REVIEW: Web Series दुरंगा में गुलशन देवैय्या का शानदार अभिनय

रेटिंगः साढ़े तीन स्टार

निर्माताः गोल्डी बहल

निर्देशकः प्रदीप सरकार और एजाज खान

कलाकारः गुलशन देवैय्या, दृष्टि धामी, दिव्या सेठ, राजेश खट्टर, अभिजीत खंडेलकर, बरखा बिस्ट, किरण श्रीनिवास, स्पर्श वालिया व अन्य.

अवधिः लगभग पौने पांच घंटे,  तीस से पैंतिस मिनट के नौ एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः जी 5

बौलीवुड की ही तरह अब ओटीटी पर भी रीमेक का चलन बढ़ता जा रहा है. अब मशहूर कोरियन सायकोपाथ अपराध कथा वाली वेब सीरीज ‘‘फ्लावर आफ इविल’’ का भारतीय करण करते हुए गोल्डी बहल  वेब सीरीज ‘‘दुरंगा’’ लेकर आए हैं, जो कि 19 अगस्त से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘जी 5’’ पर स्ट्रीम हो रही है. इस अपराध कथा वाली कहानी में सतत दो प्रेम कहानियां भी चलती रहती हैं.

कहानीः

इसकी कहानी का केंद्र बिंदु  एक आदर्श इंसान, एक समर्पित पिता,  देखभाल करने वाले पति और एक आदर्श रसोइए समित पटेल के इर्द गिर्द घूमती है. हकीकत में यह कहानी सारंगवाड़ी, गोवा के अभिषेक बन्ने (गुलशन देवैया)े की है, जो कि पिछले सत्रह वर्ष से समित पटेल के नाम से मंुबई रह रहा है. पर वह अपने गहरे अंधेरे अतीत के साथ एक भावनाहीन मनोरोगी है. उसने ग्यारह वर्ष पहले मुंबई क्राइम ब्रांच की वरिष्ठ अधिकारी इरा जयकर पटेल (दृष्टि धामी) के साथ प्रेम विवाह किया था और अपनी शादी में संतुष्ट है. एक प्यारी बेटी अन्या उर्फ कैटरपिलर (हेरा मिश्रा) के साथ समित सामान्य स्थिति में नजर आते हैं. अचानक एक वृद्ध महिला की उसके घर में हुई हत्या से सनसनी पैदा होती है. एक यूट्यूब चैनल का ब्लागर विकास सरवदेकर शंका जाहिर करता है कि 17 वर्ष बाद यह हत्या उसी तरह से हुई है, जिस तरह से अभिषेक बन्ने के पिता बाला बन्ने (जाकिर हुसैन) किया करते थे. अभिषेक बन्नेे खुद गांव के सरपंच की हत्या का आरोपी है. पर पुलिस रिकार्ड के अनुसार उसने 2005 में आत्महत्या कर ली थी. इसी के साथ दर्शकों  को पता चल जाता है कि यह समित पटेल ही अभिषेक बन्ने है. इतना ही समित पटेल के हिंसक स्वभाव का नजारा भी सामने आ जाता है. उधर ईरा हत्याकांड की जांच कर रही है. ईरा के साथ पुलिस इंस्पेक्टर निखिल प्रधान(किरण श्रीनिवास ) और इंस्पेक्टर लक्ष्य रानाडे (स्पर्श वालिया ) भी अपराधी की तलाश में लगे हैं. कहानी ज्यों ज्यों आगे बढ़ती है, त्यांे त्यों कहानी की परते सामने आती है. पता चलता है कि विकास सरोदे (अभिजीत खांडकेकर) भी सारंगवाड़ी का ही रहने वाला है . अभिषेक व विकास सहपाठी हैं. तो वहीं अभिषेक की बहन प्राची(बरखा बिष्ट) बतौर सहायक निर्देशक काम कर रही है. सत्रह वर्षों से अभिषेक व प्राची की मुलाकात नही हुई है. सारंगवाड़ी मंे रहने के दौरान प्राची और विकास के बीच प्रेम संबंध थे. बहरहाल, अपने सच को छिपाने व उसके अपराध से जुड़े जितने भी सबूत विकास के पास हैं, उन्हे समाप्त करने के लिए समित पटेल चरम सीमा तक जाता है. कहानी में अचानक कई अन्य पात्र भी आते हैं. अभिषेक के पिता के अपराध में उनके भागीदार का चेहरा भी सामने आता है, जो कि अब शहर की बड़ी हस्ती है. एपीसोड दर एपीसोड कहानी में कई नए मोड़ आते रहते हैं. अंततः कहानी नौंवे एपीसोड में खत्म जरुर होती है, पर इस इशारे के साथ कि इसका दूसरा सीजन आएगा.

लेखन व निर्देशनः

कोरियन अपराध सीरीज ‘‘फ्लावर आफ इविल’’मैने देखी नही है, इसलिए उसके संग ‘‘दुरंगा’’ की तुलना नहीं कर सकता. मगर इसकी पटकथा काफी हद तक अच्छे ढं गसे लिखी गयी है. निर्देशक द्वय प्रदीप सरकार और एजाज खान ने रोमांटिक कथा के अलावा पुलिस व अपराधी के बीच की चूहा दौड़ को काफी बेहतरीन तरीके से परदे पर उभारा है. कुछ दृश्यों में दर्शक भ्रमित जरुर होता है, जो कि पटकथा व निर्देशक की कमजोरी का परिणाम है. इसकी दूसरी कमजोरी इसकी धीमी गति है. कहानी हर एपीसोड में अतीत व वर्तमान के बीच झूलती रहती है. वर्तमान की कहानी के साथ ही अभिष् ोक के अतीत और समित व ईरा की मुलाकात व विवाह के प्रसंग भी आते जाते रहते हैं.

समित के अतीत से अंजान ईरा जब सारंगवाड़ी गांव में लगभग समित को पकड़ लेती है,  तो दर्शकों को आभास होता है कि उसका खेल खत्म हो गया है. लेकिन फिर वह बच निकलता है और कहानी आगे बढ़ती है. मगर धीरे धीरे ईरा के सामने कुछ सबूत ऐसे आते हैं, जिससे उसे शक होने लगता है कि समित ही अभिषेक है. यह  लेखक व निर्देशक की खूबी है. कहानी की जटिलता में खोने की बनिस्बत रोमांस, ड्ामा व एक्शन से भरपूर एक अच्छी रोमांचक अपराध कथा के रूप उभर कर ‘दुरंगा’आती है. इस वेब सीरीज की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह दर्शक कों अंत तक बांधकर रखती है.

अभिनयः

समित पटेल के बहुआयामी किरदार में गुलशन देवैया का अभिनय काफी प्रभावशाली है. गुलशन ने मानसिक उथलपुथल व छिपे हुए इरादे वाले समित पटेल के किरदार को शानदार अभिनय से संवारा है. वह एक ऐसा पात्र है, जो कि प्यार, खुशी या दुःख को महसूस ही नही करता है. वह तो मुस्कुराने के लिए भी आॅनलाइन ट्यूटोरियल की मदद लेता है.  तो वहीं ईरा के किरदार में दृष्टि धामी का अभिनय प्रभावशाली है. दृष्टि धामी के चेहरे पर हर तरह के भाव आते हैं. पर निर्देशक ने उन्हे एक्शन करने का अवसर नही दिया. इंस्पेक्टर निखिल प्रधान के किरदार में किरण श्रीनिवास और लक्ष्य रानाडे के किरदार में स्पर्श वालिया भी अपनी छाप छोड़ जाते हैं. कहानी को दिलचस्प मोड़ देेने वाले क्राइम रिपोर्टर कम यूट्यूब ब्लॉंगर विकास सरोदे के किरदार को अभिजीत खंाडकेकर ने शानदार तरीके से परदे पर जिया है.  समित पटेल के माता पिता के किरदार में दिव्या सेठ शाह और राजेश खट्टर ठीक ठाक हैं.

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