सार्कोमा कैंसर: घबराएं नहीं करवाएं इलाज

आज हम इतने अधिक बिजी हैं कि खुद का ध्यान ही नहीं रख पाते हैं. ऐसे में अनजाने में अनेक बीमारियों की गिरफ्त में आते हैं. फिर चाहे बात हो उसमें कैंसर जैसी घातक बीमारी की. बता दें कि  दुनिया भर में वर्ष 2020 में 10 मिलियन के करीब लोगों की मृत्यु का कारण विभिन्न तरह के  कैंसर हैं. क्योंकि हम खुद का ध्यान नहीं रखने के कारण शुरुवाती लक्षणों को इग्नोर जो कर देते हैं और जब स्तिथि हमारे हाथ से निकल जाती है तब तक जान पर आ बनती है. आपको बता दें कि  सार्कोमा कैंसर भले ही आम नहीं है. लेकिन ये तेजी से बढ़ने वाला कैंसर है. इसलिए समय रहते इसके लक्षणों को पहचान कर इलाज करवाने की जरूरत होती है. आइए जानते हैं इस बारे में मणिपाल होस्पिटल के कंसल्टेंट ओर्थोपेडिक ओंको सर्जन डाक्टर श्रीमंत बी एस से.

क्या है सार्कोमा कैंसर

सोफ्ट टिश्यू सार्कोमा एक प्रकार का कैंसर है, जो शरीर के चारों और मौजूद टिश्यू में हो जाता है. इसमें मांसपेशियों , वसा , रक्त वाहिकाओं, तंत्रिकाओं के साथसाथ जोइंट्स भी शामिल होते हैं. वयस्कों की तुलना में इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे व उसके बाद युवा आते हैं. और ये कैंसर तब और अधिक घातक हो जाता है, जब ये अंगों में फैलना शुरू हो जाता है. इसलिए इसके लक्षण नजर आते ही तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए, वरना ये जानलेवा भी साबित हो सकता है.

कब होता है 

वैसे तो इसके किसी खास कारण के बारे में नहीं पता है. लेकिन ये आमतौर पर तब होता है , जब कोशिकाएं डीएनए के भीतर विकसित होने लगती हैं .

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कैसे पहचाने  

– हड्डियों में दर्द होना, खासकर के रात के समय. जिसके कारण सोने में दिक्कत महसूस होना.

–  सूजन के साथ बड़े आकार की गांठ बनने लगती है, जो तेजी से बढ़ती जाती है.

– चलते समय सामान्य से गिरने या जख्म के कारण हड्डी का टूटना.

– पेशाब के साथ कई बार ब्लड का आना.

– पेट में बहुत तेज दर्द होना.

– उल्टी जैसी फीलिंग होना.

– हड्डियों में दर्द होना.

अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं , ताकि जरूरी जांच से बीमारी के बारे में पता लगाकर समय पर इलाज शुरू किया जा सके.

हड्डियों के कैंसर कितने प्रकार के होते हैं

ये निर्म प्रकार के होते हैं –

– ओस्टोओसाकोमा

– इविंगज़ सार्कोमा

– कोंड्रोसार्कोमा

– एडमोंटीनोमा

हड्डियों के कैंसर के निदान के लिए कौन से टेस्ट्स

– एक्सरे (प्लेन रेडियोग्राफ )

– ब्लड टेस्ट्स

– एमआरआई या सिटी स्कैन

– बायोसपी

– होल बोडी स्कैन.

कौनकौन से उपचार उपलब्ध हैं – 

सबसे पहले कैंसर की स्टेज व कैंसर के टाइप को देखकर डॉक्टरों की टीम इलाज शुरू करती है. इसके उपचार के लिए कीमोथेरेपी, सर्जरी या रेडियोथेरेपी का सहारा लिया जाता है. बता दें कि 10 पर्सेंट से अधिक हड्डियों के कैंसर के मामले में लिम्ब सालवेज सर्जरी से उपचार किया जाता है. इससे अवयव यानि अंग बच सके. वहीं बाकि उपायों से भी उस गांठ को निकाला जाता है. ताकि व्यक्ति फिर से सामान्य जीवन जी सके.

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सर्जरी या ट्रीटमेंट के दौरान–  

किन बातों का रखें खयाल 

– नियमित जांच के साथ हर 3 – 6 महीने के अंतराल में स्कैन.

– अपनी डाइट का खास खयाल रखना.

– डाक्टर द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करना.

– कोई भी लक्षण दिखाई देने पर डाक्टर से संपर्क करना.

– दवाओं को सही समय पर लेना.

– शरीर पर भार पड़ने वाली किसी भी एक्टिविटी से थोड़े समय तक दूरी बना कर रखना.

– ट्रीटमेंट के दौरान या सर्जरी के बाद बिना पूछे किसी भी दवा का सेवन नहीं करना.

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