पृथ्वी के सुरक्षा के लिए माना जाता है – “पृथ्वी दिवस” 

आज विश्व आज पृथ्वी दिवस है. पृथ्वी के  पर्यावरण और प्राकृतिक सौन्दर्य  कों बरक़रार रखने एवं पृथ्वी पर मवजूदा सम्पदा के सरक्षण के उद्देश्य से प्रति वर्ष 22 अप्रैल कों पृथ्वी दिवस  मनाया जाता है. इस दिवस की स्थापना अमेरिकी सीनेटरजेराल्ड नेल्सन के द्वारा 1970 में एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की गयी और इसे कई देशों में प्रति वर्ष मनाया जाता है.  पृथ्वी  के बारे में प्रशंसा करने  और जागरूकता को प्रेरित करने के लिए डिजाइन किया गया है.

1. विश्व के 195 देशों में मनाया जाता है

यह दिवस अपने स्थापना काल से ही पुरे दुनिया में सबसे लोकप्रिय दिवस साबित हुआ है. पहले पृथ्वी दिवस में दो हज़ार काँलेजो  और विश्वविद्यालयों में , दस हज़ार प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में और संयुक्त राज्य अमेरिका में सैंकडों संस्थाओं में उपस्थित 20 लाख प्रशंसक ने  पर्यावरण सुधार के पक्ष में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में भाग लेते हुए  पृथ्वी दिवस का नीव रखा था. संयुक्त राज्य अमेरिका से शुरू होने वाला यह दिवस आज विश्व के 195  देशों  में 760 करोड़ से अधिक लोगों के द्वारा में मनाया जाता है.

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2. 50वां पृथ्वी दिवस है कुछ खास

पूरा पृथ्वी के निवासी कोरोना के कहर से कहर रहे है , पृथ्वी के अधिकतर हिस्से में लोग लॉकडाउन के चलते अपने-अपने घरों में कैद हैं. सड़के सुनी है आवागमन के सभी साधन बंद है , कल कारखाने बंद पड़े है, सारे औद्योगिक इकाइयां, सभी तरह के उपक्रम बंद हैं.

यह समय पृथ्वी के वातावरण के लिए अच्छा समय है , वर्षों से नहीं रुकने वाला प्रदुषण इस समय थम सा गया है . औद्योगिक इकाइयों के बंद होने से केमिकल युक्त दूषित पदार्थ नदियों में प्रवाहित ना होने से गंगा, यमुना सहित विश्व की अधिकांश नदियों का जल स्वच्छ हो चुका है. झीलों का पानी भी मनोहारी व पारदर्शी हो चुका है. नदियों में जल जीव दिखाई देने लगे हैं जबकि लाखों रुपये खर्च करके भी स्वच्छता कार्यक्रम के बावजूद ऐसा परिणाम नहीं निकला. आसमान एकदम साफ है.

3. 2020 एक ऐसा अहम मोड़ है

पृथ्वी दिवस 2020 एक ऐसा अहम मोड़ है जहां से हम जलवायु नीति, ऊर्जा कार्यकुशलता, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण हितैषी रोजगार की ओर तरफ बढ सकते हैं. पृथ्वी दिवस व्यक्तियों,निगमों और सरकारों को वैश्विक हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए आपस में हाथ मिलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. कोरोना संकट के कारण पृथ्वी के पर्यावरण, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु में जो सकारात्मक परिवर्तन आया है , उसे हम सभी मिल कर बरकरा रख सकते है.

4. हम एक अनोखे ग्रह के वासी हैं

पृथ्वी दिवस दुनिया में व्यपाक रूप से मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय समारोह है और यह हमें इस बात की याद दिलाता है  कि हम एक अनोखे ग्रह के वासी हैं. पृथ्वी सौरमंडल का ऐसा एक मात्र ग्रह है जहां अतुल्य जैव विविधता है. प्रथम पृथ्वी दिवस के 50 वर्ष बाद भी हम कई क्षेत्रों में जागरूपता नहीं ला सके है,दुनिया अब तक की सबसे अधिक खतरनाक स्थिति में पहुंच गयी है. जलवायु परिवर्तन हमारे समय की एक बहुत बड़ी चुनौती है लेकिन यह हमारे सम्मुख बहुत बड़ा अवसर अर्थात वर्तमान और भविष्य के लिए स्वस्थ, समृध्दशाली  और स्वच्छ ऊर्जा आधारित अर्थव्यवस्था के निर्माण का अप्रत्याशित अवसर लेकर आया है.

5. खतरे की अनदेखी भारी पड़ेगा

आज के समय में जलवायु परिवर्तन एक मुख्य समस्या बन चुकी है. पर्यावरण का सवाल जब तक तापमान में बढ़ोतरी से मानवता के भविष्य पर आने वाले खतरों तक सीमित रहा, तब तक विकासशील देशों का इसकी ओर उतना ध्यान नहीं गया. अब जलवायु चक्र का खतरा खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ रहा है- किसान यह तय नहीं कर पा रहे कि कब बुवाई करें और कब फसल काटें. ऐसे में कुछ ही देश इस खतरे की अनदेखी करने का साहस कर सकते हैं.

6. जागरूकता लेकर पृथ्वी को बचा सकते है

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पृथ्वी दिवस को लेकर देश और दुनिया में जागरूकता का भारी अभाव है. सामाजिक या राजनीतिक दोनों ही स्तर पर इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है. कुछ पर्यावरण प्रेमी अपने स्तर पर कोशिश करते रहे हैं, किंतु यह किसी एक व्यक्ति, संस्था या समाज की चिंता तक सीमित विषय नहीं होना चाहिए. सभी को इसमें कुछ न कुछ आहुति देना पड़ेगी तभी बात बनेगी. हमें  सभी मतभेदों को भूलकर जागरूकता लाना होगा , यह पृथ्वी हमारी है , हमें इसे हर हाल में  पृथ्वी को बचाना होगा है.

7. प्राकृतिक के प्रकोप सहने के लिए तैयार रहना होगा

हम पृथ्वीवासी समय पर नहीं सुधरेंगे, तो प्राकृतिक के प्रकोप सहने के लिए तैयार रहना होगा. अगर वसुधरा को बचाए रखना है तो सभी तरह के हमें बदला होगा, पर्यावरण संरक्षण के दिशा में काम करना होगा, साथ ही उस वृक्ष को कटने से रोकना होगा . अगर तय समय पर हम नही जगे तो हम पृथ्वी वासियों को प्राकृतिक के प्रकोप सहने के लिए तैयार रहना होगा .

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8. वृक्ष है अनमोल

पृथ्वी के सर्वश्रेष्ठ प्राणी मनुष्य का  जन्म के करोड़ों वर्ष हुआ. वैज्ञानिक मतों के अनुसार पृथ्वी का निर्माण  सूर्य के  एक टुकड़ा से हुआ ,जो धधकता हुआ आग का गोला था. लाखों वर्षों में पृथ्वी ठंडी हुई फिर पृथ्वी पर पानी उत्पन्न हुआ और पानी के आने के बाद पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई. धीरे-धीरे जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों की संख्या बढ़ती गई. पृथ्वी के स्थल भाग पर जंगल ही छा गया और खाली जगहों पर जल स्त्रोतों के छोटे -बड़े कई भाग  नदी , सागार एवं महासगार के रूप में निर्मित हुए.

पृथ्वी के शुरूआती काल से आज तक वृक्ष काफी महत्वपूर्ण रहा है और आने वाले समय में भी वृक्ष की महता कम नही होगी. वृक्ष ने मनुष्य को प्राण वायु, जल, छाया, रोटी – कपड़ा, मकान, फर्नीचर, दवा,कागज, स्याही, रंग, कॉस्मेटिक्स, शराब, औजार, सुगंधित पदार्थ आदि सैकड़ों तरह के अनुदान तो दिए ही हैं. साथ ही साथ वृक्ष ने शोर और वायु प्रदूषण से होने वाले जहर को स्वयं पी जाते हुए सृष्टि के सुन्दरता बरकरार रखती हैं. वृक्ष बरसात के पानी को अपनी जड़ों के माध्यम से धरती के भीतर तक पहुँचाते हैं ताकि गर्मी में मनुष्य को नलकूप जल देते रहें. वृक्ष का कार्य क्षेत्र विकराल होते हुए भी मानव एवं सृष्टि के हित में है , तभी तो वृक्ष अनमोल है. इस सृष्टि में वृक्षों के अनुदान यहीं समाप्त नहीं होता हैं. इसी वृक्ष के नीचे कई महापुरुषो को ज्ञान प्राप्त हुआ. इसके नीचे ज्ञान पा कर राजकुमार सिद्धार्थ भगवान बुद्ध हो गए.  भगवान महावीर सहित जैनियों के सभी तीर्थंकरों ने इसी वृक्ष की छाया में परम ज्ञान को पा कर आम आदमी से महा पुरुष बन गए.

महाभारत कल से रामायण कल तक वृक्ष का अहम रोल सबके सामने आता रहा. आदि कल से इस अनमोल कारक ने पृथ्वी और सृष्टि के रंग रूप एवं सौन्दर्य को सजाने में कोई कसर नही छोड़ी. आज भौतिक सुखो को लिए नित्य हजारो की संख्या में इनकी कटाई होती है. तो आप ही सोचिए इस अनमोल वृक्ष के बिना पृथ्वी का सौन्दर्य वापस कैसे लाया जा सकता है. अगर हमें पृथ्वी को बचाना है तो हमें वृक्ष कटाव कों रोकना होगा एवं अत्यधिक संख्या में वृक्ष लगाना होगा.

9.  घटती भूमि बढ़ती चिंता

आधुनिकता और बाजारवाद के आपाधापी में हमने बहुत कुछ खोया है, उन्ही में से कृषि योग्य भूमि भी है, जिसकी कमी कई देशो के लिए चिंता का विषय बन गया है. भारत सहित कई देश के भविष्य को खतरा पैदा हो गया है. हमारे देश में करीब 75 प्रतिशत कृषि भूमि की उत्पादकता में कमी स्थिति की भयावहता का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान में देश में भूमि की हालत खतरनाक है. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जारी ‘स्टेट ऑफ एन्वायरोनमेंट’ रिपोर्ट के अनुसार 14.7 करोड़ हेक्टेयर यानि लगभग 45 प्रतिशत भूमि जलभराव, अम्लीयता व कटाव आदि कारणों से बेकार हो गई है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा अपनी रिपोर्ट विजन – 2030 में दी गई जानकारी के अनुसार देश की कुल 15 करोड़ हेक्टेयर खेती योग्य भूमि से 12 करोड़ हेक्टेयर की उत्पादकता काफी घट गई है. 84 लाख हेक्टेयर भूमि जल भराव व खारेपन की समस्या से ग्रसित है. पिछले दो दशक में ही देश की कुल खेती योग्य भूमि में विभिन्न कारणों से 28 लाख हेक्टेयर की कमी आंकी गई है. खनन, उद्योग, ऊर्जा उत्पादन एवं शहरीकरण भी तेजी से भूमि लील रहे हैं. इस पृथ्वी दिवस पर हम सभी को इस ओर भी ध्यान देना होगा, ताकि आने वाले दिनों में हमें खादय पदार्थो के भरी आयत का दिन ना देखना पड़े.

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