अपनी अपकमिंग फिल्म ‘सावी : ए ब्लडी हाउसवाइफ’ को ले कर दिव्या काफी उत्साहित हैं। फिल्म की दिलचस्प कहानी को ले कर उन्होंने क्या कहा, जानिए खुद उन्हीं से.
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अपनी अपकमिंग फिल्म ‘सावी : ए ब्लडी हाउसवाइफ’ को ले कर दिव्या काफी उत्साहित हैं। फिल्म की दिलचस्प कहानी को ले कर उन्होंने क्या कहा, जानिए खुद उन्हीं से.
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बौलीवुड एक्ट्रेस दिव्या खोसला कुमार (Divya Khosla Kumar) 34 साल की उम्र में भी अपने फैशन से फैंस का दिल जीतती हैं. हालांकि इस बार वह ट्रोलिंग का शिकार हो गई हैं. दरअसल, हाल ही में एक रियलिटी शो में पहुंची एक्ट्रेस का आउटफिट देखकर ट्रोलर्स को बिग बौस 15 की बात याद आ गई, जिसके बाद से वह ट्रोलिंग का सामना कर रही हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…
ड्रैस के कारण हुईं ट्रोल
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नया नया फैशन ट्राय करने वालीं एक्ट्रेस दिव्या खोसला कुमार (Divya Khosla Kumar) एक शो में ब्लैक कलर की स्कर्ट वाले गाउन में नजर आईं. हालांकि इसके ऊपर के टौप ने सुर्खियां बटोरीं. दरअसल, एक्ट्रेस का गाउन जहां ब्लैक कलर का था तो वहीं औफशोल्डर टॉप, गोल्डन कलर में था, जिसे देखकर फैंस को ‘बिग बॉस ट्रॉफी’ (Bigg Boss Trophy) की याद आ गई और वह ट्रोलिंग की शिकार हो गईं.
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एक्ट्रेस का फैशन है लाजवाब
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दिव्या खोसला कुमार (Divya Khosla Kumar) एक्टिंग और डायरेक्टिंग की दुनिया में हाथ आजमा चुकी हैं. वहीं सुर्खियों में भी रहती हैं. एक्ट्रेस का फैशन आए दिन सोशलमीडिया पर वायरल होता रहता है. इंडियन लुक में एक्ट्रेस दिव्या बेहद खूबसूरत लगती हैं. वहीं फैंस उनकी सादगी और खूबसूरती के कायल हैं. 34 साल की उम्र में भी वह बौलीवुड की यंग एक्ट्रेसेस को फैशन के मामले में टक्कर देती हुई नजर आती हैं.
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हॉटनेस के मामले में नहीं हैं कम
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एक्ट्रेस दिव्या खोसला कुमार इंडियन ही नहीं वेस्टर्न आउटफिट भी कैरी करती रहती हैं, जिसकी फोटोज और वीडियो वह अपने औफिशनयल इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर करती रहती हैं. वहीं फैंस उनके वेस्टर्न लुक को देखकर तारीफें करते हुए नहीं थकते हैं, जिसका अंदाजा एक्ट्रेस के सोशलमीडिया की फैन फौलोइंग से लगाया जा सकता है. दरअसल, एक्ट्रेस के 5.2 मिलियन फौलोअर्स हैं, जिसके चलते वह सुर्खियों में छाई रहती हैं.
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सोलह वर्ष की उम्र में दिल्ली से एक लड़की मौडलिंग करने मुंबई पहुंची थी. उस वक्त उसे फिल्मी दुनिया के बारे में कुछ भी नहीं पता था. बतौर अभिनेत्री 17 वर्ष की उम्र में उस की एक तेलुगु फिल्म ‘लव टुडे’ तथा हिंदी फिल्म ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो’ प्रदर्शित हुईर् और लोगों ने उसे अभिनेत्री दिव्या खोसला के नाम से पहचाना. तब उसे लगा कि उसे तकनीक सीखनी चाहिए.
उस ने सिनेमैटोग्राफी और निर्देशन की ट्रेनिंग ली. फिर लगातार कई म्यूजिक वीडियो और ‘यारियां’ व ‘सनम रे’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर अपनी एक अलग पहचान बनाई. इस बीच टीसीरीज के भूषण कुमार के संग विवाह रचाया. एक बेटे की मां बनी और फिर कुछ फिल्मों का निर्माण भी किया. अब वह फिल्म ‘सत्यमेव जयते-2’ में एक सशक्त नारी का किरदार निभा रही है.
प्रस्तुत हैं दिव्या खोसला कुमार से हुई ऐक्सक्लूसिव बातचीत के अंश:
सवाल- आप अभिनेत्री, निर्माता, निर्देशक, मां व पत्नी हैं. इन सारी जिम्मेदारियों का निर्वाह आप किस तरह से करती हैं और कब किसे प्रधानता देती हैं?
हमें निजी और प्रोफैशनल जिंदगी के बीच तालमेल बैठा कर चलना पड़ता है. यह सच है कि हम सभी की निजी जिंदगी भी होती है. लेकिन प्रोफैशनल जिंदगी में जब मैं निर्देशन कर रही थी, तब मैं अभिनय नहीं कर रही थी और अब जब अभिनय कर रही हूं, तो निर्देशन नहीं कर रही हूं क्योंकि मेरा मानना है कि प्रोफैशनली एकसाथ कई चीजें करना संभव नहीं है, इन दिनों में सिर्फ अभिनय पर ही पूरा ध्यान दे रही हूं.
मैं बहुत पैशनेटली अभिनय के कैरियर को आगे बढ़ा रही हूं. पर यह तय है कि भविष्य में मैं पुन:निर्देशन करूंगी. जब हम निजी और प्रोफैशनल जिंदगी के बीच तालमेल बैठा कर चलते हैं, तो हमें परिवार से काफी मदद मिलती है. परिवार की तरफ से हौसलाअफजाई होती है. मेरी राय में प्रोफैशन में निरंतर आगे बढ़ने के लिए परिवार का सहयोग बहुत माने रखता है.
सवाल-मगर अकसर देखा गया है कि प्रोफैशनल जिंदगी जीते समय प्रोफैशन को महत्त्व देने पर पारिवारिक जिंदगी पर असर पड़ता है. कम से कम मां का जो रूप होता है, उस पर काफी असर पड़ता है. तो इस से उबरने के लिए आप क्या करती हैं?
जहां तक मेरा अपना सवाल है मैं अपने परिवार संग काफी समय बिताती हूं. बेटे को भी काफी समय देती हूं. मुझे अपने बेटे की हर बात पता है. मैं हर बात उसे बताती रहती हूं. हम जब फिल्म ‘सत्यमेव जयते-2’ की शूटिंग लखनऊ में कर रहे थे, तब घर से दूर थी. पर जब हमारी शूटिंग नहीं होती है, तो हम घर पर ही रहते हैं. जब हमारी प्रोफैशनल मीटिंग होती है, तब भी घर से दूर रहना पड़ता है. बेटे के साथ मेरी अच्छी दोस्ती है. वह भी मुझे अपनी हर बात बताता है. अभी तो काफी छोटा है, पर जिस ढंग से वह बड़ा हो रहा है, उसे देखते हुए मैं बहुत खुश हूं.
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सवाल-फिल्म ‘सत्यमेव जयते-2’ में ऐसी क्या खास बात लगी कि इस से आप ने अभिनय में वापसी की बात सोची?
मैं सशक्त नारी किरदार की तलाश में थी और मिलापजी ने मेरा किरदार काफी दमदार लिखा है. इस फिल्म में मिलाप झवेरी सर ने जिस संसार को गढ़ा है, वह अद्भुत है. फिल्म में भ्रष्टाचार पर कुठाराघात किया गया है. हमारे देश में हर जगह भ्रष्टाचार फैला हुआ है. लेकिन मिलाप सर ने पूरी फिल्म मनोरंजक बनाई है. यह फिल्म मनमोहन देसाई और रोहित शेट्टी मार्का मनोरंजक फिल्म है.
सवाल-फिल्म ‘सत्यमेव जयते-2’ के अपने किरदार को ले कर क्या कहना चाहेंगी?
मैं ने इस में एक सशक्त राजनेता विद्या का किरदार निभाया है. यह मेरे लिए एक बहुत ही ज्यादा चुनौतीपूर्ण किरदार है. निजी जीवन में मैं राजनीतिक पृष्ठभूमि से नहीं हूं. मैं निजी जीवन में विद्या जैसी नहीं हूं. मैं निजी जीवन में बहुत ही ज्यादा इमोशनल इंसान हूं, जबकि विद्या इमोशनल नहीं, बल्कि सख्त व सशक्त है. वह अपने आसपास के लोगों को भी ताकतवर बनाती है.
सवाल-फिल्म ‘सत्यमेव जयते-2’ में राजनेता विद्या को देख कर आम दर्शक या औरतें राजनीति से जुड़ने के संदर्भ में क्या सोचेंगी?
हर भारतीय अपने देश के लिए अंदर से एहसास करता है. जब वह देखता है कि कुछ नाइंसाफी हो रही है, तो वह सोचता है कि वह कुछ करे. फिर चाहे भ्रष्टाचार का ही मसला क्यों न हो. देश के लिए कुछ करने या राजनीति से जुड़ने की भावना फिल्म से नहीं बल्कि इंसान के अंदर से आती है. इंसान के अंदर से ही आवाज उठती है कि उसे समाज के लिए कुछ करना चाहिए. समाज में इस बुराई के खिलाफ आवाज उठा कर बदलाव लाना चाहिए.
मेरी राय में लोगों को खुद अपनी तरफ से इस दिशा में पहल करनी चाहिए. मैं देख रही हूं कि औरतें सिर्फ राजनीति ही नहीं हर क्षेत्र में बड़ी मजबूती के संग अपना झंडा गाड़ रही हैं. आप हमारी फिल्म इंडस्ट्री में ही देखिए औरतें अभिनय से ले कर लेखन, निर्देशन, नृत्य निर्देशन सहित हर विभाग में बेहतरीन काम कर रही हैं. राजनीति जगत में भी औरतों ने दमदार ढंग से अपना अस्तित्व बनाया है. यह युग औरतों के लिए सर्वश्रेष्ठ युग है.
सवाल-एक नागरिक के नाते किसी बात को ले कर आप को भी कोफ्त होती होगी. क्या उस पर इस फिल्म में बात की गई है?
मुझे भ्रष्टाचार को ले कर ही सब से ज्यादा कोफ्त होती है और इस फिल्म में उसी पर बात की गई है. जिस तरह से अदालत में मुकदमे लंबे समय तक चलते हैं, उस से मुझे कोफ्त होती है. हमारी फिल्म में कोर्ट केस को ले कर कोई बात नहीं की गई है. लेकिन फिल्म में भ्रष्टाचार के कई रूपों को ले कर बात की गई है. मुझे निजी स्तर पर लगता है कि जब आप किसी अदालत के मामले में या पुलिस के शिकंजे में आ जाते हैं, तो जबरदस्त भ्रष्टाचार नजर आता है.
छोटे से बड़े अफसर तक भ्रष्टाचार में लिप्त नजर आते हैं. यह बहुत दुख की बात है. बिना पैसा लिए आम नागरिक का काम न करना बहुत ही दुख की बात है. मगर यदि हम सभी खुद को भारतीय नागरिक समझें व देश को महत्त्व दें, तो भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकती है.
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सवाल-नारी सशक्तीकरण की बातें काफी हो रही हैं, इस का असर फिल्म इंडस्ट्री पर हो रहा है?
मैं ने पहले ही कहा कि यह औरतों के लिए बहुत अच्छा समय है. हर क्षेत्र की तरह फिल्म इंडस्ट्री में भी औरतें काफी बढ़चढ़ कर बेहतरीन काम कर रही हैं. अब लड़कियां ज्यादा पढ़ रही हैं. सभी अपने बच्चों को शिक्षा दिला रहे हैं. औरतें नौकरी कर रही हैं. परिवार भी अब लड़कियों या औरतों को नौकरी या व्यवसाय करने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं. समाज में काफी जागरूकता आ गई है. नारी सशक्तीकरण के ही चलते औरतें अपने सपनों को पूरा कर पा रही हैं.
सवाल-आप ने निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी की शिक्षा ली. इस का अभिनय में कितना फायदा मिल रहा है?
अभिनय में तो हमारी जिंदगी के अनुभव मदद करते हैं. मैं इस क्षेत्र में 17 वर्ष की उम्र में आई थी. उस वक्त मैं कुछ भी नहीं जानती थी. अब मैं ने अपनी जिंदगी में कुछ ज्ञान अर्जित किया, कुछ अनुभव हासिल किए तो मेरे अंदर एक आत्मविश्वास पैदा हुआ. इसी आत्मविश्वास के चलते मैं कुछ अच्छा काम कर पा रही हूं. मेरी राय में इंसान की जिंदगी के अनुभव, उतारचढ़ाव उस की मदद करते हैं.
सवाल-इन दिनों ओटीटी प्लेटफौर्म जिस तरह से बढ़ रहे हैं, इस से सिनेमा को फायदा होगा या नुकसान?
मुझे नहीं लगता कि इस से सिनेमा को नुकसान होगा. कोविड-19 के समय जब हमारे पास मनोरंजन का कोई साधन नहीं था तब ओटीटी ही साधन बना. पर अब भी सिनेमाघर जा कर फिल्म देखना चाहते हैं तो ओटीटी व सिनेमाघर अपनीअपनी जगह रहेंगे.
सवाल-सोशल मीडिया पर आप सब से अधिक सक्रिय रहती हैं. आप कई बार विवादों में भी फंसीं. सोशल मीडिया को ले कर आप की सोच क्या है?
मेरी राय में लोगों से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम है. लोगों से सीधे बात करने का एक अच्छा जरीया है. रचनात्मक इंसान या कलाकार के तौर पर दर्शकों के साथ सीधे जुड़ाव होने से फायदा ही होता है. मैं ने म्यूजिक वीडियो का निर्देशन करने के साथसाथ अभिनय भी किया. उस के साथ भी लोग जुड़े. मैं तो सोशल मीडिया को अच्छा ही मानती हूं.
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असम की हरी-भरी वादियाँ और सुंदर पर्वत श्रृंखला अनायास ही किसी को आकर्षित करती है. वहां की रहन-सहन, खान-पान और मौसम बहुत ही मनोरम होता है. वहां की महिलाओं का खास परिधान मेखला चादोर है. पारंपरिक इस परिधान अधिकतर सिल्क या कॉटन होते है. उस पर खुबसूरत डिजाईन की बुनाई कर सुंदर रूप दिया जाता है, लेकिन ऐसी खूबसूरत परिधानों का चलन पहले की अपेक्षा कम होने लगी है, क्योंकि नए जेनरेशन को पुरानी डिजाईन आकर्षित नहीं करती, जिससे इन्हें बनाने वाले बुनकरों का पेट भरना भी मुश्किल होने लगा. इनके बच्चे घर छोड़कर बाहर काम की तलाश में जाने लगे.
फैला रही है विश्व में
असम की राजधानी गौहाटी में रहने वाली डिज़ाइनर संयुक्ता दत्ता ने इन्ही कारीगरों को जोड़कर उनके काम को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है और उनके द्वारा बनाये गए आसाम सिल्क और मूंगा सिल्क के काम को मार्केट तक पहुंचाकर उनके काम को विश्व में फैला रही है. यही वजह है कि आज इन बुनकरों के बच्चे भी धीरे-धीरे इस काम की ओर रुख कर रहे है. आज मेखला चादोर विश्व में बहुत स्टाइलिस्ट और चर्चित पहनावा बन चुका है. लक्मे फैशन वीक विंटर कलेक्शन में संयुक्ता ने कांसेप्ट ‘चिकी-मिकी’ को रैम्प पर उतारी और उनकी शो स्टॉपर अभिनेत्री दिव्या खोसला कुमार ने ब्लैक मेखला चादोर बेल्टेड साडी स्ट्रेपिंग चोली के साथ पहन रखी थी.
विलुप्त होती कला कोबचाने की कोशिश
इस कला के बारें में संयुक्ता कहती है कि हैंडलूम कपड़ों को लोगों तक पहुँचाना बहुत कठिन होता है, क्योंकि ये कपडे महंगे होते है.पॉवरलूम को अधिक अहमियत इसलिए मिल रही है, क्योंकि इनके कपडे जल्दी बन जाने की वजह से सस्ते होते है, जबकि पारंपरिक असम सिल्क हाथ से बुनाई कर तैयार किये जाते है इसलिए थोड़े महंगे होते है,लेकिन सालों तक इसकी खूबसूरती बनी रहती है. पॉवरलूम पर वे आसाम सिल्क की खूबसूरती को नहीं ला पाते. इसी वजह से आज भी इन कारीगरों की चाह लोगों में है और मेरी ये कोशिश है कि इन कारीगरों की कारीगरी को विलुप्त होने से बचाई जाय और मेखला चादोर को सब लोग जाने. पहले मैं जब असम से दूर किसी दूसरी जगह जाती थी, तो लोग हर प्रकार के कपड़ों को जानते है, लेकिन आसाम सिल्क और मेखला चादोर से परिचित नहीं थे. मैं हर फैशन शो में मेखला चादोर को ही शो केस करती हूँ, क्योंकि वहां हर तरह के व्यवसायी से लेकर ब्लॉगर सभी आते है और इसे लोगों तक पहुँचाना आसान होता है.
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छोड़नी पडीजॉब
संयुक्ता ने अपनी जर्नी सरकारी नौकरी, एक इंजिनीयर के रूप में शुरू की थी. 10 साल काम करने के बाद उन्होंने जॉब छोड़ दिया और आसाम सिल्क को पोपुलर करने का बीड़ा उठाया. ये निर्णय लेना उनके लिए आसान नहीं था, क्योंकि संयुक्ता के पिता की मृत्यु के बाद उनकी माँ ने पूरे परिवार का पालन-पोषण बहुत मुश्किल से किया था, ऐसे में माँ ने संयुक्ता को नौकरी न छोड़ने की सलाह दी थी. संयुक्ता आगे कहती है कि माँ के मना करने की वजह मेरा डिज़ाइनर के क्षेत्र में ज्ञान का न होना है, पर मुझे विश्वास था कि मैं कुछ अच्छा कर सकूँगी.पति ने सपोर्ट दिया और दिल की बात सुनने की सलाह दी. नौकरी छोड़ मैं डिज़ाइनर बन गयी. तब मेरे पास कोई फैक्ट्री नहीं थी और बुनकर किसी काम के लिए एडवांस में पैसे लेते थे, पर उन्हें मेरी डिजाईन को बनाना पसंद नहीं था, क्योंकि उन्हें मार्केट की जानकारी नहीं थी. गांव में रहकर वे एक ही डिजाईन को बार-बार बनाते थे. वे किसी नयी डिजाईन को एक्सपेरिमेंट करना नहीं चाहते थे. मेरे लिए ये सबसे बड़ी चुनौती थी.
हैंडलूम में लगती है अधिक श्रम
असल में एक मेखला चादोर को बनाने में 25 से 30 दिन की कठिन श्रम लगते है, लेकिन उनकी मजदूरी उनके मेहनत के हिसाब से नहीं थी. इसलिए वे इस काम को छोड़ दूसरे क्षेत्र में जाना चाह रहे थे. मैंने उनकी जरूरतों को देखते हुए उन्हें अच्छी मजदूरी के साथ-साथ मुफ्त में खाना, मुफ्त में ठहरने की व्यवस्था, मेडिकल की सुविधा देनी शुरू कर दी. तब उन्हें समझ में आया कि मैं कुछ अच्छा काम उनके लिए कर रही हूँ. अभी मेरे पास 150 लूम्स है और इन सभी बुनकरों को मैं हर तरीके की सपोर्ट करती हूँ. मैंने खुद की फैक्ट्री साल 2015 में शुरू की है. अभी मुझे कोई समस्या नहीं है, बुनकर खुद काम की तलाश में मेरे पास आते है. इसमें व्यस्क ही नहीं, यूथ भी आकर काम सीख रहे है, क्योंकि उनकी बेसिक जरूरतें यहाँ पूरी हो रही है. साथ ही अच्छे और अधिक काम के लिए उन्हें इन्सेन्टिव भी देती हूँ.
मिला बुनकरों का समर्थन
अभी ये बुनकर इस इंडस्ट्री की ओर अधिक से अधिक आकर्षित हो इसकी कोशिश चल रही है. मेरा काम आसाम की मलबरी सिल्क, मूंगा सिल्क और हैंडलूम है. मैं हैंडलूम को जिन्दा रखना चाहती हूँ, क्योंकि पॉवरलूम बहुत तेजी से इस पर हावी हो रहा है और यहाँ एक मेखला चादोर को बनाने में केवल एक दिन लगता है, इसलिए ये सस्ती होती है, पर सस्टेनेबल नहीं होती. बुनकरों को सपोर्ट न करने पर हैण्डलूम एक दिन मर जायेगी. सरकार की तरफ से किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिलती. इसलिए मैं अधिक से अधिक फैशन शो कर इस कला को विलुप्त होने से बचाना चाहती हूँ. हर साल दो से तीन फैशन शो करती हूँ, जो काफी खर्चीला होता है, लेकिन इसका खर्चा मैं अपनी कमाई से पूरा करती हूँ. मैने जितना कमाया, उसे इन्ही चीजों पर खर्च कर किया है. आसाम सिल्क से बने मेखला चादोर को किसी भी अवसर पर पहना जा सकता है.
सोचनी पड़ती है नयी डिजाईन
डिजाईन में नयापन लाने के लिए वह खुद डिजाईन ड्रा करती है,इस काम में एक लम्बा प्रोसेस होता है. इसके लिए उन्हें बहुत सोचना पड़ता है, इसके बाद उस डिजाईन को कम्प्यूटर पर बनाकर कार्ड्सबनाये जाते है, जिसे लूम से जोड़ा जाता है फिर डिजाईन की बुनाई कपड़ों पर होती है. इस प्रकार कई प्रोसेस से गुजर कर ही ड्रेसेज बनती है. संयुक्ता को ख़ुशी इस बात से है कि उन्हें अगले साल न्यूयार्क फैशन वीक में उनकी यूनिक पोशाक के लिए आमंत्रित किया गया है.
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विदेशों में है इसकी मांग
संयुक्ता आगे कहती है कि कोविड में पूरा देश लॉकडाउन में था, पर मेरे फैक्ट्री का काम चलता रहा, क्योंकि बुनकर फैक्ट्री में रहते और काम करते रहे. उन्हें बाहर जाने की जरुरत नहीं थी, उनकी देखभाल मैं करती थी. ऐसे में जब लॉकडाउन खुला तो मेरे पास ही केवल ड्रेसेज थे और मैंने 3 महीने का व्यवसाय एक महीने में किया.बांग्लादेश में बहुत सारे लोग मेरे इस काम की बहुत तारीफ़ करते है और मैं उन्हें अपनी ड्रेसेज भेजती हूँ. इसके अलावा यूके, अमेरिका, इंडोनेशिया, दोहा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि सभी जगहों पर मैं आसाम सिल्क को पहनना लोग चाहते है. ये लोग आसामीज नहीं, फिर भी मेखला चादोर को पहनना पसंद करते है.
37 साल की बौलीवुड एक्ट्रेस दिव्या खोसला कुमार ने साल 2004 में अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म अब तुम्हारे हवाले साथियों से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. हालांकि वह फिल्मों से अब थोड़ी दूर नजर आती हैं. वहीं वह डायेक्शन में भी अपना हाथ आजमाते हुए यारिया और सनम रे जैसी फिल्मों को डायरेक्ट कर चुकी हैं. पर आज हम बात उनके फैशन की करेंगे. फिल्मों में इंडियन लुक में नजर आने वाली दिव्या के आज हम आपको कुछ लुक बताएंगे, जिसे आप किसी भी पार्टी या फंक्शन में ट्राय कर सकती हैं. आइए आपको बताते हैं दिव्या कुमार खोसला के फेस्टिव इंडियन लुक…
1. यैलो शरारा है पार्टी परफेक्ट
अगर आप किसी वेडिंग या फेस्टिवल में कुछ नया ट्राय करना चाहती हैं तो दिव्या कुमार खोसला का येलो कलर का शरारा लुक आपके लिए परफेक्ट रहेगा. सिंपल कड़ाई वाला सूट और उसके साथ शरारा और हैवी यैलो कलर की चुन्नी आपके लिए परफेक्ट लुक है. साथ ही इस लुक के साथ मैचिंग ज्वैलरी आपके लिए परफेक्ट है.
वेडिंग सीजन के लिए परफेक्ट हैं कृति सेनन के ये इंडियन लुक
2. पिंक और ब्लैक का कौम्बिनेशन है परफेक्ट
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अगर आप कुछ सिंपल, लेकिन ट्रेंडी लुक ट्राय करना चाहते हैं तो डार्क पिंक कलर के साथ ब्लैक टच वाला कुर्ता और उसके साथ मैचिंग शरारा आपके लिए परफेक्ट लुक रहेगा. इसके साथ ज्वैलरी की बात करेंगे तो आप इसके साथ ब्लैक कलर के इयरिंग्स ट्राय कर सकती हैं.
3. कौंट्रास्ट लुक है परफेक्ट
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Festive ? Lehenga @bageechabanaras #divyakhoslakumar #traditional #pinklehnga??
अगर आप फेस्टिवल में कौंट्रास्ट लुक ट्राय करना चाहते हैं तो दिव्या कुमार खोसला का ये लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. पिंक कलर के लहंगे के साथ ग्रीन ब्लाउज और यैलो कलर की चुन्नी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो आप इस ड्रेस के साथ गोल्डन झुमके ट्राय कर सकती हैं. साथ ही हेयर स्टाइल के लिए आप भी दिव्या की तरह जूड़ा ट्राय कर सकती हैं.
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4. प्रिंटेड लहंगा करें ट्राय
अगर आप प्रिंटेड लहंगे के साथ सिंपल ब्लाउज ट्राय करें तो ये आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा. प्रिंटेड यैलो कलर का लहंगा और सिंपल ग्रीन कलर का ब्लाउज आपके लिए परफेक्ट औप्शन रहेगा. इसके साथ गोल्डन पैटर्न की ज्वैलरी आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा.