दिवाली पर मैं पटाखे नहीं जलाता – अपारशक्ति खुराना

फिल्म ‘दंगल’ से अभिनय कैरियर शुरू करने वाले अभिनेता अपारशक्ति खुराना पंजाब के चंडीगढ़ से है. उन्होंने क्रिएटिव फील्ड में आने की शुरुआत रेडियो ज़ोकी से की थी, इसके बाद वे टीवी होस्टिंग की ओर मुड़ गए. वे एक स्पोर्ट पर्सन है और क्रिकेट की दुनिया में बहुत अच्छा काम नहीं कर रहे थे, तब उन्हें कुछ अलग करने की इच्छा हुई और वे अभिनय क्षेत्र की ओर मुड़े. हालाँकि उनका भाई आयुष्मान खुराना भी एक जाना माना कलाकार है, पर वे उनका अधिक हेल्प नहीं लेते. हॉट स्टार पर उनकी फिल्म ‘कानपुरिया’ रिलीज हो रही है, जिसे लेकर वह बहुत खुश है और बातचीत की. पेश है कुछ अंश.

सवाल- कानपुरिया किस तरह की फिल्म है? आपको इसमें खास क्या लगा?

ये एक रियल फिल्म है, जिसमें आम फिल्मों की तरह हैप्पी एंडिंग नहीं होती है. फिर भी आपको इसे देखकर एक संतुष्टि मिलती है,क्योंकि इसमें किसी नकारात्मक परिस्थिति को मजेदार रूप में कही गयी है और मुझे यही अच्छा लगा. इसके अलावा कानपुर के बारें में कोई कहानी अच्छी तरह से कही नहीं गयी है. इसके निर्देशक कानपुर के है और उन्होंने इसे बहुत अच्छी तरीके से पर्दे पर लाने की कोशिश की है.

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सवाल-आपकी जिंदगी में कभी ऐसा नकारात्मक पल आया, जब आपको निकलने के लिए मेहनत करनी पड़ी?

बहुत बार ऐसा हुआ है, पर ऐसे सिचुएशन से जल्दी निकल जाना ही बेहतर होता है, ताकि व्यक्ति का मानसिक संतुलन बना रहे. कई बार ऐसा होता है, जब आप मांगते कुछ है, जबकि  होता कुछ और है. मेहनत और लगन से ही आप आगे बढ़ सकते है. कई बार चीजे आसानी से न मिले, तो भी अच्छा ही होता है. असफल होना जीवन में जरुरी है, तभी आप सफलता को एन्जौय कर सकते है. किसी भी निगेटिव को दिल पर न लें उसे बैठकर समाधान करने की कोशिश करें. मैंने अनुभव अभिनय से पहले किया है, जब मुझे काम करने में अच्छा नहीं लगता था. मैं अच्छा परफौर्म नहीं कर पा रहा था. इससे मुझे ये सीख मिली है कि जो काम पसंद नहीं उसे आप अच्छी तरह से कर नहीं सकते और सफलता भी हाथ नहीं आती. फिर मैंने रेडियो और थिएटर में काम किया और मुझे बहुत इज्जत मिली. धीरे-धीरे फिल्मों में आ गया.

सवाल- आपका भाई भी अभिनय क्षेत्र से है, क्या आपको पहले से ही अभिनय की इच्छा थी?

नहीं, मैंने कभी अभिनय के बारें में सोचा नहीं था.मैं हमेशा से स्पोर्ट्स पर्सन बनना चाहता था. उसमें कामयाबी न मिलने के बाद मुझे मेरे भाई की याद आई, जो पर्दे पर इतना जादू कर देते है. फिर मैंने उनसे बात की. उन्होंने मुझे इस क्षेत्र में आने के लिए ट्रेनिंग लेने की सलाह दी. मैंने थिएटर ज्वाइन किया और धीरे-धीरे फिल्मों में काम मिलने लगा. उनकी ये वाइज एडवाइस मेरे काम आ गयी.

सवाल-यहां तक पहुंचने में परिवार और पत्नी का सहयोग कितना रहा है?

जब तक परिवार का सहयोग नहीं मिलता आप काम नहीं कर सकते. सुबह अच्छी मूड लेकर जब आप काम पर निकलते है, तो पूरा दिन अच्छा गुजरता है. मेरी पत्नी आकृति आहूजा भी मेरे काम को बहुत सहयोग देती है. हम दोनों एक दूसरे की काम को सराहते है.

सवाल- दिवाली कैसे मनाते है? क्या-क्या करते है?

मैं दिवाली पर हर साल चंडीगढ़ में घर पर रहना और परिवार के साथ मनाना पसंद करता हूं. इस बार भी वही करने वाला हूं. माता-पिता का साथ बहुत अलग होता है. दिवाली परिवार को जोड़ती है, जो मुझे बहुत अच्छा लगता है. दिवाली पर पटाखे मैं नहीं जलाता. मुझे दिए और मिठाइयाँ बहुत पसंद है.

सवाल-फिटनेस के लिए क्या करते है?

फुटबाल खेलता हूं, जो मैं हमेशा से करता आया हूं.

सवाल-यूथ के लिए क्या मेसेज देना चाहते है?

हमेशा धैर्य रखे और काम करते रहे. समय से सब मिलता है. कला और परिवार को समय देने की कोशिश हमेशा करते रहे. काम के साथ हैप्पी फैमिली लाइफ भी होना बहुत जरुरी है, जो आपको सुकून देती है. मैंने अपने प्यार से शादी की है. भाई ने भी वैसा ही किया है. समय आने पर शादी जरुर करें और हैप्पी लाइफ बिताएं.

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सवाल- पर्यावरण को देखते हुए आप क्या नहीं करना चाहते?

मैं प्लास्टिक नहीं प्रयोग करता. पानी का दुरूपयोग नहीं करता. पर्यावरण को देखते हुए ये हर व्यक्ति के लिए पालन करना जरुरी है.

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