मराठी नाटकों से अभिनय क्षेत्र में कदम रखने वाली अभिनेत्री अनुजा साठे ने मराठी और हिन्दी फिल्मों और धारावाहिकों में काम किया है. संगीत के परिवार से सम्बन्ध रखने वाली अनुजा को कभी लगा नहीं था कि वह एक्ट्रेस बनेगी, लेकिन आज वह अपनी जर्नी से खुश है. काम के दौरान वह अभिनेता सौरभ गोखले से मिली और शादी की. अनुजा इस लॉक डाउन में पुणे में अपने घर पर पति के साथ है और कई फिल्में देखने और नयी- नयी व्यंजन बनाने में व्यस्त है. अनुजा फिल्म इंडस्ट्री की स्पॉट बॉय और लाइट मैन के बारें में बहुत चिंतित है, जिन्हें हर रोज काम के बदले पैसे मिलते है. इसके लिए उसने कुछ राशि डोनेट भी किया है. अनुजा की वेब सीरीज ‘एक थी बेगम’ मराठी और हिंदी में रिलीज हो चुकी है, जिसमें उसकी भूमिका को काफी सराहना मिल रही है. हंसमुख और विनम्र अनुजा से बात हुई, पेश है कुछ खास अंश.
सवाल-इस वेब सीरिज में आपको खास क्या लगा?
ये एक बदले की भवना से ग्रसित महिला की कहानी है और मैंने ऐसी भूमिका आजतक नहीं की है. ये बहुत चुनौतीपूर्ण मेरे लिए रहा, क्योंकि एक सीधी सादी लड़की अगर ये ठान ले कि मैं अपने पति को मारने वाले से बदला लेकर रहूंगी और किस हद तक जाकर वह ये काम करती है. इसे दिखाया गया है. ये बहुत ही अलग और पावरफुल चरित्र है. कम्फर्ट जोन से निकलकर अभिनय करना किसी भी कलाकार के लिए बहुत अच्छा रहता है और ये मेरे लिए एक्सप्लोरिंग चरित्र रही है.
सवाल-ये चरित्र आप से कितना मेल खाता है?
मेरे चरित्र के ट्रेंड के अलावा ये मुझसे कोई मेल नहीं खाती. इसलिए ये मेरे लिए अधिक मुश्किल था, क्योंकि 80 के दशक को 2020 में जीना ही एक अलग बात है. ट्रेंड और पॉवर दो बाते इस फिल्म में मेरे चरित्र में है और रियल में भी अगर मैंने कुछ ठान लिया है, तो उसे पूरा अवश्य करती हूं. यही एक कॉमन है.
सवाल-अभिनय में आना इतफाक थी या बचपन से सोचा था?
मैंने कभी नहीं अभिनय के बारें में सोचा नहीं था, क्योंकि बचपन से मैंने अपनी म्यूजिकल परिवार देखी है. मैं भी शास्त्रीय संगीत सीख रही थी. मेरे दादाजी, बुआ, अंकल, पिता सबकी रूचि संगीत में ही रही है. मैं भी वही करने की सोची थी. कॉलेज के दौरान मुझे लगा कि मैं कुछ और भी चीजो को एक्स्प्लोर करूँ और मैंने कॉलेज की नाटकों में भाग लेना शुरू कर दिया. वो मुझे अधिक अच्छा लगने लगा और संगीत पीछे रह गया. फिर मैंने एक्सपेरिमेंटल थिएटर करना शुरू कर दिया, तब भी मुझे ये हॉबी जैसा ही लगने लगा था. कॉलेज ख़त्म होने पर मेरे दोस्तों ने मुझे अभिनय करने की सलाह भी दी, पर मैंने नहीं मानी. तभी एक मराठी शो अग्निहोत्र में अभिनय का मौका मुझे मिला, जिसकी शूटिंग पुणे में होती थी.
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इसके बाद से मेरी अभिनय जर्नी शुरू हो गयी और साल 2010 में मैं मुंबई आ गयी. उसके बाद मुझे एक के बाद शो और फिल्में मिलने लगी. तमन्ना मेरी पहली हिंदी धारावाहिक थी. इसके अलावा कई हिंदी फिल्मों में भी काम मिला. काम मिलने के बाद लगा कि ये मेरी लाइन है और मैं अलग-अलग भूमिका निभाती गयी और दर्शकों का प्यार मुझे मिलता गया.
सवाल-पुणे से मुंबई आने पर कितना संघर्ष रहा?
मैंने शुरू से ही सोचा था कि हाथ में काम न होने पर मैं मुंबई नहीं जाउंगी और वैसा ही हुआ मेरे हाथ में मराठी शो थी और उसकी शूटिंग मुंबई में थी. इसके अलावा एक शो ख़त्म होने के बाद दूसरी तुरंत मिले, ये भी इस फील्ड में जरुरी नहीं होता. ये बड़े-बड़े स्टार्स के साथ भी कई बार होता ही है,ऐसे में जब काम नहीं होता, तो दिमाग को शांत रखकर काम ढूँढना पड़ता है. अपने काम और अपने आप पर भरोषा रखना पड़ता है, जिससे काम मिलना आसान हो जाता है. मुझे भी ऐसी हालात से गुजरना पड़ा. एक साल तक काम नहीं मिला, पर खुद पर विश्वास रहा और काम मिला.
सवाल-आपके काम में परिवार और पति का सहयोग कितना रहा?
इसकी शुरुआत मेरे माता-पिता से होती है, जिन्होंने मुझे किसी काम से कभी नहीं रोका. मेरी ख़ुशी को उन्होंने अधिक महत्व दिया है. उनकी चाहत को मुझपर उन्होंने थोपा नहीं. बचपन से यही माहौल मिला है. शादी के बाद पति भी फिल्म इंडस्ट्री से है और एक एक्टर है, इसलिए मेरे काम के ट्रेंड को अच्छी तरह से जानते है. साथ ही मेरे सास ससुर दोनों डॉक्टर है,वे भी मेरे काम को सराहते है. मुझे सबका सहयोग हमेशा मिला है. सहयोग न होने पर समस्या आती है.
सवाल-आप मराठी और हिंदी दोनों इंडस्ट्री में काम कर रही है, क्या अंतर पाती है?
मराठी इंडस्ट्री बहुत छोटी है. यहाँ पर सब एक दूसरे को जानते है. यहाँ प्यार और विश्वास पर बहुत सारा काम हो जाता है. हिंदी बहुत अधिक प्रोफेशनल है और हर काम को प्रोफेशनली किया जाता है, जो अच्छी बात है.
सवाल-अभी इस लॉक डाउन में आप क्या कर रही है?
मैं अभी पुणे में हूं, इस दौरान मैं और मेरे पति दोनों ही कुछ अलग-अलग काम कर रहे है मसलन खाना बनाना, घर की सफाई, वर्कआउट आदि कर रही हूं. कई फिल्में और वेब सीरीज जो हम दोनों ने मिस किया था, उसे साथ बैठकर देख रहे है.
सवाल-फिल्म इंडस्ट्री इस लॉक डाउन और कोरोना वायरस के चलते काफी समस्या ग्रस्त हो चुकी है, ऐसे में क्या-क्या कदम उठाने की जरुरत आगे आने वाले समय में पड़ेगी?
इंडस्ट्री के निर्माताओं ने एक फंड रेज किया है, जिससे डेली वेजेस पर काम करने वालों को कुछ सहायता राशि दिए जाय, मैंने भी कुछ सहायता की है. निर्माता, निर्देशक और कलाकार से अधिक वे लोग ही सफ़र करेंगे. इसलिए ऐसे सभी डेली वेजेस पर काम करने वालों को सहायता देने की जरुरत है. लॉक डाउन के बाद सबको मेहनत से काम करने की जरुरत है.
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सवाल-गृहशोभा के ज़रिये महिलाओं को क्या मेसेज देना चाहती है?
किसी भी महिला की अगर कोई ड्रीम है, तो उसे पूरा करें. सपने को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती. अपने आसपास की सभी महिलाओं को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करे और खुद भी वैसा करें, इससे आपको आपनी जिंदगी बहुत खूबसूरत लगेगी.