नौकरी का ट्रान्सफर हुआ करता था, ऐसे में मेरा जन्म दिल्ली में हुआ, लेकिन शिक्षा मैंने मुंबई में ली, इसके बाद मेरा फिर दिल्ली जाना हुआ और अंत में मैं मुंबई आ गयी, क्योंकि यही मेरी डेस्टिनेशन है. मैं पिछले 18 साल से मुंबई में काम कर रही हूं.

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सवाल –  पहली ब्रेक के मिलने में कितना समय लगा ?

जवाब – अभिनय के क्षेत्र में आने से पहले मैं एक फिल्म स्कूल में गयी. वहां मैंने एक शार्ट फिल्म बनायीं थी, इसके बाद कैंपस प्लेसमेंट से ही मुझे पहली फिल्म ‘मकबूल’ मिली थी. इसके बाद धीरे-धीरे काम आगे बढ़ता गया.

सवाल – रियल फिल्मों में काम करने की वजह क्या है?

जवाब – मैंने हमेशा से ही उन कहानियों को कहने की कोशिश की है, जो मेरे आसपास हो, इससे मनोरंजन के साथ-साथ एक सन्देश भी दर्शकों तक पहुँचता है. ऐसी कहानियों से ही सोच में थोडा परिवर्तन हो सकता है. भले ही दर्शक उसे पसंद न करते हो, पर सही स्क्रिप्ट से उसे मनोरंजक बनाया जा सकता है.

सवाल –  कोविड पेंड़ेमिक की वजह से आज ओ टी टी फिल्मों का बाज़ार बहुत बढ़ा है, हर तरह की कहानियाँ कही जारही है, लेकिन रीयलिस्टिक फिल्मों को दर्शक हॉल में देखना पसंद नहीं करते, क्या ऐसे में फिल्म मेकर को आगे किसी प्रकार का खतरा हो सकता है?

जवाब – ये समय स्टोरी टेलर्स के लिए अद्भुत है. निर्माता, निर्देशक,लेखक सभी प्रकार की फिल्मों को एक्स्प्लोर कर रहे है. पहले इन्हें समानांतर फिल्में कही जाती थी, लेकिन अब ऐसी फिल्में मुख्य धारा से जुड़ चुकी है. आसपास की कहानियों को पर्दे पर लाना ही मेरा उद्देश्य रहा है. अच्छी कहानियों को दर्शक भी पसंद करते है. ओटीटी की वजह से वे घर बैठकर आराम से पसंद की फिल्म को कभी भी देख सकते है.

सवाल – आपके आसपास घटित ऐसी कहानी जिसका प्रभाव आप पर अधिक पड़ा?

जवाब – कहानियां बहुत है, इसमें खासकर महिलाओं से सम्बंधित स्क्रिप्ट अधिक होते है, जिसमें एक महिला अलग-अलग परिस्थिति में कैसे रियेक्ट करती है, कैसे उन हालातों से गुजरती है ऐसी सभी कहानियां मेरे दिल के करीब है. मेरे आसपास के माहौल इंस्पायर्ड शो ‘हश हश हश’ है.

सवाल – क्या यूथ में बढ़ते मानसिक दबाव को लेकर क्या आप कुछ करने की इच्छा रखती है?

जवाब – आजकल मानसिक दबाव केवल बच्चों में ही नहीं, बड़ों में भी बहुत है, लेकिन इसमें जागरूकता की कमी है. शरीर ही नहीं, बल्कि दिमाग भी बीमार हो सकता है, लेकिन लोग इसे स्वीकार नहीं करना चाहते और बताने से भी शर्म महसूस करते है. मानसिक बीमारी को एक टैबू के रूप में लिया जाता है. इसमें परिवार को अपने बच्चे को समझाने की आवश्यकता है. जब वे किसी भी मानसिक परेशानी के शिकार होते है, तो सबसे पहले अपने नियर और डियर वन को बताएं. इसके अलावा सामाजिक और क्रिएटर्सका भी दायित्व है कि ऐसी बातों को फिल्मों के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाएं. एक ऐसी ही कहानी पर काम चल रही है और जल्द ही वह पर्दे पर आएगी.

सवाल – आगे की योजनायें क्या है?

जवाब –आगे ‘राम सेतु’ फिल्म है, जिसकी शूटिंग चल रही है. इसके अलावा फिल्म ‘जलसा’ और कई वेब सीरीज भी है, जिसकी शूटिंग चल रही है.

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सवाल – परिवार का सहयोग आपको कितना मिला?

जवाब –परिवार की सहयोग के बिना फिल्मों में काम करना मुश्किल है. हर रोज परिवार एक नए काम के लिए प्रोत्साहन मिलती है. इसमें मेरा बेटा, पति, सास-ससुर और माँ सभी का साथ रहता है. खुद की दृष्टि को बढ़ाने के लिए परिवार का साथ होना बहुत जरुरी है. मेरे पति आरिफ शेख एक फिल्म एडिटर है. मेरा बेटा कियान शर्मा शेख है, जो 11 वर्ष का है और उसे फिल्में देखने का बहुत शौक है. फिलहाल उन्होंने क्रिकेट को अपना कैरियर बनाया है.

सवाल – नये साल का स्वागत कैसे करने वाली है?

जवाब – नए साल को मैं खुशियों के साथ मनाने वाली हूं. पिछले 2 सालों में पेडेमिक ने हमें बहुत कुछ सिखाया है. इसके अलावा मेरी कोशिश अच्छी कहानियों को कहने की रहेगी. सबको प्यार बाँटे, परिवार के साथ खुश और सुरक्षित रहे.

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