Women’s Day 2020: रूढ़िवादी सोच के कारण महिलाएं आधुनिक तौर-तरीके नहीं अपना पा रहीं- अनामिका राय सिंह

अनामिका राय सिंह, व्यवसायी

उत्तर प्रदेश के गोंडा और गाजीपुर जैसे छोटे जिलों में पढ़ाई करने के बाद राजधानी लखनऊ आईं अनामिका राय ने कम समय में ही बिजनैस के क्षेत्र में काम कर के न केवल खुद को साबित किया, बल्कि आज बहुत सारे लोगों को रोजगार भी दे रही हैं. वे कहती हैं कि महिलाओं को अपना पढ़ने का शौक बढ़ाना चाहिए. इसी से तरक्की का रास्ता निकलता है. पेश हैं, अनामिका से हुई गुफ्तगू के कुछ अंश:

अपने बारे में विस्तार से बताएं?

मेरे पिता गोंडा जिले की आईटीआई कंपनी में काम करते थे. स्कूल के दिन मेरे वहां बीते. केंद्रीय विद्यालय आईटीआई गोंडा से 12वीं कक्षा पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ आ गई. लखनऊ मेरे लिए बड़ा शहर था. लखनऊ विश्वविद्यालय से फूड न्यूट्रिशन में बीएससी करने के बाद ‘एचआर और मार्केटिंग’ में एमबीए किया. इस के बाद शादी हो गई. कुछ समय के बाद मुझे लैक्मे के सैलून की फ्रैंचाइजी लेने का मौका मिला. मुझे लगा कि यह काम मैं कर सकती हूं. अत: मैं ने काम शुरू किया. कामयाबी मिली तो 2 सालों में ही लखनऊ में 3 लैक्मे के सैलून खोल लिए.

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पहले लोगों को लगता था कि मैं इस काम को नहीं कर पाऊंगी, क्योंकि कालेज के बाद शादी और शादी के बाद यह बिजनैस. लोग समझते थे कि मुझे कोई अनुभव नहीं है. अपनी मेहनत से सफलता हासिल करने के बाद मुझे खुद पर भरोसा हुआ. फिर समाज के सामने खुद को साबित किया. तब लोगों की आलोचनाएं बंद हुईं. मुझे लगता है कि सफलता ही वह चीज है, जो आलोचनाएं बंद कर सकती है. मुझे ‘यंगैस्ट वूमन ऐंटरप्रन्योर 2017’ और ‘शख्सीयत ए लखनऊ’ जैसे सम्मान भी मिले.

बिजनैस से मिली सफलता के बारे में कुछ बताएं?

एक बार बिजनैस में कदम बढ़ाने के बाद मैं ने ब्यूटी के बाद फैशन के क्षेत्र में काम करना शुरू किया. ‘द इंडियन सिग्नोरा’ नाम से फैशन स्टोर खोला, जिस में हर तरह के लेडीज परिधान उपलब्ध हैं. इस के साथ ही ‘कौफी कोस्टा’ नाम से कैफे का बिजनैस भी शुरू किया. बिजनैस के अलगअलग क्षेत्रों में काम करना अच्छा रहता है ताकि कभी एक सैक्टर किसी कारण से प्रभावित हो तो दूसरे सैक्टर से मदद मिल सके. महिला होने के नाते बिजनैस को संभालना थोड़ा कठिन काम होता है. बिजनैस के लिए समयबेसमय आप को बाहर जाना पड़ता है, तरहतरह के लोगों से मिलना पड़ता है. ज्यादातर काम करने वाले पुरुष ही होते हैं. इस से काम करने में कुछ परेशानियां भी आती हैं. मगर उन का सामना कर के ही आगे बढ़ा जा सकता है.

व्यवसाय के अलावा और क्या पसंद है?

मेरी रुचि बिजनैस करने में नहीं थी. मुझे किताबें पढ़ने और लिखने का शौक था. स्कूलकालेज के दिनों से मैं लेख, गीत, कविताएं, व्यंग्य, कहानियां लिखती थी. संगीत में भी रुचि रखती थी. इस दिशा में ही अपना कैरियर आगे बढ़ाना चाहती थी. 2015 में मेरा पहला काव्य संग्रह ‘अनामिका’ प्रकाशित हुआ, जिस में दिल को छूने वाली 42 कविताएं प्रस्तुत की गईं. काव्य संग्रह के बाद रियल स्टोरी बेस्ड एक नौवेल लिखने पर काम कर रही हूं. मगर बिजनैस के चलते अब समय नहीं मिल रहा, जिस की वजह से उसे पूरा करने में समय लग रहा है.

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क्या अब महिलाओं की स्थिति में बदलाव आया है?

यह सच है कि महिलाओं की हालत में अब बहुत बदलाव आया है. अब छोटेछोटे शहरों की लड़कियां भी खुद को साबित कर रही हैं. परिवार का भरोसा पहले से अधिक बढ़ रहा है. मगर इस सब के बीच कुछ नई चुनौतियां भी सामने हैं, जिन में महिलाओं की सुरक्षा सब से बड़ा मुद्दा बन गया है. इस पर समाज और कानून को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. महिलाओं में रूढि़वादी सोच भी है जिस के चलते वे आधुनिक सोच के साथ कदम से कदम मिला कर नहीं चल पा रहीं. यह बदलाव महिलाओं को खुद करना है. अब जब वे पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं, तो उन्हें अपनी हैल्थ, डाइट और फिटनैस पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

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