बड़ी-बड़ी असफलताएं न होतीं …तो हैरत करती शानदार सफलताएं भी न होतीं

थामस अल्वा एडीसन बल्ब बनाने में दिन-रात एक किये हुए थे. कई महीने नहीं बल्कि एक साल से ऊपर हो चुका था; लेकिन सफलता कहीं आसपास फटकती भी नजर नहीं आ रही थी. उनके प्रतिद्वंदियों को पता था कि वह आजकल बल्ब बनाने में दिन-रात एक किये हुए हैं. लेकिन कोई सफलता नहीं मिल रही. प्रतिद्वंदियों के लिए यह एडीसन की खिंचाई का बढ़िया मौका था. एक दिन एक सज्जन पहुंच गये. थोड़ी इधर उधर की बात के बाद कहने लगे, ‘पता चला है तुम बल्ब बनाने के क्रम 500 बार असफल हो चुके हो?’

एडीसन ने कहा, ‘नहीं तो, मैं तो बल्कि 500 प्रयोगों से यह जान चुका हूं कि इस तरह से बल्ब नहीं बन सकता. यह जानकारी भविष्य के लिए बहुत काम आयेगी.’ जो प्रतिद्वंदी वैज्ञानिक एडीसन को नीचा दिखाने के ख्याल से उनके पास गये थे, एडीसन का मुंह देखते रह गये. जी, हां! अगर इस तरह की असफलताओं और उनसे हार न मानने का जज्बा नहीं होता तो शायद ही आज दुनिया इतनी खूबसूरत होती. वास्तव में दुनिया को इतनी खूबसूरत और समृद्ध बनाने में असफलाओं का भी जबरदस्त योगदान है.

अब भला यह बात कौन सोच सकता है कि आज जिस फोन के बिना दुनिया का एक पल गुजारा नहीं है, कभी इसी फोन के बारे में अमरीकी राष्ट्रपति का अनुमान था कि इसे कोई इस्तेमाल नहीं करेगा. जबकि आज स्थिति यह है कि दुनिया की आबादी करीब 8 अरब है और दुनिया में फोनों की संख्या कोई 13 अरब है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि आज की जीवनशैली में फोन कितना महत्वपूर्ण हो गया है.

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लेकिन जब ग्राहम बेल ने टेलीफोन का आविष्कार किया और इसका बहुत जोर शोर से तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति रदरफोर्ड हेज(1877-81) के सामने प्रदर्शन किया तो टेलीफोन का प्रदर्शन देखकर राष्ट्रपति प्रभावित तो हुए, ग्राहम बेल की पीठ भी थपथपायी लेकिन बड़ी मासूमियत से अफसोस के भाव वाला चेहरा बनाकर कहा, ‘आविष्कार तो ठीक है किंतु इस चीज को भला कौन इस्तेमाल करना चाहेगा?’
यकीन मानिए अगर अमरीकी राष्ट्रपति की इस नकारात्मक टिप्पणी से ग्राहम बेल हतोत्साहित हो गए होते तो आज टेलीफोन की मौजूदा सपनीली दुनिया भला कहां होती? राष्ट्रपति की टिप्पणी से ग्राहम बेल थोड़े परेशान तो हुए लेकिन वो अपने भरोसे पर मजबूती से खड़े रहे कि उनका आविष्कार एक दिन दुनिया बदल देगा. आज बेल भले अपनी जिद की कामयाबी देखने के लिए मौजूद न हो लेकिन दुनिया के सामने उनकी कामयाबी का परचम फहर रहा है.

आज भले इस पर किसी को विश्वास न हो लेकिन एक जमाना था, जब रेलगाड़ी की कामयाबी को लेकर आशंकाएं थीं और ये आशंकाएं आम लोगों से लेकर कई महान तकनीकी विशेषज्ञों तक को थीं. यहां तक कि यूनिवर्सिटी कालेज, लंदन के विद्वान प्रोफेसर डाॅ. लार्डर ने भी घोषणा कर दी थी कि तेज गति से रेल यात्रा सम्भव ही नहीं है. सिर्फ इतना ही नहीं डाॅ. लार्डर के इस निष्कर्ष के चलते ब्रिटेन की पार्लियामेंट में तत्कालीन विपक्षी दल के नेताओं ने सरकार के इस रवैय्ये पर सवालियां निशान लगा दिए थे कि वह रेल के विकास पर आंख मूंदकर  विश्वास करने का जोखिम क्यों ले रही है. लेकिन ब्रिटिश सरकार अपने विश्वास पर कायम रही और इतिहास गवाह है कि उसका विश्वास किस कदर कामयाब हुआ. आज पूरी दुनिया में भूतल परिवहन का सबसे बड़ा आधार रेल यातायात ही है. भले इन दिनों कोरोना के कहर के चलते बहुत कम लोग रेल यात्रा कर रहे हों, लेकिन आज भी हर दिन अरबों टन सामान ढोया जा रहा है.

लेकिन आशंकाएं तो आशंकाएं हैं. सिर्फ रेलगाड़ी को लेकर ही नहीं हवाई जहाज को लेकर भी तमाम नकारात्मक अनुमान व्यक्त किए गए थे, जो इस धारणा के पक्ष में थे कि हवा से भारी उड़ने वाली मशीनों का निर्माण असम्भव है. प्रख्यात वैज्ञानिक एवं ब्रिटिश रायल सोसायटी के अध्यक्ष लार्ड केल्विन ने 1895 में यह भविष्यवाणी की थी. किंतु इंसान उड़ा और वह भी महज 8 साल बाद ही सन 1903 में. सिर्फ लार्ड केल्विन ने ही नहीं बल्कि महान वैज्ञानिक एडिसन भी यही मानते थे कि उड़ने वाली मशीन का निर्माण सम्भव नहीं है. भले आज इन वैज्ञानिकों का मजाक यूनान और इटली के उन शासकों की तरह न उड़ाया जाता हो जिन्होंने एक दौर में अपनी जड़ धारणाओं के चलते कई महान वैज्ञानिकों को उनकी वैज्ञानिक धारणाओं के लिए सजाएं दी थीं, मगर इनकी आशंकाएं भी जोरदार रही हैं. जिस तरह उड़ने वाली मशीन यानी विमान को लेकर इसके मूर्त रूप लेने के पहले तक तमाम जिद्दी आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं.

उसी तरह हवाई जहाज बन जाने के बाद भी उसी दुनिया के तमाम तकनीकी विशेषज्ञ यह मानने को तैयार नहीं थे कि शुरुआती दौर के हवाई जहाजों से बड़ा और उन्नत हवाई जहाज भी किसी दिन अस्तित्व में आयेगा. साल 1933 में बोइंग 247 की उड़ान देखने के बाद बोइंग के ही एक इंजीनियर ने कहा कि दुनिया में कभी इससे बड़ा विमान नहीं बनाया जा सकेगा. गौरतलब है कि उस विमान में सिर्फ 10 लोगों के बैठने की जगह थी, जबकि आज दुनिया में ऐसे सुपर जम्बो बोइंग विमानों का अस्तित्व है जिनमें 800 लोग तक एक साथ सफर कर सकते हैं. हालांकि अभी तक ये व्यवहारिक तौरपर नहीं चलाए जा रहे लेकिन इसके सफल प्रयोग हो चुके हैं. 725 से ज्यादा लोग एक साथ हवा में उड़ चुके हैं. सिर्फ यात्री विमानों को लेकर ही नहीं एक दौर था जब लड़ाकू विमानों के बारे में भी खूब मजाक उड़ाया गया था. साल 1904 में प्रोफेसर ऑफ स्ट्रेटजी मार्सेल फर्डिनांड फोच ने सार्वजनिक तौरपर यह बात कही थी कि एयरोविमान इंट्रेस्टिंग खिलौने तो जरूर हैं, लेकिन युद्ध के लिए इनका कोई खास इस्तेमाल नहीं है.

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एक व्यक्ति ही नहीं कई बार समूह का समूह अपनी नकारात्मक आशंकाओ के प्रति इस कदर आस्था रखता है कि बिना अनदेखे भविष्य की चिंता किए बड़ी से बड़ी बात कह देता है, जिसकी बाद में भरपायी करते नहीं बनती. जब एडिसन विद्युत बल्ब बनाने की अपनी परियोजना पर काम कर रहे थे, तब ब्रिटिश पार्लियामेंट के विद्वान सांसदों की एक समिति ने मजाक करते हुए कहा था कि यह चीज यानी विद्युत बल्ब, अटलांटिक के पार के हमारे मित्रों (अमेरिकी लोगों) के लिये ठीक हो सकती है, लेकिन विज्ञान एवं व्यावहारिकता की समझ रखने वालों के लिए यह ध्यान देने लायक नहीं है.

आज जिस परमाणु ऊर्जा की बदौलत दुनिया की बड़ी तादाद में बिजली की जरूरतें पूरी हो रही हैं, साथ ही जिसे अथाह ऊर्जा का स्रोत भी माना जा रहा है, उसी परमाणु ऊर्जा पर उस वैज्ञानिक को भी भरोसा नहीं था जिसने इतिहास में पहली बार परमाणु विखण्डन संभव करके दिखाया था. जी, हां! हम ब्रिटेन के महान वैज्ञानिक रदरफोर्ड की ही बात कर रहे हैं. जिन्होंने पहली बार परमाणु विखंडन में सफलता पायी थी. उनका कहना था कि इसमें निहित ऊर्जा बहुत ही कम है. अतः इसको ‘ऊर्जा स्रोत’ के रूप में नहीं देखा जा सकता. आज फ्रांस की तकरीबन 90 फीसदी ऊर्जा जरूरतें परमाणु ऊर्जा से ही हासिल हो रही हैं.

घर के लिए कंप्यूटर कौन खरीदेगा? यह सवाल भारत के किसी साधु सन्यासी का नहीं है बल्कि 80 के दशक में यह बात डिजिटल इक्विपमेंट कॉर्प के फाउंडर केन ओस्लॉन ने कहा था. उनके मुताबिक घरों में कंप्यूटर की कोई जरूरत नहीं है. जल्द ही उन्हें उनके कई साथी संगियों ने साथ देना शुरु कर दिया. उनके बाद ही एक और भविष्यवाणी थॉमस वाटसन की आ गई जो उस समय आईबीएम के चेयरमैन हुआ करते थे. उनके मुताबिक दुनिया में पांच कंप्यूटर बेचने के लिए भी मार्केट नहीं है. आज भले कोई भी कंप्यूटर के विरोध में एक शब्द न कह सकता हो, लेकिन कुछ सालों पहले दुनिया की मशहूर बहुराष्ट्रीय कंपनी औरेकल के सीईओ लैरी एलिसन ने भी पीसी को लेकर यही कहा था कि यह विचित्र मशीन है. हममें से ज्यादातर लोग भले इस बात को लेकर साफ साफ राय न बना पाए कि पीसी विचित्र मशीन है या नहीं लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आज की दुनिया में पीसी हमारी जिंदगी का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके बिना कुछ सोचा ही नहीं जा सकता.

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सफलता और असफलता का रास्ता एक ही जैसा है

एक बार एक बुद्धिमान व्यक्ति ने लोगों को सिखाने के लिए कि ‘कैसे अपने जीवन में दुखों से छुटकारा पाया जाए’ एक सेमिनार  का आयोजन किया. उस बुद्धिमान व्यक्ति की बातें सुनने के लिए बहुत से लोग इकट्ठा हुए. उस आदमी ने कमरे में प्रवेश किया और भीड़ को एक चुटकुला सुनाया. सभी लोग उस चुटकुले पर बहुत हँसे.

एक-दो मिनट के बाद उस आदमी ने लोगों को फिर से वही चुटकुला सुनाया तो भीड़ में से कुछ ही लोग  उस चुटकुले को सुनकर मुस्कुराए.

जब उसने तीसरी बार वही चुटकुला सुनाया तो कोई भी नहीं हंसा.

बुद्धिमान व्यक्ति मुस्कुराया और उसने कहा, “जब आप एक ही मजाक पर बार-बार हँस नहीं सकते,तो आप अपनी असफलता के बारे में सोचकर बार-बार क्यों रोते रहते हैं? ”

असफलता जीवन की एक वास्तविकता है जिसका सामना सभी मनुष्यों को अपने जीवन में कभी न कभी, किसी न किसी रूप में  करना ही पड़ता है.  इससे कोई भाग नही सकता.

अलबर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि “ यदि कोई व्यक्ति कभी असफल नहीं हुआ  इसका मतलब उसने अपने जीवन में कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की”

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अगर आप असफल नहीं होते इसका मतलब आप अपनी लाइफ में रिस्क लेने से डर रहे है. यह आपकी लाइफ का सबसे बड़ा रिस्क है की आप कोई रिस्क नहीं ले रहे है. कोई भी व्यक्ति इतिहास में grow नही किया है बिना रिस्क लिए, रिस्क तो आपको लेना ही पड़ेगा. आगे बढ़ें और चुनौतियों को स्वीकार करें. यदि आप कुछ बातों पर गहराई से विचार करें  तो आप आसानी से अपनी असफलता को सफलता में बदल सकते हैं:

1- अपनी असफलताओ से सीख लें

बात ये नहीं है की आप असफल हुए बात तो इसमें है की आपने अपनी असफलता से क्या सीखा. “थॉमस अल्वा एडिशन बचपन से हर प्रयोग में फेल हो रहे थे .9999 प्रयोग के बाद उन्होंने इलेक्ट्रिक बल्ब बनाया.वो हर प्रयोग के असफल होने के बाद ये नहीं सोचते थे की मैं  फेल हो गया  बल्कि सोचते थे कि आज इस असफलता से मैंने क्या सीखा .उन्होंने बात- चीत के  दौरान एक रिपोर्टर से कहा की ‘मैं 9999 तरीके सीख गया  हूँ जिनसे बल्ब नहीं बनता’”.

असफलता कोई समस्या नहीं है पर अपनी असफलताओं से सीख न लेना ये बहुत बड़ी समस्या है. किसी ने सच ही कहा है कि  “समस्या समस्या में नहीं है, समस्या को समस्या समझना एक बहुत बड़ी समस्या है”

2-अपनी असफलताओं के पीछे के कारण पर पर्दा न डालें

हम अक्सर अपनी असफलताओं को स्वीकार करने से डरते हैं और अपने आप को ही बहाने बनाकर समझाने लगते है कि मेरी असफलता मेरे कारण नही बल्कि दूसरों  के कारण है.

लोगों के पास ये बताने के बहुत से कारण है की मैं असफल क्यों हुआ. कुछ कहते है की मेरे पास पैसा नहीं था, कुछ कहते है की मेरे पास ताकत नहीं थी, कुछ कहते है की मेरे पास अवसर नहीं था , कुछ कहते है की मुझे मौका ही नहीं मिला. ठीक है भले ही आपके पास साधन नहीं है पर अगर आपके पास साधन जुटाने की क्षमता है तो आपको कोई नहीं रोक सकता.

अपनी असफलताओं के बहाने मत ढूंढे क्योंकि ये कुछ समय के लिए तो आपको तसल्ली दे सकते है पर आपको आपकी सफलता से कई कदम दूर भी कर सकते हैं. जिस क्षण आप अपनी असफलता को दिल से गले लगाते हैं और अपने व्यक्तिगत विकास के लिए इसके महत्व को समझते हैं, उसी क्षण आप सफलता की ओर पहली सीढ़ी पर कदम रखते है.

3- अपने आप से पूछे

सावधान रहें कि आप अपने आप से कैसे बात करते हैं, क्योंकि आप सुन रहे हैं. अपने आप से कभी ये मत पूछे  की मैं असफल क्यों हो जाता हूँ बल्कि ये पूछे की मैंने अपनी कौन-सी  ताकत का अब तक इस्तेमाल नहीं किया .अगर आप अपना पूरा फोकस कठिनाइयों पर रखोगे तो सफल होने की संभावनाए ख़त्म होती जाएँगी.

4-असफलता से न डरे

सफलता न मिलने का सबसे बड़ा कारण है कि आपका अपने किसी भी काम में असफल होने का डर होना. अगर एक बार अपने ये मान लिया किया कि आप ये नहीं कर सकते तो आप अपने पूरे  मन से प्रयत्न नही कर पाते और बार बार असफल होते हैं और फिर यही डर आपकी सोच पर हावी हो  जाता है.

कैंसर जैसी बीमारी तो एक बार ठीक भी हो सकती है पर आपकी सोच को कोई भी बाहरी व्यक्ति नहीं ठीक कर सकता .एक बात हमेशा याद रखिये असफल होने से आप और भी ज्यादा मजबूत बनते है और आपको आपका लक्ष्य और भी ज्यादा  साफ़ नज़र आता  है.

5 -अपना कोई एक लक्ष्य बनाए

अगर आपको सफलता पानी है तो आपको अपना कोई एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा . अपने लक्ष्य पर जी जान लगाकर मेहनत करो.बहुत सारे काम  एक साथ करने की जरूरत नहीं है. वो करो जो सही है वो नहीं जो आसान है.

6 -अपनी willpower को बढ़ाए

अपनी willpower  को जगाइए  पर साथ ही साथ अपनी emotional feeling  को भी जगाइए,क्योंकि बिना emotional feeling के willpower अधूरी है.

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Willpower का मतलब है की ‘मुझे ये करना ही पड़ेगा’ और willpower के साथ emotional feeling का मतलब है ‘मुझे ये चाहिए ही चाहिए’ .जब किसी काम में आपकी emotional feeling जुड़ जाएगी तो वह काम आपके लिए बहुत आसान हो जायेगा .

7 -सफल व्यक्तियों की सफलताओं से नहीं असफलताओं से शिक्षा लें

अक्सर लोग अपनी तुलना दूसरों से करते है वो दूसरों की सफलताओं को देखकर सोचते हैं की क्या मैं इन जैसा सफल नहीं हो सकता? पर शायद वो ये नहीं जानते या नहीं जानना चाहते की एक सफल व्यक्ति ने भी ना जाने अपने जीवन में कितनी असफलताओं का सामना किया होगा.

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और विश्व के महान वज्ञानिकों में से एक Dr. A.P.J. Abdul Kalam ने कहा था कि “अगर आपको अपने जीवन में तेज़ी से सफलता को हासिल करना है तो success stories मत पढ़िए उससे आपको सिर्फ motivation  ही मिलेगा .अगर पढना है तो failure stories पढ़िए क्योंकि उससे आपको आपके अन्दर की कमियों के बारे में पता चलेगा और आप ज्यादा अच्छे तरीके से अपनी कमियों को सुधार सकेंगे” .

याद रखे कि जितनी जल्दी हम अपनी असफलताओं को झटकना बंद कर देंगे,और उनसे सीखना शुरू कर देंगे  उतनी ही आसानी से हम अपनी सफलता की सीढ़ी चढ़ते जायेंगे.

‘Math के एक सवाल का एक ही उत्तर होता है पर जिंदगी के एक सवाल के बहुत सारे उत्तर होते है’.

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