ई कौमर्स का फीका पड़ रहा नशा

ईकौमर्स आजकल तेजी से बढ़ रही है पर यह असल में हमारे निकम्मेपन और सस्ते डिलिवरी बौयज की देन है. हाल ही में जैप्टो और ब्लिंकिट ने अपने दरवाजे बंद कर दिए क्योंकि वे एक डिलिवरी के 15 रुपए डिलिवरी बौयज को दे रही थीं जिन्हें 10 मिनट में ग्राहकों तक सामान पहुंचाना होता था. मगर ग्राहकों को सेवा देर से मिलने की वजह से इन कंपनियों ने बहुत सी जगह डिलिवरी बंद कर दी.

ई कौमर्स का नशा अब धीरेधीरे फीका पड़ रहा है. अखबारों में भारी छूट के विज्ञापन बंद हो गए हैं. जो सामान दिखाया जाता है वह मिलता नहीं है. छूट भी दिखावटी होती है क्योंकि बाजार में इसी दाम पर सामान मिलने लगा है.

फिर भी सुविधा के कारण लोग अभी भी इस पर निर्भर हैं. कंपनियां भी खुल रही हैं जो अपने ब्रैंडों का सामान थोपने लगी हैं. ई कौमर्स डाउन लोड करना अब कोई मुश्किल नहीं है.

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर किसी के पास समय की कमी है. ऐसे में औनलाइन शौपिंग आज बहुत पौपुलर हो चुकी है. खरीदारी से ले कर बिक्री तक के सारे माध्यम इस के जरीए उपलब्ध हैं. मगर यदि आप ने सही ऐप डाउनलोड नहीं किया तो जितनी इस से सुविधा मिलती है, उस से कहीं अधिक हानि की भी संभावना बढ़ जाती है.

असल में इंटरनैट के जरीए बिक्री और खरीदारी को ही ई कौमर्स कहते हैं. इस में इलैक्ट्रौनिक रूप से धन 2 या 2 से अधिक पार्टियों के बीच स्थानांतरित होता है. डैविड कार्ड या क्रैडिट कार्ड की सहायता से किसी भी प्रकार का सामान घर बैठे खरीदा व बेचा जा सकता है.

ई कौमर्स कई

  •  बिजनैस टु कंज्यूमर्स में लेनदेन व्यापार और ग्राहक के बीच में होता है और यही सब से अधिक पौपुलर है. फ्लिप कार्ट, अमेजन इंडिया, इबे, स्नैपडील, जबोंग, मंत्रा आदि ऐसे ही कुछ ई कौमर्स के प्रमुख ऐप हैं.
  • बिजनैस टु बिजनैस के अंतर्गत 2 व्यवसायी आपस में व्यवसाय करते हैं. कई बार कोई कंपनी खुद प्रोडक्ट नहीं बनाती, बल्कि दूसरी कंपनी से खरीद कर सामान बेचती है.
  • कंज्यूमर्स टु बिजनैस में ग्राहक एक वैबसाइट बनाने के लिए कंपनी को औफर देता है और कंपनी उसे सही कीमत दे कर वैबसाइट बनाने की मंजूरी देती है.
  • कंज्मूमर्स टु कंज्युमर्स भी एक ऐप होता है, जिस में दोनों उपभोक्ताओं के बीच सामान खरीदा और बेचा जाता है.
  • बिजनैस टु गवर्नमैंट में कंपनियों और सार्वजनिक प्रशासन के बीच किया गया लेनदेन शामिल होता है. इस में बड़ीबड़ी सेवाएं शामिल होती हैं. मसलन, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार, कानूनी दस्तावेज आदि में यह अधिक प्रयोग में लाई जाती है.
  • कंज्यूमर टु गवर्नमैंट के तहत सरकार और उपभोक्ता के बीच लेनदेन किया जाता है

जैसे स्वस्थ्य सेवाओं का भुगतान, कर का भुगतान आदि.

ई कौमर्स के बारे में जानने के बाद सब से पहले अपनी सोच निर्धारित करें कि आप को खरीदना या बेचना क्या है. इंटरनैट के सहारे ई कौमर्स की साइट पर जा कर या गूगल प्ले स्टोर पर जा कर डाउनलोड बटन पर क्लिक करें. डाउनलोड होने के बाद उसे इनस्टौल कर लें. इस के बाद उस ऐप के सहारे किसी भी वैबसाइट पर जा कर अपना मनपसंद सामान चुनें और भुगतान करें. नाम और दिए गए पते पर सामान की डिलिवरी करवाएं. इस पद्यति से सामान खरीदना और कुछ गलत होने पर वापस करना भी आसान होता है.

ई कौमर्स के फायदे

  •  दुनिया के किसी भी कोने से खरीदारी और बिक्री की जा सकती है, उत्पाद की पहुंच अधिक से अधिक ग्राहकों तक होती है, विदेशों से आए सामान पर कस्टम ड्यूटी देनी होती है.
  • इस की कोई निर्धारित समय सीमा नहीं होती. इस पर आप कभी भी शौपिंग कर सकते हैं.
  • इस में ब्रिकी लागत कम होने की वजह से सामान सस्ते दाम में मिलता है.
  • लागत में कमी और विस्तार बाजार होने की वजह से अधिक उत्पाद कम समय में बेचे जा सकते हैं, इसलिए इस का लाभ मार्जिन बहुत अधिक होता है.
  • अधिक व्यस्तता की वजह से जो लोग दुकानों में नहीं जा सकते उन के लिए यह सब से बढि़या औप्शन है.
  • किसी भी सामान को खरीदने से पहले ग्राहक खोजबीन कर सामान की कीमत और उस की गुणवत्ता की जांचपरख कर और्डर दे सकता है ताकि उसे सही सामान सही दाम में मिले.

कौमर्स ऐप की सुविधा के साथसाथ कुछ हानियां भी हैं, जिन का ध्यान रखना आवश्यक है:

  •  यहां दुकान की तरह सामान को देख कर नहीं खरीदा जा सकता, इसलिए प्रोडक्ट की विश्वसनीयता पर संदेह रहता है, सामान सही होगा या नहीं इस की चिंता रहती है.
  • इंटरनैट की अच्छी सुविधा का होना ई कौमर्स के लिए बहुत जरूरी है, हालांकि आजकल इस की सुविधा है, लेकिन कई छोटे शहरों और अन्य क्षेत्रों में इस का अभी भी अभाव है.
  • तकनीक की सही जानकारी होना आवश्यक है ताकि सामान की सही खरीदारी या बिक्री की जा सके.
  • इस तरह के लेनदेन में सामान को निर्धारित स्थान पर पहुंचने में देर लगती है क्योंकि और्डर देने के बाद सामान कई प्रक्रियाओं से गुजर कर ग्राहक तक पहुंचता है.

बहुत सी ई कौमर्स कंपनियां कई बार मैसेज भेज कर या फोन कर के परेशान भी करती हैं. अगर आप को उन से तकलीफ न हो तो धड़ल्ले से ई कौमर्स से शौपिंग करें पर यह न भूलें कि असल मजा तो स्टोर में जाने पर होने पर आता है जब आप पूरी तरह से जांचपरख कर सामान खरीद सकते हैं.

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