कर्ज का बोझ ऐसे करें कम

ईशा के पापा ने उस के बर्थडे पर उसे आईफोन 14 प्रो प्लस गिफ्ट किया, जिस की कीमत क्व80 हजार है. ईशा जब अगले दिन अपना न्यू ब्रैंडिंग फोन ले कर कालेज गई तो सब उस का फोन देख कर हैरान थे. लेकिन सब से ज्यादा हैरान थी समायरा. समायरा ईशा की क्लासफैलो है. उस का बर्थडे भी आने वाला है. उस ने सोचा कि वह भी यह फोन लेगी. लेकिन समायरा के पापा एक औटोरिकशा चालक है. ऐसे में वे उसे आईफोन 14 प्रो प्लस जैसा फोन दिलाने में असमर्थ हैं क्योंकि उन की इतनी इनकम नहीं है.

अब समस्या यह है कि समायरा के पास खुद इतने पैसे नहीं हैं कि वह इस फोन को खरीद सके क्योंकि समायरा एक पार्टटाइम वौइस आर्टिस्ट है इसलिए उस ने इस फोन को ईएमआई पर लेने की सोची. ईएमआई के जरीए वह धीरेधीरे कर के फोन की पेमैंट कर देगी और उस पर इतना बर्डन भी नहीं होगा. यही सोच कर उस ने आईफोन 14 प्रो प्लस ले लिया.

3 ईएमआई भरने के बाद समायरा की तबीयत खराब हो गई. डाक्टर ने उसे बैड रैस्ट करने को कहा. बस तभी से वह घर पर पड़ी है. काम न करने की वजह से वह फोन की ईएमआई भी नहीं भर पाई और बैंक का कर्मचारी बारबार उसे फोन कर के ईएमआई पे करने को कहने लगा. कुछ दिनों बाद बैंक के कर्मचारी उसे धमकी भरे फोन भी करने लगे. हद तो तब हो गई जब बैंक की तरफ से उस के दोस्तों, परिवार वालों और रिश्तेदारों को फोन किया जाने लगा. समायरा इन सब से तंग आ चुकी थी. अंत में उस के पापा ने किसी तरह बची ईएमआई की पेमैंट की.

ईएमआई के जरीए लोन

अगर आप समायरा जैसी प्रौब्लम में फंसना नहीं चाहते तो यह जान लें कि लोन को ईएमआई के पार्ट में दिया जाता है, ईएमआई आप को कितने पार्ट में देनी है यह आप और बैंक पर डिपैंड करता है. आप ईएमआई की स्टालमैंट को 2 महीनों से ले कर 2 सालों तक कितने भी समय में दे सकते हैं या इस से भी ज्यादा हो सकता है. इसलिए अगर आप ईएमआई के जरीए लोन चुकता करने के बारे में सोच रहे हैं तो लोन सम झ कर लें.

यह न समझें कि हम बहुत सा सामान खरीद लेते हैं और धीरेधीरे कर के ईएमआई चुकाते रहेंगे. ईएमआई के लालच में पड़ कर आप एकसाथ बहुत सारा सामान न खरीदें. सामान तभी खरीदें जब आप को उस की जरूरत हो. यह न हो कि आप ईएमआई लोन के दलदल में डूबते जां.

ईएमआई का मतलब है कि आप अपने लोन को धीरेधीरे कर के मासिक किस्तों में चुका सकते हैं. इस से आप की मासिक किस्तें हलकी होती हैं लेकिन बाजार दर के कारण आप को ईएमआई लोन पर अधिक ब्याज का सामना भी करना पड़ सकता है. अपनी फाइनैंशियल स्टैबिलिटी और फाइनैंशियल गोल्स को ध्यान में रखते हुए लोन को सोचसम झ कर लेना चाहिए. यह एक सम झदार इनसान की खूबी है.

खर्चों के हिसाब से लोन

जयपुर के ऐक्सिस बैंक में कार्यरत ज्ञान यादव कहते हैं, ‘‘कोई भी ईएमआई लोन लेने से पहले अपनी मंथली इनकम का कैलकुलेशन जरूर कर के देख लें क्योंकि ईएमआई हर महीने जाएगी इसलिए ईएमआई वाले अमाउंट को पहले ही निकाल कर साइड में रख लें. फिर इस के बाद अपने डेली खर्चे और बाकी के खर्च के लिए पर्याप्त बैलेंस देखें. इस के बाद डिसाइड करें कि आप को लोन लेना है या नहीं. कहीं ऐसा न हो कि आप ईएमआई के भरोसे लोन तो ले लें और फिर उसे चुका न पाएं.

‘‘ऐसे में आप को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इस में बैंकों द्वारा दी जाने वाली धमकी भी शामिल है. इसीलिए सोचसम झ कर, अपनी इनकम और अपने खर्चों के हिसाब से ही लोन लें.’’

ईएमआई के तौर पर चढ़े कर्ज का बो झ कम करने के लिए कुछ टिप्स इस तरह हैं-

बजट तैयार करें: अपनी इनकम और खर्चों की लिस्ट बना कर एक बजट तैयार करें जिस से आप अपनी फाइनैंशियल स्थिति को सही रख सकते हैं.

ईएमआई को दें प्राथमिकता: ईएमआई लोन की किस्त का समय पर भुगतान करें ताकि ब्याज बढ़ने से बचाया जा सके और भविष्य में आप का क्रैडिट स्कोर भी न बिगड़े.

इमेरजैंसी योजना बनाएं: इमेरजैंसी योजना बनाना बहुत जरूरी है ताकि आप अचानक आई फाइनैंशियल प्रौब्लम का सामना कर सकें और कर्ज से निकल सकें.

फाइनैंशियल ऐजुकेशन: फाइनैंशियल ऐजुकेशन लें और सही जगह इनवैस्ट करने के बारे में सीखें ताकि आप अपनी पैसिफ इनकम बढ़ा सकें.

ऐक्स्ट्रा इनकम के सोर्स ढूंढ़ो: अगर अवसर मिले तो ऐक्स्ट्रा इनकम के सोर्स ढूंढ़ो, जैसेकि फ्रीलांस इनकम या साइड बिजनैस.

ज्यादा खर्च से बचें: अपने खर्चों को कम से कम करें और सेविंग्स को बढ़ाएं ताकि आप आने वाले समय में कर्ज जैसी स्थित का सामना कर सकें.

क्रैडिट स्कोर की निगरानी: अपने क्रैडिट स्कोर को निरंतर निगरानी में रखें और उसे सुधारने के लिए जरूरी कदम उठाएं. क्रैडिट स्कोर एक इंपौर्टैंट इकौनौमिक पैरामीटर है जो आप की फाइनैंशियल हैल्थ को मापने में हैल्प करता है. यह एक निर्दिष्ठ संख्या है जो व्यक्ति की फाइनैंशियल हिस्ट्री के बारे में जानकारी देती है और साथ ही वित्तीय लेनदेन की स्थिति को भी दर्शाती है.

इन टिप्स को अपना कर आप अपने कर्ज का बो झ कम कर सकते हैं और अपनी फाइनैंशियल हैल्थ को सुधार सकते हैं.

लेट पेमैंट चार्ज और डिफाल्टर होने से बचने के लिए हम आप को कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं, जिन के माध्यम से आप को लोन मिलना भी आसान हो जाएगा और ईएमआई का भुगतान करने में आप को कोई परेशानी भी नहीं आएगी. आइए, जानते हैं इन उपायों को:

ईएमआई चुकाने के 2 तरीके होते हैं-  एडवांस और एरियर. ज्यादातर लोग एडवांस ईएमआई जमा करते हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर आप एरियर ईएमआई भी भर सकते हैं. लोन के ब्याज की तारीख आमतौर पर महीने के शुरू में ही होती है. इसे एडवांस ईएमआई कहते हैं. वहीं अगर आप महीने के आखिर में ब्याज चुकाते हैं तो इसे एरियर ईएमआई कहा जाता है.

अपने लोन की अवधि बढ़वाएं

अगर आप ईएमआई का भुगतान समय पर नहीं कर पा रहे हैं और इस की वजह से आप फाइनैंशियल प्रौब्लम से जू झ रहे हैं तो आप अपने मौजूदा ऋण देने वाले बैंक से लोन की समय सीमा बढ़ाने की अपील कर सकते हैं. ऐसा करने से आप को पेमैंट रिटर्न करने के लिए और समय मिल जाएगा. पेमैंट रिटर्न के लिए ज्यादा समय मिलने पर आप डिफाल्टर होने की संभावना से बच जाएंगे.

रखें इमरजैंसी फंड

समय पर ईएमआई का भुगतान करने के लिए आप को बचत कर इमरजैंसी फंड के तौर पर अपने पास कुछ राशि रखनी चाहिए. आर्थिक संकट से जू झने में यह फंड आप की मदद कर सकता है. अगर आप की लाइफ में कुछ बुरा हो जाता है जैसे अगर आप की जौब छूट जाती है या आप बीमार हो जाते हैं तो यह फंड आप के काम आ सकता है. इस से आप की लोन चुकाने की क्षमता प्रभावित नहीं होगी.

सिबिल स्कोर ठीक करें

बैंक लोन देने से पहले आप का सिबिल स्कोर चैक करते हैं. इस से आप की फाइनैंशियल केपिबिलिटी का अंदाजा लगता है और आप को आसानी से लोन मिल जाता है. इसलिए आप लोन के लिए अप्लाई करने से पहले ही अपना सिबिल स्कोर ठीक कर लें. अगर ईएमआई चुकाने में देरी हो जाती है तो हमारा क्रैडिट स्कोर भी कम हो जाता है, जिस की वजह से फ्यूचर में लोन मिलना मुश्किल हो जाता है. इन तरीकों को अपना कर आप अपने लोन को जल्दी से जल्दी चुका पाएंगे.

5 Tips: Emergency Funds भी है जरूरी

मुसीबतें किसी को बताकर नहीं आती. इसके लिए जरूरी है कि आप पहले से तैयार रहें. भविष्य की जरूरतों के लिए आप जैसे काफी सारे लोग एक बड़ी राशि इंश्योरेंस, यूलिप, फिक्स डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते रहते हैं. लेकिन इन सब के बाद भी अक्सर आप कई बार ऐसी मुसीबत से निपटने में असमर्थ हो जाते हैं. पैसों की अचानक जरूरत के लिए हम अपनी एफडी और यूलिप का प्रीमैच्योर विड्रॉल कर लेते हैं, नतीजन पूरी रकम भी नहीं मिल पाती. ऐसे गलतियां लोग इमर्जेंसी फंड न बनाकर करते हैं.

1. तुरंत जरूरतों के लिए इमर्जेंसी फंड बनाएं

आजकल बढ़ती महंगाई के साथ हमारी अन्य जरूरतें भी उसी तेजी से बढ़ रही हैं. ऐसे में बीमारी, नौकरी छूटने या अन्य वजह से अचानक सामने आने वाले बड़े खर्चों से हमारा सारा बजट खराब हो जाता है. ऐसी ही समस्याओं से निपटने के लिए इमरजेंसी फंड बहुत जरूरी होता है. यह फंड ऐसी सेविंग होती है, जिसे तुरंत जरूरत के समय में आप खर्च कर सकते हैं.

2. कितना होना चाहिए इमर्जेंसी फंड

इमर्जेंसी फंड की राशि उतनी होनी चाहिए जो आपके 6 महीनों के खर्चों को पूरा कर सके. यदि आपके पास हैल्थ इंश्योमरेंस पहले से है तो तीन से चार महीने का इमर्जेंसी फंड भी पर्याप्त है. इसके लिए हर महीने अपनी सेविंग का 10 फीसदी हिस्साए इमर्जेंसी फंड के लिए तैयार करें. एक तय सीमा से अधिक बचत होने पर अपनी शेष राशि को अन्य विकल्प में निवेश कर सकते हैं.

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3. लिक्विड फंड में निवेश करें

इमरजेंसी फंड के लिए बैंक बचत खाता और लिक्विड म्युचुअल फंड में भी निवेश किया जा सकता है. इन फंड्स में लॉक-इन पीरिएड नहीं होता और विड्रॉल में भी ज्यादा समय नहीं लगता. बचत खाते में इमर्जेंसी फंड के तौर पर जमा राशि किसी भी समय एटीएम की मदद से निकाल सकते हैं. इमर्जेंसी के लिए कोशिश करें कि बैंक एफडी या म्यूचुअल फंड में निवेश न करना पड़े.

4. इमरजेंसी में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं

इमर्जेंसी के लिए आपका क्रेडिट कार्ड भी सहायक बन सकता है. क्रेडिट कार्ड के साथ 50 से 60 दिनों तक का क्रेडिट पीरिएड मिलता है. ऐसे में अस्पताल के खर्चों का भुगतान और दूसरे खर्चों के लिए क्रेडिट कार्ड से भुगतान कर सकते हैं. लेकिन आपको बता दें कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेामाल विड्रॉल के लिए न करें. क्योंकि इससे ब्याज काफी बढ़ जाएगा.

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5. जरूर करवाएं हेल्थ इंश्योसरेंस

बीमारी या दुर्घटना के दौरान इमर्जेंसी फंड की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है. ऐसे में किसी भी अनिश्चितता से सुरक्षा के लिए अपने और परिवार के लिए एक हेल्थि इंश्योररेंस पॉलिसी होना बहुत जरूरी है. हेल्थ पॉलिसी की मदद से अस्पताल और इलाज के खर्च से बच जाते हैं. कैशलैस प्लान की स्थिति में इलाज के दौरान कोई भी धन राशि देने की जरूरत नहीं होती. लेकिन यदि कैशलैस नहीं है तो कुछ समय के लिए पैसों की जरूरत अवश्य पड़ सकती है.

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