Serial Story: एक ही भूल (भाग-4)

पिछला भाग पढ़ने के लिए- एक ही भूल: भाग-3

कम उम्र दिखने वाले एक युवक ने दरवाजा खोला. सारिका झट उसे पहचान गई. एक आखिरी उम्मीद मन में लिए सारिका उस नौजवान के सामने सोफे पर बैठी थी. एक मां की ममता उस से क्याक्या नहीं करवाती. दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं था, फिर भी दोनों का अंश कबीर में मौजूद था.

जिस दिन विनय को प्रमोशन मिली उस की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था. सारिका को अपनी गोद में उठा कर उस ने सारे घर में घुमा दिया. खुश तो सारिका भी बहुत थी विनय के लिए, मगर कुछ और भी था जिस की उसे शिद्दत से चाह थी. विनय कामयाबी के नशे में इतना चूर हो गया कि उसे सारिका के भीतर का खालीपन दिख कर भी नहीं दिख पा रहा था.

टैस्ट की रिपोर्ट आने से पहले ही वह 2 सालों के लिए अमेरिका चला गया

था. रिपोर्ट देखने के बाद डाक्टर से उसे पता चला कि सारिका अब तक मां इसलिए नहीं बन पाई क्योंकि विनय कभी पिता नहीं बन सकता था. सारिका के ऊपर जैसे यह सुन कर गाज गिर पड़ी कि मातृत्व सुख से वंचित रहने के पीछे उस के पति की नपुंसकता है. विनय की यह शारीरिक कमी कैसे बता पाएगी सारिका उसे… वह इस बात से कितना आहत होगा, इस बात से सारिका बखूबी वाकिफ थी.

‘‘तो क्या मेरे मां बनने के सारे रास्ते बंद हैं?’’ सारिका ने कातरता से पूछा.

‘‘ऐसी बात नहीं है सारिका. तुम कोई बच्चा गोद ले कर भी मां बनने का सुख भोग सकती हो.’’

‘हां, यह भी एक तरीका हो सकता है. वह और विनय किसी बच्चे को गोद ले कर अपनी जिंदगी में खुशियां ला सकते हैं… अधिकांश बेऔलाद दंपती यही तो करते हैं,’ उस ने मन ही मन सोचा.

वह फिर सोचने लगी कि कमी तो विनय में थी उस में नहीं. तो वह क्यों इस सुखद से वंचित रहे? उस के मन में जो चाह थी कि अपनी कोख से एक नई जिंदगी को जन्म दे, वह मधुर पीड़ा जो एक मां जन्म देते समय  झेलती है, वह खुशी जो अपने प्रतिरूप को अपने भीतर महसूस करने की होती है तो क्या उस की इन ख्वाहिशों का कोई मोल नहीं था? क्या एक पति इतना संवेदनशील बन पाएगा जो पत्नी की इन भावनाओं को सम झ सके?

‘‘तुम्हारी यह चाहत पूरी हो सकती है सारिका… आज के युग में कुछ भी नामुमकिन नहीं. यदि तुम चाहो तो किसी और के स्पर्म से गर्भवती हो सकती हो,’’ डाक्टर ने कहा.

सारिका को दुविधा में देख कर डाक्टर ने उसे आश्वस्त किया कि यह पूरी तरह से एक मैडिकल प्रक्रिया है, जिस में बिना किसी परपुरुष संसर्ग के उसे गर्भ ठहर सकता है.

चक्की के 2 पाटों के बीच पिस कर रह गई थी सारिका की जिंदगी. सच बताने से पति के अभिमानी पौरुष को ठेस पहुंचती थी और चुप रहने से उस के अंदर की औरत घुटघुट कर मर जाती.

बड़े मानमनौअल के बाद ही विनय संतानप्राप्ति के लिए मैडिकल टैस्ट करवाने पर राजी हुआ था. बिना टैस्ट रिपोर्ट का इंतजार किए ही उस ने अमेरिका की उड़ान भर ली थी. सारिका और विनय के सपने अब अलगअलग थे. एक को सफलता की ऊंचाई छूने की चाह थी तो दूसरे के मन में ममता का सागर हिलोरें मार रहा था.

कितनी साहसी बन गई थी सारिका अपनी लालसाओं के स्वार्थ में.  झूठ का सहारा ही तो लिया था उस ने अपने सपने को पूरा करने के लिए और फिर एक के बाद एक  झूठ बोलती चली गई थी.

एक ही भूल थी उस की कि लाख चाहने के बाद भी वह विनय को सच नहीं बता पाई. जब भी वह विनय को कबीर से प्यार लड़ाते देखती, बात उस की जबां तक आतेआते रुक जाती. मन में छिपे डर ने उसे विनय का गुनहगार बना दिया था.

समीर एक बेहद आकर्षक नौजवान था. स्पर्म डोनर बन कर जो कुछ भी पैसे वह कमाता था उन से अपने शौक पूरे करता था.

ये भी पढ़ें- वह काली रात: भाग-2

डाक्टर की देखरेख में कुछ ही हफ्तों बाद सारिका को गर्भ ठहर गया. उस के अंदर का अंकुर दिनोंदिन बड़ा होने लगा. उस की खुशी का ठिकाना नहीं था… इस अनुभव से गुजरना बहुत सुखद लग रहा था, जिस के लिए वह आज तक तरसती आई थी. उस की कोख में पलती नन्ही सी जान उसे संपूर्णता का एहसास करा रही थी.

विनय को यह अचरजभरी खुशखबरी मिली तो वह भी अपने बाप बनने की खुशी में दिन गिनने लगा. कुछ महीनों बाद ही उसे अमेरिका से वापस आना था.

सारिका ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया. उन की जिंदगी में रंग भरने के लिए ही शायद कबीर का जन्म हुआ था. जो विनय पहले बच्चे के नाम से ही तुनकता था वह अब एक पल के लिए भी कबीर को अपने से अलग नहीं करता था.

मगर कुदरत भी कितनी जालिम थी. सच जान कर भी क्या विनय कबीर को इतना ही प्यार कर पाएगा? इस सवाल का जवाब सारिका के पास नहीं था. वह इस कड़वी सचाई को कब का अपने मन में दफन कर इतमीनान से जी रही थी, मगर उसे क्या मालूम था कि एक दिन उसे कठघरे में खड़ा होना ही पड़ेगा और आज वह दिन आ ही गया था.

अपने बेटे की जिंदगी की खातिर गिड़गिड़ाती हुई उस मां को समीर

खाली हाथ नहीं लौटा पाया. कबीर का जैविक पिता होने के कारण बहुत हद तक संभावना थी कि कबीर से उस का बोन मैरो मैच हो जाए.

नतीजा उम्मीदजनक निकला. कबीर का औपरेशन कर उस के शरीर में समीर का बोन मैरो डाल दिया गया.

औपरेशन थिएटर के बाहर इंतजार कर रहे उन तीनों के ही मन में उथलपुथल मची थी. एक अजनबी जो अनचाहा पिता था, एक मां जिस के माथे पर बेवफाई का कलंक था और एक पिता जिस का आज भरोसा टूटा था… समीर को सारिका से जोड़ कर देखना ही विनय के लिए हृदयघात जैसा था.

कबीर का औपरेशन सफल रहा था. जिंदगी और मौत की लड़ाई में जीत जिंदगी को मिली. मगर सारिका और विनय के बीच बहुत कुछ बदल गया.

ये भी पढ़ें- रीते हाथ भाग-2

विनय जैसे सारिका के लिए एक ही पल में अजनबी बन गया. उस की आंखों का वह ठंडापन सारिका को भीतर तक सिहरा गया.

आगे पढ़ें- विनय की आंखों में नफरत का सैलाब देख कर…

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें