लड़कियों में न निकालें मीनमेख

सुश्रुत अपने परिवार के साथ दिल्ली के राजौरी गार्डन में लड़की देखने गया. वह बड़े जोश में था और दोस्तों को भी बता कर आया था कि लड़की देखने जा रहा हूं. लड़की वालों के घर जब उस का पूरा परिवार पहुंचा तो उन्होंने आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ी. अच्छा खाना खिलाया. सभी रिश्तेदारों ने उन का खुले दिल से स्वागत किया.

अब आई लड़की दिखाने की बारी. सौम्य सी लड़की वंदना जब सामने बैठी तो सुश्रुत समेत उस के घर वाले इस तरह से सवाल दागने लगे मानो वंदना उन की कंपनी में इंटरव्यू देने आई हो.

कितनी उम्र है? अब तक कितने लड़के देख चुके हैं तुम्हें? कहां जौब करती हो औफिस में किसी से अफेयर तो नहीं है? बौस पुरुष है या महिला? हाइट कितनी है तुम्हारी? सैलरी कितनी मिलती है? इन्हैंड कितनी है और पेपर में कितनी है? तुम्हारी हाईट बिना हाई हील्स के कितनी है? तुम्हारा कलर ही इतना फेयर है या मेकअप किया है? कपड़े कैसे पहनती हो? वैस्टर्न का भी शौक है? इतनी ज्यादा उम्र हो गई है, अभी तक कोई लड़का नहीं मिला या कोई कमी थी?

ऐसे ही सवालों की झड़ी लगा दी उन्होंने, जिस से वंदना घबरा गई और बिना कुछ कहे रोते हुए अंदर चली गई. इस पर भी सुश्रुत का परिवार नहीं माना. लड़की हकली है क्या? कुछ बीमारी तो नहीं है? कुछ बोल क्यों नहीं रही थी? कुछ छिपा रही थी क्या? जैसे सवाल दागते रहे. जाहिर है लड़की और उन के परिवार वालों को उन की इन हरकतों से बहुत शर्मिंदा होना पड़ा.

लड़की राशन का सामान नहीं

यह ऐसी अकेली घटना नहीं है. लगभग हर घर में लड़की देखने आए लोग ऐसा ही व्यवहार करते हैं. बड़े बुजुर्ग ऐसा व्यवहार करते हैं तो समझ में आता है, लेकिन जब आज के युवा लड़की देखते वक्त इतनी मीनमेख निकालते हैं, तो लगता है उन्हें लड़की नहीं कोई स्मार्ट फीचर वाला फोन चाहिए, जिस का एकएक स्पैसिफिकेशन चैक करना जरूरी हो. अरे भाई, लड़की है कोई खानेपीने का सामान नहीं, जो इतना मोलभाव किया जाए.

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हर इंसान में कुछ कमियां और कुछ खूबियां होती हैं. ऐसे में सिर्फ युवती में ही कमी निकालना गलत है. आज युवाओं को सोचना चाहिए कि युवतियां आत्मनिर्भर हो कर अपना जीवन जीना चाहती हैं.

इसलिए वे आत्मसम्मान से समझौता नहीं करतीं ऐसे में क्या कोई युवा चाहेगा कि उस की होने वाली वाइफ के साथ इस तरह की मीनमेख निकाल कर शादी हो. होना तो यह चाहिए कि युवक अपनी होने वाली पत्नी के साथ अलग से बात कर के अपनी पसंदनापसंद, हौबीज, आइडियोलौजी और जीवन में वरीयता देने वाली बातों पर चर्चा करे और जब मन मिल जाएं तब शादी के लिए हां करे.

शक्लसूरत और धनसंपदा न होने के कारण लड़की में कमी निकालना मूर्खता है. शरीर और पैसा तो बदलता रहता है, लेकिन इंसान के विचार नहीं बदलते. जरा सोचिए जो युवक शादी से पहले युवतियों में इतनी मीनमेख निकाल कर उन्हें शर्मिंदा करते हैं, अगर उन की बहन को देखने आए लड़के वाले भी ऐसी ही हरकत करें तो उन्हें कितना बुरा लगेगा? जाहिर है सब की भावना और आत्मसमान का आदर करना चाहिए.

अपने गिरेबान में भी झांकें

हमारी संस्कृति और रीतिरिवाज ऐसे हैं जहां लड़की को लड़के वालों के सामने झुकना पड़ता है. लड़का लड़की को ब्याह कर यह समझता है कि वह उस पर एहसान कर रहा है जबकि दुनिया में दो लड़कालड़की शादी करते वक्त एकदूसरे का बराबरी से सामना करते हैं और कोई बिना किसी के सामने झुके व आपस में बात कर शादी तय करते हैं, लेकिन हमारे यहां युवक समझते हैं कि अगर वे शादी करने जा रहे हैं तो लड़की की क्लास ले कर आएंगे. उस का अगलापिछला सब चैक कर फिर उसे पास करेंगे.

दरअसल, वे अपने गिरेबान में झांकना भूल जाते हैं. जरा सोचिए, युवती यदि आप के शरीर, लंबाई और हैसियत का मजाक बना कर शादी के दौरान आप को कमतर आंके तो कैसा लगेगा?

युवा प्रश्न करने से पहले यह भूल जाते हैं कि पहले वे अपनी खूबियां भी तो बताएं. जब उन से सिर्फ लड़के के बारे में पूछा जाता है तो कहते हैं कि लड़का ज्यादा पढ़ा तो नहीं है, लेकिन बाप का बिजनैस देखेगा.

अगर लड़का लड़की देखने जा रहा है तो बिना लड़की देखे कोई राय न बनाएं. अकसर लोग पहले से ही नकारात्मक विचार मन में बना लेते हैं. जिस वजह से उन्हें हर चीज में यही भाव दिखाई देता है. लड़की वालों को ऐसा महसूस न कराएं कि आप को लड़की नापसंद है. सिर्फ लड़की की कमियां न गिनवाएं. इतना ही नहीं यदि लड़की या लड़के में कोई कमी या विकार है तो उसे उजागर करें.

लड़की वालों के यहां रिश्तेदारों की पूरी फौज ले कर न जाएं. अगर युवक ज्यादा कमाता है या परिवार आर्थिक रूप से लड़की वालों से मजबूत भी हो, तो भी लड़की वालों पर अपने पैसे का रोब दिखा कर उन्हें छोटा होने का एहसास न होने दें.

अंधविश्वासी न बनें

शादी के समय पंडेपुरोहित लड़के के घर वालों को अंधविश्वास में फंसा कर अपनी जेब भर लेते हैं. युवक को भी लड़की की खूबसूरती से जुड़े टोटके बता कर भटकाने का काम करते हैं.

वे भाग्य को चमकाने वाले चिह्न बता कर युवक के मन में शारीरिक और नस्लीय भेदभाव का बीज रोप देते हैं. कभी भी अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर शादी के दौरान लड़की देखते हुए ऐसे रिवाजों में न पड़ें. तन की नहीं मन की सुंदरता भी देखें.

लड़की को करें सहज

जब कोई युवा किसी लड़की को देखने जाता है तो उसे यह बात समझनी चाहिए कि यह समय लड़की के लिए बड़ा नर्वस होने वाला होता है. उस पर कई तरह के दबाव रहते हैं. मातापिता का दबाव होता है कि ठीक ढंग से तैयार हो कर लड़के के सामने जाना. किसी भी तरह की कोई चूक नहीं होनी चाहिए, जबकि लड़के के सामने किसी तरह का कोई दबाव नहीं होता. उलटे वह सीना चौड़ा कर यह सोच कर जाता है कि उसे तो लड़की सिलैक्ट या रिजैक्ट करनी है.

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यह मानसिकता गलत है. युवक को चाहिए कि लड़की से बात कर उसे सहज करे. जाहिर सी बात है इस दिन आप दोनों अच्छे कपड़े पहन कर गए होंगे, लेकिन बात की शुरुआत के लिए कपड़ों की तारीफ करना अच्छा रहेगा. इस से उस लड़की को लगेगा कि आप ने उसे नोटिस किया.

लड़की को अच्छा लगेगा अगर आप अपनी संभावित पत्नी से उन के घरपरिवार के बारे में पूछें. कैरियर के बारे में उस से बातें करना भी एक अच्छा विकल्प है. कुछ न समझ आए तो चुपचाप उस की पसंद के बारे में पूछ लें. ऐसा करने से लड़की काफी सहज हो जाएगी और आप की बातों का उचित और तार्किक जवाब दे पाएगी.

जरा सोचिए, आप एक परिवार के साथ जीवनभर का रिश्ता जोड़ने के इरादे से जाते हैं ऐसे में अगर वे भी आप के परिवार व आप को ले कर मीनमेख निकालें तो जाहिर है बुरा लगेगा. जो व्यवहार आप को बुरा लग सकता है उसे दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए. रीतिरिवाज या रिश्तेदारों के दबाव में आ कर लकड़ी की या उस के परिवार वालों की मीनमेख निकालने के चक्कर में हो सकता है आप के हाथ से एक अच्छा रिश्ता निकल जाए. शादी को सौदेबाजी का खेल बनाना निहायत ही गलत है.

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