लड़कियों में न निकालें मीनमेख

सुश्रुत अपने परिवार के साथ दिल्ली के राजौरी गार्डन में लड़की देखने गया. वह बड़े जोश में था और दोस्तों को भी बता कर आया था कि लड़की देखने जा रहा हूं. लड़की वालों के घर जब उस का पूरा परिवार पहुंचा तो उन्होंने आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ी. अच्छा खाना खिलाया. सभी रिश्तेदारों ने उन का खुले दिल से स्वागत किया.

अब आई लड़की दिखाने की बारी. सौम्य सी लड़की वंदना जब सामने बैठी तो सुश्रुत समेत उस के घर वाले इस तरह से सवाल दागने लगे मानो वंदना उन की कंपनी में इंटरव्यू देने आई हो.

कितनी उम्र है? अब तक कितने लड़के देख चुके हैं तुम्हें? कहां जौब करती हो औफिस में किसी से अफेयर तो नहीं है? बौस पुरुष है या महिला? हाइट कितनी है तुम्हारी? सैलरी कितनी मिलती है? इन्हैंड कितनी है और पेपर में कितनी है? तुम्हारी हाईट बिना हाई हील्स के कितनी है? तुम्हारा कलर ही इतना फेयर है या मेकअप किया है? कपड़े कैसे पहनती हो? वैस्टर्न का भी शौक है? इतनी ज्यादा उम्र हो गई है, अभी तक कोई लड़का नहीं मिला या कोई कमी थी?

ऐसे ही सवालों की झड़ी लगा दी उन्होंने, जिस से वंदना घबरा गई और बिना कुछ कहे रोते हुए अंदर चली गई. इस पर भी सुश्रुत का परिवार नहीं माना. लड़की हकली है क्या? कुछ बीमारी तो नहीं है? कुछ बोल क्यों नहीं रही थी? कुछ छिपा रही थी क्या? जैसे सवाल दागते रहे. जाहिर है लड़की और उन के परिवार वालों को उन की इन हरकतों से बहुत शर्मिंदा होना पड़ा.

लड़की राशन का सामान नहीं

यह ऐसी अकेली घटना नहीं है. लगभग हर घर में लड़की देखने आए लोग ऐसा ही व्यवहार करते हैं. बड़े बुजुर्ग ऐसा व्यवहार करते हैं तो समझ में आता है, लेकिन जब आज के युवा लड़की देखते वक्त इतनी मीनमेख निकालते हैं, तो लगता है उन्हें लड़की नहीं कोई स्मार्ट फीचर वाला फोन चाहिए, जिस का एकएक स्पैसिफिकेशन चैक करना जरूरी हो. अरे भाई, लड़की है कोई खानेपीने का सामान नहीं, जो इतना मोलभाव किया जाए.

ये भी पढ़ें- पति की जबरदस्ती से कैसे बचें

हर इंसान में कुछ कमियां और कुछ खूबियां होती हैं. ऐसे में सिर्फ युवती में ही कमी निकालना गलत है. आज युवाओं को सोचना चाहिए कि युवतियां आत्मनिर्भर हो कर अपना जीवन जीना चाहती हैं.

इसलिए वे आत्मसम्मान से समझौता नहीं करतीं ऐसे में क्या कोई युवा चाहेगा कि उस की होने वाली वाइफ के साथ इस तरह की मीनमेख निकाल कर शादी हो. होना तो यह चाहिए कि युवक अपनी होने वाली पत्नी के साथ अलग से बात कर के अपनी पसंदनापसंद, हौबीज, आइडियोलौजी और जीवन में वरीयता देने वाली बातों पर चर्चा करे और जब मन मिल जाएं तब शादी के लिए हां करे.

शक्लसूरत और धनसंपदा न होने के कारण लड़की में कमी निकालना मूर्खता है. शरीर और पैसा तो बदलता रहता है, लेकिन इंसान के विचार नहीं बदलते. जरा सोचिए जो युवक शादी से पहले युवतियों में इतनी मीनमेख निकाल कर उन्हें शर्मिंदा करते हैं, अगर उन की बहन को देखने आए लड़के वाले भी ऐसी ही हरकत करें तो उन्हें कितना बुरा लगेगा? जाहिर है सब की भावना और आत्मसमान का आदर करना चाहिए.

अपने गिरेबान में भी झांकें

हमारी संस्कृति और रीतिरिवाज ऐसे हैं जहां लड़की को लड़के वालों के सामने झुकना पड़ता है. लड़का लड़की को ब्याह कर यह समझता है कि वह उस पर एहसान कर रहा है जबकि दुनिया में दो लड़कालड़की शादी करते वक्त एकदूसरे का बराबरी से सामना करते हैं और कोई बिना किसी के सामने झुके व आपस में बात कर शादी तय करते हैं, लेकिन हमारे यहां युवक समझते हैं कि अगर वे शादी करने जा रहे हैं तो लड़की की क्लास ले कर आएंगे. उस का अगलापिछला सब चैक कर फिर उसे पास करेंगे.

दरअसल, वे अपने गिरेबान में झांकना भूल जाते हैं. जरा सोचिए, युवती यदि आप के शरीर, लंबाई और हैसियत का मजाक बना कर शादी के दौरान आप को कमतर आंके तो कैसा लगेगा?

युवा प्रश्न करने से पहले यह भूल जाते हैं कि पहले वे अपनी खूबियां भी तो बताएं. जब उन से सिर्फ लड़के के बारे में पूछा जाता है तो कहते हैं कि लड़का ज्यादा पढ़ा तो नहीं है, लेकिन बाप का बिजनैस देखेगा.

अगर लड़का लड़की देखने जा रहा है तो बिना लड़की देखे कोई राय न बनाएं. अकसर लोग पहले से ही नकारात्मक विचार मन में बना लेते हैं. जिस वजह से उन्हें हर चीज में यही भाव दिखाई देता है. लड़की वालों को ऐसा महसूस न कराएं कि आप को लड़की नापसंद है. सिर्फ लड़की की कमियां न गिनवाएं. इतना ही नहीं यदि लड़की या लड़के में कोई कमी या विकार है तो उसे उजागर करें.

लड़की वालों के यहां रिश्तेदारों की पूरी फौज ले कर न जाएं. अगर युवक ज्यादा कमाता है या परिवार आर्थिक रूप से लड़की वालों से मजबूत भी हो, तो भी लड़की वालों पर अपने पैसे का रोब दिखा कर उन्हें छोटा होने का एहसास न होने दें.

अंधविश्वासी न बनें

शादी के समय पंडेपुरोहित लड़के के घर वालों को अंधविश्वास में फंसा कर अपनी जेब भर लेते हैं. युवक को भी लड़की की खूबसूरती से जुड़े टोटके बता कर भटकाने का काम करते हैं.

वे भाग्य को चमकाने वाले चिह्न बता कर युवक के मन में शारीरिक और नस्लीय भेदभाव का बीज रोप देते हैं. कभी भी अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर शादी के दौरान लड़की देखते हुए ऐसे रिवाजों में न पड़ें. तन की नहीं मन की सुंदरता भी देखें.

लड़की को करें सहज

जब कोई युवा किसी लड़की को देखने जाता है तो उसे यह बात समझनी चाहिए कि यह समय लड़की के लिए बड़ा नर्वस होने वाला होता है. उस पर कई तरह के दबाव रहते हैं. मातापिता का दबाव होता है कि ठीक ढंग से तैयार हो कर लड़के के सामने जाना. किसी भी तरह की कोई चूक नहीं होनी चाहिए, जबकि लड़के के सामने किसी तरह का कोई दबाव नहीं होता. उलटे वह सीना चौड़ा कर यह सोच कर जाता है कि उसे तो लड़की सिलैक्ट या रिजैक्ट करनी है.

ये भी पढ़ें- तो आसान होगी तलाक के बाद दूसरी शादी

यह मानसिकता गलत है. युवक को चाहिए कि लड़की से बात कर उसे सहज करे. जाहिर सी बात है इस दिन आप दोनों अच्छे कपड़े पहन कर गए होंगे, लेकिन बात की शुरुआत के लिए कपड़ों की तारीफ करना अच्छा रहेगा. इस से उस लड़की को लगेगा कि आप ने उसे नोटिस किया.

लड़की को अच्छा लगेगा अगर आप अपनी संभावित पत्नी से उन के घरपरिवार के बारे में पूछें. कैरियर के बारे में उस से बातें करना भी एक अच्छा विकल्प है. कुछ न समझ आए तो चुपचाप उस की पसंद के बारे में पूछ लें. ऐसा करने से लड़की काफी सहज हो जाएगी और आप की बातों का उचित और तार्किक जवाब दे पाएगी.

जरा सोचिए, आप एक परिवार के साथ जीवनभर का रिश्ता जोड़ने के इरादे से जाते हैं ऐसे में अगर वे भी आप के परिवार व आप को ले कर मीनमेख निकालें तो जाहिर है बुरा लगेगा. जो व्यवहार आप को बुरा लग सकता है उसे दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए. रीतिरिवाज या रिश्तेदारों के दबाव में आ कर लकड़ी की या उस के परिवार वालों की मीनमेख निकालने के चक्कर में हो सकता है आप के हाथ से एक अच्छा रिश्ता निकल जाए. शादी को सौदेबाजी का खेल बनाना निहायत ही गलत है.

ये भी पढ़ें- इस Festive Season डर नहीं लाएं खुशियां

जब फ्लर्ट करने लगे मां का फ्रैंड  

20वर्षीय सेजल अपनी मां शेफाली के बौयफ्रैंड राजीव मलिक से बेहद परेशान है. 45 वर्षीय शेफाली 10 साल से अपने पति रवि से अलग रह रही हैं. ऐसे में पुरुषों का आनाजाना उस की जिंदगी में लगा रहता है. राजीव मलिक शेफाली के घरबाहर दोनों के काम देखता है और इस कारण राजीव का हस्तक्षेप शेफाली की जिंदगी में बढ़ने लगा था. हद तो तब हो गई जब राजीव 48 वर्ष की उम्र में भी खुलेआम सेजल से फ्लर्ट करने लगा था.

कभी पीठ पर चपत लगा देता, कभी गालों को प्यार से छूना, कभी सेजल के बौयफ्रैंड्स के बारे में तहकीकात करना इत्यादि से सेजल के साथ ये सब उस की अपनी सगी मां के सामने हो रहा था जो मूर्खों की तरह अपने बौयफ्रैंड के ऊपर आंखें मूंद कर विश्वास कर बैठी थी. सेजल एक अजीब सी कशमकश से गुजर रही है. उसे सम झ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, किस के साथ अपनी बात सा झा करे?

सेजल ने जब यह बात अपने बौयफ्रैंड संचित को बताई तो उस ने सेजल को सपोर्ट न कर के इस बात का फायदा उठाया. एक तरफ संचित तो दूसरी तरफ राजीव, सेजल का इन दोनों के बाद पुरुषों से विश्वास ही उठ गया है. काश सेजल ने बात अपनी मौसी या नानी को बताई होती.

उधर काशवी के मम्मी के दोस्त आलोक अंकल कब अंकल की परिधि से निकल कर कब उस के जीवन में आ गए खुद काशवी भी न जान पाई थी. आलोक अंकल का खुल कर पैसा खर्च करना, रातदिन उस से चैट करना सबकुछ काशवी को पसंद आता था. काशवी की मम्मी रश्मि उधर  यह सोच कर खुशी थी कि उन की बेटी को फ्रैंड फिलौसफर और गाइड मिल गया है. आलोक को और क्या चाहिए एक तरफ रश्मि की दोस्ती और दूसरी तरफ काशवी की अल्हड़ता.

काशवी के साथ छिछोरेबाजी करते हुए आलोक को यह भी याद नहीं रहता कि उस की अपनी बेटी काशवी की ही  हमउम्र है.

मगर कुछ लड़कियां सम झदार भी होती हैं. जब बिनायक ने अपनी फ्रैंड सुमेधा की बेटी पलक के साथ फ्लर्ट करने की कोशिश की तो पलक ने भी अपना काम निकाला और जैसे ही विनायक ने फ्लर्टिंग के नाम पर सीमा लांघनी चाही तो पलक ने बड़ी होशयारी से अपनी मम्मी सुमेधा को आगे कर दिया. विनायक और सुमेधा आज भी दोस्त हैं, परंतु विनायक अब भूल कर भी पलक के आसपास नहीं फटकते हैं.

ये भी पढ़ें- रिवार्ड थेरैपी से संवारें बच्चों का भविष्य

आज के आधुनिक युग की ये कुछ  अलग किस्म की समस्याएं हैं. जब महिलापुरुष एकसाथ काम करेंगे तो स्वाभाविक सी बात है  कि उन में दोस्ती भी होगी और ये पुरुष मित्र घर भी आएंगेजाएंगे.

मगर इन पुरुष मित्रों की सोच कैसी है यह आप की मम्मी या आप को भी नहीं पता होता है. इसलिए अगर आप की मम्मी का पुरुष मित्र आप से फ्लर्टिंग करने की कोशिश करे तो उसे हलके में न लें. आप आज की पढ़ीलिखी स्वतंत्र युवा हैं. हलकेफुलके मजाक और भोंडे़ मजाक में फर्क करना सीखें.

मौसी या आंटी को बनाएं राजदार

आप की मौसी या आंटी को आप से अधिक जिंदगी के अनुभव हैं. वे अपने अनुभवों के आधार पर अवश्य ही आप को सही सलाह देंगी. अपने तक ही ऐसी बात को सीमित रखें, बातचीत अवश्य करें.

फ्रैंड के बच्चों से कर लें दोस्ती

यदि मम्मी के फ्रैंड अपनी सीमा रेखा को भूलने की कोशिश करें तो उन्हें मर्यादा में रखने के लिए उन के बच्चों से दोस्ती कर लें. उन के घर जाएं, उन के परिवार को अपने घर पर बुलाएं.

अपने पापा को भी साथ ले कर जाना मत भूलें. जैसे ही परिवार की बात आती है अच्छेअच्छे सूरमाओं के पसीने छूट जाते हैं. वे भूल से भी आप को तंग नहीं करेंगे.

गलत बात का करें विरोध

बहुत बार देखने में आता है कि हम  अपने बड़ों की गलत बात को जानबू झ कर नजरअंदाज कर देते हैं. इस के पीछे बस उन की उम्र का लिहाज होता है, परंतु ये आप के मम्मी  या पापा नहीं हैं कि आप को उन का लिहाज करना पड़े. उन की गलत बात का डट कर  विरोध करें और अगर जरूरी लगे तो अपनी  मम्मी को भी उन के फ्रैंड के व्यवहार से अवगत अवश्य कराएं.

लक्ष्मण रेखा खींच कर रखें

अपनी मम्मी के फ्रैंड से बातचीत करने में कोई बुराई नहीं है, परंतु अपने व्यवहार को मर्यादित रखें. अगर आप खुद ही फौर्मल रहेंगी तो आप के अंकल भी कैजुअल नहीं हो पाएंगे. हलकाफुलका मजाक करने में बुराई नहीं है पर इन हलकेफुलके पलों में यह याद रखें कि आप की मम्मी भी शामिल हो.

ये भी पढ़ें- बच्चों में बढ़ता तनाव कैसे निबटें

दिखाएं उम्र का आईना

यह सब से अचूक और कारगर उपाय है, जो कभी खाली नहीं जाता है. अगर मम्मी के फ्रैंड ज्यादा तफरीह करने की कोशिश करें तो उन्हें उन की उम्र का आईना दिखाने से गुरेज न करें. अपने को उम्रदराज मनाना किसी को भी पसंद नहीं है. एक बार आप अपने और उन के बीच उम्र का फासला महसूस करवाएंगी तो भूल से भी वे दोबारा आसपास नहीं फटकेंगे.

वह मेरी दोस्त भी है : अपनी बेटी को जरूर सिखाएं ये बातें

कल रिया के घर उस की बर्थडे पार्टी में उस समय सभी का मूड खराब हो गया जब रिया की अपनी मां से बहस हो गई. बात यह थी कि रिया का अपनी सहेलियों के साथ कहीं घूमने का प्लान था. जब पार्टी के बाद वह उन के साथ जाने लगी तो मां उसे डांटते हुए बोलीं कि आजकल वह सहेलियों के साथ कुछ ज्यादा ही घूमनेफिरने लगी है. इस पर वह लगाम लगाए. आए दिन उस के देर से घर लौटने को ले कर भी वे नाराज रहतीं.

बस फिर क्या था. रिया भी मां पर बरस पड़ी, ‘‘बड़े भैया दोस्तों के साथ कितनी पार्टियों में जाते हैं. उन्हें तो आप कुछ नहीं कहतीं. अगर वे रात को किसी फ्रैंड के घर रुक भी जाते हैं, तो भी आप और पापा बुरा नहीं मानते. फिर मेरे ऊपर ही इतने प्रतिबंध क्यों? मेरा जो मन चाहेगा करूंगी,’’ कह वह सैंडल पटकती हुई सहेलियों के साथ चली गई.

इस घटना में मांबेटी का व्यवहार एकदूसरे के प्रति नकारात्मक है. मां का डांटना बेटी को रास नहीं आ रहा. उस की प्रतिक्रिया आक्रामक सी होती दिख रही है. एक मां को अपनी बेटी से बहुत आशाएं होती हैं और बेटी भी मां से स्नेह चाहती है. मांबेटी का रिश्ता इतना करीबी है कि इस की तुलना सखियों के प्रेम से की जाती है. किंतु कभीकभी गलत व्यवहार के कारण इस रिश्ते में खटास आ जाती है और फिर मतभेद बढ़ते ही जाते हैं.

कुछ मां की मानें, कुछ अपनी मनवाएं

‘मां से बढ़ कर अपने बच्चों का हितैषी कोई और नहीं होता’ यदि इस बात को हर बेटी एक जुमला न समझे और हकीकत में उन्हें अपना शुभचिंतक मान उन का कहा न टाले तो इस रिश्ते में दरार आने की संभावना समाप्त हो जाएगी. वह मां की कही बातें ध्यान से सुने और उन पर अमल भी करे. यदि कुछ बातें सही नहीं लग रही हों, तो मां के सामने अपना पक्ष रख कर अपनी बात उन तक पहुंचाए जैसे यदि मां कहती हैं कि बेटी बाहर देर तक न रहे और समय से घर आ जाए, तो इस बात को मानने में आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

किसी कारणवश देर होने की संभावना हो तो उन्हें सूचित कर दिया जाए. बाहर जाने पर घर में फोन के माध्यम से संपर्क में रहें. यदि मां सुरक्षा को ले कर जरूरत से ज्यादा चिंतित रहती हैं और बारबार काल करती हैं, तो उन्हें इस के लिए ऊंची आवाज में बेइज्जत करने के बजाय अपने निडर हो कर हर स्थिति का सामना करने के हौसले से परिचित करवाएं. यह मां के डर को दूर तो करेगा ही, साथ ही साथ आप के इन गुणों को जानने के बाद वे आप पर गर्व भी करेंगी. उन्हें स्त्री की स्वतंत्रता के महत्त्व से समझदरी से परिचित करवाएं.

ये भी पढ़ें- जब कोई पीठ पीछे बुराई करे

बेटी अपनी पसंद का मेकअप करे या कपड़े, जूतेचप्पल पहने और मां टोक दें तो उन के कारणों को जानने का प्रयास करें. यदि वे बदलते समय को समझे बिना आप को रोकती हैं तो आदर के साथ उन्हें अपनी बात समझा दें.

यदि मां सस्ते मेकअप प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल व प्रतिदिन गहरा मेकअप करने से होने वाली हानियों से आगाह करें तो उन की बात अनसुनी न करें. जब मां जान जाएगी कि बेटी उन की बातें मान रही है तो यकीनन वे ड्रैस चुनने के मामले में आप की पसंद को कभी नहीं नकारेंगी.

मां एक सच्ची मार्गदर्शक

बेटी को चाहिए कि वह कोई निर्णय लेते समय मां को उस में अवश्य शामिल करे. अपना कैरियर चुनने में भी बेटी मां की मदद ले तो निर्णय गलत साबित होने की संभावना कम से कम होती है.

अपने खर्चों के विषय में मां को समयसमय पर बताने से बेटी को इस क्षेत्र में भी सही मार्गदर्शन मिल जाएगा. रोज के खर्च के लिए जब बेटी मां से पौकेट मनी की आशा रखती है, तो मां भी यह उम्मीद करें कि वह पैसा फुजूल में खर्च नहीं होगा, तो कुछ बुरा नहीं है.

सच तो यह है कि मां के मार्गदर्शन और सहारे की बेटी को बहुत जरूरत होती है. शरीर में होने वाले हारमोनल बदलाव, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण व अच्छेबुरे स्पर्श के विषय में मां ही बता सकती हैं. बेटी को चाहिए कि वह ऐसे विषयों पर मां से बिना संकोच बात करें. इस के अलावा बलात्कार व शारीरिक शोषण जैसे मुद्दों पर भी उन से खुल कर बात करें.

सोशल मीडिया से दूरी

यदि मां चाहती हैं कि आप मोबाइल फोन और फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट व टिंडर आदि ऐप्स से दूरी रखें तो इस में गलत कुछ नहीं है. ये ऐप्स व्यक्ति को समाज के साथ जोड़ने का काम तो करते हैं, किंतु इन में बिजी होने से समय की बरबादी भी बहुत होती है. अत: इन का प्रयोग एक सीमा तक करना ही लाभप्रद है. सुरक्षा के नजरिए से भी ये कभीकभी हानिकारक साबित होते हैं.

मां की मददगार बनें

यदि मां बीमार हैं, मेहमान आए हैं या मां को कोई और काम करना है तो बेटी मदद अवश्य करे. घर के कामों में मां की मदद का अवसर हाथ से न जाने दें. यदि घर पर छोटे भाईबहन हैं तो उन के साथ समय बिताएं.

इलाहाबाद में रहने वाली 14 वर्षीय श्रुति यह सुन कर फूली न समाई कि उस के छोटे भाई कबीर को स्कूल के ‘पोइम रैसिटेशन कंपीटिशन’ में फर्स्ट प्राइज मिला है. जब श्रुति की मां रोज रात को किचन संभालती थीं, तब श्रुति कबीर को कविता बोलने का अभ्यास करवाती थी. बड़ी दीदी बन कर अपनी भैया को अच्छी बातें समझाते हुए श्रुति अनजाने में ही कई जिम्मेदारियां निभाना भी सीख गई.

किसी से तुलना कभी नहीं

यदि मां द्वारा बेटाबेटी में भेदभाव किया जा रहा हो तो उन्हें नारीशक्ति का महत्त्व समझाते हुए बेटियों का स्थान बता दें. उन्हें कोमल शब्दों का प्रयोग करते हुए याद दिलाएं कि वे भी एक स्त्री हैं और परिवार में उन का किरदार कितना अहम है. कभीकभी अपने भैया को मां द्वारा विशेष मान दिए जाने पर ईर्ष्या न करें. ‘पापा की परी’ तो आप ही रहेंगी. हां, समझदारी से लिंगभेद की समस्या का जिक्र करते हुए इस के बुरे प्रभाव जरूर गिना दें.

अकसर मां को शिकायत होती है कि बेटी अपने मित्रों को ही समय देती है, मां को नहीं. अत: मां के साथ समयसमय पर शौपिंग करने, खानेपीने या कहीं आसपास के पर्यटनस्थल पर घूमने जरूर जाएं. मां की करीबी होने पर वे घर के महत्त्वपूर्ण निर्णय में बेटी का पक्ष जानना चाहेंगी और अपने सुखदुख बेटी के साथ साझा करेंगी.

ये भी पढ़ें- आज की सास बहू, मिले सुर मेरा तुम्हारा

शुभकामनाएं दे कर बन जाएं दोस्त

बेटी द्वारा दी गई शुभकामनाएं मां के लिए विशेष महत्त्व रखती हैं. अत: बेटी को चाहिए कि वह खास अवसरों पर मां को विश करना न भूलें. ये खास अवसर नया साल, बर्थडे या मम्मी की मैरिज ऐनिवर्सरी हो सकते हैं.

झूठ न बोलें

मां से कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए. यदि कभी झूठ बोला और मां को पता लग गया तो सौरी बोल कर मन में निश्चय कर लें कि मां के साथ भविष्य में ऐसा धोखा कभी नहीं करेंगी.

आराधना अपने बौयफ्रैंड मनन को ले कर अपनी मां से झूठ बोलती रही. अपने सहेली से मिलने के बहाने वह रोज मनन से मिलने चली जाती. यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक मनन का धोखेबाज चरित्र उस के सामने नहीं आ गया. वह शारीरिक संबंध बनाने के लिए आराधना पर दबाव डालने लगा. यही नहीं, दोनों के अफेयर को ले कर मुंह न खोलने के बदले वह रुपयों की मांग भी करने लगा और इस कारण आराधना ने घर से पैसे भी चुरा लिए.

आखिर तंग आ कर उस ने मां को डरते हुए इस बात की जानकारी दी. मां थोड़ा नाराज तो हुईं, पर उन्होंने मनन के घर वालों से उस की शिकायत कर उसे भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी के साथ पुलिस का भय भी दिखा दिया. आराधना ने तब राहत की सांस ली और आने वाले समय में अपनी मां से सब सच बोलने का निर्णय किया. वह जान चुकी थी कि मां को पहले ही सबकुछ सच बता दिया होता तो ऐसी नौबत ही नहीं आती.

माई मौम इज द बैस्ट

यदि आप अपने मित्रों, रिश्तेदारों व पड़ोसियों के सामने मां की डांट को भुला कर उन के द्वारा की जा रही मेहनत और त्याग को देखेंगी तो सचमुच आप को लगेगा माई मौम इज द बैस्ट.

एक मां और बेटी का रिश्ता सब रिश्तों से अलग, बेजोड़ होता है. बेटी के रूप में मां अपने बचपन को फिर से जीती है.

ये भी पढ़ें- कहीं आप बच्चों को बहुत ज्यादा डांटते तो नहीं

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें