एक बार फिर: क्या हुआ था स्नेहा के साथ

कहानी- नफीस वारसी

इस मल्टीनैशनल कंपनी पर यह दूसरा कहर ढाया है. इस से पूर्व भी एक बार यह कंपनी अस्तव्यस्त हो चुकी है. उस समय कंपनी की एक खूबसूरत कर्मचारी स्नेहा ने अपने बौस पर आरोप लगाया था कि वे कई वर्षों से उस का यौनशोषण करते आ रहे हैं. उस की बोटीबोटी नोचते आ रहे हैं और यह सब महज शादी का लालच दे कर होता रहा है और अब वे शादी से मुकर रहे हैं. उस का इतना भर कहना था कि सबकुछ सुलग उठा था, धूधू कर के.

ऐसा नहीं था कि स्नेहा केवल खूबसूरत ही थी, योग्य नहीं. उस ने बीटैक और एमटैक की डिगरियां ले रखी थीं. वह अपने कार्य में पूर्ण दक्ष थी. वह बहुत ही शोख, खुशमिजाज और बेबाक भी थी. उस ने अपने आकर्षक व्यक्तित्व और भरसक प्रयासों से कंपनी को देश ही में नहीं, बल्कि विदेशों में भी उपलब्धियां अर्जित कराई थीं.

इस प्रकार वह स्वयं भी प्रगति करती गईर् थी. एक के बाद एक प्रमोशन पाती गई थी और उस का पैकेज भी दिनोंदिन मोटा होता जा रहा था. वह बहुत खुश थी. हरदम चहचहाती रहती थी. चेहरे पर रौनक छाई रहती. उस के व्यक्तित्व के आगे अच्छेअच्छे टिक नहीं पाते थे. परंतु अचानक वह बहुत उदास रहने लगी थी. इतनी उदास कि उस से अब छोटेछोटे टारगेट भी अचीव नहीं होते थे.

इसी डिप्रैशन में उस ने यह कदम उठाया था. वह कभी यह कदम न उठाती, लेकिन एक स्त्री सबकुछ बरदाश्त कर सकती है पर अपने प्यार को साझा करना हरगिज नहीं.

जी हां, उस की कंपनी में वैसे तो तमाम सुंदर बालाएं थीं, परंतु हाल ही में एक नई भरती हुई थी. यह उच्च शिक्षित एवं प्रशिक्षित नवयुवती निहायत सुंदर व आकर्षक थी. उस ने सौंदर्य और आकर्षण में स्नेहा को पीछे छोड़ दिया था.

इसी सौंदर्य और आकर्षण के कारण वह अपने बौस की प्रिय हो गईर् थी. बौस दिनरात उसे आगेपीछे लगाए रहते थे. स्नेहा यह सब देख कुढ़ रही थी. पलपल उस का खून झुलस रहा था.

आखिरकार उस ने आपत्ति की, ‘सर, यह सब ठीक नहीं है.’

‘क्या ठीक नहीं है?’ बौस ने मुसकरा कर पूछा.

‘आप अपने वादेइरादे भूल बैठे हैं.’

‘कौन से वादेइरादे?’

‘मुझ से शादी के?’

‘नौनसैंस, पागल हो गई हो तुम. मैं ने तुम से ऐसा वादा कब किया? आजकल तुम बहुत बहकीबहकी बातें कर रही हो.’

‘मैं बहक गई हूं या आप? दिनरात उस बिच के साथ रंगरेलियां मनाते रहते हैं…’

बौस ने हिम्मत से काम लिया. अपना तेवर बदला, ‘देखो स्नेहा, मैं तुम से आज भी उतनी ही मोहब्बत करता हूं जितनी कि कल करता था. इतनी छोटीछोटी बातों पर ध्यान मत दो. तुम कहां से कहां पहुंच गई हो. इतना अच्छा पैकेज मिल रहा है तुम्हें.’

‘आज मैं जो कुछ भी हूं, अपनी मेहनत से हूं.’

‘यही तो कह रहा हूं मैं. स्नेहा, तुम समझने की कोशिश तो करो. मैं किस से मिल रहा हूं, क्या कर रहा हूं, क्या नहीं, इस पर ध्यान मत दो. जो कुछ भी मैं करता हूं वह सब कंपनी की भलाई के लिए करता हूं. तुम्हारे मानसम्मान और प्रगति में कोई बाधा आए तो मुझ से शिकायत करो. खुद लाइफ को एंजौय करो और दूसरों को भी करने दो.’

परंतु स्नेहा नहीं मानी, उस ने स्पष्ट रूप से बौस से कह दिया, ‘मुझे कुछ नहीं पता. मैं बस यह चाहती हूं कि आप वर्षा को अपने करीब न आने दें.’

‘स्नेहा, मुझे अफसोस हो रहा है तुम्हारी समझ पर. तुम एक मौडर्न लेडी हो, अपने पैरों पर खड़ी हुई. यू शुड नौट पे योर अटैंशन टू दिस रबिश.’

‘तीन बार आप मुझे हिदायत दे चुके हैं कि मैं इन छोटीछोटी बातों पर ध्यान न दूं. पर मेरे लिए यह छोटी बात नहीं है. आप वर्षा को इतनी इंपोर्टैंस न दें. नहीं तो…’

‘नहीं तो क्या?’

‘नहीं तो मैं चीखचीख कर कहूंगी कि तुम पिछले कई वर्षों से मेरी बोटीबोटी नोचते रहे हो…’

बौस अपना धैर्य खो बैठे, ‘जाओ, जो करना चाहती हो करो. चीखो, चिल्लाओ, मीडिया को बुलाओ.’

और स्नेहा ने ऐसा ही किया. सुबह समाचारपत्रों के पन्ने स्नेहा के बौस की करतूतों से रंगे पड़े थे. टीवी चैनल्स मसाला लगालगा कर कवरेज को परोस रहे थे.

यह मामला बहुत आगे तक गया. कोर्टकचहरी से होता हुआ नारी संगठनों तक. इसी मध्य कुछ ऐसा घटित हुआ कि सभी सकते में आ गए. हुआ यह कि वर्षा का मर्डर हो गया. वर्षा का मर्डर क्यों हुआ? किस ने कराया? यह रहस्य, रहस्य ही रहा. हां, कानाफूसी होती रही कि वर्षा प्र्रैग्नैंट थी और यह बच्चा बौस का नहीं, कंपनी के मालिक का था.

इस सारे प्रकरण से उबरने में कंपनी को एड़ीचोटी एक करनी पड़ी. किसी तरह स्नेहा शांत हुई. स्नेहा के बौस का निलंबन तो पहले ही हो चुका था.

आखिरकार कंपनी ने राहत की सांस ली. उस ने एक नोटिफिकेशन जारी किया कि कंपनी में कार्यरत सारी लेडी कर्मचारी शालीन हो कर कंपनी में आया करें. जींसटौप जैसे अतिआधुनिक परिधान धारण कर के कदापि न आएं. बांहेंकटे जंपर, फ्रौक, ब्लाउज और पारदर्शी आस्तीनों वाले गारमैंट्स से परहेज करें. भड़काऊ मेकअप से बचें.

कंपनी के फरमान में जैंट्स कर्मचारियों के लिए भी हिदायतें थीं. उन्हें भी मौडर्न गारमैंट्स से गुरेज करने को कहा गया. जींसपैंट और टाइट टीशर्ट की मनाही की गई.

इन निर्देशों का पालन भी हुआ. लेडी कर्मचारी बड़ी शालीनता एवं शिष्टता से आनेजाने लगीं. जैंट्स भी सलीके से रहने लगे. सभी बड़ी तन्यमता से अपनेअपने काम को अंजाम देने लगे. परंतु फिर भी कर्मचारियों के मध्य पनप रहे प्रेमप्रंसगों की भनक ऊपर तक पहुंच गई.

एक बार फिर एक अद्भुत निर्णय लिया गया. वह यह कि धीरेधीरे कंपनी से लेडीज स्टाफ को हटाया जाने लगा. गुपचुप तरीके से एकदो कर के जबतब लेडीज कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाने लगा. किसीकिसी को अन्यत्र शिफ्ट किया जाने लगा. कुछेक महिलाएं परिस्थितियां भांप कर स्वयं इधरउधर खिसकने लगीं.

दूसरी जानिब लड़कियों के स्थान पर कंपनी में लड़कों की नियुक्ति की जाने लगी. इस का एक सुखद परिणाम यह रहा कि इस कंपनी में तमाम बेरोजगार लड़कों की नियुक्ति हो गई. इस कंपनी की देखादेखी यही कदम अन्य मल्टीनैशनल कंपनियों ने भी उठाया. इस तरह देखते ही देखते नौजवान बेरोजगारों की संख्या कम होने लगी. उन्हें अच्छा इनसैंटिव मिलने लगा. बेरोजगारों के बेरौनक चेहरों पर रौनक आने लगी.

पहले आप इस कंपनी की किसी शाखा में जाते तो रिसैप्शन पर आप को मुसकराती, लुभाती, आप का स्वागत करती हुई युवतियां ही मिलतीं. उन के वुमन परफ्यूम और मेकअप से आप के रोमरोम में सिहरन पैदा हो जाती. आप नजर दौड़ाते तो आप को चारों तरफ लेडीज चेहरे ही नजर आते. कुछ कंप्यूटर और लैपटौप से चिपके, कुछेक इधरउधर आतेजाते, कुछ डीलिंग करते हुए.

परंतु अब मामला उलट था. अब आप का रिसैप्शन पर मुसकराते हुए नौजवानों से सामना होता. ऐसेऐसे नौजवान जिन्हें देख कर आप दंग रह जाते. कुछ हृष्टपुष्ट, कुछ सींकसलाई से. कुछेक के लंबेलंबे बाल बिलकुल लड़कियों जैसे और कुछेक के बहुत ही छोटेछोटे बेतरतीब खड़े हुए.

वे सब आप से बड़े प्यार से बात करते. कंपनी के प्रोडक्ट्स पर खुल कर बोलते. उन की विशेषताएं गिनाते और आप मजबूर हो जाते उन के प्रोडक्ट्स को खरीदने पर.

इन नौजवानों की अथक मेहनत और कौशल से अब यह कंपनी अपने पिछले गम भुला कर धीरेधीरे प्रगति के मार्ग पर अग्रसर थी. नौजवानों ने दिनरात एक कर के, सुबह 10 बजे से ले कर रात 10 बजे तक कंप्यूटर में घुसघुस कर योजनाएं बनाबना कर और हवाई जहाज से उड़ानें भरभर कर एक बार फिर से कंपनी में जान डाल दी थी. अब कंपनी का कारोबार आसमान छूने लगा था.

इसी मध्य एक बार फिर कंपनी को आघात लगा. कंपनी के एक नौजवान ने अपने बौस पर आरोप लगाया कि वे विगत 2 वर्षों से उस का यौनशोषण करते आ

रहे हैं.

उस कर्मचारी के बौस भी खुल कर सामने आ गए. कहने लगे, ‘‘हां, हम दोनों के मध्य ऐसा होता रहा है. परंतु यह सब हमारी परस्पर सहमति से होता रहा है.’’

उन्होंने उस कर्मचारी को बुला कर समझाया भी, ‘‘यह कैसी नादानी है?’’

‘‘नादानी, नादानी तो आप कर रहे हैं.’’

‘‘मैं?’’

‘‘हां, और कौन? आप अपने वादेइरादे भूल रहे हैं.’’

‘‘कैसे वादेइरादे?’’

‘‘मेरे साथ जीनेमरने के. मुझ से शादी करने के.’’

‘‘नौनसैंस, तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है.’’

‘‘दिमाग तो आप का खराब हो गया, जो आप मुझ से नहीं, एक छोकरी से शादी करने जा रहे हैं.’’

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