जानें क्या है फॉल्स प्रेग्नेंसी और क्यों होती है ये

फॉल्स प्रेग्नेंसी यानि की फैंटम प्रेग्नेंसी. ये स्थिति समान्य नहीं है. ऐसे में महिला को ये लगता है कि उसकी कोख में बच्चा पल रहा है. लेकिन असल में ऐसा कुछ भी नहीं होता. विज्ञान की भाषा में फॉल्स प्रेग्नेंसी को स्यूडोसाइसिस भी कहा जाता है. फॉल्स प्रेग्नेंसी के लक्षणों की बात करें, तो इसके लक्षण हुबहू प्रेग्नेसी के दौरान दिखने वाले समान्य लक्षणों के जैसे ही होते हैं. जिसमें पीरियड्स में देरी, ब्रेस में दर्द, जी मिचलाना जैसी चीजें शामिल होती हैं. जिसके चलते महिला को शक होने लगता है कि वो प्रेग्नेंट है. ऐसा सिर्फ महिला को ही नहीं बल्कि परिवार वालों को भी कन्फ्यूजन होने लगता है. अब ऐसी स्थिति से कैसे खुद को निकाला जाए और कैसे फॉल्स प्रेग्नेंसी को पहचाना जाए ये सबसे ज्यादा जरूरी है. आज का हमारा ये लेख खास इसी विषय पर आधारित है.

1. क्या है कारण?-

फॉल्स प्रेग्नेंसी को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि, इस स्थिति से मनोवैज्ञानिक तथ्य जुड़े होते हैं. ऐसे में कई ऐसे कारण हैं, जो फॉल्स प्रेग्नेंसी की सोच को जन्म देते हैं. ये कारण क्या हैं आइये जानते हैं.

• प्रेग्नेंसी की चाह-

डॉक्टर्स की मानें तो कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी की चाह इस कदर बढ़ जाती है, कि वो अपने दिमाग पर नियन्त्रण खो देती हैं और ये सोचने लगती हैं कि उनके शरीर में बदलाव हो रहे हैं. और वो बदलाव प्रेग्नेंसी की वजह से ही हैं. इस तरह के लक्षण एंडोक्राइन सिस्टम में हो रहे बदलाव के कारण होते हैं. जिसका रिजल्ट यही होता है कि उन्हें प्रेग्नेंसी की तरह ही लक्षण भी दिखने लगते हैं.

• इमोशनली स्ट्रोक-

विशेषज्ञों की मानें तो जब किसी महिला को किसी बार से इमोशनली स्ट्रोक होता है यानि कि कुछ ऐसा इससे उसके मन में गहरा असर पड़ता है, जैसे- मिसकैरेज, बच्चे की बिमारी, बाँझपन, मानसिक दबाव. ऐसे में उसके दिमाग में सिर्फ एक ही बात चलती है कि वो प्रेग्नेंट है.

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• इमोशनली स्ट्रोक-

डॉक्टर्स का कहना है कि जब कोई महिला बचपन में यौन शोषण का शिकार हुई होती है या गरीबी और शिक्षा की समस्याओं से घिरी होती है, तो उसके दिमाग में काफी असर पड़ता है. जिससे उसको इस बात का विशवास हो जाता है, कि प्रेग्नेंट है.

2 . ये भी है कारण –

महिलाओं में कुछ मेडिकल स्थितियां ऐसी होती हैं, जिनकी वजह से फॉल्स प्रेग्नेंसी एक बड़ा कारण बन सकती है. इसके अलावा क्या कुछ और भी कारण है चलिए जान लेते हैं.

• महिलाओं में मोटापा, गैस की समस्या, ट्यूमर की समस्या के साथ पेट में सूजन के साथ प्रेग्नेंट होने की इच्छा फॉल्स प्रेग्नेंसी का कारण है.

• महिलाओं में कई ऐसी समस्याओं पनपने लगती हैं, जिनकी वजह से पिट्यूटरी ट्यूमर के साथ प्रेग्नेंट होने की चाह इस परिणाम का ही बड़ा कारण है.

• फॉल्स प्रेग्नेंसी में अनियमित पीरियड्स, पेट में सूजन, ब्रेस्ट साइज़ में बदलाव, निप्पलस में कड़ापन, गर्भ में हलचल होना, डिलीवरी के समय होने वाला दर्द ये भी बड़ा कारण है.

3. क्या है उपचार –

फॉल्स प्रेग्नेंसी का उपचार कैसे किया जाए ये सबसे बड़ा सवाल है. फॉल्स प्रेग्नेंसी है या नहीं, ये जानने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप अल्ट्रासाउंड और गर्भावस्था परीक्षण करवाएं. अगर रिपोर्ट निगेटिव आती है तो, और महिला इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है तब इसके निदान की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में एक मनोवैज्ञानिक चिकित्सक आपकी बेहतर मदद कर सकता है.

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फॉल्स प्रेग्नेंसी से जुड़े ऐसे कई सवाल होते हैं जो, महिलाओं के साथ परिवार वालों के दिमाग में भी घूमते रहते हैं. इसमें कुछ लक्षण असी होतेब हैं, जो शरीर में किसी बड़ी समस्या का कारण भी बन सकती है. इसके लिए आप सही सलाकार के साथ सही डॉक्टर से इलाज करवाएं. जिससे फॉल्स प्रेग्नेंसी के लक्षण अपने आप कम हो जाएंगे.

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