मेरे पीरियड्स समय पर नहीं होते, मैं इस के लिए क्या करूं?

सवाल

मेरी माहवारी समय पर नहीं होती. मैं इस के लिए क्या करूं?

जवाब

आप ने अपनी उम्र का जिक्र नहीं किया है. वैसे, अकसर माहवारी का सिलसिला गड़बड़ा जाता है. लिहाजा, आप को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है.

आमतौर पर शादी और बच्चे होने के बाद माहवारी ठीक हो जाती है. आप अपना खानपान ठीक रखें और खास तकलीफ हो, तो किसी माहिर लेडी डाक्टर को दिखाएं.

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अनियमित माहवारी

औरतों को हर माह पीरियड से दोचार होना पड़ता है, इस दौरान कुछ परेशानियां भी आती हैं. मसलन, फ्लो इतना ज्यादा क्यों है? महीने में 2 बार पीरियड क्यों हो रहे हैं? हालांकि अनियमित पीरियड कोई असामान्य घटना नहीं है, किंतु यह समझना आवश्यक है कि ऐसा क्यों होता है.

हर स्त्री की मासिकधर्म की अवधि और रक्तस्राव का स्तर अलगअलग है. किंतु ज्यादातर महिलाओं का मैंस्ट्रुअल साइकिल 24 से 34 दिनों का होता है. रक्तस्राव औसतन 4-5 दिनों तक होता है, जिस में 40 सीसी (3 चम्मच) रक्त की हानि होती है.

कुछ महिलाओं को भारी रक्तस्राव होता है (हर महीने 12 चम्मच तक खून बह सकता है) तो कुछ को न के बराबर रक्तस्राव होता है.

अनियमित पीरियड वह माना जाता है जिस में किसी को पिछले कुछ मासिक चक्रों की तुलना में रक्तस्राव असामान्य हो. इस में कुछ भी शामिल हो सकता है जैसे पीरियड देर से होना, समय से पहले रक्तस्राव होना, कम से कम रक्तस्राव से ले कर भारी मात्रा में खून बहने तक. यदि आप को प्रीमैंस्ट्रुल सिंड्रोम की समस्या नहीं है तो आप उस पीरियड को अनियमित मान सकती हैं, जिस में अचानक मरोड़ उठने लगे या फिर सिरदर्द होने लगे.

असामान्य पीरियड के कई कारण होते हैं जैसे तनाव, चिकित्सीय स्थिति, अतीत में सेहत का खराब रहना आदि. इन के अलावा आप की जीवनशैली भी मासिकधर्म पर खासा असर कर सकती है.

कई मामलों में अनियमित पीरियड ऐसी स्थिति से जुड़े होते हैं जिसे ऐनोवुलेशन कहते हैं. इस का मतलब यह है कि माहवारी के दौरान डिंबोत्सर्ग नहीं हुआ है. ऐसा आमतौर पर हारमोन के असंतुलन की वजह से होता है. यदि ऐनोवुलेशन का कारण पता चल जाए, तो ज्यादातर मामलों में दवा के जरीए इस का इलाज किया जा सकता है.

इलाज संभव

जिन वजहों से माहवारी अनियमित हो सकती है या पीरियड मिस हो सकते हैं वे हैं: अत्यधिक व्यायाम या डाइटिंग, तनाव, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन, पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, युटरिन पोलिप्स या फाइब्रौयड्स, पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज, ऐंडोमिट्रिओसिस और प्रीमैच्योर ओवरी फेल्योर.

कुछ थायराइड विकार भी अनियमित पीरियड का कारण बन सकते हैं. थायराइड एक ग्रंथि होती है, जो वृद्धि, मैटाबोलिज्म और ऊर्जा को नियंत्रित करती है. किसी स्त्री में आवश्यकता से अधिक सक्रिय थायराइड है, इस का रक्तपरीक्षण से आसानी से पता किया जा सकता है. फिर रोजाना दवा खा कर इस का इलाज किया जा सकता है. हारमोन प्रोलैक्टिन का उच्च स्तर भी इस समस्या का कारण हो सकता है.

यदि किसी महिला को पीरियड के दौरान बहुत दर्द हो, भारी रक्तस्राव हो, दुर्गंधयुक्त तरल निकले, 7 दिनों से ज्यादा पीरियड चले, योनि में रक्तस्राव हो या पीरियड के बीच स्पौटिंग, नियमित मैंस्ट्रुअल साइकिल के बाद पीरियड अनियमित हो जाए, पीरियड के दौरान उलटियां हों, गर्भाधान के बगैर लगातार 3 पीरियड न हों तो अच्छा यही होगा कि तुरंत चिकित्सीय परामर्श लिया जाए. अगर किसी लड़की को 16 वर्ष की आयु तक भी पीरियड शुरू न हो तो तुरंत डाक्टर से मिलना चाहिए.

– डा. मालविका सभरवाल, स्त्रीरोग विशेषज्ञा, नोवा स्पैशलिटी हौस्पिटल्स

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जब हों महीने में 2 बार पीरियड्स, कहीं ये 8 कारण तो नहीं

हर महिला की पीरियड्स अवधि अलगअलग हो सकती है. ज्यादातर यह अवधि 28 दिनों की होती है, लेकिन यह 21 से 35 दिनों के बीच बदल भी सकती है. पीरियड्स नियमित तब माने जाते हैं जब किसी महिला को 2 महीने में 1 बार या फिर 1 महीने में 2-3 बार होने लगे. यह एक गंभीर समस्या है, इसलिए जल्द से जल्द गाइनोकोलौजिस्ट से मिल कर इस का इलाज करवाना चाहिए, क्योंकि इस के कारण नई शादीशुदा लड़कियों को आगे चल कर मां बनने में परेशानी हो सकती है. अनियमित पीरियड्स के कई कारण हैं जैसे:

1. बर्थ कंट्रोल पिल्स:

अगर आप बर्थ कंट्रोल पिल्स लेती हैं तो आप की बौडी में बहुत से हारमोनल बदलाव आते हैं, जिन की वजह से भी ब्लीडिंग हो सकती है. मान लीजिए आप नियमित पिल्स लेती हैं और फिर अचानक बंद कर देती हैं तो ऐडिशनल ब्लीडिंग होने लगती है. ज्यादातर यह ब्लीडिंग पीरियड डेट के 2 सप्ताह बाद होती है, साथ ही अगर आप ने हालफिलहाल इन पिल्स को लेना शुरू किया है तो भी हारमोनल बदलाव की वजह से ऐक्स्ट्रा ब्लीडिंग होने लगती है.

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2. प्रैगनैंट तो नहीं:

महिलाओं को लगता है कि प्रैगनैंट होने पर पीरियड रुक जाता है, लेकिन गर्भवती होने के बाद भी बीचबीच में ब्लीडिंग हो सकती है. ऐसा शुरुआत के 3 महीनों में होना आम बात है.

3. ऐक्टोपिक प्रैगनैंसी:

जहां सामान्य प्रैगनैंसी में भू्रण का विकास गर्भाशय के अंदर होता है वहीं ऐक्टोपिक प्रैगनैंसी में भू्रण का विकास फैलोपियन ट्यूब, अंडेदानी या पेट में कहीं भी हो जाता है. इन जगहों पर भू्रण का विकास नहीं हो पाता है धीरेधीरे जब उस का आकार बढ़ने लगता है तो वह जगह फट जाती है, जिस से ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है. और महिलाएं इसे पीरियड से रिलेटेड ब्लीडिंग समझने की गलती करती हैं. ऐसे हालात में तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए, क्योंकि कई बार यह स्थिति गंभीर बन जाती है.

4. मिसकैरेज तो नहीं:

गर्भ के 3 महीनों तक ब्लीडिंग होना नौर्मल है, लेकिन यह मिसकैरेज का भी एक संकेत हो सकता है. मिसकैरेज यानी गर्भाशाय में किसी वजह से भ्रूण का अपनेआप अंत हो जाना. रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 15 से 17% महिलाओं का मिसकैरेज हो जाता है.

5. हारमोनल बीमारी पीसीओएस:

पीसीओएस यानी पौलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम एक हारमोनल बीमारी है. इस बीमारी में अंडाशय में छोटेछोटे फौलिकल्स जमा हो जाते हैं, जो नियमित रूप से अंडे देने में असमर्थ होते हैं. इसलिए जब महिलाओं के अंडाशय से अंडा निकलने की प्रक्रिया नहीं होती या लेट हो जाती है तो हारमोनल डिसबैलेंस हो जाता है, जिस का असर ब्लीडिंग पर दिखता है और महीने में 2 बार पीरियड्स हो जाते हैं.

6. थायराइड की प्रौब्लम:

जिन महिलाओं में थायराइड की समस्या होती है उन के पीरियड्स भी अनियमित हो सकते हैं, क्योंकि उन के मासिकचक्र को प्रोजेस्टेरौन और ऐस्ट्रोजन हारमोन मिल कर कंट्रोल करते हैं, जिन का निर्माण थायराइड ग्रंथि से होता है. इसलिए थायराइड की प्रौब्लम्स को पीडियड्स की अनियमितता से जोड़ कर देखा जाता है.

7. समय से पहले मेनोपौज:

जब किसी महिला को 40 से 45 की उम्र के बाद लगातार 12 महीने तक पीरियड्स नहीं आते तो यह मेनोपौज कहलाता है. लेकिन अगर समय से पहले ही किसी को यह समस्या हो जाए तो इस स्थिति को अर्ली मेनोपौज कहा जाता है, जिस की वजह से महिला का पीरियड पूरी तरह नहीं आता और उसे अनियमित मासिकधर्म की समस्या भी हो जाती है. अकसर मेनोपौज से पहले महिलाओं को महीने में 2 बार पीरियड्स होते हैं.

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8. स्ट्रैस लेने से:

एक रिसर्च के अनुसार जो महिलाएं हाई लैवल स्ट्रैस लेती हैं उन में भी अनियमित पीरियड्स की समस्या पाई जाती है. दरअसल, जब महिलाएं चिंता करती हैं तो उन के अंदर स्ट्रैस हारमोन बढ़ जाते हैं, जिस की वजह से पीरियड या तो बहुत जल्दी आ जाता है या फिर बहुत लेट. इस की वजह से कभी मासिकधर्म मिस तो कभी महीने में 2 बार आ सकता है.

अचानक वजह घटने या बढ़ने से: जब किसी महिला का वजन अचानक बढ़ या घट जाता है तो उस के अंदर हारमोंस बदलाव भी आते हैं. रिसर्च के अनुसार बौडी का वेट कंट्रोल करने से लंबे समय तक अनियमित पीरियड्स की समस्या हो सकती है.

2 बार पीरियड्स से बचने के टिप्स

– ऐक्सरसाइज उतनी ही करें जितनी आप का शरीर सह सके.

– पानी ज्यादा से ज्यादा पीएं. इस से बौडी डिटौक्स होती है.

– ज्यादा दर्द और ब्लीडिंग से बचने के लिए चक्रासन करें.

– हलका भोजन करें यानी मसालेदार और खट्टा खाने से परहेज करें.

– चायकौफी और कौल्डड्रिंक्स का सेवन न करें.

– अदरक को आधा कप पानी में उबाल कर उस में थोड़ा सा शहद मिलाएं और भोजन करने के बाद 2-3 बार इस का सेवन करें.

– नियमित पीरियड्स के लिए कच्चे पपीते का जूस पीएं.

– सौंफ में ऐंटीस्पैज्मोडिक तत्त्व होते हैं, जो पीरियड्स को नियमित करने में मदद करते हैं.

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