आज फिर तुम पे प्यार आया है : किस बेगुनाह देव को किस बात की मिली सजा

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आज फिर तुम पे प्यार आया है : भाग 4- किस बेगुनाह देव को किस बात की मिली सजा

इधर बेटे के गम में कल्याणी की हार्टफेल हो जाने से मृत्यु हो गई और कुछ साल बाद जय भी इस दुनिया को छोड़ कर चले गए. पूरा घर तितरबितर हो गया. निखिल भी अपने परिवार के साथ कहीं और रहने चला गया.

देव की बदचलनी की बात सुन कर तनिका के मातापिता ने भी उस की शादी कहीं और कर दी. अपनी दयनीय स्थिति पर स्वयं देव को भी तरस आ रहा था. सोचता वह कि आखिर उस ने ऐसा किया ही क्यों रमा के साथ? अगर नहीं किया होता तो आज सबकुछ सही होता. कोसता रहता वह अपनेआप को. मन तो करता उस का कि खूब चीखेचिल्लाए और कहे कि उसे फांसी पर लटका दिया जाए क्योंकि अब उसे जीने का कोई हक नहीं है.

अपने दोस्त मनोज को याद कर के वह रो पड़ता और सोचता कि शायद वह भी मुझ से घृणा करने लगा है. नहीं तो क्या एक बार भी वह मुझ से मिलने नहीं आता? लेकिन उस रोज मनोज आया उस से मिलने और जो उस ने बताया उसे सुन कर देव के पैरों तले की जमीन खिसक गई.

बताने लगा वह कि देव गलत नहीं है बल्कि उसे फंसाया गया है और यह सब रमा का कियाधरा है.

‘‘पर तुम्हें यह सब कैसे पता?’’

देव के पूछने पर मनोज कहने लगा कि एक दिन जब किसी काम से वह उस के घर गया, तब रमा को प्रीति से कहते सुना, ‘‘देख लिया न दीदी, मु?झो न कहने का अंजाम. अरे, मैं उस देव से प्यार करती थी सच्चा प्यार और वह उस तनिका से शादी के सपने देखने लगा. तो बताओ मैं कैसे बरदाश्त कर पाती. पहले तो सुन कर मैं घर वापस चली गई और बहुत रोईकलपी, फिर लगा जो मेरा नहीं हो पाया उसे मैं किसी और का बनता कैसे देख सकती हूं भला. बस उसी दिन ठान लिया मैं ने कि मु?झो क्या करना है.’’

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‘‘क्या किया तुम ने?’’ आश्चर्य से प्रीति ने पूछा.

प्रीति के पूछने पर पहले तो वह हंसी, फिर कहने लगी, ‘‘उस संगीत वाली रात उस ने देव की कौफी में नशे की गोलियां मिला दी थीं और जब घर में सब सो गए तो वह किसी तरह देव को अपने कमरे तक ले आई और फिर खुद ही अपने सारे कपड़े उतार दिए और वह सब करवाया उस ने देव से जो चाहा. नशे में धुत्त देव को होश कहां था कि वह कहां है और क्या कर रहा है और फिर क्या हुआ वह तो आप सब को पता ही है दीदी,’’ अपने मुंह से अंगारे उगलते हुए रमा ठहाके लगा कर हंसने लगी.

प्रीति भाभी हतप्रभ उसे देखने लगी. उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि देव की बरबादी के पीछे रमा का हाथ है.

अपनी बहन के गाल पर तड़ातड़ थप्पड़ बरसाते हुए प्रीति भाभी कहने लगी, ‘‘क्यों, क्यों किया तुम ने ऐसा? सिर्फ बदला लेने के लिए? बरबाद कर दिया मेरे हंसतेखेलते परिवार को तुम ने सिर्फ अपनी जिद के कारण? अरे, देव तो तुम्हारी इज्जत करता था और तुमने… अगर निखिल को यह बात पता चल गई न तो वह मु?झो अपनी जिंदगी से बेदखल कर देगा रमा? बताओ क्यों ऐसा किया तुम ने?’’ बोल कर प्रीति भाभी वहीं नीचे बैठ गई और रोने लगी. फिर बोली, ‘‘गलती मेरी थी जो मैं ने तुम्हें अपने घर में रखा. अगर तुम पर दया कर मैं तुम्हें यहां न लाई होती तो आज हमारा परिवार हमारे साथ होता,’’ बोल कर भाभी फिर रोने लगी.

मगर उस कमीनी रमा को अपनी बहन पर भी दया न आई. बोली, ‘‘हां, तो क्यों बुलाया मु?झो और निखिल जीजाजी को बताएगा कौन, तुम? तो बता दो मु?झो किसी से कोई डरवर नहीं और ऐसा कर के तुम अपनी ही गृहस्थी खराब करोगी,’’ कह कर उस ने अपना मुंह फेर लिया.

यह देख कर प्रीति भाभी सकते में आ गई और फिर रमा को धक्के दे कर अपने घर से बाहर निकालते हुए कहा कि अब उस का उन से कोई वास्ता नहीं है.

सच सुन कर देव के पैरों तले की जमीन खिसक गई, ‘‘तो रमा ने यह सब जानबुझ कर किया? सिर्फ मुझ से बदला लेनेके लिए उस ने मेरा पूरा घरपरिवार बरबाद कर दिया? कह देती एक बार तो मैं तनिका से मिलना ही छोड़ देता, पर वह ऐसा जुल्म तो न करती हमारे साथ,’’ कह कर देव फूटफूट कर रोने लगा.

‘‘अरे भाई, उतरना नहीं है क्या? यह आखिरी स्टेशन है,’’ एक यात्री की आवाज से देव चौंक पड़ा और यादों के भंवर से बाहर आ गया. पूछने पर कि कौन सा स्टेशन है तो उस आदमी ने बताया कि यह अहमदाबाद स्टेशन है. गाड़ी से उतरते हुए सोचने लगा देव कि कितनी जल्दी रास्ता तय हो गया? काश, यह ट्रेन यों ही चलती रहती और वह पूरी उम्र इसी ट्रेन में गुजार देता. ट्रेन से उतरते ही अपने वादे अनुसार सब से पहले उस ने एसटीडी फोन से अपने दोस्त को यह बताने के लिए फोन घुमा दिया कि वह अहमदाबाद पहुंच गया है.

‘‘तू जहां भी है जल्दी वापस आ जा, जल्दी,’’ मनोज ने जब कहा तो देव डर गया. लगा उसे कि कहीं उस के भाभीभाई को तो कुछ नहीं हो गया? जोर दे कर पूछने पर मनोज ने इतना ही कहा कि वह उसी कौफी हाउस में पहुंच जाए जहां तनिका से मिला करता था. रास्ते भर वह इसी उलझन में रहा कि आखिर बात क्या हो सकती है… जो सफर कुछ देर पहले उसे छोटा लग रहा था, अब वही रास्ता उसे लंबा लगने लगा था.

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कौफी हाउस पहुंचते ही जब उस की नजर तनिका पर पड़ी, तो वह हतप्रभ रह गया, ‘‘तुम?’’ उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि जो वह देख रहा है वह सच है. बड़ी गौर से उस ने फिर तनिका को देखा. न तो उस के गले में मंगलसूत्र था और न ही मांग में सिंदूर.

‘‘क्या देख रहा है देव? यह तनिका है तुम्हारी तनिका,’’ मनोज ने उसे झक?झोरते हुए कहा.

‘‘पर तुम्हारी तो शादी…’’

‘‘हां देव, पर हुई नहीं. मैं आज भी तुम्हारी हूं देव,’’ कह कर वह अपने देव से लिपट गई.

दोनों के आंसू रुक नहीं रहे थे. बताने लगी तनिका कि उसे तो पहले से पता था कि लोग जो भी कहें, पर उस का देव सही था और है. रही बात शादी करने की तो मंडप तक गई वह, पर फिर यह बोल कर उठ गई कि उस की सगाई यानी आधी शादी तो हो चुकी है देव से, तो फिर कैसे वह किसी और की हो सकती है अब?

‘‘देव, आखिर आज मैं ने तुम्हें पा ही लिया. अब हमें एकदूसरे से कोई जुदा नहीं कर पाएगा देव,’’ कह कर छलकते नयनों से फिर वह अपने देव के सीने से लग गईर् और देव ने भी कस कर उसे अपने आगोश में ले लिया.

आज फिर उन के दिल में असीम खुशी और उमंगें हिलोरें मारने लगी थीं. फिर दोनों एकदूसरे के साथ भविष्य के असंख्य सुनहरे सपने देखने लगे. आज फिर उन्हें एकदूसरे पे प्यार आया.

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आज फिर तुम पे प्यार आया है : भाग 1- किस बेगुनाह देव को किस बात की मिली सजा

आजदेव उस सजा से आजाद हो गया जो अपराध उस ने किया ही नहीं, बल्कि उस से करवाया गया था. इन 7 सालों में उस से उस का हंसताखेलता परिवार तो छिन ही गया, उस का प्यार भी हमेशा के लिए उस से दूर चला गया. जब वह जेल से बाहर निकला तो उस का एक मित्र मनोज उस के लिए खड़ा था. कितना कहा उस ने कि वह अपने घर न सही उस के घर चले, पर देव ने यह बोल कर जाने से इनकार कर दिया कि अब उस का अपना बचा ही कौन है इस शहर में जो वह यहां रहे पर यह भी बोला उस ने कि वह जहां भी जाएगा, उसे जरूर बताएगा.

कुछ पैसे उसे जेल काटने के दौरान काम करने पर मिले, कुछ मनोज ने दिए. टिकट ले कर जो पहली ट्रेन मिली उस पर चढ़ गया. कहां जाना है, क्या करना है उसे कुछ पता नहीं चल रहा था. बस निकल पड़ा एक अनजान रास्ते की ओर. आसपास लोगों की भीड़ और शोरशराबे में भी वह अपने ही विचारों में मग्न था. जैसेजैसे ट्रेन की गति बढ़ने लगी वैसेवैसे देव अपनी पिछली जिंदगी के पन्ने पलटने लगा…

अपनी मां का लाड़ला बेटा देव था. वैसे देव का एक बड़ा भाई भी था निखिल, जो काफी शांत स्वभाव का था और वह वही करता जो उस के मांपापा कहते उस से. पढ़ाई में जरा कमजोर निखिल ने जहां बीए करते ही रेलवे में नौकरी पा ली, वहीं देव इंजीयरिंग पढ़ने के लिए बैंगलुरु चला गया. लेकिन देव के पापा की बड़ी इच्छा थी कि बड़ा बेटा न सही, कम से कम छोटा बेटा तो डाक्टर बन जाता, पर देव की तो डाक्टर की पढ़ाई मोटीमोटी किताबें देख कर ही तबीयत खराब होने लगती थी और जब उस के एक दोस्त के भाई ने, जोकि मैडिकल की पढ़ाई कर रहा था, बताया कि मोटीमोटी किताबें पढ़ने के साथसाथ उसे मेढक और मरे हुए इंसान के शरीर की भी चीरफाड़ करनी पड़ेगी, तो सुन कर ही उसे चक्कर सा आने लगा और उसी वक्त उस ने प्रण कर लिया कि चाहे जो हो जाए वह डाक्टर तो कभी नहीं बनेगा. आखिर देव के मातापिता को उस की जिद के आगे झकना पड़ा और उसे इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए बैंगलुरु भेज दिया.

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एक रोज जब कल्याणी ने देव को मोबाइल पर फोन किया तो उस का जवाब सुन  कर बोली, ‘‘अरे, ऐसे कैसे छुट्टी नहीं मिलेगी और क्या अब तुम अपने बड़े भाई की शादी पर भी नहीं आओगे?’’

कल्याणी से देव ने यह बोल कर शादी में आने से मना कर दिया था कि अगले महीने ही उस की फाइनल परीक्षा होनी है तो शायद वह न आ पाए.

‘‘मत रुकना ज्यादा दिन, बस आना और शादी खत्म होते ही चले जाना.’’

‘‘ठीक है मां, देखता हूं अगर छुट्टी मिल गई तो आने की कोशिश करूंगा,’’ देव की आवाज आई.

‘‘देखनावेदना कुछ नहीं, आना ही है तुम्हें,’’ बोल कर जैसे ही कल्याणी पलटी, तो अवाक रह गई क्योंकि सामने ही देव खड़ा था.

‘‘तो तो तुम मुझ से…’’ कल्याणी की बात अभी पूरी भी नहीं हो पाई थी कि सब ठहाके लगा कर हंसने लगे.

‘‘अच्छा तो आप सब जानते थे कि  देव आज आने वाला है और जानबूझ कर मु?झो उल्लू बनाया जा रहा था, है न?’’ मुंह फुलाते हुए जब कल्याणी बोली तो सभी और जोरजोर से हंसने लगे. फिर कल्याणी भी कहां रुकने वाली था उस की भी हंसी फूट पड़ी और पूरे घर का वातावरण हंसीठहाकों से गूंज उठा.

ऐसा ही था जय और कल्याणी का हंसताखेलता छोटा सा परिवार और वे चाहते थे कि बस बहू भी उसी तरह की मिल जाए तो उस का घर स्वर्ग बन जाए और सच में, ससुराल में पांव रखते ही प्रीति ने सब का मन जीत लिया. देव को तो वह छोटे बबुआ कह कर ही बुलाती थी और अपने सासससुर की भी वह बड़े मन से सेवा करती थी. घर में किसी को भी प्रीति से कोई शिकायत नहीं थी.

मगर इधर प्रीति के ससुराल चले जाने से अब उस के पिता को अपनी छोटी बेटी रमा की चिंता सताने लगी. उन्हें लगता वे दिनभर औफिस में रहते हैं और घर में जवान बेटी है, तो कहीं उस के साथ कोई अनहोनी न हो जाए? अब मां होती तो बेटी की देखरेख करती, लेकिन वह तो इस दुनिया में नहीं थी. वैसे भी शुरू से ही दोनों बहनों में काफी जुड़ाव था. साथ रहते हुए कभी उसे किसी सहेली की जरूरत नहीं पड़ी. लेकिन जब से प्रीति अपनी ससुराल चली गई, रमा बहुत उदास रहने लगी थी. आती थी अपनी बहन के घर कभीकभार पर फिर उसे अपने घर जाने का मन ही नहीं करता और यह बात कल्याणी अच्छी तरह समझती थी.

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‘‘प्रीति बहू, क्यों न रमा का दाखिला यहां के ही कालेज में करवा दे? वैसे भी अकेली लड़की है और जमाना भी तो ठीक नहीं है,’’ जब कल्याणी ने कहा तो जैसे प्रीति की मुराद पूरी हो गई. आखिर वही तो वह चाहती थी पर कहने की उस में हिम्मत नहीं थी. निखिल से कहा था 1-2 बार पर उस ने, ‘ये सब तो मां जाने’ बोल कर चुप्पी साध ली थी तो फिर प्रीति भी चुप हो गई थी पर आज जब कल्याणी ने वही बात कही तो प्रीति की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

‘‘जी मां जी, मैं आज ही पापा से इस बारे में बात करती हूं.’’

इंजीनिरिंग के बाद एमबीए कर दिल्ली की ही एक बड़ी कंपनी में देव की नौकरी लग गई. घर में उस की नौकरी को ले कर खूब जश्न मनाया गया. स्मार्ट प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ एमबीए इंजीनियर और वह भी ऊंचे पद पर आसीन देव को देखते ही रमा उस पर फिदा हो गई. उसे लगने लगा देव ही उस के सपनों का राजकुमार है. उस का साथ रमा को बहुत प्रिय लगता. मजाक का रिश्ता था इसलिए देव भी कभीकभार उस से हंसीमजाक कर लेता था, पर उसे लेकर उस के मन में कोई भाव नहीं था. लेकिन रमा उसे अपना प्यार समझने लगी थी. देव को रिझने के लिए हमेशा उस के इर्दगिर्द मंडराती रहती. जानबूझ कर अपना दुपट्टा नीचे गिरा देती और जब वह उस दुपट्टे को लेने के लिए नीचे झकती तो उस के दोनों स्तन दिखने लगते. वह देव को चोर निगाहों से देखती कि वह उसे देख रहा है या नहीं.

मगर देव तो अपने में ही खोया रहता. वह चाहती कि देव भी उस के साथ छेड़छाड़ करे, उसे छूए. लेकिन देव की तरफ से कोई पहल न होते देख रमा उस के और करीब आने लगी. वह अब उस के खानेपीने का खयाल रखने लगी और उसी दौरान उसे यहांवहां छूने भी लगती. कभी वह उस के बालों में अपनी उंगलियां फिराने लगती तो कभी उस का कोई सामान जो उस के हाथ में होता, ले कर भाग जाती और जब देव उस के पीछे भागता, तो जानबूझ कर वह छत पर चली जाती.

आगे पढ़ें- कभीकभी तो वह देव के कमरे में ही…

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आज फिर तुम पे प्यार आया है : भाग 2- किस बेगुनाह देव को किस बात की मिली सजा

फिर देव को सामने देख कहती, ‘‘छूओ, देखो मेरा कलेजा कैसे धकधक कर रहा है,’’ कह कर वह उस का हाथ अपने सीने पर रख देती.

उस के ऐसे आचारण से घबरा कर देव वहां से भाग खड़ा होता. कभी जब देव अपने ही खयालों में खोया होता तो अचानक पीछे से वह उस के गले में बांहें डाल कर झल जाती और वह घबरा कर उठ बैठता. कहता कि कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा? तो रमा कहती कि वही जो सोचना चाहिए और फिर खिलखिला कर हंस पड़ती. देव उसे देख कर सोचने लगता कि कैसी पकाऊ लड़की है यह देव ने कभी उसे उस नजर से नहीं देखा, पर वह थी कि उस के पीछे ही पड़ी थी.

कभीकभी तो वह देव के कमरे में ही आ कर जम जाती और फिर देर रात तक बैठी रहती. हार कर देव को कहना पड़ता कि भई जाओ अपने कमरे में अब तो वह यह बोल कर देव से चिपक जाती कि क्या हरज है अगर आज रात वह उसी के कमरे में सो जाए तो?

‘‘और अगर कोई शरारत हो गई मुझ से तो?’’ खीजते हुए देव कहता.

‘‘तो डरता कौन है आप की शरारतों से? कर के देखो तो एक बार,’’ अपनी एक आंख दबा कर रमा कहती तो देव ही शरमा जाता.

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समझ में आने लगा था देव को कि रमा अपनी बहन जैसी बिलकुल नहीं है और वह उस के एक इशारे पर अपना सबकुछ समर्पित कर सकती और शायद बाद में वह उस का फायदा भी उठाना चाहे, इसलिए अब वह उस से दूरी बना कर चलने लगा. औफिस से आते ही वह या तो अपने किसी दोस्त के घर जा कर बैठ जाता या फिर अपने कमरे में ही बंद हो जाता यह बोल कर कि आज वह बहुत थका हुआ है तो आराम करना चाहता है. लेकिन इतनी ढीठ थी रमा कि दरवाजा खटखटा कर उस के कमरे में घुस आती और ऊलजलूल बातें करने लगती. अब तो चिढ़ होने लगी थी देव को उस के छिछले आचरण से पर कहे तो किस से भला?

जब कभी किसी काम से देव मार्केट जाता, तो रमा भी उस के पीछे पड़ जाती. यह बोल कर वह उस की बाइक पर बैठ जाती कि उसे भी बाजार से कुछ जरूरी सामान खरीदना है. जब देव कोई बहाना बनाने लगता तो कल्याणी यह बोल कर कि ले जा इसे भी साथ उसे चुप करा देती, लेकिन उसे शर्र्म आती जब वह बाइक पर उस से चिपक कर बैठती और जब देव ब्रेक लगाता तो जानबूझ कर वह उस पर लद जाती.

एक रोज देव के दोस्त मनोज ने दोनों को एकसाथ बाइक पर बैठे देख कर बोल भी दिया, ‘‘क्या बात है बड़ी मस्ती चल रही आजकल तेरी तो? दीदी का देवर दीवाना हो गया क्या?’’

उस की बात पर जहां देव सकुचा कर रह गया वहीं रमा उस से और चिपट गई. जब भी रमा उस के साथ होती, जानबूझ कर देव अपने दोस्तों से कटता फिरता ताकि बात का बतंगड़ न बन जाए. लेकिन रमा तो मन ही मन उस की पत्नी बनने का खयाली पुलाव पका रही थी.

गोरीचिट्टी, हाथ लगाए तो मैली हो जाए, साथ ही इंजीनियर, एमबीए की डिगरी के साथ तनिका जब पूर्व की कंपनी में आई तो सब उसे देखते रह गए. औफिस का हर बंदा उस से दोस्ती करना चाहता था, पर वह थी कि बस ‘हाय’ का जवाब दे कर मुसकरा भर देती. उस का और देव का कैबिन आमनेसामने थी, जिस कारण अकसर दोनों की आंखें चार होतीं, तो अनायास ही उस की खामोश निगाहें बहुत कुछ ब्यां कर जातीं. तनिका को देख कर देव को लगता वह उस से पहले भी मिल चुका है, शायद सपनों में मन में ही बोल कर वह मुसकरा देता और जब उस की नजर तनिका से टकराती तो वह ?झोंप जाता जैसे उस के मन की बात उस ने सुन ली हो. तनिका को ले कर उस के मन में हलचल पैदा हो चुकी थी और कब तनिका भी उस की ओर आकर्षित होने लगी थी यह तो उसे भी खबर नहीं थी.

एक रोज शाम से ही काले बादल उमड़घुमड़ रहे थे. लग रहा था जोर की बारिश होगी. कुछ ही देर में मूसलाधार बारिश शुरू हो गई. देव अपनी गाड़ी से आया था. पर वह औटो का इंतजार कर रही थी.

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‘‘कोई बात नहीं, आप मेरे साथ मेरी गाड़ी में चलिए मैं आप को आप के घर तक छोड़ दूंगा,’’ देव ने कहा तो तनिका थोड़ी सकुचाई, पर फिर वह गाड़ी में बैठ गई.

बातोंबातों में पता चला कि तनिका इलाहाबाद से है और वह यहां 2 कमरों का घर ले कर कुछ लड़कियों के साथ रह रही है.

‘‘अरे वाह, फिर तो आप मेरी पड़ोसिन हो गईं,’’ वह बोला. देव ने जब कहा कि उस का घर बिहार में है पर वह वहां कभीकभार ही जा पाता है तो तनिका भी बताने लगी कि बिहार उस की नानी का घर है और वह  भी कई बार वहां जा चुकी है.

‘‘बस मेरा घर आ गया. यहीं उतार दीजिए.’’

‘‘काफी दूर है आप का घर. औफिस के लिए तो घर से जल्दी निकलना पड़ता होगा आप को? वैसे हमारे घर के पास भी कई घर ऐसे हैं जहां नौकरी करने और पढ़ने वाली लड़कियां रहती हैं. अगर आप कहें तो..’’

‘‘नहींहीं,’’ बीच में ही वह बोल पड़ी, ‘‘जरूरत होगी तो बता दूंगी,’’ और फिर घर तक पहुंचाने के लिए देव को धन्यवाद दे कर वह चली गई.

कुछ समय बाद तनिका देव के घर के करीब ही रहने आ गई और फिर औफिस दोनों साथ आनेजाने लगे थे. धीरेधीरे उन की जानपहचान गहरी दोस्ती में तबदील हो गई. दोनों एकदूसरे के सान्निध्य में बहुत सहज महसूस करते और पसंद भी दोनों की बहुत मिलतीजुलती थी.

‘‘वाकई, दिल्ली बहुत ही अच्छा शहर है,’’ एक रोज यूं ही देव के साथ दिल्ली की सड़कें नापते हुए तनिका बोली.

‘‘अरे वाह, क्या बात है पर लोग तो इसे बेदिल दिल्ली कहते हैं,’’ बोल कर देव हंस पड़ा तो तनिका को भी हंसी आ गई.

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अकसर देव तनिका के खयालों में खोया रहता और जब कल्याणी उस का कारण पूछती तो बहुत काम का बहाना बना कर बात को टाल जाता. सोचता कि क्यों न एक बार तनिका को कौल कर लूं? पर फिर सोचता कि क्या सोचेगी वह उस के बारे में?

जब एक दिन तनिका ने ही फोन कर के उस से कहा कि उसे नींद नहीं आ रही है. क्या वे कहीं बाहर चल सकते हैं? अब अंधे को क्या चाहिए, दो आंखें ही न? धीरेधीरे उन की निकटता बढ़ने लगी और वे एकदूसरे की जरूरत महसूस करने लगे. तनिका के मन में भी देव के लिए प्यार पनत चुका था क्योंकि एक दिन की भी जुदाई उसे बेचैन कर देती और जब तनिका कभी छुट्टियों में अपने घर जाती तो देव भी पागलों की तरह यहांवहां भटकता फिरता.

आगे पढें- मगर रमा को तो पूर्ण विश्वास था कि…

आज फिर तुम पे प्यार आया है : भाग 3- किस बेगुनाह देव को किस बात की मिली सजा

इधर रमा की कालेज की पढ़ाई अब पूरी होने वाली थी और यह सोचसोच कर प्रीति परेशान हुए जा रही थी कि वह वहां अकेली कैसे रहेंगी? ‘अगर देव का ब्याह मेरी रमा से हो जाए तो कितना अच्छा होगा न? दोनों बहनें साथसाथ रहेगी और फिर छोटे बबुआ भी तो मेरी रमा को पसंद करते हैं?’ अपने मन में ही सोच प्रीति खिल उठती पर उस की हिम्मत नहीं होती यह बात किसी से कहने की, निखिल से भी नहीं, पर कोशिश में जरूर थी वह कि ऐसा हो जाए.

‘अगर रमा से देव की शादी हो जाए, तो कितना अच्छा रहेगा न? अच्छीभली और जानीपहचानी लड़की है और सब से बड़ी बात कि दोनों बहनें प्यार से घर को संभाले रखेंगी. घरसंपत्ति का कोई बंटबारा भी नहीं होगा. लेकिन क्या देव की मरजी जाने बिना उस का रिश्ता किसी भी लड़की से तय करना उचित होगा?’ कल्याणी अपनेआप से ही सवालजवाब करती और फिर चुप हो जाती.

मगर प्रीति जब भी देव की शादी का जिक्र छेड़ती तो कल्याणी कहती, ‘‘जब और जिस से मन मिलेगा हो ही जाएगी एक दिन.’’

मगर रमा को तो पूर्ण विश्वास था कि उस की शादी देव से ही होगी क्योंकि वह उसे पसंद करता है, पर देव के दिल के दरवाजे पर तो तनिका दस्तक दे चुकी थी और रमा इस बात से कोरी अनजान थी.

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जहां रमा के लिए देव एक तृष्णा था वहीं देव के लिए तनिका एक तृप्ति थी. तनिका को ले कर जो भाव देव के मन में जागा था, रमा को ले कर कभी जागा ही नहीं. दोनों का प्यार उस सागर की भांति था जो पूर्णिमा के चांद को देखते ही उद्वेलित हो जाता है.

‘‘शादी के बारे में क्या सोचा है देव? अब उम्र भी तो हो गई है तुम्हारी और फिर हमें भी तो अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना है,’’ जब एक रोज कल्याणी ने यह बात कही तो झट से बिना वक्त गंवाए देव ने अपने और तनिका के रिश्ते के बारे में उन्हें बता दिया और कहा कि दोनों एकदूसरे को पसंद करते हैं और शादी भी करना चाहते है.

बिना कोई सवालजवाब किए कल्याणी और जय ने तनिका और उस के परिवार से मिलने की इच्छा जताई. लेकिन प्रीति का चेहरा देव और तनिका की शादी को सुनते ही मलिन हो गया और रमा तो ऐसे भागी वहां से जैसे गधे के सिर से सिंग. वैसे उस का चले जाना देव को बहुत अच्छा लगा. लगा उसे जैसे बला टली.

तनिका के मांपापा से मिलने के बाद, दोनों परिवारों की सहमति से देव और तनिका का रिश्ता तय हो गया. सगाई के कुछ दिन बाद ही शादी का दिन भी तब हो गया. अपने आने वाले सुनहरे भविष्य को ले कर दोनों रंगबिरंगे सपनें सजाने लगे. लगने लगा उन्हें जैसे वे नीले आसमान में विचरण करने लगे हों. उन्होंने तो यह भी तय कर लिया कि शादी के बाद हनीमून पर कहां जाएंगे. जैसेजैसे उन की शादी के दिन नजदीक आते जा रहे थे देव की धड़कन बढ़ती जा रही थी. पता नहीं क्यों, पर उसे लगता कि सब कुछ ठीक से तो हो जाएगा न? ‘‘यह अच्छा है हमारे देव के जो उसे उस की पसंद की लड़की मिल गई. हर मायने में मु?झो तनिका देव से मेल खाती लगी,’’ कल्याणी ने कहा तो जब कहने लगे कि उन्हें तो बच्चों की खुशी में ही अपनी खुशी झलकती है. बाहर खड़ी प्रीति दोनों की बातें सुन कर सोचने लगी कि ‘वह भी कितनी पागल है. अरे, शादी ब्याह भी क्या जोरजबरदस्ती की बात है? यह तो मन का मिलन है और रिश्ते तो ऐसा ही बनते हैं.’

‘‘क्या सोच रहे है छोटे बबुआ? अपनी तनिका के बारे में?’’ बड़े प्यार से देव के सिर पर अपने हाथ फेरते हुए प्रीति ने पूछा तो विचारा में मग्न, देव सकपका गया.

बोला, ‘‘न नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है. वैसे सारे मेहमान तो आ गए न?’’ देव के पूछने पर प्रीति ने ‘हां’ में जवाब दिया और फिर बड़े प्यार से उस के सिर को सहलाने लगी, एक मां की तरह. प्रीति का व्यवहार सामान्य देख कर देव को भी अच्छा लगा. लेकिन रमा का जा कर फिर वापस आ जाना और यह कहना कि वह शादी में अपने नाचगाने से धूम मचा देगी. वह बात उसे कुछ हजम नहीं हुई पर फिर शादी की शौपिंग और घर में मेहमानों की भीड़ के बीच यह सब बातें आईगई हो गयी. रमा फिर पहले की तरह देव से हंसनेबतियाने लगी और घर  के कामों में भी अपनी बहन की मदद करने लगी. शादी में पहनने के लिए उस ने भी अपने लिए लहंगा और जेवर लिए. डांसगाने की प्रेक्टिस भी खूब हो रही थी सब की. कौन कब क्या पहनेगा और किस गाने पर कौन डांस करेगा घर में बस इसी की बातें चल रही थी पर देव तो यह सोचसोच कर ही उत्साहित हो उठता कि अब इस चार दिन बाद तनिका उस की हो जाएगी और वह तनिका का.

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संगीत वाली रात सारी औरतों के साथ प्रीति और रमा भी खूब थिरक रही थीं और साथ में देव भी. चायकौफी और कोल्डड्रिंक्स का दौर चलता रहा और साथ में नाचगाना भी. लेकिन देव को खुमारी सी आने लगी तो वह अपने कमरें में सोने चला गया और बाकी के लोग भी धीरेधीरे कर के सो गए. लेकिन सुबह जब देव की नींद खुली और उस ने घर में हंगामा होते सुना तो चौंक कर उठ बैठा. देखा तो रमा एक कोने में दुबकी सिसक रही थी और प्रीति भी रो रही थी. कल्याणी भी अपने सिर थामे एक तरफ खड़ी थी और घर में आए सारे मेहमान एकदूसरे से फुसफुसा कर बातें कर रहे थे और देव को अजीब नजरों से देखे जा रहे थे. कुछ समझ नहीं आ रहा था देव को कि यह सब हो क्या रहा है और उस का सिर क्यों इतना भारीभारी सा लग रहा है?

मगर जब तक वह कुछ समझ पाता, पुलिस उसे रमा के बलात्कार के केस में हथकड़ी लगा कर ले जा चुकी थी. कहता रहा वह कि उस ने रमा का रेप नहीं किया है और सब को कोई गलतफहमी हुई है. लेकिन जब इंस्पैक्टर ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार बलात्कार हुआ है और देव ने ही किया है तो उस का माथा घूम गया कि वह ऐसा कैसे कर सकता है? कहीं ऐसा तो नहीं कि नींद में मैं ने रमा को तनिका समझ कर? नहींनहीं, मैं ऐसा कर ही नहीं सकता हूं. तो फिर वह सब…सवालों के कठघरे में खड़ा देव, खुद से ही सवाल करता और खुद ही जवाब भी देता पर उस का दिल यह मानने को बिलकुल तैयार नहीं था कि उस ने जानबूझ कर रमा के साथ ऐसा किया होगा?

खैर, जो भी हो पर सारे सुबूत और गवाह देव के खिलाफ थे. कोर्ट केस चला और देव को रमा के बलात्कार के इलजाम में 7 साल की सजा हो गई.

आगे पढ़ें- देव की बदचलनी की बात सुन कर…

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