एजुकेशन लोन लेने से पहले जरूर ध्यान रखें ये 7 बातें

ऐजुकेशन लोन को देश में या विदेश में पढ़ाई की लागत को कवर करने का सब से अच्छा तरीका माना जाता है. अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए कई बैंक देश में या विदेश में पढ़ाई के लिए सस्ती दर पर भी लोन मुहैया करा देते हैं.

अपने बच्चे की हायर ऐजुकेशन के लिए पेरैंट्स म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. कुछ लोग फिक्स्ड डिपौजिट तो कुछ यूलिप का सहारा भी लेते हैं. इन सब के बाद भी यदि पढ़ाई के लिए रकम कम पड़ती है तो ऐसे में ऐजुकेशन लोन से काफी मदद मिल जाती है. यह लोन जरूरत और उपलब्ध रकम के बीच की खाई को भरता है.

एक अध्ययन के अनुसार हिंदुस्तान में पढ़ाई का खर्च सालाना 15 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. इस समय अगर पढ़ाई का खर्च 2.5 लाख रुपये है तो 15 साल बाद एमबीए करने में 20 लाख रुपये खर्च होंगे. अगर पेरैंट्स अभी से 15 सालों तक हर महीने 2000 रुपये का निवेश करते हैं और इस पर औसत रिटर्न 12 फीसदी मान लें तो वे करीब 9.5 लाख रुपये ही जोड़ पाएंगे.

ऐजुकेशन लोन में क्या कवर होता है

इस में कोर्स की बेसिक फीस और कालेज के दूसरे खर्च जैसे रहने, ऐग्जाम और अन्य खर्चे कवर होते हैं. पढ़ाई करने वाला छात्र मेन उधारकर्ता होता है. उस के पेरैंट्स या भाईबहन कोबौरोअर हो सकते हैं. भारत में पढ़ाई या उच्च शिक्षा के लिए अथवा विदेश जाने वाले छात्र लोन ले सकते हैं. दोनों जगह पढ़ाई के लिए लोन की रकम अलग हो सकती है और यह बैंक पर भी निर्भर करता है.

लोन के तहत किस तरह के कोर्स

लोन ले कर फुलटाइम, पार्टटाइम या वोकेशनल कोर्स किए जा सकते हैं. इस के अलावा इंजीनियरिंग, मैनेजमैंट, मैडिकल, होटल मैनेजमैंट और आर्किटैक्चर आदि में ग्रैजुएशन या पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई के लिए लोन लिया जा सकता है.

योग्यता और कागजी जरूरत

लोन के लिए आवेदन करने वाले का भारतीय नागरिक होना जरूरी है. इस के साथ ही भारत या विदेश में किसी वैध संस्था से मान्यताप्राप्त कालेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन तय हो चुका हो तभी लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं. आवेदक का 12वीं कक्षा की परीक्षा पास कर चुका होना जरूरी है.

कुछ बैंक हालांकि एडमिशन तय होने से पहले भी लोन दे देते हैं. रिजर्व बैंक के मुताबिक ऐजुकेशन लोन के लिए उम्र की अधिकतम सीमा नहीं है, लेकिन कुछ बैंकों ने सीमा तय कर रखी है.

बैंक इस के लिए हालांकि आवेदक से संस्थान का एडमिशन लैटर, फीस स्ट्रक्चर, 10वीं, 12वीं और ग्रैजुएशन की मार्कशीट मांग सकते हैं. इस के अलावा कोऐप्लिकैंट की सैलरी स्लिप या आयकर रिटर्न (आईटीआर) की कौपी मांगी जा सकती है.

लोन की फाइनैंसिंग

लोन की जरूरत के हिसाब से बैंक 100 फीसदी तक फाइनैंस कर सकते हैं. अभी क्व4 लाख तक के लोन के लिए किसी मार्जिन मनी की जरूरत नहीं है. भारत में पढ़ाई करने के लिए लोन की रकम का 5 फीसदी और विदेश में पढ़ाई के लिए 15 फीसदी मार्जिन मनी की जरूरत होती है.

7.5 लाख रुपये से अधिक के लोन के लिए बैंक कुछ गिरवी रखने के लिए बोल सकते हैं. एक बार लोन ऐप्लिकेशन स्वीकार हो जाने पर बैंक सीधे कालेज/यूनिवर्सिटी को फीस स्ट्रक्चर के हिसाब से पेमैंट कर देते हैं.

ब्याज दर

बैंक इस समय लोन पर एमसीएलआर और अतिरिक्त स्प्रैड के हिसाब से ब्याज वसूलते हैं. एडिशनल स्प्रैड इस समय 1.35 फीसदी से ले कर 3 फीसदी तक हो सकता है.

रीपेमैंट

लोन को छात्र चुकाता है. आमतौर पर कोर्स खत्म होने के 6 महीने बाद रीपेमैंट शुरू हो जाती है. कई बार बैंक 6 महीने की मोहलत भी देते हैं. यह मोहलत जौब पाने के 6 महीने भी हो सकती है या कोर्स खत्म होने के बाद एक साल की हो सकती है.

5 से 7 साल में यह लोन चुकाना होता है. कई बार बैंक इसे आगे बढ़ा सकते हैं. कोर्स की अवधि के दौरान लोन पर ब्याज सामान्य ही होता है और ईएमआई के रूप में यह ब्याज चुकाना होता है ताकि कोर्स पूरा होने के बाद छात्र पर ज्यादा बोझ न पड़े.

इनकम टैक्स में छूट

आयकर कानून की धारा 80-ई के तहत लोन के ब्याज के रूप में चुकाई गई रकम पर छूट मिलती है. यह छूट किसी व्यक्ति को खुद, बच्चों या कानूनी मातापिता द्वारा बच्चे की शिक्षा के लिए लिए गए लोन के चुकाए गए ब्याज पर मिलती है. लोन के कुल ब्याज को आप अपनी कर योग्य आय में से घटा सकते हैं. यह छूट 8 सालों तक ली जा सकती है.

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