बस इतनी सी बात थी: साहिल की तरकीब से क्या बदल गई मौज

‘‘साहिल,मेरी किट्टी पार्टी 11 बजे की थी… मैं लेट हो गई. जाती हूं, तुम लंच कर लेना. सब तैयार है… ओके बाय जानू्,’’ कह मौज ने साहिल को फ्लाइंग किस किया और फिर तुरंत दरवाजा खोल चली गई. ‘‘एक दिन तो मुझे बड़ी मुश्किल से मिलता है… उस में भी यह कर लो वह कर लो… चैन से सोने भी नहीं देती यह और इस की किट्टी,’’ साहिल ने बड़बड़ाते हुए उठ कर दरवाजा बंद किया और फिर औंधे मुंह बिस्तर पर जा गिरा. ‘‘उफ यह तेज परफ्यूम,’’ उस ने पिलो को अपने चेहरे के नीचे दबा लिया. शादी के पहले जिस परफ्यूम ने उसे दीवाना बना रखा था आज वही सोने में बाधा बन रहा था.

शाम 5 बजे मौज लौटी तो अपनी ही मौज में थी. किट्टी में की गई मस्ती की ढेर सारी बातें वह जल्दीजल्दी साहिल से शेयर करना चाहती थी.

‘‘अरे सुनो न साहिल… तरहतरह के फ्लेवर्ड ड्रिंक पी कर आई हूं वहां से… कितनी रईस हैं राखी… कितनी तरह की डिशेज व स्नैक्स थे वहां… कितने गेम्स खेले हम ने तुम्हें पता है?’’ ‘‘अरे यार मुझे कहां से पता होगा… तुम भी कमाल करती हो,’’ साहिल ने चुटकी ली.

‘‘हम सब ने रैंप वाक भी किया… मेरी स्टाइलिंग को बैस्ट प्राइज मिला.’’ ‘‘अच्छा… उन के घर में रैंप भी बना हुआ है?’’ वह मुसकराया.

‘‘घर में कहां थी पार्टी… इंटरनैशनल क्लब में थी.’’ ‘‘अरे तो इतनी दूर गाड़ी ले कर गई

थीं? नईनई तो चलानी सीखी है… कहीं ठोंक आती तो?’’ ‘‘माई डियर, अपनी गाड़ी से मैं सिर्फ राखी के घर तक ही गई थी. वहां से सब उन की औडी में गए थे. क्या गाड़ी है. मजा आ गया… काश, हम भी औडी ले सकते तो क्या शान होती हमारी भी… पर तुम्हारी क्व40-50 हजार की सैलरी में कहां संभव है,’’ मौज थोड़ी उदास हो गई.

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उधर साहिल थोड़ा आहत. मौज जबतब, जानेअनजाने ऐसी बातों से साहिल का दिल दुखा दिया करती. वह हमेशा पैसों की चकाचौंध से बावली हो जाती है, साहिल यह अच्छी तरह जानने लगा था. कभीकभी वह कह भी देता है, ‘‘तुम्हें शादी करने से पहले अपने पापा से मेरी सैलरी पूछ ली होती तो आज यह अफसोस न करना पड़़ता.’’ ‘‘सौरीसौरी साहिल मेरा यह मतलब बिलकुल नहीं था. तुम्हें तो मालूम ही है कि मैं हमेशा बिना सोचेसमझे उलटासीधा बोल जाती हूं… आगापीछा कुछ नहीं सोचती हूं… सौरी साहिल माफ कर दो,’’ कह वह आंखों में आंसू भर कान पकड़ कर उठकबैठक लगाने लगी तो साहिल को उस की मासूमियत पर हंसी आ गई. बोला, ‘‘अरे यार रोनाधोना बंद करो. तुम भी कमाल हो… दिलदिमाग से बच्ची ही हो अभी. जाओ अभी सपनों की दुनिया में थोड़ा आराम कर लो… मेरा मैच आने वाला है… शाम को ड्रैगन किंग में डिनर करने चलेंगे.’’ ‘‘सच?’’ कह मौज ने आंसू पोंछ साहिल को अपनी बांहों में भर लिया.

साहिल ने मौज को ड्रैगन किंग में डिनर खिला दिया, पर मन ही मन सोचने लगा कि हर तीसरे दिन इसी तरह चलता रहा तो उस के लिए हर महीने घर चलाना मुश्किल हो जाएगा… क्या करूं किसी और तरीके से खुश भी तो नहीं होती… सिर्फ पैसा और कीमती चीजें ही उसे भाती हैं… साल भर

भी तो नहीं हुआ शादी हुए… अकाउंट बैलेंस बढ़ने का नाम ही नहीं ले रहा… एक ड्रैस खरीद लेती तो उस से मैचिंग के झुमके, कंगन, सैंडल, जूतियां सभी कुछ चाहिए उसे वरना उस की सब सहेलियां मजाक बनाएंगी… भला ऐसी कैसी सहेलियां जो दोस्त का ही मजाक बनाएं… तो उन से दोस्ती ही क्यों रखनी? कुछ समझ नहीं आता… इन औरतों का क्या दिमाग है… कामधाम कुछ नहीं खाली पतियों के पैसों पर मौजमस्ती. वह कैसे मौज को समझाए कि उन के पति ऊंची नौकरी वाले या फिर बिजनैसमैन हैं… वह कैसे पीछा छुड़वाए मौज का इन गौसिप वाली औरतों से… इसे भी बिगाड़ रही हैं… कुछ तो करना पड़ेगा…

‘‘अरे साहिल क्यों मुंह लटकाए बैठा है. अभी तो साल भर भी नहीं हुआ शादी को… घर आ कभी… मौज को नीलम भी याद कर रही थी,’’ कह कर मुसकराते हुए उस का सीनियर अमन कैंटीन में साहिल की बगल में बैठ गया और फिर पूछा, ‘‘कुछ और्डर किया क्या?’’ ‘‘नहीं, बस किसी का फोन था,’’ कह साहिल, समोसों और चाय का और्डर दे दिया.

‘‘और बता मौज कैसी है? कहीं घुमानेफिराने भी ले जाता है या नहीं… छुट्टी ले कहीं घूम क्यों नहीं आता… दूर नहीं जयपुर या आगरा ही हो आ. मैं हफ्ता भर पहले गायब था न तो मैं और नीलम किसी शादी में जयपुर गए थे. वहां फिर 3 दिन रुक कर खूब घूमे… नीलम ने खूब ऐंजौय किया.’’ ‘‘हां मैं भी सही सोच रहा हूं कि उस की बोरियत कैसे अपने बजट से दूर की जाए.’’

‘‘अरे यार, क्या बात कर रहा है… सस्तेमहंगे हर तरह के होटल हैं वहां… अबे इतनी कंजूसी भी कैसी… अभी तो तुम 2 ही हो… न बच्चा न उस की पढ़ाई का खर्च…’’ ‘‘हां यह तो है पर…’’ तभी वेटर समोसे व चाय रख गया.

‘‘छोड़ परवर यह देख पिक्स पिंक सिटी की… कितनी बढि़या हैं… एक बार दिखा ला मौज को.’’ ‘‘अमन यह बताओ, नीलम भाभी क्या इतनी सिंपल ही रहती हैं… ज्यादातर वही जूतेचप्पल, टीशर्ट, ट्राउजर… बाल कभी रबड़बैंड से बंधे तो कभी खुले… न गहरा मेकअप, न तरहतरह की ज्वैलरी…. मौज को तो भाभी से ट्रेनिंग लेनी चाहिए… उस की सोच का स्टैंडर्ड कुछ ज्यादा ही ऊंचा व खर्चीला हो गया है.’’

‘‘मतलब?’’ चाय का सिप लेते हुए अमन ने पूछा. ‘‘मतलब, जाएगी तो गोवा, सिंगापुर, बैंकौक इस से कम नहीं. हर तीसरे दिन नई ड्रैस के साथ सब कुछ मैचिंग चाहिए… उन के साथ जाने कौनकौन से मेकअप से लिपेपुते चेहरे में वह मेरी पत्नी कम शोकेस में सजी गुडि़या अधिक लगने लगी है अपनी कई रईस सहेलियों जैसी… वह सादगी भरी सुंदर सौम्य प्रतिमा जाने कहां खो गई… महीने में 5-6 बार तो उसे ड्रैगन किंग

में खाना खाना है. अब आप समझ लो, यह सब से महंगा रैस्टोरैंट है. एक बार के खाने के क्व2-3 हजार से नीचे का तो बिल बनने से रहा… अब बताओ अब भी कंजूस कहोगे?’’

‘‘तो यार इतनी रईस सहेलियां कहां से बना लीं मौज ने?’’ ‘‘बात समझो. मौज ने ब्यूटीशियन का

कोर्स किया हुआ है. अत: अपना ज्ञान जता कर इतराने का शौक है… बस वे चिपक जाती हैं. इस से फ्री में टिप्स मिल जाते हैं उन्हें. उस पर उसे गाने का भी शौक है. बस अपनी सुरीली आवाज से सब की जान बन चुकी है. उन के

हर लेडीज संगीत, पार्टी का उसे आएदिन निमंत्रण मिल जाता है. अब हाई सोसायटी में जाना है तो उन्हीं के स्टैंडर्ड का दिखना भी है. अब तो गाड़ी भी औडी ही पसंद आ रही है… इसी सब में मेरी सारी सैलरी स्वाहा हो रही है.’’

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‘‘अच्छा तो यह बात है… अरे तो तू भी तो पागल ही है,’’ कह अमन हंसने लगा, ‘‘अरे अक्लमंद आदमी पहले मेरी बात सुन… मुझे तो लगता है मौज का स्किल जिस में है इस के लिए उसे खुद को तैयार हो कर रहना ही चाहिए… दूसरा मौज बाहर काम करना चाहती है… तूने काम करने को मना किया है क्या?’’ ‘‘नहीं… उसे बस शौक है, ऐसा ही लगता है. फिर 2 व्यक्तियों के लिए अभी क्व40-50 हजार मुझे मिल रहे हैं… काफी नहीं हैं क्या? फिर कल को बेबी होगा

तो उस की देखभाल कौन करेगा? मांपापा भी नहीं रहे.’’ ‘‘कैसी नासमझों वाली बातें कर रहा है… बेबी होगा तो जानता नहीं उस के सौ खर्चे होंगे. आजकल अकेले की सैलरी कितनी भी बढ़ जाए कम ही रहती है… फिर कुछ सीखा है तो वह दूसरों तक पहुंचे तो भला ही है… खाली बैठने से दिमाग को खुश भी कैसे रखेगा कोई?

‘‘वैसे भी खाली दिमाग शैतान का घर सुना ही है तूने… तू तो सुबह 9 बजे घर से निकल शाम को 6-7 बजे घर पहुंचता है… सारा वक्त तो काम होता नहीं घर का फिर वह क्या करे, यह क्यों नहीं सोचता तू. खाली घर काटने को दौड़ता होगा… किसी से बात तो करना चाहेगी… आफ्टर आल मैन इज सोशल ऐनिमल…’’

‘‘मैं ने उसे मिलने को मना नहीं कर रखा है, पर उन का उलटीसीधी आदतें तो न अपनाए. असर तो न ले. बनावटी लोगों से नहीं सही लोगों से मिले.’’ ‘‘अरे उसे शौक है तो उसे चार्ज करने की सलाह दे. जो उस के स्किल से वाकई फायदा उठाना चाहती हैं वे उस के लिए पे करेंगी… इस फील्ड में बहुत पैसा है समझे… नीलम भी कभीकभी कहती है कि काश, उस ने भी टीचिंग सैंटर की जगह ब्यूटीपार्लर खोल लिया होता तो बढि़या रहता.’’

‘‘अच्छा?’’ ‘‘और क्या… अब तो वे दिन दूर नहीं, जब तुम दोनों जल्द ही अपनी औडी में हम दोस्तों के साथ ड्रैगन किंग में दावतें किया करोगे… और गोवा क्या सीधे बैंकौक जाएंगे,’’ कह अमन हंसते हुए उठ खड़ा हुआ.

‘‘मौज, आगे वाला कमरा मां के जाने के बाद से खाली पड़ा है. तुम उस में चाहो तो ब्यूटीपार्लर खोल सकती हो.’’ ‘‘सच?’’ मौज खुशी से उछल पड़ी, ‘‘मैं भी कब से तुम से यही कहना चाहती थी, पर डरती थी तुम्हें बुरा लगेगा… आखिर मांबाबूजी की यादें बसी हैं उस में.’’

‘‘अच्छी यादें तो दिल में बसी हैं मौज. वे हमेशा हमारे साथ रहती हैं… छोड़ो ये सब तुम घर पर अपना शौक पूरा कर सकोगी और तुम्हारी इनकम भी होगी. सुंदर दिखने की शौकीन लड़कियां, औरतें चल कर खुद तुम्हारे पास आएंगी… बातें करने को कोई होगा तो खुश भी बहुत रहोगी. और तो और जल्दी आने

वाले नन्हे मेहमान का भी ध्यान रख सकोगी… उस के साथ भी रह सकोगी… मुझे भी कोई चिंता नहीं होगी,’’ कह साहिल ने मौज के गाल को चूम लिया.

थोड़ी देर बाद साहिल फिर बोला, ‘‘तुम्हारी आसपास रईस महिलाओं से इतनी दोस्ती हो गई है… अपना शौक पूरा करने के लिए तुम्हें उन के पास नहीं उन्हें ही तुम्हारे पास आना होगा. खूब चलेगा तुम्हारा पार्लर… उन के काम से जाना भी हो तो विजिटिंग चार्ज लिया करना… तुम्हारा दिल भी लगेगा और इनकम भी होगी… यह समझो, थोड़ी मेहनत करोगी तो बस तुम्हारी भी औडी आ सकती है. तुम भी गोवा, बैंकौक घूमने जा सकती हो.’’ ‘‘औडी, बैंकौक… सच में साहिल ऐसा होगा?’’ मौज आंखें फाड़े साहिल को देखने लगी.

जवाब में साहिल ने पलकें झपकाईं तो वह बेहोशी का नाटक करते हुए साहिल की बांहों में झूल कर मुसकरा उठी. आज साहिल को सादगी भरी सुंदर, सौम्य मौज दिखाई दे रही थी आठखेलियां करती बच्चों जैसी मासूम. ‘‘बस इतनी सी बात थी… क्यों नहीं यह पहले समझ आया,’’ उस ने अपने माथे पर हाथ मारा.

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