सर्दी और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां, कारण और रोकथाम

डॉक्टर बिपिन कुमार दुबे, HCMCT मनिपाल हॉस्पिटल, द्वारका , दिल्ली.

सर्दियों की शुरुआत को लेकर आम लोगों से मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिलती हैं. कुछ लोग ठंड के मौसम का स्वागत करते हैं जबकि अन्य लोग सर्दी के मौसम में फ्लू, श्वसन संबंधी बीमारियों, शीतदंश की चपेट में आने से डरते हैं. लेकिन चिंता का एक और कारण है जिसके बारे में बहुत से लोगों को जानकारी भी नहीं होगी. ठंड के मौसम में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ सकती हैं, दिल की धड़कन में वृद्धि हो सकती है जिससे सिम्पैथेटिक टोन बढ़ने से रक्तचाप बढ़ सकता है और शरीर में ब्लड क्लॉट होने की संभावना भी बढ़ जाती है, जिससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

वास्तव में, सर्दियों के दौरान दिल का दौरा पड़ने की संभावना लगभग 33 प्रतिशत बढ़ जाती है. कहने की जरूरत नहीं है, यह जरूरी है कि लोगों को सर्दियों के दौरान गर्म रहने के लिए पर्याप्त देखभाल करनी चाहिए. ठंड के इन महीनों में बुजुर्ग विशेष रूप से पीड़ित हो सकते हैं क्योंकि ठंड उनके शरीर के तापमान को नाटकीय रूप से गिरा सकती है जिससे हाइपोथर्मिया हो सकता है. यदि शरीर का तापमान 95 डिग्री से कम हो जाता है, तो इस से हाइपोथर्मिया दिल की मांसपेशियों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. इसके अलावा एंजाइना से पीड़ित रोगियों को खास तौर पर सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि ठंड के मौसम में कोरोनरी धमनियों में ऐंठन हो सकती है जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है. कुछ व्यक्तियों को ठंड के मौसम में दिल का दौरा पड़ने का अधिक खतरा होता है, जिनमें बुजुर्ग लोग भी शामिल हैं, जिन्हें दिल का दौरा पड़ने, कोरोनरी हृदय रोगों, या हार्ट फेलर, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, धूम्रपान और सुस्त जीवनशैली का पूर्व इतिहास रहा है.

लक्षण

यह जानते हुए कि सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम अधिक होता है, सचेत रहना और दिल के दौरे का संकेत देने वाले लक्षणों को समझना समझदारी भरा फैसला होगा. सीने में तेज़ दर्द या बेचैनी आमतौर पर रेट्रोस्टेरनल को डिफ्यूज़ करती है लेकिन दांई या बांई तरफ की छाती, कंधे, गर्दन या निचले जबड़े, आमाशय पर हो सकती है, जो ऊपरी अंग तक विकीर्ण होती है.

मतली, उल्टी या चक्कर आना, सांस उखड़ने से जुड़े हो सकते हैं;
महिलाओं को खास तौर पर सतर्क रहना पड़ता है क्योंकि इसके लक्षण थोड़ी अलग तरह से दिखाई दे सकती हैं. इसलिए, भले ही वे असामान्य लक्षणों का अनुभव करें, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि वे हमेशा किसी भी संभावित लक्षण के प्रति सतर्क रहें.

कारण

ठंड की वज़ह से भले ही सिम्पैथेटिक सिस्टम एक्टिवेट होती हों, इनकी वज़ह से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती हैं, दिल की धड़कन में वृद्धि होती है इस प्रकार ब्लड प्रेशर बढ़ता है और दिल पर भार भी. इसके अलावा दिल की रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने से हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की बेमेल मांग और आपूर्ति होती है और दिल का दौरा पड़ता है.

ठंड के मौसम में फाइब्रिनोजेन, फैक्टर 7 आदि जैसे खून को गाढ़ा करने वाले कारकों के बढ़ जाने से रक्त का थक्का जमने की संभावना की वज़ह से दिल और लोवर लिम्ब वेसल में थक्का जम जाता है है, जिससे दिल का दौरा पड़ता है और पैरों में गहरी वेनस थ्रॉम्बॉसिस होता है.

सर्दियों में सामान्य जुकाम, फ्लू, निमोनिया की वृद्धि की घटना होती है, जिससे हृदय वाहिका में एथेरोस्क्लेरोटिक प्लेक का डिस्टेबिलाइज़ेशन होता है, जिससे थक्का जमता है और दिल का दौरा पड़ता है.

इसके अलावा सर्दी के मौसम में लोग ज्यादा तला-भुना वसायुक्त भोजन और शराब खातेपीते हैं, ज्यादा धूम्रपान और कम व्यायाम करते हैं. इन सभी चीजों से हमारे समझे बिना दिल को नुकसान पहुंचता है.

प्रदूषण दिल का दौरा और ब्रेन स्ट्रोक के लिए एक और जोखिम वाला कारक है, जिसके बारे में सभी जानते हैं. सर्दियों में, कोहरे, धुंध, हवा में निलंबित कणों में वृद्धि के कारण, प्रदूषण बहुत उच्च स्तर तक चला जाता है जिससे दिल और फेफड़ों की बीमारी होती है और दिल का दौरा पड़ता है, विशेष रूप से प्रदूषण वाले महानगरों में.

रोकथाम

सेहतमंद खाएं: व्यक्ति को कम वसा, कम चीनी, कम नमक, ज्यादा प्रोटीन संतुलन वाला भोजन लेना चाहिए, जिसमें फल और सब्जियां, फाइबर युक्त साबुत अनाज, वसायुक्त-मछली (सालमन, सार्डिन), नट्स, फलियां और बीज शामिल होने चाहिए. शराब का सेवन भी कम करें, धूम्रपान बंद करें.

सक्रिय रहें: अत्यधिक ठंड में बाहरी गतिविधि और व्यायाम से बचें, इनडोर व्यायाम, इनडोर खेल और योग फिट और स्वस्थ रहेंगे.

पर्याप्त नींद लें: अच्छी सेहत के लिए 7 से 8 घंटे की अच्छी नींद महत्वपूर्ण है.

मौसम के हिसाब से कपड़े पहनें: लोगों को किसी भी कीमत पर कम कपड़े पहने घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए. यह भी महत्वपूर्ण है कि लोग हाइपोथर्मिया (शरीर के तापमान का कम होना) से बचने के लिए काफी सारे कपड़े पहनकर खुद को ढंक लें, विशेष रूप से कोट, टोपी, दस्ताने और भारी मोजे पहने. चूंकि सिर से बहुत सारी गर्मी निकल जाती है, इसलिए बाहर कदम रखने से पहले दुपट्टा और/या टोपी पहनने की भी सिफारिश की जाती है.

बार-बार हाथ धोएं: यह बात काफी से जानी-मानी है कि श्वसन संक्रमण से दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ सकती है. व्यक्ति को साबुन और पानी से नियमित रूप से हाथ धोकर ऐसी स्थिति से बचना चाहिए. इसके अलावा, यदि फ्लू के कोई लक्षण ध्यान देने योग्य हैं जैसे कि बुखार, वायरल खांसी, या शरीर में दर्द होना, तो फ्लू की दवा लेने के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

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