दिल के लिए खतरनाक है ज्यादा कैल्शियम

हमारे शरीर में हर तत्व की अपनी एक मात्रा होती है चाहे फिर वह विटामिन की हो या फिर कैल्शियम, फास्फोरस या फिर अन्य रसायनिक तत्वों की. इसी तरह कैल्शियम की अधिक मात्रा लेने से आपको कई बीमारी अपनी चपेट में ले सकती है. एक अध्ययन में के अनुसार अगर धमनियों में प्लेक (धमनियों का जाम होना) का कारण बन सकता है, जिससे हृदय को नुकसान पहुंचने का खतरा है. इस निष्कर्ष का उद्देश्य हालांकि आपको कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ लेने से रोकना नहीं है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के आहार दिल के लिए फायदेमंद भी हैं.

मैरिलैंड के जान हॉपकिंस विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन बाल्टीमोर में सहायक प्रोफेसर इरिन मिचोस ने कहा, “हमारा अध्ययन बताता है कि शरीर में पूरक खुराक के रूप में अतिरिक्त कैल्शियम का सेवन दिल और नाड़ी तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है.”

अध्ययन के निष्कर्ष पत्रिका ‘जर्नल ऑफ दी अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन’ में प्रकाशित हुए हैं. यह विश्लेषण अमेरिका में 2,700 लोगों पर 10 सालों तक किए गए अध्ययन के बाद आया है.

अध्ययन के लिए चुने गए प्रतिभागियों की उम्र 45 से 84 साल के बीच थी. इसमें करीब 51 प्रतिशत महिलाएं थीं.

शोधकर्ताओं ने पाया कि जो प्रतिभागी भोजन में कैल्श्यिम की अधिकतम मात्रा प्रतिदिन करीब 1,022 मिलीग्राम लेते थे, उनमें 10 सालों के अध्ययन के दौरान हृदय रोग होने का जोखिम सामने नहीं आया.

लेकिन कैल्शियम को पूरक खुराक के रूप में सेवन करने वाले प्रतिभागियों के कोरोनरी धमनी में इन 10 वर्षो के दौरान 22 फीसदी तक प्लेक जमने का खतरा देखा गया. यह 10 सालों में शून्य से तेजी से बढ़ा. इससे दिल के रोग होने का संकेत मिलता है.

नॉर्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय के चेपल हिल्स ग्लिनिंग्स स्कूल के सह लेखक जान एंडरसन ने कहा, “इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि भोजन के रूप में लिया गया कैल्शियम तथा पूरक खुराक के तौैर पर लिया गया कैल्शियम किस प्रकार हृदय को प्रभावित करता है.”

सावधान: शरीर के लिए नुकसानदायक है ज्‍यादा कैल्‍शियम

अच्छी सेहत और मजबूत हड्डियों के लिए कैल्शियम लेना बहुत ही जरूरी है. अकसर लोग अतिरिक्त कैल्शियम के लिए अलग से दवा भी लेते हैं. लेकिन भले ही वह चाहे कैल्‍शियम हो या फिर कोई अन्‍य न्‍यूट्रियंट, मिनरल,विटामिन या प्रोटीन.

सेहत और उम्र के हिसाब से इसका ज्‍यादा सेवन नुकसान पहुंचा सकता है. हमें इन पुरानी धारणाओं को बदलना होगा कि ज्‍यादा कैल्‍शियम खाने से हड्डी मजबूत होगी और हम स्‍वस्‍थ्‍य रहेंगे. यहां कुछ कारण दिये जा रहे हैं जो आपको बताएंगे कि आपको ज्‍यादा कैल्‍शियम का सेवन क्‍यूं नहीं करना चाहिये.

पुरुष को हर दिन कैल्शियम की 1000-1200mg की जरूरत होती है, वहीं पर महिला को 1200-1500mgमहिलाओं की जरूरत होती है और बच्चों को हर दिन कैल्शियम की 1300mg की जरूरत होती है. अधिकतम कैल्शियम 2500gm ले सकते हैं. चलिये देखते हैं, क्या होता है जब आप अतिरिक्त कैल्शियम का सेवन करने लगते हैं तो.

1. अतिरिक्त कैल्शियम का सेवन करने से चक्‍कर और उल्टी आने का कारण बन सकता है. इस प्रकार जब कभी भी आपको चक्कर आए तो समझ जाएं कि यह कई कारणों में से एक कैल्‍शियम का प्रभाव भी हो सकता है.

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2. अतिरिक्त कैल्शियम की मात्रा के प्रभाव में से एक प्रोस्‍ट्रेट कैंसर होने की भी संभावना होती है. इस प्रकार जो लोग इस बीमारी से लड़ रहें हैं उनको अपनी डाइट में कैल्‍शियम की मात्रा कम कर देनी चाहिये. साथ ही अगर आपके खानदान में भी इस तरह के कैंसर की समस्‍या है तो भी आपको अतिरिक्‍त कैल्‍किशयम पर रोक लगा देनी चाहिये.

3. ऐसा माना जाता है कि कैल्‍शियम लेने से आस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी को दूर किया जाता है. लेकिन ज्‍यादा कैल्‍शियम आपकी हड्डियों के लिये अच्‍छा नहीं है,इसका उल्‍टा असर हो सकता है. ज्‍यादा कैल्‍शियम हड्डी को बिगाड़ देती हैं और उन्‍हें जल्‍द बूढा़ बना देती हैं.

4. अधिक कैल्‍शियम लेने से पेट संबधी बीमारी भी हो सकती है जैसे,कब्‍ज, भूख ना लगना और पेट के निचले भाग में दर्द आदि. हो सकता है कि इससे आपको बार-बार पेशाब भी आने लगे. हो सकता है कि शरीर में नमक की कमी हो जाए और आपकी बॉडी डीहाइड्रेट हो जाए.

5. ज्‍यादा कैल्‍शियम लेने से किडनी केद्वारा पेशाब से अधिक कैल्‍शियम की मात्रा गुजरती है, जो कि धीरे-धीरे किड़नियों में जमने लगता है और बाद में वही जा कर स्‍टोन बन जाता है. यह अधिक कैल्‍शियम खाने का सबसे बुरा नतीजा होता है.

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कैल्शियम की कमी से न्यू मौम्स में बैकपैन की समस्या

बहुत बार नई माताओं को शिकायत होती है कि बच्चों को डिलीवर करने के लिए लगाए गए एप्पीडुअरल इंजेक्शन से उन्हें लगातार पीठ में दर्द होता है. इस बारे में गुरुग्राम के कोलंबिया एशिया होस्पिटल के स्पाइन स्पेशलिस्ट और कंसलटेंट डॉक्टर अरुण भनोट का कहना है कि महिलाओं में लेट प्रेग्रेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कैल्शियम की कमी और गलत पोस्चर के कारण अकसर उन्हें बैक पैन की समस्या होती है. क्योंकि इंजेक्शन का असर तो कुछ घंटों व कुछ दिनों के बाद कम होकर बैकपेन खुद ब खुद ठीक हो जाता है.

प्रसव से पहले या प्रसव के दौरान लगाए जाने वाले एप्पीडुअरल इंजेक्शन जो मां को कम दर्द के साथ बच्चे को जन्म देने में मदद करने के लिए पैन किलर मेडिसिन के रूप में लगाया जाता है. इससे कुछ महिलाओं को पीठ के निचले हिस्से में दिक्कत हो सकती है. इस जगह पर कैथेटर एप्पीडुअरल इंजेक्शन लगाने के कुछ घंटों व कुछ दिनों बाद तक दर्द रहता है. बता दें कि जब बच्चा अपनी मां के गर्भ में बढ़ता है , खासकर गर्भावस्ता के आखरी 3 महीनों के दौरान , उसे अपनी हड्डियों को विकसित करने के लिए कैल्शियम की बहुत ज्यादा जरूरत होती है. यदि इस दौरान मां को पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिलता है, तो बच्चा मां की हड्डियों से इसकी जरूरत को पूरा करता है. जब मां की हड्डियों से कैल्शियम बच्चे में जाने के बाद मां को पीठ में दर्द का अनुभव होता है. यहां तक कि जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग करवाती हैं उनमें कैल्शियम की कमी और गलत पोस्चर के कारण भी पीठ दर्द की समस्या होती है.

ब्रेस्टफीडिंग वह समय होता है जब बच्चा दूध पीना शुरू करता है और अगर मां कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा नहीं लेती है तो उसमें कैल्शियम की कमी हो जाती है. इसलिए गर्भवस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद महिला के लिए पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम लेना बहुत जरूरी होता है. आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को भोजन और सुप्प्लिमेंट से कैल्शियम मिलता है.

इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान महिलाएं ज्यादा एस्ट्रोजन का प्रोडक्शन करती हैं. बता दें कि एस्ट्रोजन वह हॉरमोन होता है, जो हड्डियों की रक्षा करता है और गर्भावस्था के दौरान बोन मास की जो हानि होती है वो आमतौर पर प्रसव के बाद या मां द्वारा अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग को बंद करने के बाद कई महीनों के अंदर रिस्टोर हो जाती है. डॉक्टर भनोट ने नई माताओं की काउंसलिंग के महत्व पर जोर दिया है. खासकर के उन महिलाओं को ज्यादा काउंसलिंग की जरूरत होती है जिनको ब्रेस्टफीडिंग करवाना है. क्योंकि ऐसी महिलाओं में लंबे समय तक बैठने से पीठ में खिचाव आ सकता है. गर्भावस्था के दौरान मां को हड्डियों के कमजोर होने और ओस्टोपोरोसिस का सबसे ज्यादा खतरा होता है. वृद्ध महिलाओं के विपरीत गर्भवती महिलाओं में बोन मास को ज्यादा हानि होती है . क्योंकि जो बच्चा उनके पेट में पल रहा होता है उसे अपनी हड्डियों के ढांचे के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है. इसके अलावा महिला को भी अपनी हड्डियों का निर्माण करने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है, और अगर पर्याप्त रूप से महिला को कैल्शियम मिलता है तो उन्हें ओस्टोपोरोसिस से बचने में मदद मिलती है.

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इसके अलावा कई महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग करवाने के सही पोस्चर के बारे में पता नहीं होता है और गलत जानकारी के कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. डाक्टर भनोट का कहना है कि नई माताओं को ब्रेस्टफीडिंग करवाने के लिए सही पोस्चर की जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे ब्रेस्टफीडिंग के लिए सही पोस्चर को अपनाकर पीठ दर्द से बच सकें. क्योंकि प्रेग्रेंसी और ब्रेस्टफीडिंग दोनों ही उनके लिए बड़ा चैलेंज जो होती हैं.

जानते हैं गर्भावस्था और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हड्डियों को कैसे स्वस्थ रखें-

1 कैल्शियम रिच डाइट लें

गर्भावस्था या ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को हर दिन 1000 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करना चाहिए. गर्भवती युवा महिला को एक दिन में 1300 मिलीग्राम कैल्शियम लेना चाहिए. कैल्शियम कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कि दूध , दही, पनीर, पत्तेदार सब्जियों , टोफू, बादाम , मकई, संतरे के रस , अनाज और ब्रेड में भरपूर मात्रा में मिलता है. इसलिए ब्रेस्टफीडिंग और गर्भवती महिला को इन चीजों को जरूर अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए.

2 रेगुलर एक्सरसाइज करें

उन्हें नियमित रूप से वेट बियरिंग और रेज़िस्टेन्स जैसी एक्टिविटी करने के लिए डाक्टर से कंसल्ट करना जरूरी होता है, क्योंकि इनसे मसल्स को स्ट्रैंथ मिलती है. वॉकिंग, सीढ़ियां चढ़ना और डांस करने के साथ साथ वेट लिफ्टिंग भी हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करती हैं. लेकिन कोई भी एक्सरसाइज करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. ताकि मां और बच्चा दोनों सुरक्षित रहें.

3 अपनाएं हैल्थी लाइफस्टाइल

हैल्थी लाइफस्टाइल को अपनाना बहुत जरूरी है. इसके लिए अच्छा खाएं व स्मोकिंग की हैबिट से दूर रहें. क्योंकि स्मोकिंग मां और बच्चे के लिए हानिकारक होती है. और हड्डियों के लिए भी अच्छी नहीं होती है. इसके अलावा ये हार्ट और फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाती है. गर्भवती और ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को शराब से भी दूरी बना कर रखनी चाहिए , क्योंकि ज्यादा शराब के सेवन से हड्डियां खराब होती हैं.

4 सफेद तिल है फायदेमंद

तिल के लड्डू तो सबको पसंद होते हैं , लेकिन क्या आप जानती हैं कि सफेद तिल न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है. इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन्स भरपूर मात्रा में होते हैं. अगर शरीर में कैल्शियम की कमी हो गई है तो इसे सफेद तिल से पूरी करके हड्डियों को मजबूत बनाया जा सकता है. तो हुआ न सफेद तिल फायदेमंद.

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5 सोयाबीन दे आपको मजबूती

क्या आप जानते हैं कि सोयाबीन प्रोटीन और कैल्शियम का बेहतरीन स्रोत होता है. एक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि सोयाबीन के सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलने के साथ साथ मेनोपोज़ के बाद भी महिलाओं की हड्डियां स्ट्रोंग बनती हैं. इसलिए जितना हो सके सोयाबीन को अपनी डाइट में शामिल करें. तो फिर प्रेग्रेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अपनी डाइट में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाकर खुद का व अपने बच्चे का खास ध्यान रखें.

#coronavirus: हड्डियों को न कर दें कमजोर

कोरोना ने महामारी का रूप ले लिया है, जिस में सभी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सेहत का ध्यान रखना हम सब के लिए बहुत जरूरी हो गया है. काफी दिनों से लोग घरों में बंद हैं. कहीं आजा नहीं रहे, जिस से उन की शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं, जिस का सीधा असर उन की हड्डियों पर भी पड़ रहा है.

हड्डियां शरीर का सपोर्ट सिस्टम हैं. बच्चे हो या बूढ़े सभी आज के समय की गलत जीवनशैली की वजह से हड्डियों से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे हैं.

ऐसे में कैसे इन दिनों अपनी हड्डियों का खास खयाल रखें. आइए, जानते हैं दिल्ली के आयुस्पाइन हौस्पिटल के डाइरैक्टर डाक्टर सत्यम भास्कर से, जो जौइंट पेन स्पोर्ट्स इंजरी स्पैशलिस्ट हैं.

कोरोना की वजह से सब के जीवन में काफी बदलाव आ चुका है. पहले लोग वर्कआउट के लिए गार्डन, पार्क और जिम जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. लोग फिजिकल ऐक्टिविटीज से बहुत दूर हो गए हैं. इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

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लोग फिजिकल ऐक्टिविटीज से दूर नहीं हुए उन्होंने जानबूझ कर खुद को दूर किया है. हम चाहें तो घर पर ही ऐक्सरसाइज कर सकते हैं. अपनी बालकनी में भी आसानी से ऐक्सरसाइज कर सकते हैं. ऐक्सरसाइज से हड्डियों को भी फायदा मिलता है. जब हम ऐक्सरसाइज करते हैं, तो उस समय हमारा शरीर अच्छी तरह मूव करता है. हड्डियों को हैल्दी बनाए रखने के लिए सब से आसान ऐक्सरसाइज है कि सीधे लेट जाएं और अपनी कमर के नीचे मोटा तकिया रख लें और फिर 2 मिनट तक बिलकुल सीधे लेटे रहें. इसे हम स्पाइनल ऐक्सटैंशन कहते हैं. अगर आप इस ऐक्सरसाइज को रोज सोने से पहले करते हैं, तो आप का कमर दर्द बिलकुल ठीक हो जाएगा. रोजाना 10-15 मिनट ऐक्सरसाइज करनी चाहिए.

बहुत सारे लोग इस समय औफिस का काम घर से कर रहे हैं. वे लोग घंटों सोफा या बिन बैग पर बैठ कर काम कर रहे हैं, जिस से उन का पोस्चर भी बिगड़ रहा है. हड्डियों के लिए सही पोस्चर कितना जरूरी है और क्याया इस के लिए हमें सावधानियां बरतनी चाहिए?

जब हम औफिस में काम करते हैं, तो हम बंधे होते हैं अपने काम से भी और अपनी सीट से भी. लेकिन जब हम घर पर काम करते हैं, तो हम अपने अकौर्डिंग सब मैनेज करते हैं. ऐसे में हम थोड़ीथोड़ी देर में मूवमैंट कर सकते हैं. मूवमैंट हमारे शरीर और हड्डियों के लिए बहुत जरूरी है. अगर आप घर से काम कर रहे हैं तो हर 30 मिनट में अपना पोस्चर जरूर बदलें. एक ही पोस्चर में घंटों बैठने से हड्डियों में दर्द शुरू हो जाता है, जो सर्वाइकल पेन को न्योता देता है.

पहले के समय में लोगों को हड्डियों से जुड़ी बीमारियां 35 के बाद होती थीं, लेकिन अब ये 25 की उम्र में होने लगी हैं, ऐसा क्यों?

पहले के समय में लोग शारीरिक रूप से ऐक्टिव रहते थे और खानपान का भी ध्यान रखते थे, लेकिन अब अभी और पहले की जीवनशैली में काफी अंतर आ चुका है. अब लोग कुरसी पर बैठेबैठे काम करते हैं, खाने में दूधदही की जगह पिज्जाबर्गर खाते हैं, जबकि बचपन से ही खानपान का खास ध्यान रखने को कहा जाता है. हड्डियों की सेहत के लिए सही खानपान जरूरी है.

शरीर को जब सही मात्रा में पोषण मिलता है, तो हड्डियां मजबूत होती हैं, शारीरिक ग्रोथ भी सही होती है. लेकिन आज के समय में बच्चे कोल्डड्रिंक पीना ज्यादा पसंद करते हैं. क्या कोल्डड्रिंक से शरीर को किसी प्रकार का न्यूट्रिशन मिलेगा? बिलकुल नहीं मिलेगा, बल्कि इन चीजों का सेवन करने से हमारी हड्डियां कमजोर होने लगेंगी. शरीर में कैल्शियम का लैवल कम हो जाएगा, जिस से कम उम्र में जोड़ों में दर्द की शिकायत होने लगेगी. 20 वर्ष तक शरीर को सही पोषण मिलना बहुत जरूरी है. अगर आप को यह शिकायत कम उम्र में ही शुरू हो गई है, तो डाक्टर से कैल्शियम की जांच जरूर करवाएं.

मेनोपौज के बाद महिलाओं की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. ऐसे में उन्हें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

मेनोपौज के दौरान महिलाओं में ऐस्ट्रोजन स्तर गिर जाता है, जिस से औस्टियोब्लास्ट कोशिकाएं प्रभावित होती हैं. इस से पुरुषों की तुलना में महिलाओं की हड्डियां ज्यादा कमजोर होने लगती हैं, हड्डियों की डैंसिटी पर भी असर पड़ता है. इस से महिलाओं को औस्टियोपोरोसिस और औस्टियोआर्थ्राइटिस जैसी हड्डियों से जुड़ी बीमारियां होने का रिस्क बढ़ जाता है. वैसे तो महिलाओं को खानपान का ध्यान बचपन से ही रखना चाहिए, लेकिन कोई महिला मेनोपौज से गुजर रही है, तो उसे न्यूट्रिशन से भरपूर डाइट फौलो करनी चाहिए.

इस समय लोग बाहर के खानपान को अवौइड कर रहे हैं, लेकिन घर पर मैदे से बने स्वादिष्ठ पकवानों का लुत्फ भी उठा रहे हैं. क्या मैदा हड्डियों की सेहत के लिए हानिकारक है?

मैदे का सेवन ही नहीं करना चाहिए. यह हमारे स्वास्थ्य के लिए जहर के समान है. इस में

0 प्रतिशत न्यूट्रिशन होता है, जिस से हमारे शरीर को कोई फायदा नहीं मिलता. यह डाइजैस्ट भी जल्दी नहीं होता, जिस से कब्ज की शिकायत होने लगती है. मैदा खाने से हड्डियों पर भी बुरा असर पड़ता है. मैदा बनाते वक्त इस में प्रोटीन निकल जाता है और यह ऐसिडिक बन जाता है, जो हड्डियों से कैल्शियम को खींच लेता है, जिस से वे कमजोर हो जाती हैं, इसलिए मैदे का सेवन बिलकुल न करें.

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हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए हमें किन चीजों का सेवन ज्यादा करना चाहिए?

हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए मैग्नीशियम, कैल्शियम और विटामिन डी बहुत जरूरी है. ये सभी हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाते हैं.

मैग्नीशियम: मैग्नीशियम के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन जरूर करें. पालक मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत होता है. इस के अलावा टमाटर, आलू, शकरकंद भी आप आहार में शामिल कर सकते हैं.

कैल्शियम: कैल्शियम के लिए दूध बहुत अच्छा स्रोत है. इस के लिए आप दूध से बनी चीजों का सेवन भी कर सकते हैं. इस के साथ ही हरी पत्तेदार सब्जियां भी आप को कैल्शियम और आयरन दोनों ही देने में मदद करती हैं. नौनवैज खाने वालों के लिए मछली कैल्शियम का सब से अच्छा विकल्प है. साबूत अनाज, केले, सालमन, बादाम, ब्रैड, टोफू, पनीर आदि कैल्शियम की कमी को पूरा करने के अच्छे स्रोत माने जाते हैं.

विटामिन डी: आप विटामिन डी के लिए टूना, मैकरेल, अंडे का सफेद भाग, सोया मिल्क, डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, दही के अलावा मशरूम, चीज और संतरे के जूस का भी सेवन कर सकते हैं.

न होने दें कैल्शियम की कमी

एक अध्ययन के अनुसार 14 से 17 साल के आयुवर्ग की लगभग 20% लड़कियों में कैल्शियम की कमी पाई गई है, जबकि पहले इतनी ज्यादा मात्रा में कैल्सियम की कमी केवल प्रैगनैंट और उम्रदराज महिलाओं में ही पाई जाती थी.
इस की वजह आज की बिगड़ती जीवनशैली है. आजकल लोग तेजी से पैकेट फूड पर निर्भर होते जा रहे हैं जिस के कारण उन के शरीर को संतुलित भोजन नहीं मिल पा रहा. महिलाएं अपने पति और बच्चों की सेहत का तो भरपूर खयाल रखती हैं, मगर अकसर अपनी फिटनैस के प्रति लापरवाह हो जाती हैं. अच्छे स्वास्थ्य और मजबूत शरीर के लिए कैल्शियम बेहद जरूरी है. इस से हड्डियों और दांतों को मजबूती मिलती है.

हमारी हड्डियों का 70% हिस्सा कैल्शियम फास्फेट से बना होता है. यही कारण है कि कैल्शियम हड्डियों और दांतों की अच्छी सेहत के लिए सब से जरूरी होता है.

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कैल्शियम की अधिक जरूरत होती है. उन के शरीर में 1000 से 1200 एमएल कैल्शियम होना चाहिए वरना इस की कमी से कई तरह की शारीरिक परेशानियां होने लगती हैं.
कैल्शियम तंदुरुस्त दिल, मसल्स की फिटनैस, दांतों, नाखूनों और हड्डियों की मजबूती के लिए जिम्मेदार होता है. इस की कमी से बारबार फ्रैक्चर होना औस्टियोपोरोसिस का खतरा, संवेदनशून्यता, पूरे बदन में दर्द, मांसपेशियों में मरोड़ होना, थकावट, दिल की धड़कन बढ़ना, मासिकधर्म में अधिक दर्द होना, बालों का झड़ना जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं.

ऐसे में यह जरूरी है कि कैल्शियम की पूर्ति अपनी डाइट से करें न कि सप्लिमैंट्स के जरीए.

महिलाओं में कैल्शियम की कमी के कारण

मेनोपौज की उम्र यानी 45 से 50 वर्ष की महिलाओं में अकसर यह कैल्सियम की कमी सब से अधिक होती है क्योंकि इस उम्र में फीमेल हारमोन ऐस्ट्रोजन का स्तर गिरने लगता है, जबकि यह कैल्शियम , मैटाबोलिज्म में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

हारमोनल परिवर्तन: कैल्शियम रिच डाइट की कमी खासकर डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, दही आदि न खाना.

हारमोन डिसऔर्डर हाइपोथायरायडिज्म: इस स्थिति में शरीर में पर्याप्त मात्रा थायराइड का उत्पादन नहीं होता जो ब्लड में कैल्शियम लैवल कंट्रोल करता है.

महिलाओं का ज्यादातर समय किचन में बीतता है, मगर वे यह नहीं जानतीं कि किचन में ही ऐसी बहुत सी सामग्री उपलब्ध हैं जो उन के शरीर में कैल्शियम की कमी दूर कर सकती है. इस के सेवन से उन्हें ऊपर से कैल्शियम सप्लिमैंट्स लेने की जरूरत नहीं पड़ती.

रागी: रागी में काफी मात्रा में कैल्सियम होता है. 100 ग्राम रागी में करीब 370 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है.

सोयाबीन: सोयाबीन में भी पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मौजूद होता है. 100 ग्राम सोयाबीन में करीब
175 मिलीग्राम कैल्सियम होता है.

पालक: पालक देख कर नाकमुंह सिकोड़ने वाली महिलाओं के लिए यह जानना जरूरी है कि 100 ग्राम पालक में 90 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है. इसके प्रयोग से पहले इसे कम से कम 1 मिनट जरूर उबालें ताकि इस में मौजूद औक्सैलिक ऐसिड कौंसंट्रेशन घट जाता है, जो कैल्सियम औबजर्वेशन के लिए जरूरी होता है.
हाल ही में किए गए अध्ययन के अनुसार कोकोनट औयल का प्रयोग कर बोन डैंसिटी के लौस को रोक सकते हैं, साथ ही यह शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में भी मदद करता है.

धूप सेंकना: भोजन ही नहीं बल्कि सुबह की धूप सेंकना जरूरी है, क्योंकि इस में मौजूद विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण के लिए जरूरी होता है. विटामिन डी खून में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रण करने के लिए जिम्मेदार होता है. इस का सेवन शरीर में कैल्शियम अवशोषित करने की क्षमता को बढ़ाता है और हड्डी टूटने का खतरा कम होता है.

वजन कम करने के लिए इन चीजों को करें अपनी डाइट में शामिल

कब हमारा वजन बढ़ने लगता है हमें पता नहीं लगता, जब तक एहसास होता है देरी हो चुकी होती है और इसके बाद वजम कम करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी डाइट पर खासा ध्यान दें. वजन कम करने में शरीर के मेटाबौलिज्म की भूमिका अहम होती है. जिन लोगों के शरीर की मेटाबौलिज्म अच्छी होती है उनका वजन जल्दी कम होता है. इसके अलावा वजन कम करने में डाइट का काफी अहम योगदान होता है, इसलिए अपनी डाइट में सही मात्रा में न्यूट्रिएंट्स को शामिल करें.

आमतौर पर लोग वजन कम करने के लिए प्रोटीन का इस्तेमाल करते हैं. प्रोटीन से शरीर का मेटाबौलिज्म मजबूत होता है. पर इस खबर में हम आपको प्रोटीन के अलावा और भी न्यूट्रिएंट्स के बारे में बताएंगे जिनको अपनी डाइट में शामिल कर आप अपना वजन कम कर सकती हैं.

कैल्शियम

हड्डियों और दांतों को मजबूत रखने के साथ साथ कैल्शियम वजन घटाने में भी काफ मददगार होता है. कई स्टडीज में ये बात सामने आई कि कैल्शियमयुक्त डाइट लेने से वजन बढ़ने का खतरा कम रहता है.

फाइबर

वजन कम करने के लिए फाइबर का इस्तेमाल बेहद जरूरी है. फाइबर दो तरह के होते हैं, सौल्यूबल और इनसौल्यूबल, ये दोनों ही सेहत के लिए जरूरी होते हैं. इसके सेवन से हार्मोन्स बैलेंस्ड रहते हैं. फाइबर के डाइजेशन में काफी वक्त लगता है जिसके कारण लंबे समय तक आपको भूख नहीं लगती है. इससे आप अधिक खाना नहीं खाते और आपका वजन कंट्रोल में रहता है.

ओमेगा-3 फैटी एसिड

दिल की सेहत के लिए और स्किन के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड काफी लाभकारी होता है. इससे भूख कंट्रोल में रहती है. जानकारों की माने तो ओमेगा-3 फैटी एसिड से मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है. साथ ही ज्यादा कैलोरी बर्न होती हैं.

पोटैशियम

ये भी बेहद जरूरी न्यूट्रिएंट है. आमतौर पर लोग इसे अहमियत नहीं देते. शरीर के बहुत से टौक्सिंस को बाहर करने में ये बेहद मददगार होता है. इसे अपनी डाइट में सामिल करने से किडनी और दिल ठीक ढंग से काम करते हैं.

क्यों जरूरी है कैल्शियम

लुधियाना हौस्पिटल में किए गए एक ताजा अध्ययन के अनुसार 14 से 17 साल के आयुवर्ग की लगभग 20% लड़कियों में कैल्शियम की कमी पाई गई है, जबकि पहले इतनी ज्यादा मात्रा में कैल्शियम की कमी केवल प्रैगनैंट और उम्रदराज महिलाओं में ही पाई जाती थी.

इस की वजह आज की बिगड़ती जीवनशैली है. आजकल लोग तेजी से पैकेट फूड पर निर्भर होते जा रहे हैं जिस के कारण उन के शरीर को संतुलित भोजन नहीं मिल पा रहा.

महिलाएं अपने पति और बच्चों की सेहत का तो भरपूर खयाल रखती हैं, मगर अकसर अपनी फिटनैस के प्रति लापरवाह हो जाती हैं. अच्छे स्वास्थ्य और मजबूत शरीर के लिए कैल्शियम बेहद जरूरी है. इस से हड्डियों और दांतों को मजबूती मिलती है.

हमारी हड्डियों का 70% हिस्सा कैल्शियम फास्फेट से बना होता है. यही कारण है कि कैल्शियम हड्डियों और दांतों की अच्छी सेहत के लिए सब से जरूरी होता है.

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कैल्शियम की अधिक जरूरत होती है. उन के शरीर में 1000 से 1200 एमएल कैल्शियम होना चाहिए वरना इस की कमी से कई तरह की शारीरिक परेशानियां होने लगती हैं.

कैल्शियम तंदुरुस्त दिल, मसल्स की फिटनैस, दांतों, नाखूनों और हड्डियों की मजबूती के लिए जिम्मेदार होता है. इस की कमी से बारबार फ्रैक्चर होना औस्टियोपोरोसिस का खतरा, संवेदनशून्यता, पूरे बदन में दर्द, मांसपेशियों में मरोड़ होना, थकावट, दिल की धड़कन बढ़ना, मासिकधर्म में अधिक दर्द होना, बालों का झड़ना जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं.

ऐसे में यह जरूरी है कि कैल्शियम की पूर्ति अपनी डाइट से करें न कि सप्लिमैंट्स के जरीए.

महिलाओं में कैल्शियम की कमी के कारण

मेनोपौज की उम्र यानी 45 से 50 वर्ष की महिलाओं में अकसर यह कैल्शियम की कमी सब से अधिक होती है क्योंकि इस उम्र में फीमेल हारमोन ऐस्ट्रोजन का स्तर गिरने लगता है, जबकि यह कैल्शियम, मैटाबोलिज्म में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

हारमोनल परिवर्तन:  कैल्शियम रिच डाइट की कमी खासकर डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, दही आदि न खाना.

हारमोन डिसऔर्डर हाइपोथायरायडिज्म:  इस स्थिति में शरीर में पर्याप्त मात्रा थायराइड का उत्पादन नहीं होता जो ब्लड में कैल्शियम लैवल कंट्रोल करता है.

महिलाओं का ज्यादातर समय किचन में बीतता है, मगर वे यह नहीं जानतीं कि किचन में ही ऐसी बहुत सी सामग्री उपलब्ध हैं जो उन के शरीर में कैल्शियम की कमी दूर कर सकती है. इस के सेवन से उन्हें ऊपर से कैल्शियम सप्लिमैंट्स लेने की जरूरत नहीं पड़ती.

रागी: रागी में काफी मात्रा में कैल्शियम होता है. 100 ग्राम रागी में करीब 370 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है.

सोयाबीन: सोयाबीन में भी पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मौजूद होता है. 100 ग्राम सोयाबीन में करीब 175 मिलीग्राम कैल्शियम होता है.

पालक: पालक देख कर नाकमुंह सिकोड़ने वाली महिलाओं के लिए यह जानना जरूरी है कि 100 ग्राम पालक में 90 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है. इस के प्रयोग से पहले इसे कम से कम 1 मिनट जरूर उबालें ताकि इस में मौजूद औक्सैलिक ऐसिड कौंसंट्रेशन घट जाता है, जो कैल्शियम औबजर्वेशन के लिए जरूरी होता है.

हाल ही में किए गए अध्ययन के अनुसार कोकोनट औयल का प्रयोग कर बोन डैंसिटी के लौस को रोक सकते हैं, साथ ही यह शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में भी मदद करता है.

धूप सेंकना: भोजन ही नहीं बल्कि सुबह की धूप सेंकना जरूरी है, क्योंकि इस में मौजूद विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण के लिए जरूरी होता है. विटामिन डी खून में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रण करने के लिए जिम्मेदार होता है. इस का सेवन शरीर में कैल्शियम अवशोषित करने की क्षमता को बढ़ाता है और हड्डी टूटने का खतरा कम होता है.

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