फिल्मों और टीवी के बेहद शौकीन अनमोल की शादी के बाद से पूरी जिंदगी ही बदल गई. शादी से पहले सिनेमाहौल में हर फिल्म देखना उस का प्रिय शौक था पर पिछले 1 साल से सिनेमाहौल की तरफ रुख भी नहीं किया है. कारण, उस की पत्नी कीर्ति को फिल्में और टीवी देखना समय की बरबादी लगता है. अनमोल कहता है, ‘‘मेरी फील्डिंग जौब है, शाम को फील्ड से लौट कर अपने बैड पर रिलैक्स हो कर टीवी देखना मेरा शुरू से शौक रहा है, परंतु शादी होने के बाद से यह शौक गृहकलह का कारण बनने लगा.’’
अस्मिता और सुयश का अपने विवाह के बाद खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, क्योंकि अंतर्जातीय होने के कारण दोनों ने बड़ी मुश्किल से अपने मातापिता को इस विवाह के लिए मनाया था. मगर विवाह के कुछ साल बाद ही अस्मिता को सुयश की आदतें परेशान करने लगीं, क्योंकि अस्मिता जितनी व्यवस्थित और अनुशासनप्रिय थी सुयश उतना ही अव्यवस्थित और लापरवाह. फलस्वरूप कुछ ही समय बाद दोनों में रोज छोटीछोटी बातों को ले कर तकरार होनी शुरू हो गई. हमारे एक मित्र शर्माजी बड़े ही सज्जन व्यक्ति हैं. सभी की मदद करने को सदैव तैयार रहते हैं, पर उन की पत्नी को अपने पति का यह स्वभाव जरा भी पसंद नहीं है. वे कहती हैं कि लोगों को मुफ्त का नौकर मिला है सो अपना काम करवाते रहते हैं. इस के उलट शर्माजी कहते हैं कि अपने लिए तो सभी जीते हैं. असली मजा तो दूसरों के लिए जीने में है.
दोनों की विपरीत विचारधारा आए दिन गृहकलह का कारण बन जाती है. डालें एकदूसरे को समझने की आदत ऐसे परिवारों में जहां अपने अहंकार के चलते पतिपत्नी में से कोई भी खुद में जरामात्र भी बदलाव नहीं करना चाहता वहां कई बार यही छोटीछोटी बातें बड़े मुद्दे बन कर तलाक का कारण बन जाती हैं और एक हंसताखेलता परिवार टूट जाता है. वास्तव में हर व्यक्ति का अपना स्वभाव होता है और उसे बदलना काफी मुश्किल होता है. मगर विवाह 2 लोगों का मिलन होता है और अलगअलग परिवेश से आए इन्हीं 2 लोगों को संसार में एकसाथ रह कर अपना वैवाहिक जीवन निभाना होता है. विवाह का दूसरा नाम ही समझौता है.
ब्रिटिश रिसर्च एजेंसी जिंजर के द्वारा नवविवाहितों पर किए गए एक सर्वे के अनुसार शादी के बाद पति कम से कम अपनी पत्नी में 4 आदतों में बदलाव चाहते हैं. उन में प्रमुख हैं-वह उन्हें भरपूर प्यार करे, वह दूसरे की पत्नी से अधिक स्मार्ट, खुश, सुंदर और ग्लैमरस दिखे. वहीं पत्नियां चाहती हैं उन का पति विवाह से पहले की सभी बुरी आदतें छोड़ दे और जम कर उन की तारीफ करे.
सर्वे पर टिप्पणी करते हुए रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट और साइकोलौजिस्ट डोना डावसन कहती हैं, ‘‘सर्वे से पता चलता है कि महिला और पुरुष दोनों की सोच में थोड़ा सा फर्क होता है, पर अपने जीवन को भलीभांति चलाने के लिए उन्हें एकदूसरे को सुनने, समझने और सम्मान देने की आदत डालनी चाहिए.’’ राय को सम्मान दें
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अस्मि विवाह से पहले बड़ी जल्दी उत्तेजित हो जाती थी. यदि उसे किसी की बात पसंद नहीं आती तो तुरंत जवाब दे देती, जिस से कई बार लोगों को बुरा भी लग जाता था और फिर संबंध खराब हो जाते थे. इस के उलट पति रमन बेहद शांत और सौम्य स्वभाव का था. अस्मि कहती है, ‘‘विवाह के बाद रमन ने मुझे समझाया कि तुम किसी की सोच को नहीं बदल सकती. विपरीत विचारधारा वाले लोगों के समक्ष भी शांत रहना सीखो. मैं ने रमन की बातों पर अमल करना शुरू किया और फिर इस के मुझे सुखद परिणाम भी मिले. आखिर वे मेरे पति हैं. मेरी भलाई ही चाहेंगे. सच अगर पतिपत्नी एकदूसरे की बातों और सुझावों पर उत्तेजित होने और शक करने के बजाय उन पर अमल करने की आदत डालें तो समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है.’’
कुछ तुम बदलो कुछ हम 2 अलग परिवारों से आए व्यक्तियों के स्वभाव में विविधता होना तो एक स्वाभाविक सी बात है, परंतु कभीकभी दोनों का स्वभाव एकदम ही विपरीत होता है, ऐसे में एकदूसरे पर आरोपप्रत्यारोप कर के घर का वातावरण खराब करने से अच्छा है कि एकदूसरे का स्वभाव और आदतों को समझ कर उस के अनुसार आचरण करें ताकि वैवाहिक जीवन में सदैव खुशियों के फूल खिलते रहे.
रीता इस की मिसाल है. रीता के मायके में अंडा तो दूर की बात प्याजलहसुन तक को घर में नहीं आने दिया जाता था, परंतु ससुराल में तो सब चलता था. यहां तक कि बिना लहसुनप्याज की तो सब्जी वहां किसी को बनानी ही नहीं आती थी. किसी तरह ससुराल में 2-4 दिन काटने थे सो काट लिए. फिर पति के पोस्टिंग स्थल आ गई.
पति ने एक दिन कहा, ‘‘रीता तुम बिना प्याजलहसुन का ही भोजन बनाया करो ताकि तुम भर पेट भोजन कर सको. मुझे तो कोई फर्क नहीं पड़ता.’’
कुछ ही दिनों के बाद रीता को लगा कि पति उस के लिए इतना त्याग कर रहे हैं तो उसे भी अपनी आदत में कुछ बदलाव करना चाहिए. सो उस ने धीरेधीरे प्याजलहसुन खाना शुरू कर दिया. रीता के इस छोटे से प्रयास ने उस के पति का दिल जीत लिया. मीनू को एकदम खौलती चाय और मिर्चमसालेदार खाना बेहद पसंद है जबकि उस के पति को एकदम ठंडी चाय और सादा भोजन पसंद है. मीनू बताती है, ‘‘शादी के बाद मैं ने चाय थोड़ी ठंडी कर के पीनी शुरू की तो पति अमन ने थोड़ा सा तीखा खाना शुरू किया. शुरू में तो थोड़ी समस्या आई पर धीरेधीरे आदत हो गई. पतिपत्नी दोनों ही अलगअलग परिवारों और कई बार तो अलगअलग संस्कृतियों तक से आते हैं. ऐसे में एकदूसरे की आदतों को समझ कर स्वयं में थोड़ा सा बदलाव ला कर जीवन को सुखद बनाया जा सकता है.
तर्क को समझने का प्रयास करें रूढि़यां और धार्मिक अंधविश्वास भारतीय पतिपत्नी में कलह का सब से बड़े कारण हैं. आमतौर पुरुष इस क्षेत्र में उन्नत विचारधारा
वाले होते हैं जबकि महिलाएं घोर अंधविश्वासी और धर्मभीरू. कई परिवारों में पति अपनी पत्नी को समझाने का प्रयास भी करते हैं, परंतु महिलाएं इस विषय पर किसी की बात सुनना पसंद नहीं करतीं.
रीमा सुबह नहाधो कर पूजा करने बैठ जाती जिस से रोज उस के पति को औफिस जाने में देर हो जाती. पति ने उसे कई बार समझाने का प्रयास किया कि पूजा का समय कुछ कम कर दे ताकि वह समय पर औफिस पहुंच सके. परंतु सीमा अपनी आदत बदलने को तैयार नहीं. धार्मिक अंधविश्वास के सख्त विरोधी मनीष ने जब पहली बार अपनी पत्नी मनीषा को पूरा दिन भूखा रह कर व्रत करते देखा तो मनीषा को तार्किक ढंग से समझाया जिसे मान कर मनीषा ने व्रत न करने का निर्णय लिया.
शांत रहें मनु कहता है, ‘‘मैं जब गुस्से में होता हूं तो मेरी पत्नी एकदम मौन व्रत धारण कर लेती है. बाद में वह मुझ से अपनी बात कहती है और आश्चर्य है कि उस समय मुझे उस की बात समझ आ जाती है.’’
उधर उस की पत्नी अनुभा कहती है, ‘‘मुझे शादी के शुरू में ही समझ आ गया था कि मैं बहुत शांत हूं पर इन का स्वभाव बहुत गरम है. तभी मैं ने इस चुप्पी के बारे में सोच लिया ताकि घर की शांति बनी रहे. क्रोध में सदैव बात बिगड़ती ही है. बहस कर के बात को बढ़ाने से अच्छा है उस समय शांत हो जाओ ताकि सामने वाला भी जल्दी शांत हो जाए.’’ संतुलन बनाए रखें
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विचारों, स्वभाव और रुचियों में मतभेद होना स्वाभाविक सी बात है, परंतु हमेशा ध्यान रखें कि ये मतभेद कभी मनभेद न बनने पाएं. दूसरे को पूरी तरह बदलने के स्थान पर स्वयं को बदलने का प्रयास करना बेहतर है. एक ही छत के नीचे रह कर प्रतिदिन की कलह अच्छी बात नहीं है. बेहतर है कि कोई बीच का रास्ता निकाला जाए ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. दोनों समझें जिम्मेदारी
विवाह के बाद समझौता करना और खुद में बदलाव लाना, जीवनसाथी के स्वभाव को समझ कर उस के अनुसार आचरण करना, पसंदनापसंद को समझना किसी एक की नहीं, बल्कि पतिपत्नी दोनों की ही और बराबर की जिम्मेदारी है ताकि गृहस्थी की गाड़ी सरपट दौड़ सके. कई बार हम अपने जीवनसाथी में तो अनेक बदलाव लाना चाहते हैं, परंतु स्वयं को संपूर्ण समझते हैं और स्वयं में जरा भी बदलाव नहीं लाना चाहते. इस प्रकार की सोच अच्छेखासे परिवारों में कलह का कारण बनती है. एकदूसरे की भावनाओं को समझ कर
उन का सम्मान अवश्य करें. पति को यदि फिल्म देखना पसंद है तो आप उन का साथ देने का प्रयास करें. आपस में एकदूसरे के मातापिता या भाईबइन को कदापि बीच में न लाए. एकदूसरे से जो भी कहना हो अकेले में कहें ताकि दूसरों की नजर में आप के जीवनसाथी का सम्मान न कम हो.