19 दिन 19 कहानियां: एक कप कौफी- गौतमी को जब पता चला पति का अफेयर

एक कप कौफी: भाग-2

गौतमी अब भी शांत थी. उस के चेहरे पर शिकन का नामोनिशान नहीं था. उस ने अनुप्रिया की ओर देख कर पूछा, ‘‘अगर तुम्हें एतराज न हो तो क्या मैं तुम से एक सवाल पूछ सकती हूं?’’ अनुप्रिया के स्वीकृति देने पर उस ने प्रश्न किया, ‘‘तुम तलाकशुदा हो न?’’

‘‘मेरी निजी जिंदगी से जुड़े सवाल पूछने का तुम्हें कोई हक नहीं है गौतमी,’’ अनुप्रिया ने गुस्से में कहा. ‘‘मुझे पूरा हक है अनुप्रिया. तुम ने मेरी निजी जिंदगी में दखल दे कर मेरे पति को मुझ से छीनने की ठान रखी है. फिर मैं तो सिर्फ सवाल ही पूछ रही हूं.’’

अनुप्रिया के पास गौतमी के इस तर्क की कोई काट नहीं थी. उस ने मन मार कर उत्तर दिया, ‘‘हां.’’ ‘‘तुम्हारा तलाक क्यों हुआ?’’

‘‘इस बात का मेरे और पराग के रिश्ते से कोई संबंध नहीं है.’’ ‘‘प्लीज अनुप्रिया…कुछ देर के लिए कड़वाहट भुला कर मेरे प्रश्नों के उत्तर दो. संबंध का पता तुम्हें खुद ही चल जाएगा. बदले में तुम जो चाहो मुझ से पूछ सकती हो.’’

अनुप्रिया गौतमी के सवालों के जवाब नहीं देना चाहती थी. उसे महसूस हो रहा था कि उस ने यहां आ कर गलती कर दी. पर अब यहां आ ही गई थी तो करती भी क्या? अगर वह चाहती तो यहां से उठ कर जा सकती थी, पर ऐसा कर के वह गौतमी के सामने खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहती थी. इसलिए उस ने अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बताना शुरू किया, ‘‘मेरे पति तरुण का किसी निदा नाम की लड़की के साथ अफेयर था. जब मुझे पता चला तो मैं ने उन से तलाक लेने का फैसला कर लिया.’’ ‘‘उफ, तुम्हारी शादी कितने समय तक चली थी?’’ ‘‘लगभग डेढ़ साल. 2 साल पहले तलाक के बाद मैं दिल्ली आ गई थी.’’

‘‘दिल्ली आने के बाद तुम पराग से मिलीं और तुम दोनों का अफेयर शुरू हो गया,’’ गौतमी बोली.

‘‘हां…’’ ‘‘क्या तुम्हें शुरू से पता था कि पराग शादीशुदा हैं और उन का 1 बेटा भी है?’’

‘‘हां, मैं ने उन के दफ्तर में आप तीनों की तसवीर देखी थी.’’ गौतमी कुछ क्षण चुप रही. फिर अनुप्रिया की ओर गंभीरता से देख कर पूछा, ‘‘क्या तुम ने कभी तरुण को वापस पाने की कोशिश

नहीं की? उसे इतनी आसानी से तलाक क्यों दे दिया?’’ अनुप्रिया समझ रही थी कि गौतमी उसे अपनी बातों के जाल में फंसाना चाह रही है, पर उस ने यह सवाल पूछ कर अनुप्रिया को अपनी बात ऊपर रखने का बहुत अच्छा मौका दे दिया. उस ने बिना वक्त गंवाए उत्तर दिया, ‘‘नहीं, क्योंकि ऐसे आदमी के साथ रहने का कोई फायदा नहीं है जो किसी और से प्यार करता हो. इसलिए मैं ने उसे तलाक दे दिया. तुम्हें भी पराग को तलाक दे कर आजाद कर देना चाहिए.’’

‘‘स्मार्ट मूव,’’ गौतमी ने हंसते हुए कहा, ‘‘पर तुम में और मुझ में बहुत फर्क है. मैं पीठ दिखा या मैदान छोड़ भागने वालों में से नहीं हूं.’’ ‘इस औरत पर तो किसी बात का कोई असर ही नहीं हो रहा है. पता नहीं किस मिट्टी की बनी है,’ सोच कर अनुप्रिया मन ही मन खीज उठी. फिर तलखीभरे स्वर में कहा, ‘‘मैं ने तुम्हारे सवालों के जवाब दे दिए. अब सवाल पूछने की बारी मेरी है.’’

‘‘ठीक है, पूछो.’’ अनुप्रिया ने गौतमी की आंखों में आंखें डाल कर पूछा, ‘‘तुम्हारा पति मेरे साथ रिलेशनशिप में है, यह जानते हुए भी तुम यहां बैठ कर मेरे साथ कौफी पी रही हो. ऐसा क्यों?’’

‘‘तुम्हारे इस सवाल का जवाब तो मैं ने यहां आते ही दे दिया था. मैं तुम्हें यह बताने आई हूं कि पराग तुम से शादी नहीं करेगा.’’ ‘‘और मैं भी तुम्हें बता चुकी हूं कि पराग तुम से नहीं मुझ से प्यार करता है. वह बहुत जल्दी मुझ से शादी करेगा.’’

‘‘अगला सवाल,’’ गौतमी ने कौफी का घूंट भरते हुए पूछा.’’ ‘‘क्या तुम्हें मुझ से डर नहीं लगता है?’’ अनुप्रिया को लगा कि अब मुसकराने की बारी उस की है.

‘‘बिलकुल नहीं. डरता वह है जो गलत होता है. तुम अपने पति से धोखा खा कर तलाक ले चुकी हो और अब खुद दूसरी औरत बन कर पराग की जिंदगी में पड़ी हो. अब तुम्हें दूसरी बार भी धोखा ही मिलने वाला है, डरना तो तुम्हें चाहिए अनुप्रिया.’’ अनुप्रिया के चेहरे से मुसकान के साथ रंग भी उड़ गया. वह दांत पीसते हुए बोली, ‘‘हाऊ डेयर यू?’’

गौतमी ने सीधे बैठते हुए कहा, ‘‘बस इतनी बात पर तुम्हें गुस्सा आ गया? मैं तुम पर कटाक्ष नहीं कर रही हूं, बल्कि तुम्हें सच का आईना दिखा रही हूं और सच तो सब को मीठा नहीं लगता है न?’’ ‘‘तुम्हें क्या लगता है मैं तुम्हारी बातों से डर जाऊंगी?’’ अनुप्रिया ने आंखें तरेरी.

गौतमी ने हौले हंस कर कहा, ‘‘तुम्हें डराने का मेरा कोई इरादा भी नहीं है. यह तुम भी जानती हो कि तुम ने मेरे साथ बहुत गलत किया है पर क्या मैं ने अभी तक तुम से बदला लेने के लिए कुछ भी किया है? तुम पर चीखीचिल्लाई या इलजाम लगाए? अगर मैं ऐसा कुछ भी करूं तो तुम्हें भी पता है कि कितने लोग तुम्हें गलत कहेंगे और कितने मुझे सही कहेंगे.’’ अनुप्रिया चुप हो गई तो गौतमी ने आगे कहना शुरू किया, ‘‘मैं जब से यहां आई हूं तुम ने बस एक ही रट लगा रखी है कि पराग तुम से शादी करेगा पर कब करेगा क्या तुम बस मुझे इतना बता सकती हो?’’

‘‘जल्द ही…’’ ‘‘जल्द ही कब अनुप्रिया? अगर पराग मुझे तलाक ही नहीं देगा तो तुम से शादी कैसे करेगा? कभी तुम ने यह सोचा है?’’

अनुप्रिया कुछ कहती उस से पहले ही गौतमी फिर बोल पड़ी, ‘‘पराग ने तुम से यही कहा होगा न कि वह मेरे साथ खुश नहीं है. मैं ने उस की जिंदगी नर्क बना रखी है और वह बस अपने बेटे की खातिर मुझे बरदाश्त कर रहा है?’’ ‘‘आप को यह सब कैसे पता है?’’ अनुप्रिया ने हैरानी प्रकट की.

‘‘तुम दिखने में तो समझदार लगती हो. जिंदगी में इतना कुछ देख चुकी हो. फिर इतना भी नहीं जानतीं कि पराग जैसे आदमी इसी तरह की बातों से पहले तुम जैसी लड़कियों की हमदर्दी और फिर प्यार हासिल करते हैं.

आगे पढ़ें- जब मैं तुम्हें फेसबुक पर ढूंढ़ कर तुम्हारे…

एक कप कौफी: भाग-1

मेजपर रखी कौफी ठंडी हो रही थी. अनुप्रिया ने कौफी मंगा तो ली थी पर उठा कर पीने की हिम्मत नहीं हो रही थी. दिल इतनी तेजी से धड़क रहा था मानो बाहर ही आ जाएगा. कई बार कलाई पर बंधी घड़ी में समय देख चुकी थी. 5 बजने में अभी 10 मिनट बाकी थे. यानी पराग की पत्नी के वहां आने में ज्यादा समय बाकी नहीं था. पराग की पत्नी के बारे में सोच कर अनुप्रिया फीकी सी हंसी हंस दी. उसे पराग की पत्नी का नाम तक मालूम नहीं था और वह उस का एक फोन आने पर उस से यहां मिलने के लिए तैयार हो गई थी. 5 बजे मिलने का समय तय कर के 4 बजे से यहां बैठ कर उस का इंतजार कर रही थी. कभी कैफे के दरवाजे को तो कभी कौफी मग पर बने स्माइली को निहार रही थी.

तभी कैफे का दरवाजा खुला और एक सुंदर महिला ने अंदर प्रवेश किया. कुछ क्षणों तक इधरउधर देखने के बाद वह महिला अनुप्रिया की ओर आने लगी. मेज के पास आ कर रुक गई और फिर पूछा, ‘‘आप अनुप्रिया हैं?’’ अनुप्रिया कुरसी से उठ खड़ी हुई, ‘‘जी हां और आप?’’

‘‘हैलो, मैं गौतमी. पराग की वाइफ.’’ ‘‘हैलो, प्लीज बैठिए,’’ कह कर अनुप्रिया ने सामने रखी कुरसी की ओर इशारा किया.

‘‘थैंक्स,’’ गौतमी ने कुरसी पर बैठ अपना पर्स मेज पर रख दिया और अनुप्रिया की ओर देख कर मुसकराई, ‘‘मुझ से यहां मिलने के लिए आप का शुक्रिया.’’ अनुप्रिया ने उस की बात को अनसुना कर पूछा, ‘‘आप क्या लेंगी?’’

‘‘कौफी और्डर करने के बाद कुछ पलों तक दोनों खामोश बैठी रहीं.

अनुप्रिया तिरछी नजरों से गौतमी की ओर देख रही थी. उस ने जैसा सोचा था गौतमी उस से बिलकुल उलट थी. वह अच्छीखासी स्मार्ट थी और बड़े ही शांत भाव से उस के सामने बैठी थी. लेकिन वह कैफे में इतने सारे लोगों के सामने और करती भी क्या. उस पर चिल्लाती, इलजाम लगाती कि उस ने उस के पति को अपने प्रेमजाल में क्यों फंसा रखा है या फिर उस के आगे रोती, गिड़गिड़ाती कि वह उस के पति की जिंदगी से हमेशा के लिए दूर चली जाए?’’ अनुप्रिया से गौतमी की चुप्पी बरदाश्त नहीं हो रही थी. वह चाहती थी कि उसे जो भी कहना हो कहे और यहां से चली जाए. तभी कौफी आ गई. अनुप्रिया ने हिम्मत कर पूछ ही लिया, ‘‘आप मुझ से क्यों मिलना चाहती थीं?’’

गौतमी ने मुसकरा कर कप हाथ में उठा लिया, ‘‘चलिए, आप ने मुझ से यह सवाल तो पूछा. मैं तो इंतजार कर रही थी कि आप मेरा निरीक्षण कर चुकी हों तो आप से बातें करना शुरू करूं.’’ अनुप्रिया सकपका गई. गौतमी के भीतर तेज दिमाग के साथ आत्मविश्वास भी कूटकूट कर भरा था. उस ने खुद को संभालते हुए कहा, ‘‘देखिए, मेरे पास अधिक समय नहीं है. आप मुद्दे की बात कीजिए. आप ने मुझे यहां क्यों बुलाया है?’’

‘‘आप ने औफिस से छुट्टी ली हुई है और पराग 3 दिनों के लिए शहर से बाहर गए हैं. जहां तक मेरी जानकारी है आजकल वे आप से मिलना तो दूर आप का फोन तक नहीं उठा रहे हैं. फिर आज आप के पास वक्त की कमी तो नहीं होनी चाहिए. खैर छोडि़ए, मैं सीधे मुद्दे पर ही आ जाती हूं. मैं आप को यह बताने आई हूं कि आप पराग के साथ सिर्फ अपना वक्त बरबाद कर रही हैं. वह मुझे छोड़ कर आप से शादी नहीं करेगा.’’ अनुप्रिया इसी बात की उम्मीद कर रही थी. उसे पता था कि गौतमी कुछ ऐसा ही कहेगी, इसलिए वह भी पूरी तैयारी के साथ आई थी. वह कम से कम इस औरत से तो हार नहीं मानने वाली थी. अत: उस ने चेहरे पर आत्मविश्वास लाते हुए कहा, ‘‘अच्छा…तो फिर वह आप के साथ शादीशुदा होते हुए भी मेरे साथ रिलेशनशिप में क्यों है?’’

‘‘क्योंकि वह एक कमजोर व बेवकूफ व्यक्ति है जो फिलहाल रास्ता भटक गया है, पर लौट कर अपने ही घर आएगा.’’ ‘‘आप का वह बेवकूफ आदमी दिन में 10 बार मुझे आई लव यू कहता है.’’ ‘‘तो क्या हुआ? पराग चौबीस घंटों में 48 बार मुझे व अपने बेटे सिद्धार्थ को आई लव यू कहता है.’’ ‘‘उस ने मुझ से वादा किया है कि वह जल्दी तुम्हें तलाक दे कर मुझ से शादी करेगा.’’

‘‘तुम्हारी और पराग की रिलेशनशिप को कितना वक्त हुआ है?’’ ‘‘करीब 2 साल.’’

‘‘तो फिर उस ने अब तक अपने खोखले वादे पूरे करने की दिशा में कदम क्यों नहीं बढ़ाया? मैं आज भी उस की पत्नी क्यों हूं?’’ ‘‘मैं जानती हूं कि तुम क्या कर रही हो…तुम मेरे और पराग के रिश्ते में दरार डालना चाहती हो. तुम चाहती हो कि पराग मुझे छोड़ कर वापस तुम्हारे पास आ जाए,’’ अनुप्रिया ने गौतमी को घूरते हुए कहा.

‘‘पराग मुझे छोड़ कर तुम्हारे पास गया ही कब था जो मुझे उसे वापस बुलाना पड़े. वह तो आज भी मेरे साथ, मेरे पास ही है.’’ ‘‘तो मैं इस मुलाकात का क्या मतलब समझूं कि मेरे सामने एक बेबस पत्नी बैठी है, जो मुझ से अपने पति को वापस पाने की मिन्नतें कर रही है?’’

‘‘और मेरे सामने जिंदगी से हारी हुई औरत बैठी है जो इतनी हताश हो चुकी है कि किसी और के पति को उस से छीन कर दूसरी औरत कहलाने के लिए भी तैयार है.’’ अनुप्रिया भड़क उठी, ‘‘तुम आखिर चाहती क्या हो? तुम ने मुझे यहां मेरी बेइज्जती करने के लिए बुलाया है?’’

‘‘तुम बताओ, तुम मेरे बुलाने पर यहां क्यों आई हो? क्या तुम मेरे हाथों बेइज्जत होना चाहती हो?’’ गौतमी ने मुसकराते हुए कहा. अनुप्रिया खौल उठी. फिर भी उस ने अपने गुस्से पर काबू करते हुए कहा, ‘‘मैं यहां तुम से यह पूछने आई हूं कि तुम पराग को तलाक देने के लिए तैयार हो या नहीं?’’

‘‘पराग ने मुझ से तलाक मांगा ही कब?’’ ‘‘नहीं मांगा तो अब मांग लेगा. हम दोनों जल्दी शादी करने वाले हैं.’’

‘‘सपने देखना बहुत अच्छी बात है अनुप्रिया. पर इतना याद रखना कि सपनों के टूटने पर कई बार तकलीफ भी बहुत होती है.’’ ‘‘किस के सपने टूटेंगे यह तो वक्त बताएगा,’’ अनुप्रिया ने गौतमी को घमंडभरी नजरों से देखते हुए कहा.

आगे पढ़ें- गौतमी अब भी शांत थी. उस के चेहरे पर…

एक कप कौफी: भाग-4

मेरा मकसद केवल तुम्हें सच से रूबरू कराना था.’’ गौतमी की कही बात ने अनुप्रिया के दिल को और भी अधिक छलनी कर के उसे आत्मग्लानि के बोझ तले दबा दिया. उसे यह सोच कर शर्म आ रही थी कि वह इस भली औरत का घर तोड़ने चली थी और यह औरत उस पर दोषारोपण करने के बजाय यहां बैठ कर उस से सहानुभूति प्रकट कर रही है. साथ ही साथ उसे अपनेआप पर भी तरस आ रहा था. उस में अब फिर से एकबार खुद को समेटने की ताकत बाकी नहीं थी.

गौतमी ने उस की हालत देख कर उसे दिलासा देने की कोशिश की, ‘‘अनुप्रिया, तुम हिम्मत मत हारो. उस वक्त तुम जैसी मानसिक स्थिति में थीं, ऐसे पराग तो क्या उस के जैसा कोई भी विकृत मानसिकता का पुरुष तुम्हारा फायदा उठा सकता था. मैं यह नहीं कह रही हूं कि जो कुछ हुआ उस में तुम्हारा कोई दोष नहीं है. गलती तुम से भी हुई है. तुम्हें एक बार धोखा खाने के बाद भी इस तरह बिना कुछ सोचेसमझे और आंख मूंद कर पराग पर विश्वास नहीं करना चाहिए था. पर अब उस गलती पर पछता कर या पराग के लिए रो कर अपने वक्त और आंसू बरबाद मत करो, बल्कि इस गलती से सबक ले कर जिंदगी में आगे बढ़ो.’’ ‘‘मुझ में इतनी हिम्मत नहीं है गौतमी…’’

‘‘ऐसा न कहो अनुप्रिया. तुम्हें अपनी जिंदगी में पराग जैसे आदमी की जरूरत नहीं है. अपना स्तर इतना नीचे मत गिरने दो. तुम सुंदर हो, पढ़ीलिखी व स्मार्ट हो. अपना सहारा खुद बनना सीखो. आजकल तलाकशुदा होना या दूसरी शादी करना कोई बुरी बात नहीं है. खुद को थोड़ा वक्त दो और यकीन करो कि तुम्हारी जिंदगी में भी कोई न कोई जरूर आएगा, जो तुम्हारे और अपने रिश्ते को नाम देगा, तुम्हें पत्नी होने का सम्मान देगा,’’ गौतमी ने अनुप्रिया को धैर्य बंधाते हुए कहा.

गौतमी की बात सुन कर अनुप्रिया न चाहते हुए भी मुसकरा उठी और फिर अपने आंसू पोंछते हुए बोली, ‘‘मैं कितना कुछ सोच कर यहां आई थी. मैं आप को अपने रास्ते से हटाना चाहती थी और आप ने मुझे ही सही रास्ता दिखा दिया. आप उम्र में मुझ से बड़ी हैं. अगर आप को एतराज न हो तो क्या मैं आप को दीदी कह सकती हूं?’’ गौतमी के मुसकरा कर सहमति देने पर उस ने हाथ जोड़ कर कहा, ‘‘मुझे माफ कर दो दीदी. मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई. मैं भी आप के साथ वही करने जा रही थी जो कभी निदा ने मेरे साथ किया था.’’

गौतमी ने आगे बढ़ कर अनुप्रिया के जुड़े हाथों को थाम कर कहा, ‘‘तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं है अनुप्रिया. बस जो मैं ने कहा है उस पर विचार करना. सिर उठा कर अपने जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करना.’’ ‘‘मैं वादा करती हूं कि आज के बाद मेरी जिंदगी में पराग या उस के जैसे किसी भी आदमी के लिए कोई जगह नहीं होगी. मैं आगरा वापस चली जाऊंगी. अपने मम्मीपापा के पास रह कर कोई नौकरी ढूंढ़ लूंगी.’’

आज अनुप्रिया खुद को बेहद हलका महसूस कर रही थी. ऐसा लग रहा था मानो सीने से कोई बोझ उतर गया हो. वह भले ही अपने मुंह से खुद को सही कहती आई हो पर उस के मन में बैठा चोर तो यह जानता था कि वह गलत कर रही है और अब वह दुनिया से अपराधी की तरह छिप कर नहीं, इसी तरह खुल कर जीना चाहती थी. गौतमी के शब्दों ने उस के भीतर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर दिया था. उस ने गौतमी से आग्रह कर के फिर कौफी का और्डर किया और इधरउधर की बातें करने लगीं. कौफी पीते हुए अनुप्रिया गौतमी को देख कर यह सोच रही थी कि यदि 2 वर्ष पहले वह भी इसी तरह हिम्मत जुटा कर तरुण और निदा के सामने दीवार बन कर खड़ी हो गई होती तो आज शायद उस की स्थिति कुछ और ही होती. उस की आंखों में शर्म व ग्लानि के बजाय स्वाभिमान व जीत की चमक होती. वह अपनी शादी को बचा पाती या नहीं यह तो वक्त ही बताता पर कम से कम मन में यह संतोष तो होता कि उस ने अपने रिश्ते को बचाने का पूरा प्रयास किया और आज वह इतनी बड़ी गलती कर के गौतमी के सामने शर्मिंदा होने से बच जाती. काश, उस का दिल व सोच का दायरा गौतमी की तरह बड़ा होता. आज गौतमी के साथ पी कौफी ने जिंदगी व रिश्तों के प्रति उस की सोच ही बदल कर रख दी थी. ‘‘अच्छा, अब मैं चलती हूं. सिद्धार्थ को मांजी के पास छोड़ कर आई हूं. उस ने परेशान कर रखा होगा,’’ कहते हुए गौतमी उठ खड़ी हुई.

गौतमी जाने के लिए मुड़ी ही थी कि अनुप्रिया ने उसे रोका, ‘‘गौतमी दीदी.’’ गौतमी के पलट कर देखने पर उस ने वह प्रश्न पूछ लिया जो उसे बेचैन कर रहा था, ‘‘आप ने पराग को इतनी आसानी से कैसे माफ कर दिया? सिद्धार्थ के लिए?’’

‘‘मैं ने ऐसा कब कहा कि मैं ने पराग को माफ कर दिया है?’’ ‘‘पर आप ने मुझे तो माफ कर दिया है, फिर पराग को क्यों नहीं?’’

‘‘तुम्हारी बात अलग है अनुप्रिया. तुम दोषी के साथ पीडि़ता भी थीं. धोखा तो तुम ने भी खाया है, इसलिए मैं ने तुम्हें माफ कर दिया. तुम मेरी कुछ नहीं लगती थीं पर पराग तो मेरा अपना था न. उस ने जानबूझ कर मुझे धोखा दिया. यदि मैं ने उसे रंगे हाथों नहीं पकड़ा होता तो वह आज भी मुझ से छिप कर तुम से मिल रहा होता.’’ ‘‘पर अब तो वह अपना ट्रांसफर करा रहा है…मेरा यकीन मानिए, अब हम दोनों कभी नहीं मिलेंगे. क्या अब भी आप उसे माफ नहीं करेंगी?’’

गौतमी ने अनुप्रिया की ओर डबडबाई आंखों से देख कर कहा, ‘‘तुम्हें क्या लगता है कि तुम पराग की पहली और आखिरी गलती हो? तुम से पहले भी वह ऐसी गलती और पश्चाताप कर चुका है. उस ने मुझ से माफी केवल इसलिए मांगी है, क्योंकि वह पकड़ा गया है और रही बात ट्रांसफर की तो वह भी उस का नाटक ही है. उसे सुधरना होता तो पहली बार गलती पकड़े जाने पर ही सुधर गया होता. पराग जैसे फरेबी आदमी अपने मुखौटे बदल सकते हैं, फितरत नहीं. आज मैं उसे फिर माफ कर दूंगी तो वह एक बार फिर से यही सब करेगा और पकड़े जाने पर मुझ से माफी मांग लेगा. इस तरह तो यह सिलसिला यों ही चलता रहेगा. मेरा स्वाभिमान मुझे अब पराग को माफ करने की इजाजत नहीं देता है.’’

जिस गौतमी की आंखों में अनुप्रिया ने अब तक केवल आत्मविश्वास व हिम्मत को देखा था, उन में इतना दर्द समाया होगा उस ने यह कल्पना नहीं की थी. उस ने गौतमी की तकलीफ को अपने भीतर महसूस करते हुए पूछा, ‘‘पर दीदी, ट्रांसफर… आप यहां अकेली सिद्धार्थ को कैसे संभालेंगी?’’

‘‘पराग कोई दूध पीता बच्चा नहीं, जो अकेला किसी और शहर में नहीं रह पाएगा. उसे यहां रहते हुए भी अपनी बीवी और बच्चे की जरूरत कहां थी. जहां जाएगा वहां एक और अनुप्रिया या निदा ढूंढ़ ही लेगा. मुझे और सिद्धार्थ को पराग की जरूरत नहीं है. मैं पहले भी सिद्धार्थ को अकेली ही पाल रही थी, आगे भी पाल लूंगी. ‘‘पढ़ीलिखी हूं, बेहतर ढंग से अपनी और सिद्धार्थ की जिंदगी को संवार कर उसे एक अच्छा भविष्य दे सकती हूं. आज तक मैं ने पराग को और अपने रिश्ते को बदले में कुछ चाहे बिना अपना सबकुछ दिया है, पर अब मेरे पास उसे देने के लिए कुछ नहीं है, माफी भी नहीं,’’ कह कर गौतमी तेज कदमों से चलती हुई कैफे से बाहर निकल गई और पीछे रह गई अनुप्रिया जो अब भी कभी कैफे के दरवाजे को तो कभी मेज पर पड़े कौफी के कप को देख रही थी.

एक कप कौफी: भाग-3

अब यह मत कहना कि तुम नहीं जानती थीं कि पराग तुम से झूठ बोल रहा है. जब मैं तुम्हें फेसबुक पर ढूंढ़ कर तुम्हारे बारे में सबकुछ पता कर सकती हूं, तुम से संपर्क कर सकती हूं तो क्या तुम ने वहां कभी हमारे फोटो नहीं देखे होंगे. अभी कुछ हफ्ते पहले ही हमारी शादी की सालगिरह थी. तुम ने तसवीरों में देखा भी होगा कि हम साथ में कितने खुश थे. क्या तुम ने इस बारे में पराग से कोई सवाल नहीं किया?’’

‘‘पराग ने कहा था कि तुम ने उसे बिना बताए पार्टी का आयोजन किया था. उसे मजबूरी में शामिल होना पड़ा.’’ ‘‘अच्छा… तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि पराग ने खुद मेरे लिए सरप्राइज पार्टी रखी थी. अगर तुम अपनी आंखों से प्यार की पट्टी हटा कर दिमाग का इस्तेमाल करते हुए उन तसवीरों को ध्यान से देखोगी तो शायद तुम्हें सच नजर भी आ जाए और यह केवल उन तसवीरों की बात नहीं है. क्या तुम ने खुद कभी यह महसूस किया कि पराग सच में मुझे तलाक देना चाहता है? उस ने तुम से वादे तो बहुत किए पर क्या कभी कोई वादा पूरा भी किया? तुम उस की खातिर यहां मेरे सामने आ कर खड़ी हो पर पराग कहां है? क्या वह भी तुम्हारे लिए दुनिया का सामना करेगा? उस ने तुम्हें अपने दोस्तों या परिवार से मिलवाया? खुद तुम्हारे दोस्तों या परिवार से मिलने के लिए तैयार हुआ? ‘‘वक्त रहते संभल जाओ अनुप्रिया. अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है. पराग के वादों की तरह ही उस का प्यार भी खोखला है.’’

अनुप्रिया के हाथपांव सुन्न पड़ने लगे. गौतमी की कही 1-1 बात उस के दिल को छलनी करती जा रही थी. गौतमी की बातें कड़वी जरूर थीं, मगर कहीं न कहीं उन में सचाई भी थी. उस ने अपने दिमाग में 1-1 बात का विश्लेषण करना शुरू किया. आज तक जब भी उस ने पराग के परिवार से मिलने की बात की या उसे अपने मातापिता से मिलवाने की, पराग ने हर बार उसे कोई न कोई बहाना बना कर टाल दिया. जब भी वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ कहीं घूमनेफिरने जाता या किसी समारोह में शामिल होता और वह उस पर नाराज होती तो वह उसे अपनी मजबूरी का हवाला दे कर सारी बात गौतमी पर डाल देता. तसवीरों को ले कर भी उस ने हजार झूठ बोले थे जिन्हें उस ने पकड़ भी लिया था पर अपने रिश्ते में शांति बनाए रखने की खातिर चुप रही. उन की मुलाकातें भी तो दुनिया की नजरों से छिप कर अनुप्रिया के घर पर होती थीं. औफिस में बाकी स्टाफ का तो समझ सकती थी, पर पराग तो अपने दोस्तों के सामने भी उस से इस तरह व्यवहार करता था जैसे एक सीनियर अपने जूनियर से करता है.

वह जब भी उस से शादी की बात करती वह एक नया बहाना बना कर बात टाल देता. उस ने पराग को अपना सबकुछ मान लिया था पर वह पराग के लिए क्या थी? गौतमी सही ही तो कह रही है कि इस रिश्ते में पराग ने उसे खोखले वादों के अलावा और कुछ नहीं दिया. और अब वह कुछ दिनों से उस से कटाकटा सा भी रहने लगा है. न उस से मिलने उस के घर आता है और न ही फोन करता. वह उसे फोन कर के नाराजगी जताती तो काम या सिरदर्द का बहाना बना देता. उसे तो यह बात भी एक सहकर्मी से पता चली थी कि वह 3 दिनों के लिए शहर से बाहर जा रहा है. सारी बातें इसी ओर इशारा कर रही थीं कि पराग उस से दूर भाग रहा है. अपने मन के भीतर किसी छोटे से कोने में अनुप्रिया को भी इस बात का एहसास है. पहले तरुण ने उस की जिंदगी बरबाद की और अब पराग ऐसा करने चला था.

अनुप्रिया की चुप्पी देख कर गौतमी ने आगे कहा, ‘‘तुम यह मत सोचना कि मैं सारा इलजाम तुम पर लगा रही हूं. ऐसा बिलकुल नहीं है. जो भी हुआ उस में तुम से कहीं अधिक दोष पराग का है. जिस वक्त तुम दिल्ली आईं, तुम बेहद संवेदनशील थीं. ऐसे में पराग ने तुम्हारी कमजोरी का फायदा उठाया, जिसे तुम उस का प्यार समझ बैठीं. तुम्हें गहरा आघात लगा था, तुम अवसादग्रस्त थीं पर पराग तो बिलकुल ठीक था न. वह अपने स्वार्थ की पूर्ति करता रहा. वह दोहरी जिंदगी जीता रहा, एक मेरे और सिद्घार्थ के साथ और दूसरी दुनिया से छिप कर तुम्हारे साथ. वह तुम से झूठ बोल कर तुम्हारा फायदा उठाता रहा और तुम इसे उस का प्यार समझती रही.’’

गौतमी की बातें सुन कर अनुप्रिया की आंखें भर आईं. उस ने डबडबाई आंखों से गौतमी की ओर देख कर सवाल किया, ‘‘आप ने पराग से इस बारे में बात की होगी. उस ने क्या कहा?’’

‘‘जब मुझे तुम्हारे और पराग के बारे में पता चला और मैं ने उस से इस बारे में सवाल किया तो उस ने कहा कि तुम उस के पीछे पड़ी थीं. वह तुम्हारी बातों में आ कर बहक गया था. उस ने मुझ से बारबार माफी मांगी और सिद्धार्थ का वास्ता दे कर कहा कि वह अब तुम से कभी नहीं मिलेगा. उस ने ट्रांसफर के लिए अर्जी भी दे दी है.’’ यह सुन कर अनुप्रिया की आंखों से आंसू बह निकले. वह पराग जिस ने कई हफ्तों तक उस का पीछा किया. उसे अपने प्यार का एहसास दिलाने के लिए इतने जतन किए. अपनी खराब व तनावपूर्ण शादीशुदा जिंदगी का हवाला दे कर उस के दिल में अपने लिए हमदर्दी जगाई. जो कभी उस के लिए दुनिया से लड़ जाने की बातें किया करता था आज पकड़े जाने पर कितनी आसानी से सारा दोष उस के सिर मढ़ कर खुद बच निकल जाना चाहता है. उस ने सिर झुका कर रुंधे स्वर में कहा, ‘‘मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं आप से क्या कहूं. मैं आप से किस तरह माफी मांगू? सब कुछ आईने की तरह साफ था, फिर भी मैं जानबूझ कर अनजान बनी रही. मैं ने आप के साथ बहुत गलत किया.’’

‘‘गलत तो हम दोनों के साथ हुआ है अनुप्रिया. यदि मैं केवल तुम्हें दोषी मानती तो आज यहां बैठ कर तुम से बातें नहीं कर रही होती. सच पूछो तो मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं है. पराग ने हम दोनों को धोखा दिया है और रही बात माफी की तो मैं यहां तुम्हारी माफी की उम्मीद में नहीं आई थी.

आगे पढ़ें- मेरा मकसद केवल तुम्हें सच से रूबरू कराना था.’’ गौतमी…

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