आज जगह-जगह सुरक्षा को ले कर स्पाई कैमरे लगाए जा रहे हैं. लेकिन हमारे आसपास ऐसी घटिया मानसिकता वाले लोग हैं जो इन सुरक्षा कवच कैमरों को अपराध का कारण बनाने पर तुले हुए हैं.
हम जब भी बाहर जाते हैं तो ज्यादातर जगहों पर कैमरे लगे देखते हैं. ऐसे में हम खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं. लेकिन अब लोग इन कैमरों को देख कर सुरक्षित कम असुरक्षित ज्यादा महसूस करते हैं. हम बाहर चेंजिंगरूम, होटलरूम, पब्लिक वाशरूम का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कई बार ऐसी जगहों पर गुप्त कैमरे लगे होते हैं, जिन की हमें खबर तक नहीं होती. इन कैमरों के जरीए महिलाओं के अश्लील वीडियो बनाए जाते हैं और फिर उन्हें इंटरनैट और पोर्न साइट्स पर डाल दिया जाता है. इस का पता उन्हें तब चलता है जब ये वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं, जिस के कारण उन की काफी बदनामी होती है और उन्हें मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है. ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो इस बदनामी को झेल नहीं पातीं और आत्महत्या कर लेती हैं.
कहीं घूमने का हो प्लान तो हो जाइए अलर्ट
ऐसे में अगर आप भी बाहर घूमने या किसी होटल में ठहरने का प्लान बना रहे हैं तो एक बार होटल में कमरे की तलाशी जरूर ले लें. यदि आप कपड़ों की शौपिंग करने जा रही हैं तो चेंजिंगरूम में अपनी नजर जरूर दौड़ा लें. कहीं कोई हिडन यानी स्पाई कैमरा आप की प्राइवेसी के साथ खिलवाड़ न कर रहा हो. ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं जहां हिडन कैमरों का गलत फायदा उठाया जाता है. कुछ साल पहले ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिस में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने गोवा के एक शोरूम के चेंजिंगरूम में खुफिया कैमरे को पकड़ा था.
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वैसे हिडन कैमरों को ढूंढ़ना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन कुछ ऐसे टिप्स हैं, जिन के जरीए आप आसानी से स्पाई कैमरों का पता लगा सकती हैं. मगर उस से पहले यह जानना जरूरी है कि अश्लील वीडियो बनाने के लिए कैमरे को छिपाते कहां हैं और इन वीडियोज का धंधा कैसे किया जाता है.
कैसे बनाए जाते अश्लील वीडियो
अश्लील वीडियो इसलिए बनाए जाते हैं ताकि उन्हें पोर्न साइटों पर बेचा जाए. इन वीडियोज को एडिट कर के कुछ मिनट का बना दिया जाता है और इन कुछ मिनट के वीडियोज को बेचने पर 50-60 हजार मिल जाते हैं. फिर वीडियो खरीदने वाला इन्हें पोर्न साइट्स पर अपलोड कर के करोड़ों रुपए कमा लेता है. कोई भी अश्लील वीडियो स्पाई कैमरे द्वारा बनाया जाता है. स्पाई कैमरे बहुत छोटे होते हैं. यही कारण है कि ये किसी भी चीज में आसानी से फिट हो जाते हैं और इन्हें आसानी से नहीं ढूंढ़ा जा सकता. जब भी कोई महिला चेंजिंगरूम में कपड़े बदल रही होती है या किसी पब्लिक वाशरूम का इस्तेमाल कर रही होती है या फिर किसी होटलरूम में ठहरी होती है तो इन छिपाए गए कैमरों से उस का अश्लील वीडियो बनाया जाता है और फिर उसे सोशल मीडिया, पोर्न साइट्स पर अपलोड कर दिया जाता है.
स्पाई कैमरे का पता लगाने के ट्रिक्स
मिरर के पीछे हिडन कैमरा लगा हुआ है या नहीं, इस बात का पता आप मिरर पर अपनी उंगली रख कर लगा सकते हैं. अगर आप शीशे पर उंगली रखते हैं और शीशे में दिख रही आप की उंगली के बीच में गैप आ रहा है तो इस का मतलब वह शीशा औरिजनल है.
कमरे की लाइट्स औफ कर के भी हिडन कैमरे का पता लगाया जा सकता है. रूम में हिडन कैमरे का पता लगाने के लिए रूम की लाइट बंद कर दें. फिर देखिए कि कहीं कोई रैड या ग्रीन लाइट तो नहीं नजर आ रही. अगर ऐसा दिखे तो इस का मतलब आपके कमरे में हिडन कैमरा लगा है.
इन बातों का भी रखें ध्यान
-यदि आप किसी ट्रायलरूम में जाती हैं और आप के फोन का नैटवर्क चला जाए तो समझ जाएं कि रूम में हिडन कैमरा लगा है.
-ट्रायलरूम का इस्तेमाल करते वक्त सब से पहले यह देखें कि कहीं ट्रायलरूम के हुक या हैंडल में कोई हिडन कैमरा तो नहीं लगा है, क्योंकि अकसर इन जगहों पर भी हिडन कैमरा लगा होने के चांस होते हैं.
-ट्रायलरूम या होटलरूम में कैमरे का पता लगाने के लिए आप अपने मोबाइल फोन से कौल करें और जहां भी आप को लग रहा हो यहां कैमरा छिपा हो सकता है उस जगह के पास अपना फोन ले जाएं यदि फोन में कुछ अजीब सी आवाज सुनाई दे तो समझ जाएं वहां कैमरा लगा है. दरअसल फोन को जब हम कौल पर लगा कर कैमरे के पास ले कर जाते हैं तो फोन कैमरे की इलैक्ट्रो मैगनेटिक फील्ड में आते ही एक अजीब सा वाइब्रेशन महसूस करता है. इस वाइब्रेशन की वजह से कौल नहीं लग पाती.
-अगर दरवाजे में नीचे या बीच में थोड़ी स्पेस है या कहीं से बीच में टूटा हुआ है, तो उस जगह हिडन कैमरा हो सकता है.
-हिडन कैमरा डिटैक्टर बड़े काम की चीज है. ये डिटैक्टर कहीं भी छिपे कैमरे की खोज कर सकते हैं.
-कुछ कैमरे मोशन सैंसिटिव होते हैं, जो ऐक्टिविटी होने पर अपनेआप ही चालू हो जाते हैं, जिस की आवाज सुन कर आप हिडन कैमरे को आसानी से पकड़ सकते हैं.
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-अपने स्मार्टफोन में हिडन कैमरा फाइंडर ऐप डाउनलोड कर सकते हैं. ट्रायलरूम में ऐंट्री करते ही उस ऐप को औन कर मोबाइल को ट्रायलरूम में घुमाएं. अगर लाल रंग का निशान ब्लिंक करने लगे तो समझ जाएं रूम में कैमरा लगा हुआ है.
टैक्नोलौजी का सही फायदा उठा कर इस तरह की स्थितियों से बचने के लिए हमेशा सावधान रहें. खासतौर से पब्लिक प्लेस पर.
Edited by- Rosy