डिलीवरी से पहले ऐसे करें देखभाल

एक रिसर्च के अनुसार, जिन महिलाओं की प्रसव पूर्व केयर नहीं होती है, उनके बच्चे सामान्य बच्चों की तुलना में वजन में कम होने के साथसाथ उनमें मृत्यु का खतरा भी कहीं अधिक होता है. इसलिए प्रैगनैंसी में केयर है जरूरी.

डॉक्टरी जांच है जरूरी

जैसे ही आपको अपनी प्रैगनैंसी के बारे में पता चले तो आप तुरंत ही डाक्टर के पास जाएं, ताकि जरूरी जांच से प्रैगनैंसी कंफर्म हो सके और सभी जरूरी टेस्ट्स समय पर हो पाएं. साथ ही पेट में पल रहे शिशु को पोषण देने के लिए व मष्तिक व रीढ़ की हड्डी में जन्म दोष को रोकने के लिए जरूरी विटामिंस, जिसमें फोलिक एसिड का अहम रोल होता है आदि को समय पर शुरू किया जा सके. ताकि मां और बच्चे में किसी तरह की कमी न रहने पाए.

समयसमय पर टेस्ट करवाएं

प्रैगनैंसी को 3 ट्राइमेस्टर में बांटा गया है. जिसमें पहली स्टेज पहले हफ्ते में 12 हफ्ते की होती है. दूसरी स्टेज 13 हफ्ते से 26 हफ्ते की होती है. और आखिरी यानि तीसरी स्टेज  27 हफ्ते से शुरू हो कर आखिर तक मानी जाती है. इस दौरान शिशु में कोई जेनरिक दोष तो नहीं है, सही से अंगों का विकास तो हो गया है, दिल की धड़कन, ब्लड टेस्ट जैसी चीजों की समयसमय पर जांच की जाती है. ताकि समय पर परेशानी के बारे में पता लगाकर सही समय पर इलाज शुरू किया जा सके. इसलिए आप इस दौरान टेस्ट्स में लापरवाही बिलकुल न करें. जो टेस्ट जब करवाना है उसे तभी करवाएं. वरना थोड़ी सी देरी आप पर भारी पड़ सकती है.

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वीकली चेकअप

प्रैगनैंसी का समय बहुत ही चैलेंजिंग होता है. इस दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते रहते हैं. जैसे अचानक से शरीर के तापमान का बढ़ना, ब्लड प्रेशर का बढ़ना व कम हो जाना, वजन का कम होने जैसे लक्षण. इसलिए आप इन्हें वीकली मोनिटर करने के लिए घर पर ही इन्हें मापने की मशीन लाएं. और अगर संभव न हो तो इन्हें रेगुलर मोनिटर करवाते रहें. ताकि जरा भी गड़बड़ी होने पर एडवांस्ड ट्रीटमेंट देकर आपकी व बच्चे की सुरक्षा की जा सके.

डाइट हो न्यूट्रिएंट्स से भरपूर

आपको सामान्य महिला की तुलना में हर रोज 300 से 500 कैलोरीज ज्यादा लेने की जरूरत है. बता दें कि प्रैगनैंट महिला को रोज 60 ग्राम प्रोटीन, 35-40 मिलीग्राम आयरन, 1000 मिलीग्राम कैल्शियम व 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड लेने की जरूरत होती है. इसके लिए आप डाक्टर द्वारा दिए गए डाइट चार्ट की मदद लें या फिर समयसमय पर डाक्टर से अपनी डाइट के बारे में सलाह लेते रहें.

बॉडी को रखें एक्टिव

प्रैगनैंसी कोई बीमारी नहीं है, जो आप पूरे 9 महीने कुछ नहीं कर सकते. अगर आपकी प्रैगनैंसी में किसी भी तरह का कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं है और डाक्टर आपको एक्टिव रहने के लिए लाइट एक्सरसाइज, की की सलाह देते हैं तो आप इसे अपने डेली रूटीन में जरूर शामिल करें. क्योंकि इससे एक तो नार्मल डिलीवरी में मदद मिलेगी और दूसरा आपकी एनर्जी बूस्ट होने से आप चीजों को ज्यादा अच्छे से एंजोय कर पाएंगे. साथ ही इससे बीपी कंट्रोल में होने के साथ पीठ के दर्द से राहत मिलने के साथसाथ पेल्विक एरिया में होने वाले खिंचाव में भी कमी आती है.

हाइजीन का खास खयाल

प्रैगनैंट महिलाओं को इस दौरान अपनी पर्सनल हाइजीन का खास ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि इस दौरान हार्मोन्स में हुए बदलाव के कारण पसीना आने के साथ वेजाइनल डिस्चार्ज बहुत अधिक होता है. और यह माहौल कीटाणुओं के पनपने के लिए बिलकुल उपयुक्त माना जाता है. ऐसे में अगर आप हाइजीन का ध्यान नहीं रखते हैं तो इंफेक्शन होने के चांसेस काफी ज्यादा बढ़ सकते हैं.

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