अनियंत्रित Diabetes छीन सकती है आंखों की रोशनी

डायबीटिज को सामान्य रोग समझ कर उस की अनदेखी करना आप के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि डायबीटिज की जटिलता से छिन सकती है आंखों की रोशनी भी. डायबिटीज रेटिनोपैथी में नई रक्तवाहिनियां, रेटिना के आसपास बनने लगती हैं जिस से रक्तस्राव होने लगता है.

55 वर्षीय सुशीलकांत 10 वर्षों से डायबीटिज यानी डायबिटीज के मरीज हैं. पिछले कई दिनों से उन की शुगर भी नियंत्रण में नहीं है. एक शाम उन को लगा कि उन की आंखों के आगे अंधेरा सा छा रहा है, फिर कुछ देर ठीक रहा और थोड़ी देर बाद फिर वही स्थिति हो गई. 2 दिनों के बाद अचानक उन्हें लगा कि उन्हें नहीं के बराबर यानी बहुत ही कम दिख रहा है. तुरंत चिकित्सक से संपर्क किया गया. जांच से मालूम हुआ कि डायबीटिज का असर आंख पर पड़ा है और उन का रेटिना क्षतिग्रस्त हो गया है. चिकित्सक की सलाह पर शहर के बाहर विशेषज्ञ रेटिना सर्जन से संपर्क किया गया. रेटिना सर्जन के इलाज से उन की आंखों की रोशनी को बचाया जा सका वरना वे नेत्रहीन हो जाते.

डायबीटिज यदि ज्यादा पुराना हो या अनियंत्रित हो तो उस का कुप्रभाव आंखों पर अवश्य पड़ता है. इसे चिकित्सा शास्त्र में ‘डायबिटिक रेटिनोपैथी’ कहा गया है. इस जटिलता, जो डायबीटिज जन्य है, में आंखों के परदे, जिसे ‘रेटिना’ कहा गया है, की रक्तवाहिनियां नष्ट हो जाती हैं और इस से रक्त बहने लगता है या रिसाव होने लगता है. यह जटिलता समाज के  उच्चवर्ग में अधिक देखने को मिलती है. ऐसे में हरेक डायबीटिज रोगी को चाहिए कि वह वर्ष में 2 बार अपना नेत्रपरीक्षण अवश्य करवाएं.

दृष्टि पर प्रभाव : कैसेकैसे

एक तरह की रेटिनोपैथी तो अधिकतर लोगों में देखने को मिलती है. इस का कोई लक्षण या संकेत नहीं मिलता. इस में रेटिना में सूजन आ सकती है तथा आंखों के पास गंदगी या मैल जमा हो सकता है. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, आंख की इस छोटी से रक्तवाहिनी को काफी नुकसान झेलना पड़ता है. यह रेटिनोपैथी फैलती नहीं है.

दूसरी तरह की रेटिनोपैथी में नई रक्तवाहिनियां रेटिना के आसपास बनने लगती हैं, जिस से रक्तस्राव होने लगता है. इस में कई बार व्यक्ति की दृष्टि चली जाती है. नई रक्तवाहिनियों के पनपने से रेटिना पर खिंचाव आ सकता है जिस से वह अलग भी हो सकती है. रेटिना की आगे की जैली में भी खून आ सकता है.

जब रेटिना से द्रव्य बाहर निकलता है तो वह रेटिना के बीच ‘मैक्यूला’ पर आने लगता है. इसे ‘मैक्युलोपैथी’ कहा जाता है.

इस के अलावा डायबीटिज के रोगियों में मोतियाबिंद भी जल्दी पनपता है. अल्प आय वर्ग में यह ज्यादा देखने को मिलता है क्योंकि उन का ज्यादातर कार्य सूर्य की रोशनी में होता है. रक्त संचार अव्यवस्थित व अपूर्ण होने के कारण आंखों को लकवा भी मार सकता है.

डायबीटिज के पुराने मरीजों की दृष्टि में शुरूशुरू में धुंधलापन आता है, रेटिना की सतह तथा दृष्टि के लिए उत्तरदायी मुख्य नाड़ी ‘औप्टिक नर्व’ पर नई रक्त वाहिनियां बनने लगती हैं.

बचाव : कैसे हो मजबूत

– डायबीटिज हो या उच्च रक्तचाप या दोनों, इन्हें हर हालत में नियंत्रित रखें. चाहे दवा से या परहेज से.

– अपने रक्तशर्करा व रक्तचाप की नियमित जांच कराएं.

– धूम्रपान या तंबाकू का सेवन त्याग दें.

– हरी सब्जियों का अधिक सेवन करें.

– खुराक में विटामिन ए, विटामिन सी व विटामीन ई आदि का भरपूर सेवन करें.

– फिश या फिश औयल का सेवन करें.

प्रमुख कारण

– आंख की रेटिना पर कुप्रभाव का पहला महत्त्वपूर्ण कारण है डायबीटिज कितने समय से है. एक चिकित्सकीय आंकड़े के अनुसार, करीब 10 वर्षों से डायबीटिज के रोगी पर इस के होने की संभावना 50 फीसदी, 20 वर्षों से डायबीटिज के रोगी पर 70 फीसदी तथा 30 वर्षों से डायबीटिज के रोगी पर 90 फीसदी संभावना रहती है.

– यदि डायबीटिज के साथ उच्च रक्तचाप भी है तो संभावना और अधिक बढ़ जाती है.

– गर्भावस्था में भी इस की संभावना बढ़ जाती है.

– यह स्थिति वंशानुगत भी होती है.

– स्त्रियों में पुरुषों की अपेक्षा यह स्थिति अधिक पाई जाती है.

निदान तकनीकें

– रक्त शर्करा स्तर की नियमित जांच कराते रहें.

– ‘फंडस फ्लोरिसीन एजिंयोग्राफी’ नामक विशिष्ट जांच से यह स्थिति स्पष्ट हो जाती है कि लेजर तकनीक द्वारा उपचार की जरूरत कहांकहां है.

– ‘औफ्थालमोस्कोप’ नामक उपकरण द्वारा आंखों की नियमित जांच करवाएं.

इस प्रकार, इस वैज्ञानिक जानकारी के साथ डायबीटिज के रोगी अपनी आंखों की रोशनी को बचा सकते हैं क्योंकि अंधेपन के कारणों में इस स्थिति की विशेष भूमिका रहती है.

लेजर पद्धति से उपचार

लेजर फोटो कोएगुलेशन द्वारा लेजर बीम प्रभावित रेटिना पर डाली जाती है जिस से रक्तस्राव या रिसाव बंद हो जाता है, साथ ही, दूसरी असामान्य रक्तवाहिनियों का बनना भी बंद हो जाता है. यह उपचार यदि रोगी को समय पर मिल जाए तो परिणाम अच्छे रहते हैं.

यदि रोग काफी ज्यादा बढ़ गया हो तो शल्यक्रिया द्वारा उपचार संभव है, जिसे ‘वीट्रेक्टौमी सर्जरी’ कहा गया है. इस में अलग हुए रेटिना को फिर जोड़ा जाता है.

एक नया इंजैक्शन वीईजीएफ आंखों में लगाया जाता है, जिस के प्रभाव से इस के अतिरिक्त अन्य खामियां भी ठीक हो जाती हैं. इस के साथसाथ लेजर द्वारा भी उपचार लिए जाने के अच्छे परिणाम आते हैं.

इन 15 टिप्स से करें Diabetes को कंट्रोल

यूं तो डायबिटीज दुनिया भर में फैली है, मगर भारत आज उसका सबसे बड़ा गढ़ बना हुआ है. इसका सबसे बड़ा कारण 21वीं सदी की जीवनशैली है. लेकिन अगर समय रहते ही इस पर ध्‍यान दे दिया जाए और खान-पान में सुधार कर लिया जाए तो यह काफी हद तक कंट्रोल में रह सकती है.

करें यह उपाय

1. व्यायाम-स्‍टडी बताती है कि व्‍यायाम करने से शरीर में खून का दौरा सही रहता है और खून में शक्‍कर की मात्रा भी नियंत्रण में रहती है. रिजल्‍ट के तौर पर हाई मेटाबॉलिज्‍़म और मधुमेह का कम खतरा रहता है.

2. ना लें चीनी-आपको चीनी, गुड़, शहद, कोल्ड ड्रिंक्स आदि कम खानी चाहिये जिससे रक्त में शर्करा का स्तर बिल्‍कुल नियंत्रण में रहे. ज्‍यादा मीठी चीजे और मीठे पेय पदार्थों का सेवन इंसुलिन के लेवल को बढा सकता है.

3. फाइबर-खून में से शुगर को सोखने में फाइबर का महत्‍वपूर्ण योगदान होता है. इसलिये आपको गेहूं, ब्राउन राइस या वीट ब्रेड आदि खाना चाहिये जिससे शरीर में ब्‍लड शुगर का लेवल कंट्रोल रहेगा, जिससे मधुमेह का रिस्‍क कम होगा.

4. ताजे फल और सब्‍जियां-फलों में प्राकृतिक चीनी का मिश्रण होता है और यह शरीर को हर तरह का पोषण देते हैं. ताजे फलों में विटामिन ए और सी होता है जो कि खून और हड्डियों के स्‍वास्‍थ्‍य को मेंटेन करता है. इसके अलावा जिंक, पोटैशियम,आयरन का भी अच्‍छा मेल पाया जाता है. पालक, खोभी, करेला, अरबी, लौकी आदि मधुमेह में स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक होती हैं. यह कैलोरी में कम और विटामिन सी, बीटा कैरोटीन और मैगनीशियम में ज्‍यादा होती हैं, जिससे मधुमेह ठीक होता है.

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5. ग्रीन टी-रोजाना बिना चीनी की ग्रीन टी पीजिये क्‍योंकि इसमें एंटी ऑक्‍सीडेंट होता है जो कि शरीर में फ्रीरैडिकल्‍स से लड्राई करता है और ब्‍लड शुगर लेवल को मेंटेन करता है.

6. कॉफी-ज्‍यादा कैफीन लेने से हृदय रोग की समस्‍या हो सकती है, लेकिन अगर यह हद में रह कर ली जाए तो काफी हद तक यह ब्‍लड शुगर लेवल को मेंटेन कर सकती है.

7.खाने का खास ख्‍याल-थोड़ी-थोड़ी देर पर खाना नहीं लेते रहने से हाइपोग्लाइसेमिया होने की आशंका काफी बढ़ जाती है जिसमें शुगर 70 से भी कम हो जाती है. खाना लगभग हर ढ़ाई घंटे बाद लेते रहें. दिन भर में तीन बार खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा छह-सात बार खाएं.

8. दालचीनी-रिसर्च बताती है कि दालचीनी, शरीर की सूजन को कम करता है तथा इंसुलिन लेवल को नियंत्रित करता है. इसको आप खाने, चाय या फिर गरम पानी में एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिक्‍स कर पिएं.

9. तनाव कम करें-ऑक्‍सीटोसिन और सेरोटिन दोनों ही नसों की कार्यक्षता पर असर डालते हैं. तनाव के समय जब एड्रानलिन का रिसाव होता है तब यह डिस्‍टर्ब हो जाता है, जिससे डायबिटीज का हाई रिस्‍क पैदा होता है.

10. उच्‍च प्रोटीन डाइट-जो लोग नॉन वेज खाते हैं उन्‍हें अपनी डाइट में लील मीट शामिल करना चाहिये. उच्‍च प्रोटीन डाइट खाने से शरीर में ताकत बनी रहती है क्‍योंकि मधुमेह रोगियों को कार्बोहाइड्रेट और हाई फैट से दूर रहने के लिये कहा गया है.

11. फास्‍ट फूड को कहें ना-शरीर की बुरी हालत केवल जंक फूड खाने से ही होती है. इसमें ना केवल खूब सारा नमक होता है बल्कि शक्‍कर और कार्बोहाइड्रेट्स तेल के रूप में होता है. यह सब आपके ब्‍लड शुगर लेवल को बढाते हैं.

12. नमक पर रोक-नमक की सही सीमा आपको डायबिटीज को कंट्रोल करने मे मदद करेगा. ज्‍यादा नमक लेने से शरीर में हार्मोनल विसंगतियों का खतरा पैदा हो जाता है. इसके यह अलावा यह टाइप 2 डायबिटीज को बढा भी सकता है.

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13. खूब पानी पिएं-पानी खून में बढी शुगर को इकठ्ठा करता है जिस वजह से आपको 2.5 लीटर पानी रोजाना पीना चाहिये. इससे ना ही आपको हृदय रोग होगा और ना ही डायबिटीज.

14. सिरका-खून मे एकाग्र शुगर को सिरका खुद के साथ घोल कर हल्‍का कर देता है. स्‍टडी में बताया गया है कि भोजन करने के पहले दो चम्‍मच सिरका लेने से ग्‍लूकूज का फ्लो कम हो जाएगा.

15. सोया-डायबिटीज को कम करने के लिये सोया जादुई असर दिखाता है. इसमें मौजूद इसोफ्लावोन्‍स शुगर लेवल को कम कर के शरीर को प्रोषण पहुंचाता है.

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